Monday 28 September 2020

गांजा बेचने वाले जहांगीर पुरी थाने के 4 पुलिस वाले नौकरी से बर्खास्त। ACP, SHO के खिलाफ कार्रवाई न करने से कमिश्नर की भूमिका पर सवालिया निशान। जागो IPS जागो भ्रष्टाचार और निरंकुश पुलिस पर अंकुश लगाओ।

पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव

ACP, SHO के खिलाफ कार्रवाई न करने से कमिश्नर की भूमिका पर सवालिया निशान। 
जागो IPS जागो भ्रष्टाचार और निरंकुश पुलिस पर अंकुश लगाओ।


इंद्र वशिष्ठ
पुलिस यानी रक्षक, लेकिन रक्षक के भेष मेंं छिपे भक्षकों की पैसे की भूख जब उगाही और रिश्वत से भी नहीं मिटती तो वे अपराध करने मेंं अपराधियों को भी पीछे  छोड़ देते है। शराब और मादक पदार्थ तस्करों से पुलिस अफसरों तक की मिलीभगत और पुलिस वालों द्वारा हत्या और लूटपाट करने के मामले लगातार सामने आ रहे है। 
एक एडशिनल डीसीपी के खिलाफ तो सीबीआई ने जाली कागजात के आधार पर पुलिस अफसर बनने का ममला दर्ज किया है।

 जागो IPS जागो-
 इन मामलों से आईपीएस अफसरों की कार्यप्रणाली/ काबिलियत/ भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। लोग पुलिस वालों के खिलाफ आला अफसरों तक से शिकायत करते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस वजह से ही पुलिस मेंं भ्रष्टाचार और अपराध दिनोंदिन बढ रहा है। निरंकुश पुलिस वाले आम लोगों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते हैं।

गिरफ्तार नहीं किया-
जहांगीर पुरी थाने के चार पुलिसवाले तो नशा बेचने वाले सौदागर ही बन गए। लेकिन इनको अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती से भी बडा अपराध करने वाले गांजा बेचने वाले सब-इंस्पेक्टर शेखर खान,सब- इंस्पेक्टर सपन,हवलदार सोनू राठी और हरफूल मीणा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। एस एच ओ सर्वेश कुमार को सिर्फ लाइन हाजिर कर दिया गया है। एसीपी संजय दराल के खिलाफ भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

दिल्ली पुलिस के सतर्कता विभाग द्वारा इनके
के खिलाफ खिलाफ एनडीपीएस एक्ट,भ्रष्टाचार निरोधक कानून, जबरन वसूली और सरकारी अफसर द्वारा अमानत मेंं ख्यानत की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

एसीपी, एसएचओ की भूमिका पर सवाल-
इस मामले में  एसीपी संजय दराल और एस एच ओ सर्वेश कुमार की भूमिका पर सवालिया लग गया है।
सूत्रों के अनुसार एसीपी की मौजूदगी में गांजा बराबर हुआ था।

163 किलो गांजा पुलिस ने बेच दिया-
जहांगीर पुरी थाने की पुलिस  ने 11 सितंबर को 164 किलो गांजा जब्त किया था। पुलिस ने इस मामले मेंं अनिल को गिरफ्तार किया था। लेकिन पुलिस ने उसके पास से सिर्फ 920 ग्राम गांजा ही बरामद दिखाया जिसके कारण अनिल को थाने में ही जमानत पर छोड़ दिया गया।

खाकी को खाक मेंं मिलाया-
खाकी को खाक मेंं मिलाने वाले इन वर्दीधारी गुंडों की करतूत का पता चलते ही पुलिस मेंं हडकंप मच गया।
उत्तर पश्चिम जिला के एसीपी (आपरेशन) मनोज पंत द्वारा इस मामले की जांच की गई।
 जांच में पता चला कि गांजा बरामद 164 किलो हुआ था लेकिन 163 किलो गांजा पुलिस वालों ने खुद ही नशे के किसी दूसरे सौदागर को बेच दिया। यह भी पता चला कि अनिल की मां से इन पुलिस वालों ने गांजा कम बरामद दिखाने और जमानत योग्य मामला बनाने के एवज में एक लाख पचास हजार रुपए वसूले थे।
एसीपी के सामने गांजा बरामद -
अनिल को गिरफ्तार करने की एफआईआर में  लिखा है कि एसीपी संजय दराल बरामदगी के समय मौजूद थे। एस एच ओ सर्वेश कुमार ने गांजे के बारे मेंं मिली मुखबिरी की सूचना एसीपी को दी थी। एस एच ओ गांजे की बरामदगी के समय वहां मौजूद नहीं था। लेकिन एस एच ओ  के नाते मालखाने मेंं गांजा उसके दस्तख्त से ही जमा हुआ था। सर्वेश कुमार 8 सितंबर को ही एस एच ओ के पद पर तैनात किया गया था।
एनडीपीएस कानून के अनुसार है कि नशीले पदार्थों की बरामदगी के समय एसीपी मौजूद होना चाहिए।

पुलिस वालों द्वारा इस साल किए गए अपराध-

एसीपी पर महिला हवलदार के यौन उत्पीड़न का आरोप-
सितंंबर मेंं अशोक विहार के एसीपी के.सत्यनारायण सुबुद्धि पर एक महिला हवलदार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि वह अस्पताल में अपनी पिता की तीमारदारी कर रही थी वहीं पर एसीपी भी भर्ती था। एसीपी ने थाने में डयूटी अफसर को कह कर उसकी डयूटी से गैरहाजिरी लगवा दी। महिला ने 18 सितंबर को पीसीआर को फोन करके एसीपी पर यौन शोषण का आरोप लगाया। उत्तर पश्चिम जिले के एडशिनल डीसीपी को महिला ने अपना बयान दर्ज कराया है। सुबुद्धि जब केशव पुरम थाने के एस एच ओ थे तो इस महिला हवलदार के.खिलाफ उन्होंने विभागीय जांच शुरू कराई थी।

FIR के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगानी पडी -
भलस्वा थाने के तत्कालीन एस एच ओ मनोज त्यागी के खिलाफ करोड़ों की जमीन कब्जा करने के आरोप में इसी थाने में अब जाकर मुकदमा दर्ज किया गया है। 
इस मामले में शिकायतकर्ता सुजीत कुमार का आरोप है कि इस इंस्पेक्टर मनोज त्यागी के खिलाफ आउटर नार्थ जिले के डीसीपी गौरव शर्मा  से लेकर पुलिस मुख्यालय में आला अफसरों तक शिकायत की गई थी मगर कही भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। 
आरोप है कि इंस्पेक्टर उसके सौ गज के प्लाट पर तरह तरह के हथकंडे अपना कर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।
इसके बाद उसने दस्तावेजों के साथ प्रधानमंत्री को शिकायत भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

एडशिनल डीसीपी पर जालसाजी का मुकदमा-

पूर्वी जिले के एडशिनल डीसीपी संजय सहरावत के खिलाफ सीबीआई ने 7 सितंबर 2020 को जालसाजी, धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि श्रम मंत्रालय में क्लर्क रह चुके संजय सहरावत ने पुलिस अफसर बनने के लिए किसी दूसरे का जन्म प्रमाणपत्र इस्तेमाल किया था। सीबीआई ने शिकायत मिलने के ढाई साल बाद मामला दर्ज किया है।

सब-इंस्पेक्टर ने महिला दोस्त और ससुर को गोली मारी -
लाहौरी गेट थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर संदीप दहिया ने 27 सितंबर को अलीपुर थाना इलाके में सर्विस पिस्तौल से अपनी महिला दोस्त को गोलियां मार दी और सडक़ पर फेंक कर भाग गया। महिला की हालत गंभीर बताई जाती है।
इसके बाद  28 सितंबर को उसने रोहतक मेंं अपने ससुर की गोली मारकर हत्या कर दी।
इसके अलावा एक राहगीर को भी गोली मारकर घायल कर दिया।

हवलदार ने गोली मारकर हत्या की-
बुध विहार इलाके में 20अगस्त को हवलदार सुरेंद्र ने अपने दोस्त दीपक अहलावत की गोली मारकर हत्या कर दी।

लुटेरे पुलिस वाले-
8 अगस्त - वसंत कुंज थाना इलाके में नवीन सहरावत के कॉल सेंटर में घुस कर पुलिस वालों ने लूटपाट की कोशिश की लेकिन नवीन सहरावत और उसके कर्मचारियों ने उनको पकड़ लिया। इस मामले में मालवीय नगर थाने के सिपाही अमित, मनु और स्पेशल सेल के सिपाही संदीप को गिरफ्तार किया गया।

चोरों से 5 लाख लूट लिए-
अगस्त में सिविल लाइन थाने में तैनात एक हवलदार ने ठक ठक गिरोह के चोरों को पकड़ा था चोरों से बरामद पांच लाख रुपए हवलदार ने खुद हड़प लिए और अपराधियों को छोड़ दिया। हवलदार के मेरठ के घर से रकम बरामद हो गई।
एसीपी, एसएचओ ने शराब तस्कर को छोड़ दिया-
 इस साल अप्रैल में कंझावला पुलिस ने एक शराब तस्कर को पकड़ा था लेकिन पुलिस से सांठगांठ कर वह छूट गया और अपनी गाडी भी छुडवा ली। शराब तस्कर ने अपनी जगह अपने नौकर को गिरफ्तार करवा दिया।  पुलिस ने शराब भी कम बरामद दिखाई। इस मामले में सतर्कता विभाग की जांच के बाद एसीपी, एस एच ओ समेत आठ पुलिस वालों का केवल तबादला किया गया। 

शराब तस्कर के साथियों को छोड़ दिया-
इस साल 27 मई को उत्तर जिला के स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार शर्मा की टीम ने कालका जी मंदिर के पुजारी सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ पोनी को शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया। इस मामले में भी पुलिस ने सांठगांठ करके उसके साथियों को छोड़ दिया।

 रिश्वत लेते सिपाही गिरफ्तार-
 14 जुलाई को सीबीआई ने सुभाष प्लेस थाने के सिपाही विक्रम को 35 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। सिपाही विक्रम और हवलदार कपिल ने शिकायतकर्ता से उसके नौकर को छोडऩे की एवज में एक लाख रुपए रिश्वत मांगी थी।

रिश्वत लेते एसएचओ गिरफ्तार-
सीबीआई ने 17 जून को विजय विहार थाने के एस एच ओ सुरेंद्र सिंह चहल,सिपाही बद्री प्रसाद और जितेंद्र को दो लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। रिठाला निवासी सुनील वत्स से प्लाट पर चारदीवारी करने की एवज में पांच लाख रुपए रिश्वत की मांग की गई थी।

महिला सब-इंस्पेक्टर की हत्या करआत्महत्या कर ली।-
8 फरवरी - रोहिणी मेट्रो स्टेशन के पास सब इंस्पेक्टर दीपांशु ने सब इंस्पेक्टर प्रीति की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद दीपांशु ने हरियाणा जाकर गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

आला अफसर ध्यान नहीं देते-

 कानून के जानकार वरिष्ठ वकील सत्य प्रकाश शर्मा का कहना है कि आला पुलिस अफसर  पुलिस के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों को अगर ध्यान/ गंभीरता से सुने और उस पर तुरंत कार्रवाई करें तो पुलिसकर्मियों द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। 





             Fir no. 02/2020, Vigilance PS

Saturday 26 September 2020

बाप-बेटे की हत्या के आरोपी दरिंदे पुलिस वालों के खिलाफ CBI ने चार्जशीट दाखिल की। लॉकडाउन मेंं तमिलनाडु के थाने में पुलिस के जुल्म की इंतहा।

                         
                               बाप-बेटा

इंद्र वशिष्ठ
तमिलनाडु में बाप-बेटे की हत्या के आरोपी 9 पुलिस वालों के खिलाफ सीबीआई ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।

इस साल जून में तमिलनाडु के तुथुकुडी (तूतीकोरिन) मेंं सथानकुलम थाने में पुलिस की दरिंदगी से हुई बाप-बेटे  के मौत के बाद राज्य में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे। तमिलनाडु पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर ने इस मामले में सब-इंस्पेक्टर रघु गणेश को गिरफ्तार किया था। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
पुलिस ने बर्बरता की-
सीबीआई ने सात जुलाई को इस सिलसिले में दो मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
सीबीआई ने जांच में पाया कि व्यापारी पी जयराज (58) और उसके बेटे बेनिक्स (31)  को पुलिस ने 19 जून 2020 को गिरफ्तार किया। सथानकुलम थाने मेंं आरोपी पुलिस वालों ने पिता पुत्र को प्रताड़ित/ टार्चर किया। पुलिस की दरिंदगी के कारण आई चोटों के कारण बेनिक्स की 22 जून और उसके पिता की 23 जून को मौत हो गई।
 9 पुलिस वाले हत्या के आरोपी -
सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौड ने बताया कि बाप-बेटे की हत्या के आरोप में सथानकुलम थाने के तत्कालीन एसएचओ एस.श्रीधर, सब- इंस्पेक्टर के. बालाकृष्णन, पी. रघु गणेश, हवलदार एस. मुरुगन, ए. समदुरई , सिपाही एम. मुथुराजा, एस. चेलादुरई,एक्स. थामस फ्रांसिस और एस. वेलुमुथु के खिलाफ मदुरै की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया है। यह सभी पुलिस वाले इस समय जेल में हैंं। 
एक अन्य आरोपी सब इंंस्पेक्टर की जांच के दौरान मौत हो गई।
सीबीआई ने हत्या, गैरकानूनी तरीक़े से रोकने, झूठा मुकदमा दर्ज करने,सबूत नष्ट करने और साजिश आदि अपराध की धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है।
इस मामले में अन्य व्यक्तियों की भूमिका की जांच की जा रही है।
पुलिस की कहानी- 
तमिलनाडु पुलिस ने उस समय बताया था कि जयराज, बेनिक्स को लॉकडाउन मेंं मोबाइल फोन की दुकान तय समय से ज्यादा देर तक खोलने के कारण गिरफ्तार किया गया। इन लोगों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया था।  
पुलिसवाले को मुफ्त में मोबाइल नहीं दिया-
दूसरी ओर उसी समय यह बात सामने आई कि सब-इंस्पेक्टर बालाकृष्णन को मुफ्त में मोबाइल फोन देने से जयराज ने इंकार कर दिया था। इसलिए पुलिस उसे पकड़ कर थाने ले गई। बेनिक्स थाने पहुंचा तो पाया कि पुलिस वाले उसके पिता की पिटाई कर रहे थे। बेनिक्स ने विरोध किया तो पुलिस वालों ने उसे भी पीटना शुरू दिया।
बाप-बेटे को नंगा कर पीटा-
इस मामले में बेनिक्स के दोस्त रवि और मणिमारन ने मीडिया को बताया था कि थाने की खिडक़ी से उन्होंने देखा कि जयराज और  बेनिक्स को नंगा करके पुलिस वाले बुरी तरह से पीट रहे थे।
पुलिस ने इतनी बर्बरता से पीटा कि उनके मलाशय/मलद्वार से खून निकल रहा था और शरीर पर कई घाव हो गए थे।

जबरन फिटनेस सर्टिफिकेट-
पुलिस दोनों को अस्पताल ले गई। डॉक्टर से उन दोनों के फिट होने का सर्टिफिकेट देने को कहा। डॉक्टर ने दोनों को देख कर कहा कि इनकी हालत खराब है वह पहले इनकी जांच करेगा।  पुलिस वालों ने डॉक्टर से कहा कि यह चोटें इन दोनों ने अपने आप ही मारी हैं और इन्हें इलाज की जरूरत नहीं है। 
पुलिस ने दबाव बना कर डॉक्टर से उनके फिटनेस सर्टिफिकेट ले लिए।

मजिस्ट्रेट की भूमिका पर सवाल-
पुलिस वालों ने इन दोनों को धमकी दी  कि अगर मजिस्ट्रेट के सामने जुबान खोली तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर देंगे।
इसके बाद पुलिस ने उन्हें मजिस्ट्रेट के घर पेश किया। पुलिस ने दोनों को दूरी से ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। इसके अलावा  उनको पुलिस ने इस तरह अपने घेरे में छिपा कर पेश किया ताकि वह अपनी चोट मजिस्ट्रेट को दिखा न सकें। 
मजिस्ट्रेट ने भी पिता पुत्र से कुछ पूछें या केस के बारे मे कुछ जाने बिना ही उन्हें जेल भेजने का आदेश दे दिया। 
जेल मेंं जाते ही पिता पुत्र की हालत और गंभीर हो गई। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन दोनों की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि दोनों ने दम तोड़ दिया। 


 






Tuesday 22 September 2020

तब्लीगी जमात का मुखिया गैर इरादतन हत्या का आरोपी मौलाना साद कब गिरफ्तार होगा ? 6 महीने से "जांच" ही कर रहे हैं पुलिस अफसर ? गृह राज्य मंत्री ने संसद में कहा मौलाना के खिलाफ "जांच" चल रही है।


तब्लीगी जमात का मुखिया गैर इरादतन हत्या का आरोपी मौलाना साद कब गिरफ्तार होगा ? 6 महीनों से "जांच" ही कर रहे हैं  पुलिस अफसर ?
गृह राज्य मंत्री ने संसद में कहा मौलाना के खिलाफ जांच चल रही है।


इंद्र वशिष्ठ
निजामुद्दीन मरकज और तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना मोहम्मद साद के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के तेजतर्रार अफसर करीब 6 महीनों से "जांच" ही कर रहे हैं।  तफ्तीश की कछुआ चाल ने पुलिस अफसरों की तफ्तीश करने की काबिलियत पर सवालिया निशान लगा दिया है।
पुलिस जमात के 233 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। 
लेकिन गैर इरादतन हत्या मामले के मुख्य आरोपी मौलाना मोहम्मद साद के बारे में पुलिस की अभी तक जांच ही चल रही है। इस मामले मेंं पुलिस की भूमिका पर सवाल उठता है कि  "जांच" कब पूरी होगी और मौलाना साद कब गिरफ्तार होगा ? पहले मरकज को खाली कराने में देर करने वाली पुलिस अब मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने मेेंं भी देरी क्यों कर रही है ? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण हैं ?

मौलाना का अपराध अक्षम्य, पुलिस भी कसूरवार-

तब्लीगी जमात और मरकज को कोरोना फैला कर देश को मरघट तक बनाने का दोषी ठहराया गया। लेकिन सिर्फ मरकज को दोषी करार देकर पुलिस , केंद्र और दिल्ली सरकारों की नाकामी पर पर्दा डालना भी सही नहीं हैं। मरकज के मुखिया मौलाना साद का यह जघन्य अपराध किसी भी तरह से माफ़ी के काबिल नहीं हैं। इस मौलाना ने न केवल अपने तब्लीगी जमात के भाइयों और अपनी क़ौम की जान को ख़तरे में डाला बल्कि पूरे देश के लोगों की जान से खिलवाड़ किया है। इस कथित मौलाना के आपराधिक जाहिलपन के कारण मुस्लिमों को देश भर में दुश्मन की तरह देखा जा रहा है और इस क़ौम को ही महामारी फैलाने का जिम्मेदार माना जा रहा है।
लेकिन पुलिस ने अगर समय पर मरकज को खाली कराने की कार्रवाई की होती तो कोरोना संकट का रुप इतना भयावह न हो पाता और न ही इतना हड़कंप मचता।

जमात के कारण कोरोना फैला -
कोरोना वायरस तब्लीगी जमात के कारण भी फैला है। पुलिस और सरकार के आदेशों के बावजूद निजामुद्दीन स्थित मरकज मेंं तब्लीगी जमात के हजारों लोग इकट्ठा हुए थे।
तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना मोहम्मद साद के खिलाफ पुलिस की जांच चल रही है।
राज्य सभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने यह जानकारी दी है।
 
सांसद अनिल देसाई ने सरकार से सवाल किया था कि क्या यह सच है कि दिल्ली और अन्य राज्यों में कोरोना वायरस फैलने का मुख्य कारण तब्लीगी जमात के लोगों की सभा थी?

तब्लीग जमात ने नहीं माने आदेश-
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि  दिल्ली पुलिस के मुताबिक कोरोना फैलने के सिलसिले में  विभिन्न ऑथोरिटी / प्राधिकरणों द्वारा मरकज को दिशा निर्देश और आदेश दिए गए थे।
 इसके बावजूद  सामाजिक दूरी का पालन किए बिना, मॉस्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था किए बिना भारी भीड लंबी अवधि के लिए एक बंद परिसर में इकट्ठा हुई। इसके कारण भी बहुत से लोगों मेंं कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया।
233 जमाती गिरफ्तार-
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने 29 मार्च 2020 को निजामुद्दीन मुख्यालय से तब्लीगी जमात के 2361 लोगों को बाहर निकाला।
 पुलिस ने जमात के 233 लोगों को गिरफ्तार किया। तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद के बारे में पुलिस की जांच चल रही है।
एक एफआईआर दर्ज-
पुलिस ने तब्लीगी जमात मामले में एक एफआईआर दर्ज की है। गैर इरादतन हत्या, दूसरों के जीवन को खतरा पैदा करने, सरकारी अफसर के आदेश का उल्लंघन करने, विदेशी नागरिक अधिनियम, महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराओं के तहत यह मुकदमा दर्ज किया गया है।

हवाला से पैसा लिया-
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निजामुद्दीन मरकज और तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद कांधलवी और प्रबंधन कमेटी के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है। ईडी ने दिल्ली पुलिस की एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया है। इन पर बड़े पैमाने पर देश और विदेश से फंडिंग लेने और हवाला के जरिये पैसा जुटाने का आरोप है।


आतंकवादी घटनाओं में कमी-
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद आतंकवादी घटनाओं की संख्या मेंं बहुत कमी आई है।
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सांसद एम वी श्रेयम्स कुमार के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी।
पांच अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद से लेकर  9 सितंबर 2020 तक 402 दिनों  मेंं 211आतंकवादी घटनाएं हुई हैं।
इसके पहले 29 जून 2018 से लेकर 4 अगस्त 2019 तक के 402 दिनों में 455 आतंकवादी घटनाएं हुई थी।


Saturday 19 September 2020

मंत्रालयों मेंं छिपे गद्दारों के पकडे जाने पर जुडेगी पत्रकार जासूसी कांड की कडियां।खुफिया एजेंसियों की नाकामी उजागर सालों तक पत्रकार जासूस की भनक नहीं लगी।

                       राजीव शर्मा

मंत्रालय मेंं छिपे गद्दारों के पकडे जाने पर जुडेगी पत्रकार जासूसी कांड की कडियां।

इंद्र वशिष्ठ
आतंकवादियों का मुंह खुलवाने मेंं माहिर स्पेशल सेल के तेज तर्रार अफसर पत्रकार राजीव शर्मा से 6 दिनों में उन गद्दार अफसर /कर्मचारी के नाम तक नहीं उगलवा पाए जो उसे गोपनीय सूचनाएं उपलब्ध कराते थे। उनके पकड़े जाने पर ही कडी से कडी जुडेगी वरना पुलिस के दावे पर सवालिया निशान लग जाएगा।

खुफिया एजेंसियों पर सवालिया निशान-
इस मामले ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की कार्य प्रणाली और भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है। 
पुलिस के दावे के अनुसार राजीव 2016 से गोपनीय सूचनाएं चीन को दे रहा था। इतने लंबे समय से राजीव मंत्रालयों के अफसरों/ कर्मचारियों से गोपनीय सूचना लेकर चीन को देता रहा और खुफिया एजेंसियों को अब जाकर भनक लगी।

दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी की सूचना पर चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में पत्रकार राजीव शर्मा,चीन की  महिला किंग शी और नेपाल के शेर सिंह को गिरफ्तार किया ।

जॉब का ऑफर देकर जासूस बनाया-
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव के अनुसार चीन के खुफिया विभाग के अफसर माइकल ने मीडिया कंपनी वाला बन कर साल 2016 मेंं राजीव शर्मा से संपर्क किया।  माइकल ने राजीव को जॉब का ऑफर देकर चीन बुलाया और वहां अपना असली मकसद बताया। 
भारत चीन विवाद संबंधी गोपनीय/ संवेदनशील/सूचना/ जानकारी, भारतीय सेना की तैनाती, रक्षा खरीद संबंधी सूचनाएं उपलब्ध कराने की एवज में मोटी रकम  का लालच दिया। 
दलाई लामा के बारे में भी लिखने/ सूचना देने को कहा गया था।
 राजीव ने 2016 से 2018 तक माइकल को लगातार गोपनीय/ संवेदनशील सूचनाएं दी। जनवरी 2019 मेंं खुफिया विभाग के दूसरे अफसर जार्ज से राजीव का संपर्क हुआ।

विदेशों में मुलाकात-
 राजीव की चीन के अलावा लाओस, मालदीव,थाईलैंड, मलेशिया और काठमांडू आदि देशों में चीन के इन जासूस अफसरों के साथ मीटिंग होती थी। 
राजीव सेना और भारत की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील/गोपनीय/ रणनीतिक सूचनाएं जार्ज को देता था। इसके एवज में हवाला और अन्य माध्यम से राजीव को मोटी रकम मिलती थी।
जासूसों को धन देने वाली कंपनी-
चीन की खुफिया एजेंसी ने दिल्ली के महिपाल पुर मेंं एमजेड मॉल और एमजेड फार्मेसी नामक कंपनी बनाई हुई थी। यह कंपनी भारत से दवाओं का चीन मेंं निर्यात करती थी जिसके एवज मेंं चीन से पैसा आता था। यह कंपनी सिर्फ दिखावे के लिए यह काम करती थी। इस शैल कंपनी का असली काम चीन से आए पैसे को राजीव जैसे एजेंटों को देने का था। यह कंपनी चीन के एक दंपति जांग चांग और उसकी पत्नी चांग ली ने  सूरज और उषा के जाली नाम से बनाई थी। यह दंपति किंग शी और शेर सिंह उर्फ राज बोरा को कंपनी का डायरेक्टर बना कर खुद चीन चला गया। किंग शी और शेर सिंह एजेंट को पैसा देते थे।
पुलिस के इस बयान से पता चलता है कि राजीव के अलावा और भी जासूस/एजेंट मौजूद हैं।

30 लाख मिले या 45 लाख ?- 
डीसीपी संजीव यादव ने प्रेस कांफ्रेंस मेंं बताया कि एक- सवा साल में ही राजीव के पास 40 से 45 लाख रुपए आए थे। 
लेकिन डीसीपी ने प्रेस रिलीज मेंं तीस लाख रुपए लिखा है। यह रकम जार्ज ने दस किस्तों में जनवरी 2019 से सितंबर 2020 के दौरान दी थी।

प्रति लेख/ सूचना के राजीव को पांच सौ से एक हजार डालर तक भी दिए जाते थे।
पांच साल का हिसाब-
अगर पुलिस की बात सही माने कि राजीव 2016 से सूचनाएं बेच रहा था तो उसे मिलने वाली रकम अब तक उपरोक्त सवा साल की आमदनी की औसत से तो एक-दो करोड़ रुपए तो होनी चाहिए। क्या पुलिस 6 दिन मेंं यह पता भी नहीं लगा पाई कि करीब पांच साल में राजीव को कुल कितनी रकम मिली थी।

सूचना कैसे और किससे मिलती थी ?
डीसीपी के अनुसार पत्रकार होने के कारण राजीव की मंत्रालय मेंं तमाम लोगों तक आसानी से पहुंच थी। उन लोगों से जानकारी/ सूचना जुटा कर वह चीन के अफसरों को दे देता। 
क्या अफसर राजीव को ऐसी सूचना दे देते थे जो कि दूसरे देश के काम आए ?
डीसीपी ने बताया कि राजीव ने जो सूचना भेजी है वह सारी सूचनाएं उसके सोशल मीडिया एकाउंट और ईमेल पर हैं।  
खुफिया एजेंसी की मदद से उन सूचनाओं को एक्सेस किया जा रहा है। उसके बाद ही पता चलेगा कि राजीव ने क्या क्या सूचनाएं दी थी। 
तभी यह पता लग पाएगा का यह सूचना/ दस्तावेज किस अफसर के पास हो सकती हैं और कहां से निकल सकती हैं।
कोई अफसर मिला हुआ था ? 
डीसीपी के अनुसार यह जांच का विषय है लेकिन इनसे पूछताछ में अभी तक कोई सीधा कनेक्शन नहीं मिला है।
अफसर असली जड़-
हैरानी की बात है कि स्पेशल सेल के तेज तर्रार अफसर पत्रकार से 6 दिन मेंं उन गद्दार सरकारी अफसरों के नाम तक नहीं उगलवा पाई जो उसे सूचनाएं देते थे।
जबकि असली जड़ तो वह गद्दार अफसर /कर्मचारी ही है जो गोपनीय जानकारी राजीव को उपलब्ध कराते थे। अगर गद्दार अफसर गोपनीय सूचना या जानकारी नहीं देते तो गद्दार राजीव चीनी अफसरों को भला क्या बेचता।
कडी से कडी जुड़ना है जरूरी-
इस मामले में राजीव तो एक मोहरा/ प्यादा ही है। इस जासूसी कांड में कडी से कडी तो पूरी तरह तभी जुडेगी जब गद्दार अफसर पकडे जाएंगे। 
अदालत मेंं भी कडी से कडी जुडऩे पर ही पता चलता है कि पुलिस के आरोप/ दावे मेंं कितना दम हैं।
बेकसूर पत्रकार को फंसा दिया-
उल्लेखनीय है कि 2002 मेंं इसी स्पेशल सेल ने  कश्मीर टाइम्स के बेकसूर पत्रकार इफ्तिखार गिलानी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। गिलानी से सेना के गोपनीय दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया था।
अदालत में सेना की खुफिया इकाई के महानिदेशक ने पुलिस की पोल खोल दी कि बरामद दस्तावेज गोपनीय नहीं है।
पुलिस के कारण इफ्तिखार को सात महीने जेल में रहना पड़ा था।






चीन की नागरिक किंग शी
   नेपाल का नागरिक शेर सिंह उर्फ राज बोहरा

Special Cell, New Delhi
Dated: - 19/09/2020

Delhi Police
Press Release
➢ FREELANCE JOURNALIST ARRESTED FOR PASSING SENSITIVE INFORMATION TO CHINESE INTELLIGENCE. 
➢ ONE CHINESE LADY AND HER NEPALESE ASSOCIATE ALSO ARRESTED FOR PAYING HIM LARGE AMOUNTS OF MONEY ROUTED THROUGH SHELL COMPANIES.
➢ CHINESE INTELLIGENCE TASKED THE JOURNALIST FOR CONVEYING SENSITIVE INFORMATION IN LIEU OF LARGE AMOUNTS OF MONEY& LUXURY HOLIDAYS 
➢ INFORMATION CONVEYED RELATED TO ARMY MOVEMENTS, DEFENSE ACQUISITIONS, DALAI LAMA, FOREIGN POLICY ETC.
➢ SHELL COMPANY WAS BEING JOINTLY OPERATED BY CHINESE AND NEPALESE NATIONALS FOR FUNDING THE ESPIONAGE OPERATION.

The Special Cell has arrested one Rajeev Sharma s/o Lt Sh. Rattan Lal Sharma, Age 61 years, a journalist found working for Chinese intelligence officers. During the search of the house of Rajeev Sharma in Pitampura, New Delhi one Laptop, some confidential documents related to Indian Defence department and some other incriminating documents were recovered & seized.  
Further, during his police custody remand, one Chinese lady Qing Shi and her Nepalese partner Sher Singh @ Raj Bohra have been also arrested who were found supplying him huge amounts of money routed through Hawala Channels for conveying sensitive information to Chinese Intelligence.
BACKGROUND
A few days back, a secret input was received from an Intelligence Agency that one Rajeev Sharma R/o SG-2, St. Xavier Apartment, Pitampura, New Delhi is having links with Foreign Intelligence Officer and he has been receiving funds from his handler through illegal means & Western Union money transfers platform for conveying sensitive information, which concerns National Security and Foreign relations. A case Vide FIR no. 230/2020, u/s 3/4/5 Official Secrets Act, PS Special Cell, Delhi was registered on 13-09-2020. Thereafter, above mentioned Rajeev Sharma was arrested on 14.09.2020 and a Search Warrant was obtained for searching his residential premises. 
INTERROGATION :
 On interrogation, Rajeev Sharma has disclosed his involvement in procurement of secret/sensitive information and further conveying the same to his Chinese handlers namely Michael and George, based in Kunming, China, through different digital channels. He further disclosed that he was about to send/convey these recovered secret documents to his handlers. In the past also, he had sent several documents in the form of reports to his handlers and got a handsome remuneration for the same. 

During the period of 2010-2014, he wrote a weekly column for GLOBAL TIMES, widely known as a mouthpiece of the Chinese govt. Observing those columns, one Chinese intelligence agent named Michael from Kunming city of China contacted Rajeev Sharma through his LINKEDIN account and invited him to Kunming China for an interview in a Chinese Media Company. The entire trip was funded by Michael. During, the meeting, Michael and his junior Xou asked Rajeev Sharma to provide inputs on various aspects of India-China relations. Between, 2016 to 2018 Rajeev Sharma was in contact with Michael and Xou. He was tasked to provide the information/inputs on issues like Indian deployment on Bhutan-Sikkim-China tri-junction including Doklam, the pattern of India-Myanmar military co-operation, India-China boundary issue etc. Subsequently, Rajeev Sharma had meetings with Michael and Xou in Laos and Maldives once each and gave briefings on the above-mentioned topics. Besides these visits, Rajeev Sharma was also in contact with Michael and Xou through e-mail and social media.

In January, 2019, Rajeev Sharma came in contact with another Kunming based Chinese entity George. He visited Kunming China via Kathmandu and met George. George was introduced as a General Manager of a Chinese Media Company. During the meeting, George asked Rajeev Sharma to write/inform about Dalai Lama related issues. For this Rajeev Sharma was offered 500 USD per article/information. George told Rajeev Sharma that they will send him money through his company’s sister concern based in Mahipal Pur, Delhi being operated by a Chinese lady Qing. Rajeev Sharma has received more than Rs. 30 Lacs from George in about 10 instalmentsfrom January 2019 to September 2020 for the information provided by him. Rajeev Sharma had further meetings with George in Malaysia and again in Kunming City, China. 

During investigation, it is revealed that shell companies are being operated by foreign intelligence to transfer funds to Rajiv Sharma.  It is revealed that Chinese nationals namely Jhang Chang and his wife Chang-li-lia were running the companies MZ Pharmacy and MZ Malls, under fake names Suraj and Usha. They are both presently in China and on their behalf, another Chinese lady Qing Shi and one Raj Bhora, a Nepali National (both directors of MZ Pharmacy) are presently operating the business from Mahipalpur. Both, Qing Shi (age 30 yrs) and Sher Singh @ Raj Bohra (age 30 yrs) have also been  arrested. Further investigation with respect to the Chinese shell companies based in Mahipalpur is in progress.

Forensic analysis of seized mobile phones and laptops is being conducted to unearth the entire network and conspiracy in this case. Identities and roles of other foreign nationals involved in the conspiracy are also being ascertained
Further investigation is in progress.   


 ( SANJEEV KUMAR YADAV )
Deputy Commissioner of Police,
                                                                            Special Cell, Delhi.
           जमानत आदेश

Friday 18 September 2020

दिल्ली पुलिस ने पत्रकार राजीव शर्मा को चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। चीन की महिला और एक नेपाली भी गिरफ्तार। 18 साल पहले कश्मीर के पत्रकार को झूठा फंसाया था स्पेशल सेल ने।


                राजीव शर्मा

चीनी नागरिक किंग सी
                   नेपाल नागरिक शेर सिंह
दिल्ली पुलिस ने पत्रकार राजीव शर्मा, चीन की महिला और नेपाली नागरिक को गिरफ्तार किया।


18 साल पहले कश्मीर के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी को झूठा फंसाया था स्पेशल सेल ने। 

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने वरिष्ठ पत्रकार राजीव शर्मा को चीन को खुफिया/ संवेदनशील जानकारी देने के आरोप मेंं गिरफ्तार किया है।
राजीव के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का मामला दर्ज किया गया है। दिल्ली मेंं पीतमपुरा  निवासी राजीव शर्मा स्वतंत्र पत्रकार हैं।
पुलिस के अनुसार राजीव शर्मा के पास रक्षा क्षेत्र से जुड़े कुछ गुप्त दस्तावेज बरामद हुए थे। मामले की जांच अभी जारी है  
चीनी महिला और नेपाली गिरफ्तार-
इस मामले मेंं एक चीनी महिला किंग सी और उसके नेपाली सहयोगी शेर सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है।
ये दोनों चीन की खुफिया एजेंसी के लिए काम करते हैं। पुलिस के अनुसार सूचना देने के एवज में शेल कंपनियों के माध्यम से राजीव को पैसा दिया जाता था। 
राजीव शर्मा  यूएनआई , द ट्रिब्यून, फ्री प्रेस जर्नल, साकाल और अन्य तमाम अखबारों और मीडिया संस्थानों के लिए काम कर चुके हैं। राजीव चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार में भी लेख लिखते हैं।

स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव की टीम ने राजीव शर्मा को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। 
 पुलिस ने पत्रकार की गिरफ्तारी की खबर 18 सितंबर को मीडिया को दी है।
राजीव को अदालत में पेश कर पुलिस ने 6 दिन के  रिमांड पर लिया है।
ग्लोबल टाइम्स में आर्टिकल लिखा-
7 सितंबर को शर्मा ने चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स के लिए एक आर्टिकल लिखा था। इस आर्टिकल में उन्होंने लिखा था कि 5 मई की रात से द्विपक्षीय संबंधों का लगातार बिगड़ना शुरु हुआ। इस नवीनतम गतिरोध ने एक ही झटके में पिछले वर्षों के सभी राजनयिक लाभ को व्यावहारिक रूप से नुकसान पहुंचाया। वर्तमान संकट 1962 के बाद से दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उनका उद्देश्य आम लोगों के लिए एक बेहतर और शांतिपूर्ण भविष्य का निर्माण करना होगा न कि एक दूसरे के खिलाफ सैन्य निर्माण करना।
यूट्यूब चैनल-
राजीव किष्किन्धा नामक एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं। गिरफ्तारी के दिन उन्होंने दो वीडियो अपलोड किए। उनमें से एक आठ मिनट का वीडियो है। इसका शीर्षक है 'चीन अभी भी शरारत कर सकता है # IndiaChinaFaceOff'। इस वीडियो में वो भारत और चीन की मौजूदा स्थिति के बारे में बोलते हुए दिख रहे हैं। वो कह रहे हैं कि भारत और चीन का विवाद विदेश मंत्रियों के बीच पहुंचने के बाद भी शांति की राह नहीं नजर आ रही। अभी भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मॉस्को में दो विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के अनुसारसब कुछ चलेगा।'
ट्विटर पर मैसेज-
दूसरा वीडियो चार मिनट का है। ये वीडियो हिंदी में है और मीडिया की स्थिति पर बनाया गया है। इस वीडियो को उन्होंने कैप्शन के साथ ट्वीट किया, 'भारतीय मीडिया की स्थिति आज दयनीय है। यह एक प्रहरी होना चाहिए था। इसके बजाय यह सरकार का एक मुखपत्र बन गया है।' शुक्रवार की देर रात शर्मा के ट्विटर एकाउंट में  एक मैसेज आया। मैसेज में लिखा था कि सावधान यह खाता अस्थायी रूप से प्रतिबंधित है। आप यह चेतावनी देख रहे हैं क्योंकि इस खाते से कुछ असामान्य गतिविधि हुई है।'

पुलिस का दावा कितना दमदार ?-
पुलिस के इस दावे/ आरोप मेंं कितना दम है इसका पता तो अदालत मेंं ही चलेगा।

अदालत में मुंह की खा चुकी है पुलिस--
कई साल पहले एक पत्रकार को राजकीय गोपनीय कानून के झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजने के कारण दिल्ली पुलिस की काफी बदनामी हो चुकी है। जिससे पुलिस की विश्वसनीयता और भूमिका पर सवालिया निशान लग चुका है।

कश्मीर के पत्रकार को फंसा दिया।-
कश्मीर टाइम्स के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी के मामले में पुलिस अदालत में मुंह की खा चुकी हैं।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में कश्मीर टाइम्स के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी को भी दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के तत्कालीन एसीपी राजबीर सिंह की टीम ने सरकारी गोपनीय कानून के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिलानी से जो रक्षा संबंधी दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया था वह इंटरनेट पर भी मौजूद थे। इस मामले ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा और तत्कालीन स्पेशल कमिश्नर (इंटेलिजेंस) कृष्ण कांत पॉल की काबिलियत भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया था।

गोपनीय दस्तावेज का दावा फेल-
पुलिस ने गिलानी को 9 जून 2002 को राजकीय गोपनीय कानून के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसके पास से कश्मीर की सुरक्षा से संबंधित गोपनीय दस्तावेज बरामद होने का दावा किया था।
लेकिन अदालत में पुलिस की पोल खुल गई।
सेना के खुफिया विभाग के महानिदेशक ओ एस लोचब  ने अदालत में कहा कि पत्रकार के पास से बरामद यह दस्तावेज गोपनीय नहीं है और न ही इन कागजात से देश की सुरक्षा को कोई खतरा है।

पाकिस्तानी सेना के दस्तावेज -
इफ्तिखार गिलानी पाकिस्तान के अखबार के लिए भी काम करता था। उसके कंप्यूटर में पाकिस्तानी थिंक टैंक " फोर्स " द्वारा तैयार दस्तावेज था। इंटरनेट पर उपलब्ध इस दस्तावेज में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर मेंं पाकिस्तान की सेना की तैनाती का जिक्र किया गया था।
इस दस्तावेज को पुलिस ने भारतीय सेना का गोपनीय दस्तावेज बताया था।
जार्ज फर्नांडीज ने मदद की-
तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज को इस बात की जानकारी वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेडा ने दी। जार्ज फर्नांडीज ने सेना के अफसर को तलब कर सच्चाई जानी। इसके बाद सेना के खुफिया विभाग के वरिष्ठ अफसर ने इस मामले में अदालत में सच्चाई बताई। 
मुकदमा वापस लिया-
यह बात उजागर होने पर पुलिस और गृह मंत्रालय इस मामले में फंस गए।
तब सरकार/ पुलिस ने गिलानी के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लिया।
सात महीने जेल में-
करीब सात महीने तक बिना कसूर जेल में रह कर गिलानी बाहर आए।
इस मामले से पता चलता है कि पुलिस किस तरह झूठे मामले बना कर निर्दोष लोगों को जेल में बंद कर देती हैं।

जेल में जलालत झेली-
 इस झूठे आरोप के कारण गिलानी को जेल में बहुत अपमानित/ जलील किया गया। उसके साथ कैदियों द्वारा मारपीट तो की ही जाती थी। उसे अपनी कमीज से शौचालय साफ करने और फिर उसी कमीज को पहनने के लिए मजबूर किया जाता था। 

दीपक चौरसिया की करतूत-
जिस समय पुलिस इफ्तिखार गिलानी के दक्षिण दिल्ली स्थित घर में तलाशी ले रही थी उस समय इफ्तिखार  घर के अंदर ही मौजूद था लेकिन न्यूज चैनल के तत्कालीन रिपोर्टर दीपक चौरसिया ने उसे फरार बता दिया था। 

पत्रकारों की भूमिका पर सवालिया निशान-
पुलिस द्वारा झूठे केस में फंसाने, जेल में जलालत भरे दिनों के अलावा दीपक चौरसिया और हिंदुस्तान टाइम्स की तत्कालीन रिपोर्टर नीता शर्मा (अब एनडीटीवी) की गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता का भी गिलानी ने अपनी किताब: "जेल में कटे वो दिन " में पूरा खुलासा किया है।

दामाद होना गुनाह -
इफ्तिखार गिलानी को कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का दामाद होने का खामियाजा भुगतना पड़ा ।



      पत्रकार इफ्तिखार गिलानी