Wednesday 31 March 2021

दिल्ली में लूटपाट और झपटमारी में वृद्धि की गूंज संसद में । बेखौफ लुटेरों का आतंक,पुलिस सुस्त, लोग त्रस्त।

पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव

दिल्ली में लूटपाट और झपटमारी में वृद्धि।
बेखौफ लुटेरों का आतंक,पुलिस सुस्त,लोग त्रस्त। संसद में उठा मामला।

इंद्र वशिष्ठ
देश की राजधानी में दिनों-दिन बढ़ रही लूटपाट और झपटमारी/स्नैचिंग का मामला संसद में भी उठने लगा है। लोग लुटेरों से त्रस्त है
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्य सभा में बताया कि दिल्लीअक में लूटपाट और स्नैचिंग के मामलों में वृद्धि हुई है।
राज्य सभा में तीन सांसदों सुशील कुमार गुप्ता , ए विजय कुमार और चौधरी सुखराम सिंह यादव ने दिल्ली में लूटपाट और स्नैचिंग में वृद्धि का मामला उठाया और इस बारे में सरकार से सवाल पूछे।
राज्यसभा मेंं गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि साल 2020 के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा लूटपाट के 1963 और स्नैचिंग के 7965 मामले दर्ज किए गए। पुलिस द्वारा साल 2019 और 2020  के उपलब्ध कराए गए अपराध के आंकड़ों की तुलना यह दर्शाती है कि दिल्ली में साल 2019 में लूटपाट के मामलों में 0.35 फीसदी और झपटमारी के मामलों में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है।
इस साल यानी 2021 में 28 फरवरी तक झपटमारी की 1708  वारदात हुई हैं। इन मामलों में  874 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा  81 नबालिग भी पकड़े गए है।
लुटेरों के साथी सुनार -
सांसद ए विजय कुमार ने सरकार से पूछा कि क्या चेन झपटमारों जैसे अपराधियों पर मुकदमा दर्ज करने लिए कोई कानून मौजूद नहीं है? क्या सरकार बाजारों में चेन झपटमारी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए कोई कानून लाने या कार्रवाई करने का विचार रखती है? क्या चेन झपटमारी के कई मामलों का जौहरियों द्वारा समर्थन किया जाता है?
लगाम लगाने के लिए कानून-
 गृह राज्य मंत्री ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 356 में "किसी व्यक्ति द्वारा अपने साथ ले जाई जा रही सम्पत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला अथवा आपराधिक बल प्रयोग के संबंध में प्रावधान है।" इस अपराध में दो साल तक की कैद या जुर्माना अथवा दोनों सजा दिए जाने का प्रावधान है।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि साल 2019 में पुलिस ने जौहरियों/ सुनारों की मदद से की गई झपटमारी के तीन मामले दर्ज किए थे ।इन मामलों में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था। साल 2020 और साल 2021 (28-2-2021तक )के दौरान ऐसे मामले सूचित नहीं किए गए हैं।
अपराध की रोकथाम के लिए उपाय-
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने लूटपाट और झपटमारी को रोकने के लिए अनेक उपाय किए हैं।
 इन उपायों में, अन्य बातों के साथ-साथ सक्रिय अपराधियों की पहचान करना, गिरफ्तारी और निगरानी, पुलिस की मौजूदगी को बढ़ाने और अपराध संभावित क्षेत्रों की पहचान करना, वहां पुलिस पिकेट, पैदल गश्त, थाना पुलिस, पीसीआर स्टाफ और यातायात पुलिस द्वारा संयुक्त गश्त, सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई,अपराधियों के बारे में सूचना जुटाना आदि शामिल हैं।
40 फीसदी लुटेरे पकडे़ नहीं गए - दिल्ली में बेखौफ लुटेरों द्वारा मोबाइल फोन/नकदी/ पर्स आदि लूटने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। लेकिन पुलिस करीब साठ फीसदी मामलों में ही अपराधियों को पकड़ पाई है।
पुलिस ने साल 2020 में दर्ज झपटमारी के 7965 मामलोंं में से साठ फीसदी मामले सुलझाए और  6496 झपटमार/स्नैचरों को पकड़ा है। साल 2019 में झपटमारी के 59 फीसदी मामले सुलझाए और 5243 अपराधी पकडे़ थे।
पुलिस एफआईआर ही सही दर्ज़ नहीं करती। दिनों-दिन अपराध बढ़ने का मुख्य कारण है पुलिस का वारदात को सही दर्ज न करना। अपराध के  मामले सही दर्ज होंगे तो अपराध में वृद्धि उजागर होगी और पुलिस पर अपराधी को पकड़ने का दवाब बनेगा। लगता है कि पुलिस यह चाहती नहीं इसलिए पुलिस की कोशिश होती है कि अपराध के मामले कम से कम दर्ज किए जाए या फिर हल्की धारा में दर्ज किया जाए। लेकिन ऐसा करके पुलिस एक तरह से अपराधियों की ही मदद करती हैं। इसीलिए  बेख़ौफ़  लुटेरों ने आतंक मचा रखा है। महिला हो या पुरुष कोई भी कहीं पर भी सुरक्षित नहीं हैं।
लूटपाट और लुटेरों पर अंकुश लगाने में नाकाम पुलिस अपराध के आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा करने में जुटी हुई हैं। 
इसलिए पुलिस द्वारा दिए गए अपराध के आंकड़े सच्चाई से कोसों दूर होते हैंं।
एफआईआर दर्ज कराने के लिए अड़ना चाहिए। लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस ने उनके साथ हुई वारदात की सही एफआईआर दर्ज की  है या नहीं है। यानी लूट को लूट और चोरी को चोरी में ही दर्ज़ किया गया है।



Wednesday 17 March 2021

मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को बिल्डर को गोली मारने के मामले में दस साल कैद की सजा।


 
मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को दस साल कैद की सजा। 

इंद्र वशिष्ठ

मुंंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को हत्या की कोशिश के एक मामले में दस साल कैद की सजा सुनाई है। साल 2013 में एक सट्टेबाज/ बिल्डर अजय गोसलिया को जान से मारने की कोशिश के लिए उसे अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है। 

साल 1957 में जन्मे राजेन्द्र निखलजे उर्फ ​​नाना और सेठ के अलावा छोटा राजन नाम से कुख्यात इस अंतरराष्ट्रीय अपराधी को सह-अभियुक्तों के साथ दोषी पाया गया और 10 साल जेल की सजा सुनाई गई। 

सात को सजा-
विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में आरोपी कौशिक राजगौर, अरविन्द उर्फ अर्नय शिन्दे, सुनील कुमार उर्फ पीयूष, विलास भारती, प्रकाश उर्फ पाक्या उर्फ भानू, रोहित उर्फ सतीश कालिया एवं राजेन्द्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन को दोषी ठहराया एवं प्रत्येक पर 5 लाख रुपए जुर्माने सहित 10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई।

सीबीआई ने महाराष्ट्र सरकार के निवेदन एवं  भारत सरकार की अधिसूचना पर 07.04.2016 को मामला दर्ज किया था एवं तीन अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध बंगुर नगर पुलिस स्टेशन, मुम्बई (महाराष्ट्र) में सी आर संख्या-206/2013 के माध्यम से पूर्व में दर्ज इस मामलें की जांच अपने हाथों में ली।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 28.08.2012 को दोपहर बाद 4 से 4.15 के मध्य, तीन अज्ञात व्यक्तियों ने आपराधिक षड़यंत्र के तहत में अजय गोसालिया एवं शिकायतकर्ता अरशद शेख को भी मारने के उद्देश्य से अपने पिस्तौल से गोली चलाई। अजय गोसालिया इस घटना में गम्भीर रुप से घायल हुआ। बाद में मामला डीसीबी, सीआईडी, मुंंबई को स्थानान्तरित किया गया। जांच के पश्चात, डीसीबी, सीआईडी, मुम्बई ने विशेष नामित मकोका कोर्ट, मुम्बई के समक्ष आरोप पत्र दायर किया। डीसीबी, सीआईडी ने पूरक आरोप पत्र भी दायर किया।
 सीबीआई ने मामला अपने हाथों में लेने के पश्चात गहन जॉच की और विशेष न्यायाधीश, मकोका कोर्ट, मुंंबई में 15.03.2018 को अतिरिक्त साक्ष्य के साथ पूरक आरोप पत्र दायर किया। अदालत ने आरोपियों को कसूरवार पाया तथा इन्हे दोषी ठहराया।
बुकी/बिल्डर-
पुलिस के अनुसार 52 वर्षीय अजय गोसलिया पहले एक बुकी था, बाद में वो बिल्डर बन गया था। तीन लोगों ने उसे गोली मार दी थी। ये हमला उस वक्त किया गया, जब वह मलाड (पश्चिम) में इनफिनिटी मॉल से बाहर निकल रहा था। छोटा राजन के आदेश पर उसके गुंडों ने अजय को गोली मारी थी।
पत्रकार की हत्या में उम्रकैद-
 जून 2011 मेंं मिड डे न्यूज़ पेपर में वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे की मंबई के पवई में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
छोटा राजन को पत्रकार जे डे की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।
इंडोनेशिया से लाए-
साल 2015 में छोटा राजन को इंडोनेशिया से प्रत्यर्पण करा कर भारत लाया गया। 
राजन विभिन्न आपराधिक मामलों के सिलसिले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। इंडोनेशिया से प्रत्यर्पित किये जाने के बाद से ही वह जेल में है। राजन महाराष्ट्र में 70 से ज्यादा मामलों में आरोपी है।
दाऊद का दुश्मन नंबर वन-
दाऊद गिरोह से दुश्मनी के कारण छोटा राजन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है।
छोटा राजन दाऊद गिरोह (डी-कंपनी) का सदस्य रह चुका है। मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद सांप्रदायिक आधार पर वह दाऊद से अलग हो गया था।
दाऊद गिरोह का मानना है कि छोटा राजन उसके खिलाफ मुखबिरी कर भारतीय जांच एजेंसियों की मदद करता है।
दाऊद का गुंडा अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील  अपने दुश्मन छोटा राजन की हत्या की कोशिश में लगातार लगा रहता है। 
साल 2000 में बैंकॉक में छोटा राजन पर जानलेवा हमला किया गया था। गोलियां लगने के बाद भी छोटा राजन बच गया था। इस खूनी गैंगवार में छोटा राजन भी दाऊद के कई गुंडों की हत्या करा चुका है।
इसी लिए तिहाड़ जेल में राजन को अत्यंत उच्च सुरक्षा वाले जेल में रखा गया है। जिसकी 24 घंटे रखवाली खासतौर से तमिलनाडु स्पेशल पुलिस के जवान करते हैं।








Sunday 14 March 2021

अंबानी के घर के पास बारुद लदी कार खड़ी करने वाला निकला एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे। 25 मार्च तक एनआईए के रिमांड पर। पहले भी गिरफ्तार हो चुका है।




एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे 
पहले भी गिरफ्तार हो चुका हैं।

इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे को गिरफ्तार कर लिया। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास खड़ी स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक मिलने के मामले में यह गिरफ्तारी की गई है। 
इस कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद उनकी पत्नी ने सचिन पर हत्या का आरोप भी लगाया था। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही थी। हिरेन की मौत की जांच मुंबई पुलिस की एटीएस कर रही है।

एनआईए ने शनिवार देर रात को करीब 12 घंटे पूछताछ करने के बाद सचिन वझे को गिरफ्तार किया।
एनआईए की प्रवक्ता एसपी जया रॉय ने बताया है कि सचिन को विस्फोटक भरी कार रखने में शामिल/संलिप्त पाए जाने के कारण गिरफ्तार किया गया है।
सचिन को आज अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सचिन को 25 मार्च तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया।
एनआईए ने इस सिलसिले में आईपीसी की धारा 286, 465, 473, 506, 120 बी और विस्फोटक पदार्थ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। 

इनोवा कार बरामद-
पुलिस को सीसीटीवी से पता चला कि जब ये स्कार्पियो कार खड़ी की गई तो उसके पीछे एक इनोवा कार में भी एक व्यक्ति मौजूद था।
स्कार्पियो कार में बैठा व्यक्ति कार को पार्क करने के बाद पीछे वाले गेट से उतरता है और इनोवा कार में बैठकर निकल जाता है।
एनआईए ने इनोवा कार भी एनआईए ने बरामद कर ली है।
हिरेन की मौत-
उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित घर 'एंटीलिया' के पास 25 फरवरी को विस्फोटक और धमकी भरे पत्र के साथ स्कॉर्पियो कार मिली थी। मनसुख हिरेन ने दावा किया था कि कार उनकी है लेकिन घटना से एक हफ्ते पहले वह चोरी हो गई थी। इस मामले में उस समय मोड आया जब हिरेन का शव 5 मार्च को ठाणे में एक नदी किनारे  पाया गया।
कार इंस्पेक्टर इस्तेमाल करता था-
हिरन की पत्नी विमला हिरेन ने दावा किया कि उनके पति ने कार पिछले साल नवंबर में इंस्पेक्टर वझे को दी थी और उन्होंने फरवरी के पहले हफ्ते में यह कार लौटाई थी। हालांकि वझे ने इससे इनकार किया।
एटीएस ने पूछताछ की-
विमला हिरेन की ओर से हत्या का आरोप लगाए जाने के बाद सचिन वझे खुद ही एटीएस के सामने पूछताछ के लिए पहुंचे थे। एटीएस ने उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की थी।
वझे की जमानत खारिज
महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक सत्र अदालत ने वझे को इस मामले में अंतरिम जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उनके विरुद्ध प्रथमदृष्टया सबूत और सामग्री है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस ताम्बे ने वझे को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करने की जरूरत है।

पहले भी गिरफ्तार -
सचिन वझे जब अंधेरी सीआईयू में थे, तब उन पर बम ब्लास्ट आरोपी ख्वाजा युनूस की पुलिस कस्टडी में मौत से जुड़ी साजिश रचने का आरोप लगा था। उस केस में वह 3 मार्च 2004 को गिरफ्तार भी हुए थे। वझे ने बाद  नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। सालों तक पुलिस फोर्स से बाहर रहे वझे की पिछले साल ही पुलिस फोर्स में वापसी हुई और उन्हें फिर से क्राइम इंटलिजेंस यूनिट यानी सीआईयू में तैनाती दे दी गई।

साल 2003 में बम ब्लास्ट केस में ख्वाजा यूनुस को हिरासत में लिया गया था और उसकी मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि जांच के लिए औरंगाबाद ले जाते वक्त ख्वाजा पुलिस जीप से कूद गया और उसकी मौत हो गई। हालांकि, ख्वाजा की मां आसिया बेगम का कहना है कि उनके बेटे को हिरासत में टॉर्चर किया गया था जिससे उसकी मौत हो गई।

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का इमोशनल मैसेज-
मनसुख हिरेन की हत्या मामले में नाम आने के बाद सचिन वझे  ने वॉट्सऐप पर बेहद इमोशनल मेसेज लिखा।
" दुनिया को अलविदा कहने का समय आ गया''
सचिन वझे ने लिखा, 'इतिहास एक बार फिर से दोहराया जाएगा। मेरे सहयोगी अधिकारी मुझे गलत तरीके से फंसाने में जुटे हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा इस बार हालात अलग हैं। तब मेरे पास 17 साल की आशा थी, संयम, जिंदगी और नौकरी भी थी। लेकिन अब मेरे पास ना तो 17 साल की जिंदगी है और ना ही नौकरी और धीरज। मुझे लगता है कि दुनिया से दूर जाने का वक्त पास आ गया है।'
वझे ने ख्वाजा यूनुस मामले में हुई अपनी गिरफ्तारी का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक कोई नतीजा नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में फंसने की वजह से सचिन को 16 साल तक पुलिस फ़ोर्स से बाहर रहना पड़ा था। 
अब फिर विवादों में घिरने के बाद सचिन वझे को क्राइम ब्रांच इंचार्ज और मनसुख हिरेन केस से हटा दिया गया था। 
तिहाड़ जेल कनेक्शन-
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार( 11 मार्च )को बताया था कि मुंबई में मुकेश अंबानी के आवास के पास एसयूवी में विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी लेने का दावा करने वाले जैश-उल-हिंद संगठन का ‘टेलीग्राम’ चैनल दिल्ली के ‘‘तिहाड़ इलाके में’’ बनाया गया।
 जिस फोन पर टेलीग्राम चैनल बनाया गया था, उसकी लोकेशन का पता लगाने के लिए मुंबई पुलिस ने एक निजी साइबर एजेंसी की मदद ली। जांच के दौरान फोन का स्थान दिल्ली की तिहाड़ जेल के पास पाया गया था।
जेल से मोबाइल बरामद-
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार (12 मार्च) को बताया कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास से एक कार में मिले विस्फोटक के मामले में आतंकी कृत्य या धमकियों की जिम्मेदारी लेने के लिए जिस मोबाइल फोन पर ‘टेलीग्राम’ चैनल का इस्तेमाल किया गया था उसे तिहाड़ जेल से जब्त किया गया। 
इंडियन मुजाहिद्दीन का सरगना -
पुलिस ने मोबाइल फोन तिहाड़ जेल नंबर 8 में एक बैरक से बरामद किया है, जिसमें तहसीन अख्तर उर्फ मोनू बंद है जो कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख था। वह अन्य कैदियों के साथ इस बैरक में बंद है।

वीरवार रात को तलाशी अभियान के दौरान तिहाड़ के सेंट्रल जेल नंबर 8 में बैरक से दो मोबाइल फोन बरामद किए गए, जहां अख्तर अन्य कैदियों के साथ बंद है। संदेह है कि इन फोन का इस्तेमाल अख्तर सहित कई कैदियों द्वारा किया जा रहा था।
तहसीन अख्तर को 2014 में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। वह इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद आतंकी संगठन का नेतृत्व कर रहा था।
टेलीग्राम चैनल 26 फरवरी को बनाया गया था और अंबानी के आवास के बाहर वाहन रखने की जिम्मेदारी का दावा करते हुए 27 फरवरी को देर रात को टेलीग्राम ऐप पर यह संदेश पोस्ट किया गया था।
संदेश में क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान मांगा गया था और उसे जमा करने के लिए एक लिंक का उल्लेख भी किया गया था।
पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान, लिंक को "उपलब्ध नहीं" के रूप में पाया गया, जिसके कारण जांचकर्ताओं को इसके शरारती होने का संदेह था।
28 फरवरी को जैश-उल-हिंद का एक अन्य संदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आया, जिसमें दावा किया गया कि घटना में संगठन की कोई भूमिका नहीं थी।

आतंक की गुत्थी अनसुलझी-
इस पूरे मामले में अभी भी एक गुत्थी अनसुलझी है। 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में जिलेटिन मिलने के दो दिन बाद एक मैसेज जैश उल हिंद के नाम से आया, जिसमें उस स्कॉर्पियो में इस आतंकवादी संगठन ने जिलेटिन रखने का दावा किया था। हालांकि कुछ घंटे बाद जैश उल हिंद के नाम से एक और मैसेज आया और खुद को असल जैश उल हिंद बताने वाले ने दावा किया कि उनके संगठन के नाम से भेजा गया मैसेज फर्जी है। साथ ही कहा कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर उसके आतंकवादी संगठन ने कोई स्कॉर्पियो नहीं खड़ी की, कोई जिलेटिन नहीं रखा।

लेकिन 11 मार्च को मुंबई पुलिस की सूचना पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में छापा मारा  और वहां से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तहसीन अख्तर के पास से कुछ मोबाइल जब्त किए। आरोप लगा कि इन्हीं मोबाइल में से किसी एक से जैश उल हिंद वाला मैसेज किया गया था। सवाल यह है कि जब सचिन वझे को स्कॉर्पियो में जिलेटिन प्लांट करने के मामले में अरेस्ट किया गया है, तो उसी केस में जैश उल हिंद वाली गुत्थी अभी तक क्यों नहीं सुलझी है। शायद आने वाले दिनों में इस रहस्य से भी पर्दा उठेगा।

मुकेश अंबानी के घर के पास कार्मिकल रोड पर खड़ी मिली महिंद्रा स्कॉर्पियो एसयूवी में जिलेटिन की 21 छड़ें मिली थी।
साथ ही धमकी भरा एक पत्र। इसमें लिखा था, 'नीता भाभी और मुकेश भैया और फैमिली। एक झलक है यह। अगली बार यह सामान पूरा कनेक्ट होकर आएगा। ओरिजनल गाड़ी में आएगा। तुम्हारी पूरी फैमिली को उड़ाने के लिए इंतजाम हो गया है। संभल जाना। गुड नाइट।'
शुरू में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में जांच शुरू की थी। मनसुख हिरेन की संदिग्ध हालात में मौत के बाद मामले को महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को स्थानांतरित किया गया। इसके बाद एनआईए को मामले की जांच सौंप दी गई। 

घटनाक्रम-
25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मिला।
5 मार्च को स्कॉर्पियो के मालिक का शव बरामद हुआ।
सचिन वझे की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
बीजेपी ने सचिव वझे की गिरफ्तारी की मांग की।
6 मार्च को एटीएस को जांच की जिम्मेदारी दी गई।
8 मार्च को एंटीलिया मामले की जांच एनआईए को मिली।
13 मार्च को एनआईए ने सचिन वझे से पूछताछ की।
13 मार्च की रात को ही सचिव वझे को एनआईए ने गिरफ्तार किया।
15 मार्च को सचिन वझे सस्पेंड किए गए।
17 मार्च को मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला हुआ।














Friday 12 March 2021

NIA ने आतंकवादियों के मददगार नशा तस्करों के खेत से 91 लाख रुपए बरामद किए।

एनआईए ने आतंकवादियों के मददगार नशा तस्करों के 91 लाख रुपए बरामद किए।

 इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हंदवाड़ा मादक पदार्थ-आतंकवाद मामले की जांच के सिलसिले में  जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के एक खेत में छिपाकर रखे गए 91 लाख रुपए बरामद किए हैं।
एनआईए की  प्रवक्ता ने जया रॉय ने बताया कि एक मार्च को गिरफ्तार किए गए पांच अभियुक्तों से पूछताछ में हुए खुलासे के बाद यह रकम बरामद की गई है। ये अभियुक्त फिलहाल 15 दिन के रिमांड पर  हैं।

खेत में 91 लाख-
एनआईए ने जांच में हुए खुलासे के आधार पर तलाशी अभियान चलाया और मादक पदार्थों की तस्करी से हासिल किए गए 91 लाख रुपए बरामद कर लिए। यह रकम कश्मीर में सांबा जिले के रामगढ़  थाना के गुरवाल गांव में एक खेत में मिली।
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि नशे के तस्करों से यह रकम रोमेश कुमार को अपने लिए और विभिन्न आतंकवादी गिरोहों को देने के लिए मिली थी।
एक मार्च को जम्मू और कश्मीर से रोमेश कुमार के अलावा गांदरबल के अल्ताफ अहमद शाह,बांदीपोरा के शौकत अहमद पारी,शोपियां के मुदासिर अहमद डार और अनंतनाग जिले के अमीन आलाई उर्फ हिलाल मीर को गिरफ्तार किया गया था । 
लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन को धन से मदद की।
कश्मीर में नशे (हेरोइन) के  सौदागर/ तस्करों का यह गिरोह पाकिस्तान से हेरोइन लाकर कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में सप्लाई करता था। नशा बेच कर मिला पैसा लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को देते थे। 
21 किलो हेरोइन बरामद-
पिछले साल हेरोइन तस्करों के गिरोह से  21 किलो हेरोइन और करीब एक करोड़ 36 लाख रुपए बरामदगी के मामले मेंं इन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।
पिछले साल 11 जून को हंदवाड़ा थाने की पुलिस ने नाके पर जांच के लिए अब्दुल मोमिन पीर की हुंदई क्रेटा कार को रोका। कार की तलाशी में दो किलो हेरोइन और बीस लाख रुपए बरामद हुए। 
इस मामले की जांच 23 जून को एनआईए को सौंप दी गई। एनआईए द्वारा इस मामले में 5 दिसबंर 2020 को 6 अभियुक्तों के खिलाफ जम्मू में एनआईए की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिला किया जा चुका है।
पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी- 
एनआईए को जांच के दौरान पता चला कि हेरोइन तस्करों का यह गिरोह पाकिस्तान से भारी मात्रा में हेरोइन लाकर कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों में सप्लाई करता है।
नशे के पैसे से आतंकवाद-
तफ्तीश के दौरान यह भी पता चला कि हेरोइन तस्कर पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी गिरोह हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा से चैट प्लेटफार्म के माध्यम से नियमित रुप से  संवाद करता है। 
हेरोइन की बिक्री से मिली रकम को ये तस्कर कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों के लिए देते थे।




Thursday 11 March 2021

दिल्ली में पुलिस हिरासत में मौत के मामलों में लगातार वृद्धि। हिरासत में मौत के 24 मामले।

         पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव

दिल्ली में पुलिस हिरासत में मौत के मामलों  में वृद्धि। हिरासत में मौत के 24 मामले।

इंद्र वशिष्ठ 
देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस की हिरासत में होने वाली मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले तीन साल में पुलिस की हिरासत में मौत के 24 मामले दर्ज हुए हैंं।
पुलिस की हिरासत में मौत के मामलों को बहुत ही गंभीर और शर्मनाक अपराध माना जाता है। 

संसद में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी कि दिल्ली में साल 2017-2018, 2018-2019 और 2019-2020 में क्रमशः 7,8 और 9 मामले पुलिस हिरासत में हुई मौत के दर्ज हुए हैं।

मध्यप्रदेश नंबर वन-
देश भर में साल 2019-20 में हुई हिरासत में मौत के मामलों दिल्ली का स्थान तीसरा है। हिरासत में मौत के 14 मामलों के साथ मध्यप्रदेश प्रथम और 12-12 मामलों के साथ  गुजरात और तमिलनाडु दूसरे नंबर पर हैं। सात मामलों के साथ पश्चिम बंगाल चौथे, 6-6 मामलों के साथ पंजाब और ओडिशा पांचवें, पांच-पांच मामलों के साथ राजस्थान और बिहार छठ़े, चार मामलों वाले हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक सातवें स्थान, तीन मामलों वाले उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश आठवें स्थान, दो मामलों वाले असम, मणिपुर, केरल और झारखंड नौंवे स्थान, एक- एक मामले वाले अंडमान निकोबार, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मिजोरम, और मेघालय हिरासत में मौत के मामलों में दसवें पायदान पर हैं।
9 राज्यों में हिरासत में कोई मौत नहीं हुई-
देश के 9 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश गोवा, जम्मू कश्मीर, नागालैंड, सिक्किम,चंडीगढ़, दादर नागर हवेली, दमण द्वीप,पुदुचेरी, और लक्षद्वीप 
में पिछले तीन साल मेंं हिरासत में मौत का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। 
हिरासत में मौत के 394 मामले- 
लोकसभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रोफेसर सौगत रॉय द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि देश भर में पिछले तीन साल में हिरासत में मौत के कुल मामले 394 दर्ज हुए हैं। साल 2017-18, 2018-19 साल 2019-20 में क्रमशः 146,136 और 112 मामले दर्ज हुए।
साल 2017-18 और साल 2018-19 में 
हिरासत में मौत के मामले क्रमशः मध्यप्रदेश में सात,बारह , गुजरात में चौदह, तेरह , महाराष्ट्र में उन्नीस, ग्यारह, उत्तर प्रदेश में दस,बारह, तमिलनाडु में ग्यारह-ग्यारह, बंगाल में पांच-पांच,पंजाब में दस,पांच, ओडिशा में चार- चार, राजस्थान में तीन,आठ, कर्नाटक में चार,सात, आंध्रप्रदेश में दो,पांच, असम में ग्यारह, पांच, छत्तीसगढ़ में तीन- तीन, हरियाणा में सात-सात, बिहार में सात,पांच, हिमाचल में दो,एक, केरल में तीन-तीन,मणिपुर में एक,तीन, और मिजोरम में एक- एक मामला दर्ज किया गया।
 उत्तराखंड मेंं साल 2018-19 में दो और साल 2017-18 में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। त्रिपुरा में साल 2017-18 में एक मामला दर्ज किया गया। मेघालय में इस अवधि में दो मामले दर्ज हुए। त्रिपुरा और मेघालय में साल 2018-19 में  एक भी मामला नहीं हुआ। 
तेलंगाना में साल 2019-20 और 2018-19 में हिरासत में मौत का एक भी मामला नहीं हुआ।साल 2017-18 में हिरासत में मौत के तीन मामले दर्ज हुए थे।
अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल हिरासत में मौत का एक भी मामला नहीं हुआ। उसके पहले क्रमशः तीन,दो मामले हुए थे।
मानवाधिकार आयोग -
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने हिरासत में मौत के मामले में अनुपालन के लिए दिशानिर्देश/ प्रक्रियाएं समय समय पर जारी की हैं। इन निर्देशों के अनुसार पुलिस अथवा न्यायिक हिरासत में हुई प्रत्येक मौत की सूचना इसके घटित होने के 24 घंटे के भीतर मानवाधिकार आयोग को दी जानी होती है। आयोग विभिन्न रिपोर्ट जैसे कि पूछताछ, पोस्टमार्टम, मैजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट, विसरा रिपोर्ट आदि भी मांगता है। ताकि लोक सेवकों द्वारा की गई उस नियम विरोधी कार्रवाई अथवा लापरवाही का पता लगाया जा सके, जिसके कारण हिरासत में मौत हुई है।
जागरूकता  -
भारत सरकार ने भी हिरासत में हुई मौतों के विभिन्न पहलुओं के संबंध में सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासन को दिशानिर्देश जारी किए हैं। ताकि राज्य, जिला और अधीनस्थ स्तर पर अधिकारियों को देश के कानून और मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश का अनुपालन और अनुशरण करने के बारे में जागरूक किया जा सके।