दिल्ली में भी
सुरक्षित नही महिलाएं, 6 महीने में साढ़े चार हजार मामले दर्ज,
इंद्र वशिष्ठ
राज्य सभा में
विशम्भर प्रसाद निषाद, चौधरी सुखराम सिंह यादव और छाया वर्मा ने महिलाओं के प्रति
अपराधों में बड़े पैमाने हुई वृद्धि पर सरकार से सवाल पूछा था। इन सांसदों ने यह
भी पूछा कि क्या महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों में कई मामलों
में ढ़ीलापन देखने को मिला है।
गृह राज्य मंत्री
हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्यसभा में बताया कि 30 जून 2017 तक बलात्कार के 1026, इज्जत
लूटने के इरादे से हमला करने के मामलों में आईपीसी की धारा 354 के तहत 1685 मामले
और महिला की इज्जत से खिलवाड करने के मामलें में आईपीसी की धारा 509 के तहत
326 मामले दर्ज किए गए है। दहेज के लिए प्रताड़ित करने और स्त्री धन हड़पने के
मामलों में आईपीसी की धारा 406/498A के तहत 1275 मामले
दर्ज किए गए है। दहेज के कारण मौत के 65 और दहेज निरोधक कानून के तहत 7 मामले दर्ज
हुए है।
बलात्कार- साल 2014 में 2166, साल 2015
में 2199 और साल 2016 में 2155 मामले दर्ज हुए थे।
इज्जत लूटने की नीयत से हमला – साल 2014
में 4322, साल 2015 में 5367 और साल 2016 में 4165 मामले आईपीसी की धारा 354 के
तहत दर्ज हुए थे।
महिला की इज्जत से
खिलवाड —साल 2014 में 1361,
साल 2015 में 1492 और साल 2016 में 918 मामले आईपीसी की धारा 509 के तहत दर्ज हुए
थे।
दहेज के लिए
अत्याचार और स्त्री धन हड़पना- साल
2014 में 2997, साल 2015 में 3336 और साल 2016 में 3676 मामले आईपीसी की धारा
406/498A के तहत दर्ज हुए थे।
दहेज के कारण मौत- साल 2014 में 153, साल 2015 में 122 और साल 2016
में 162 मामले दर्ज हुए थे।
दहेज निरोधक कानून- साल 2014 में 13, साल
2015 में 20 और साल 2016 में 18 मामले दर्ज हुए थे।
मंत्री ने यह भी बताया कि महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं को
रोकने के लिए और महिलाओं /लड़कियों के मन में भरोसा कायम करने के लिए दिल्ली पुलिस
ने अनेक उपाय किए है।
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