Sunday 14 March 2021

अंबानी के घर के पास बारुद लदी कार खड़ी करने वाला निकला एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे। 25 मार्च तक एनआईए के रिमांड पर। पहले भी गिरफ्तार हो चुका है।




एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे 
पहले भी गिरफ्तार हो चुका हैं।

इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे को गिरफ्तार कर लिया। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास खड़ी स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक मिलने के मामले में यह गिरफ्तारी की गई है। 
इस कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद उनकी पत्नी ने सचिन पर हत्या का आरोप भी लगाया था। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही थी। हिरेन की मौत की जांच मुंबई पुलिस की एटीएस कर रही है।

एनआईए ने शनिवार देर रात को करीब 12 घंटे पूछताछ करने के बाद सचिन वझे को गिरफ्तार किया।
एनआईए की प्रवक्ता एसपी जया रॉय ने बताया है कि सचिन को विस्फोटक भरी कार रखने में शामिल/संलिप्त पाए जाने के कारण गिरफ्तार किया गया है।
सचिन को आज अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सचिन को 25 मार्च तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया।
एनआईए ने इस सिलसिले में आईपीसी की धारा 286, 465, 473, 506, 120 बी और विस्फोटक पदार्थ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। 

इनोवा कार बरामद-
पुलिस को सीसीटीवी से पता चला कि जब ये स्कार्पियो कार खड़ी की गई तो उसके पीछे एक इनोवा कार में भी एक व्यक्ति मौजूद था।
स्कार्पियो कार में बैठा व्यक्ति कार को पार्क करने के बाद पीछे वाले गेट से उतरता है और इनोवा कार में बैठकर निकल जाता है।
एनआईए ने इनोवा कार भी एनआईए ने बरामद कर ली है।
हिरेन की मौत-
उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित घर 'एंटीलिया' के पास 25 फरवरी को विस्फोटक और धमकी भरे पत्र के साथ स्कॉर्पियो कार मिली थी। मनसुख हिरेन ने दावा किया था कि कार उनकी है लेकिन घटना से एक हफ्ते पहले वह चोरी हो गई थी। इस मामले में उस समय मोड आया जब हिरेन का शव 5 मार्च को ठाणे में एक नदी किनारे  पाया गया।
कार इंस्पेक्टर इस्तेमाल करता था-
हिरन की पत्नी विमला हिरेन ने दावा किया कि उनके पति ने कार पिछले साल नवंबर में इंस्पेक्टर वझे को दी थी और उन्होंने फरवरी के पहले हफ्ते में यह कार लौटाई थी। हालांकि वझे ने इससे इनकार किया।
एटीएस ने पूछताछ की-
विमला हिरेन की ओर से हत्या का आरोप लगाए जाने के बाद सचिन वझे खुद ही एटीएस के सामने पूछताछ के लिए पहुंचे थे। एटीएस ने उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की थी।
वझे की जमानत खारिज
महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक सत्र अदालत ने वझे को इस मामले में अंतरिम जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उनके विरुद्ध प्रथमदृष्टया सबूत और सामग्री है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस ताम्बे ने वझे को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करने की जरूरत है।

पहले भी गिरफ्तार -
सचिन वझे जब अंधेरी सीआईयू में थे, तब उन पर बम ब्लास्ट आरोपी ख्वाजा युनूस की पुलिस कस्टडी में मौत से जुड़ी साजिश रचने का आरोप लगा था। उस केस में वह 3 मार्च 2004 को गिरफ्तार भी हुए थे। वझे ने बाद  नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। सालों तक पुलिस फोर्स से बाहर रहे वझे की पिछले साल ही पुलिस फोर्स में वापसी हुई और उन्हें फिर से क्राइम इंटलिजेंस यूनिट यानी सीआईयू में तैनाती दे दी गई।

साल 2003 में बम ब्लास्ट केस में ख्वाजा यूनुस को हिरासत में लिया गया था और उसकी मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि जांच के लिए औरंगाबाद ले जाते वक्त ख्वाजा पुलिस जीप से कूद गया और उसकी मौत हो गई। हालांकि, ख्वाजा की मां आसिया बेगम का कहना है कि उनके बेटे को हिरासत में टॉर्चर किया गया था जिससे उसकी मौत हो गई।

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का इमोशनल मैसेज-
मनसुख हिरेन की हत्या मामले में नाम आने के बाद सचिन वझे  ने वॉट्सऐप पर बेहद इमोशनल मेसेज लिखा।
" दुनिया को अलविदा कहने का समय आ गया''
सचिन वझे ने लिखा, 'इतिहास एक बार फिर से दोहराया जाएगा। मेरे सहयोगी अधिकारी मुझे गलत तरीके से फंसाने में जुटे हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा इस बार हालात अलग हैं। तब मेरे पास 17 साल की आशा थी, संयम, जिंदगी और नौकरी भी थी। लेकिन अब मेरे पास ना तो 17 साल की जिंदगी है और ना ही नौकरी और धीरज। मुझे लगता है कि दुनिया से दूर जाने का वक्त पास आ गया है।'
वझे ने ख्वाजा यूनुस मामले में हुई अपनी गिरफ्तारी का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक कोई नतीजा नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में फंसने की वजह से सचिन को 16 साल तक पुलिस फ़ोर्स से बाहर रहना पड़ा था। 
अब फिर विवादों में घिरने के बाद सचिन वझे को क्राइम ब्रांच इंचार्ज और मनसुख हिरेन केस से हटा दिया गया था। 
तिहाड़ जेल कनेक्शन-
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार( 11 मार्च )को बताया था कि मुंबई में मुकेश अंबानी के आवास के पास एसयूवी में विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी लेने का दावा करने वाले जैश-उल-हिंद संगठन का ‘टेलीग्राम’ चैनल दिल्ली के ‘‘तिहाड़ इलाके में’’ बनाया गया।
 जिस फोन पर टेलीग्राम चैनल बनाया गया था, उसकी लोकेशन का पता लगाने के लिए मुंबई पुलिस ने एक निजी साइबर एजेंसी की मदद ली। जांच के दौरान फोन का स्थान दिल्ली की तिहाड़ जेल के पास पाया गया था।
जेल से मोबाइल बरामद-
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार (12 मार्च) को बताया कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास से एक कार में मिले विस्फोटक के मामले में आतंकी कृत्य या धमकियों की जिम्मेदारी लेने के लिए जिस मोबाइल फोन पर ‘टेलीग्राम’ चैनल का इस्तेमाल किया गया था उसे तिहाड़ जेल से जब्त किया गया। 
इंडियन मुजाहिद्दीन का सरगना -
पुलिस ने मोबाइल फोन तिहाड़ जेल नंबर 8 में एक बैरक से बरामद किया है, जिसमें तहसीन अख्तर उर्फ मोनू बंद है जो कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख था। वह अन्य कैदियों के साथ इस बैरक में बंद है।

वीरवार रात को तलाशी अभियान के दौरान तिहाड़ के सेंट्रल जेल नंबर 8 में बैरक से दो मोबाइल फोन बरामद किए गए, जहां अख्तर अन्य कैदियों के साथ बंद है। संदेह है कि इन फोन का इस्तेमाल अख्तर सहित कई कैदियों द्वारा किया जा रहा था।
तहसीन अख्तर को 2014 में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। वह इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद आतंकी संगठन का नेतृत्व कर रहा था।
टेलीग्राम चैनल 26 फरवरी को बनाया गया था और अंबानी के आवास के बाहर वाहन रखने की जिम्मेदारी का दावा करते हुए 27 फरवरी को देर रात को टेलीग्राम ऐप पर यह संदेश पोस्ट किया गया था।
संदेश में क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान मांगा गया था और उसे जमा करने के लिए एक लिंक का उल्लेख भी किया गया था।
पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान, लिंक को "उपलब्ध नहीं" के रूप में पाया गया, जिसके कारण जांचकर्ताओं को इसके शरारती होने का संदेह था।
28 फरवरी को जैश-उल-हिंद का एक अन्य संदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आया, जिसमें दावा किया गया कि घटना में संगठन की कोई भूमिका नहीं थी।

आतंक की गुत्थी अनसुलझी-
इस पूरे मामले में अभी भी एक गुत्थी अनसुलझी है। 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में जिलेटिन मिलने के दो दिन बाद एक मैसेज जैश उल हिंद के नाम से आया, जिसमें उस स्कॉर्पियो में इस आतंकवादी संगठन ने जिलेटिन रखने का दावा किया था। हालांकि कुछ घंटे बाद जैश उल हिंद के नाम से एक और मैसेज आया और खुद को असल जैश उल हिंद बताने वाले ने दावा किया कि उनके संगठन के नाम से भेजा गया मैसेज फर्जी है। साथ ही कहा कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर उसके आतंकवादी संगठन ने कोई स्कॉर्पियो नहीं खड़ी की, कोई जिलेटिन नहीं रखा।

लेकिन 11 मार्च को मुंबई पुलिस की सूचना पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में छापा मारा  और वहां से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तहसीन अख्तर के पास से कुछ मोबाइल जब्त किए। आरोप लगा कि इन्हीं मोबाइल में से किसी एक से जैश उल हिंद वाला मैसेज किया गया था। सवाल यह है कि जब सचिन वझे को स्कॉर्पियो में जिलेटिन प्लांट करने के मामले में अरेस्ट किया गया है, तो उसी केस में जैश उल हिंद वाली गुत्थी अभी तक क्यों नहीं सुलझी है। शायद आने वाले दिनों में इस रहस्य से भी पर्दा उठेगा।

मुकेश अंबानी के घर के पास कार्मिकल रोड पर खड़ी मिली महिंद्रा स्कॉर्पियो एसयूवी में जिलेटिन की 21 छड़ें मिली थी।
साथ ही धमकी भरा एक पत्र। इसमें लिखा था, 'नीता भाभी और मुकेश भैया और फैमिली। एक झलक है यह। अगली बार यह सामान पूरा कनेक्ट होकर आएगा। ओरिजनल गाड़ी में आएगा। तुम्हारी पूरी फैमिली को उड़ाने के लिए इंतजाम हो गया है। संभल जाना। गुड नाइट।'
शुरू में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में जांच शुरू की थी। मनसुख हिरेन की संदिग्ध हालात में मौत के बाद मामले को महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को स्थानांतरित किया गया। इसके बाद एनआईए को मामले की जांच सौंप दी गई। 

घटनाक्रम-
25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मिला।
5 मार्च को स्कॉर्पियो के मालिक का शव बरामद हुआ।
सचिन वझे की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
बीजेपी ने सचिव वझे की गिरफ्तारी की मांग की।
6 मार्च को एटीएस को जांच की जिम्मेदारी दी गई।
8 मार्च को एंटीलिया मामले की जांच एनआईए को मिली।
13 मार्च को एनआईए ने सचिन वझे से पूछताछ की।
13 मार्च की रात को ही सचिव वझे को एनआईए ने गिरफ्तार किया।
15 मार्च को सचिन वझे सस्पेंड किए गए।
17 मार्च को मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला हुआ।














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