Sunday 20 August 2017

दिल्ली में अपराध में कमी -- गृहमंत्री का दावा।

दिल्ली में अपराध में कमी -- गृहमंत्री का दावा।
इंद्र वशिष्ठ
 दिल्ली में रोजाना हत्या, हत्या की कोशिश, लूट,चेन, पर्स और मोबाइल छीनने और गोली चलने की वारदात जमकर हो रही हैं। ऐसे में क्या आप यकीन करेंगे कि दिल्ली में अपराध कम हो रहे हैं। क्योंकि राज्यसभा    में गृहमंत्री ने  दावा  किया कि दिल्ली में जघन्य अपराध में कमी आई है।
गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगा राम अहीर ने राज्यसभा में बताया कि दिल्ली पुलिस ने अपराध की रोकथाम के लिए अनेक एहतियाती कदम उठाए हैं और इस वज़ह से अनेक श्रेणियां के अपराध में कमी आई है। दर्ज जघन्य अपराधों की संख्या साल 2015 में 11187 से घट कर साल 2016 में 8238 तक हो गई है। इस अवधि के जघन्य अपराधों के आंकड़ों की तुलना में 26.36 फीसदी की कमी आई है।साल 2016 में डकैती 38.67 फीसदी , हत्या 7.37 फीसदी, हत्या के प्रयास 16.1फीसदी , लूटपाट 35.72 फीसदी, दंगें 39.23 फीसदी, फिरौती के लिए अपहरण 36.11फीसदी और बलात्कार  2 फीसदी तक कम हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने अपराध की वारदात पर नियंत्रण के लिए अपराध संभावित इलाकों की निरंतर पहचान , पुलिस गश्त, पिकेट, पीसीआर/पराक्रम वैन की तैनाती, चैकिंग और सक्रिय अपराधियों पर निगरानी समेत अनेक  ठोस एहतियाती कदम उठाए हैं। कांग्रेस के मोती लाल वोरा ने गृहमंत्री से पूछा था कि दिल्ली में निरंतर गिरती कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए पिछले दो साल में क्या कदम उठाए गए हैं और क्या यह सच है कि आज़ भी दिल्ली में हत्या,लूट और बलात्कार के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। इस सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने आंकड़ों से अपराध कम होने का दावा किया। दूसरी ओर सचाई यह है अपराध के आंकड़े सचाई से कोसों दूर होते हैं।सचाई यह है कि पुलिस  में आंकड़ों की बाजीगरी के माध्यम से ही  अपराध कम होने का दावा करने की परंपरा है। इसीलिए पुलिस में अपराध की कुल /सभी वारदात दर्ज न करने या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा का हैं। 
दिल्ली पुलिस साल 2016 में दर्ज हुए अपराध के 75 फीसदी से ज्यादा मामलों को सुलझा नहीं पाई ​है। साल 2016 में जघन्य,गैर जघन्य और गैर आईपीसी समेत तीन श्रेणियों में दर्ज हुए कुल 216920 मामलों में से 154647 मामले अनसुलझे हैं।

Wednesday 16 August 2017

दिल्ली में भी सुरक्षित नही महिलाएं, 6 महीने में साढ़े चार हजार मामले दर्ज,

दिल्ली में भी सुरक्षित नही महिलाएं, 6 महीने में साढ़े चार हजार मामले दर्ज,

इंद्र वशिष्ठ

 दिल्ली में महिलाओं की इज्जत लूटने (बलात्कार), इज्जत लूटने की नीयत से हमला करने और इज्जत से खिलवाड़ करने के तीन हजार से ज्यादा मामले 6 महीने में ही दिल्ली पुलिस ने दर्ज किए है। इनको मिलाकर इस साल के 6 महीने में ही महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध के करीब साढ़े चार हजार मामले दर्ज हुए है।
राज्य सभा में विशम्भर प्रसाद निषाद, चौधरी सुखराम सिंह यादव और छाया वर्मा ने महिलाओं के प्रति अपराधों में बड़े पैमाने हुई वृद्धि पर सरकार से सवाल पूछा था। इन सांसदों ने यह भी पूछा कि क्या महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों में कई मामलों में ढ़ीलापन देखने को मिला है।
गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्यसभा में बताया कि 30 जून 2017 तक बलात्कार के 1026, इज्जत लूटने के इरादे से हमला करने के मामलों में आईपीसी की धारा 354 के तहत 1685 मामले और महिला की इज्जत से खिलवाड करने के मामलें में आईपीसी की धारा 509 के तहत 326 मामले दर्ज किए गए है। दहेज के लिए प्रताड़ित करने और स्त्री धन हड़पने के मामलों में आईपीसी की धारा 406/498A के तहत 1275 मामले दर्ज किए गए है। दहेज के कारण मौत के 65 और दहेज निरोधक कानून के तहत 7 मामले दर्ज हुए है।

 बलात्कार- साल 2014 में 2166, साल 2015 में 2199 और साल 2016 में 2155 मामले दर्ज हुए थे।
 इज्जत लूटने की नीयत से हमला – साल 2014 में 4322, साल 2015 में 5367 और साल 2016 में 4165 मामले आईपीसी की धारा 354 के तहत दर्ज हुए थे।
महिला की इज्जत से खिलवाड —साल 2014 में 1361, साल 2015 में 1492 और साल 2016 में 918 मामले आईपीसी की धारा 509 के तहत दर्ज हुए थे।
दहेज के लिए अत्याचार और स्त्री धन हड़पना- साल 2014 में 2997, साल 2015 में 3336 और साल 2016 में 3676 मामले आईपीसी की धारा 406/498A के तहत दर्ज हुए थे।
दहेज के कारण मौत- साल 2014 में 153, साल 2015 में 122 और साल 2016 में 162 मामले दर्ज हुए थे।
 दहेज निरोधक कानून- साल 2014 में 13, साल 2015 में 20 और साल 2016 में 18 मामले दर्ज हुए थे।

मंत्री ने यह भी  बताया कि महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं को रोकने के लिए और महिलाओं /लड़कियों के मन में भरोसा कायम करने के लिए दिल्ली पुलिस ने अनेक उपाय किए है।




Tuesday 8 August 2017

दिल्ली में क्राइम रिपोर्टिंग का गिरता स्तर ।


(Press Club of India की पत्रिका 
The Scribes World में क्राइम रिपोर्टिंग पर लेख।)

दिल्ली में क्राइम रिपोर्टिंग का गिरता स्तर।
IPS हो ईमानदार,तो क्राइम रिपोर्टरों की करतूत हो उजागर।


इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली में कुछ क्राइम रिपोर्टर ऐसे भी है जो  पुलिस अफसरों से  ट्रांसफर पोस्टिंग, हथियार लाइसेंस बनवाने  जैसे फायदा उठाते हैं। इसके अलावा अफसर से संबंध के दम पर इलाके में नंबरदारी भी करते हैं अगर  पुलिस अफसर  अपना काम ईमानदारी से करते हैं तो ऐसे रिपोर्टर की परवाह न करें।यह आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। ऐसे लोग थाना स्तर पर भी फायदा उठाते हैं ऐसे लोग अफसर के साथ संबंध का हवाला देकर फायदा न उठा पाए। इसे रोकने के लिए अफसर थाना स्तर भी पर स्पष्ट कह दें ,तो इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। ऐसा करके अफसर समाज में बहुत बड़ा योगदान दे सकते। ऐसे पत्रकार सिर्फ अपने फायदे के हिसाब से ख़बर दिखाते हैं। अफसोस ऐसे क्राइम रिपोर्टर की संख्या बढ़ रही है। इसमें बड़े अखबार और चैनल वाले भी शामिल हैं। ये वह लोग हैं जो पुलिस या अपराध पीड़ित व्यक्ति की  खबर भी सही तरह से नहीं करते। पुलिस के व्हाट्स ऐप ग्रुप में पुलिस अफसर के खिलाफ भी सिर्फ इसलिए लिखते हैं ताकि अफसर उनको भाव दें और वह उनसे फायदा उठा सके। अफसर ईमानदार हैं तो ऐसे लोगों से रत्ती भर भी न घबराएं।इनकी इतनी औकात नहीं कि किसी ईमानदार अफसर का कुछ बिगाड़ सके। बड़े अखबार या चैनल से भी प्रभावित या डरे बिना ईमानदारी से अपना काम करते रहे। ताज़ा मामले से ही आप समझ सकते हैं।
 अंतरराष्ट्रीय विकलांग खिलाड़ी (पावर लिफ्टर) अनिल शर्मा पर जानलेवा  हमले की खबर इंडिया न्यूज़ चैनल के मोहित ओम वशिष्ठ​ और उसके दोस्त चैनल वालों  ने पुलिस अफसर से दोस्ती निभाने के लिए नहीं रोकी। इंडिया टीवी के जितेंद्र शर्मा ने तो खुलकर मोहित की करतूत को सही  ठहराने की कोशिश की। सच्चाई यह है मोहित और उसके दोस्त रिपोर्टर अनिल के यहां अपने फायदे के लिए जाते हैं। उस रात भी मोहित और अनिल शराब पीकर बार से ही तो निकले थे। इस मामले में मोहित की भूमिका संदिग्ध है। मोहित ने खुद बताया कि इस मामले में क्रास केस दर्ज  होने का डर  था।  इसलिए मोहित मौके से भागा और खबर भी नहीं दिखाई। मोहित अनिल को  पिटता छोड़ कर भाग गया। किसी अन्य ने पुलिस को खबर दी और अनिल को अस्पताल पहुंचाया। मोहित ने पत्रकार और दोस्त का धर्म नहीं निभाया।मोहित की भूमिका संदिग्ध नहीं होती तो वह और उसके दोस्त चैनल पर खबर भी दिखाते और पुलिस को गरयाते भी। वैसे इस मामले में  अफसर सच्चाई का पता करना चाहे तो कोई बात छिप नहीं सकती। मोहित ने ही बताया कि उसने तो अनिल शर्मा का पिस्तौल का लाइसेंस बनवा देने का भी भरोसा दिया था। तो यह काम भी  करते हैं मोहित जैसे रिपोर्टर। 22 जुलाई को हुई इस वारदात को 27 जुलाई को मैंने  ही मीडिया में ही नहीं , प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पुलिस कमिश्नर तक उजागर किया।। सभी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। तब पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया। मोहित  खुद को अनिल शर्मा का भाई और दोस्त बताता है लेकिन अस्पताल में उसका पता लेने तक नहीं गया।अखबार के रिपोर्टर को ख़बर की समझ थी इसलिए प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसी लिए चैनल कभी अखबार से मुकाबला नहीं कर सकते। 
 अनिल की हालत अभी भी नाजुक हैं। गंभीर चोटों के कारण डाक्टर को अनिल की एक किडनी, आंत और अग्नाशय निकालना पड़ा। पहाड़ गंज पुलिस ने शेष आरोपियों को भी अभी तक पकड़ा नहीं। केजरीवाल और केंद्र सरकार ने इलाज में अभी तक मदद नहीं की। अनिल की कनाट  प्लेस हनुमान मंदिर पर कचौरी की दुकान है।