Tuesday 20 December 2016

100 नंबर पर 24 घंटे में 24000 कॉल,


100 नंबर पर 24 घंटे में 24000 कॉल,


इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रूम के 100 नंबर  पर 24 घंटे में 24000 हजार से ज्यादा फोन कॉल आती है। इनमें से सैंकड़ों कॉल रोजाना अनुत्तरित  रह जाती है।
राज्यसभा में कांग्रेस की रेणुका चौधरी के सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने  बताया कि  दिल्ली पुलिस  कंट्रोल रूम को रोजाना औसतन 24539 परेशानी संबंधी कॉल 100 नंबर पर मिलती है। रोजाना औसतन 321 कॉल का पुलिस जबाव नही दे पाती है। पुलिस का कहना है कि कॉल की अधिकता के कारण या कॉल ट्रांसफर के दौरान कॉल ड्राप के कारण कॉल आपरेटर द्वारा उत्तर नहीं दिया जाता है । पुलिस ने बताया कि शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक अतिव्यस्ता के समय 100 नंबर पर परेशानी संबंधी कॉल की अधिकता के कारण कॉल कतार में रहती है  कुछ कॉल कॉलर द्वारा  भी छोड़ दी जाती है ।
पुलिस का कहना है कि छूटी हुई कॉलों को वापस लेने यानी कॉल बैक करने लिए पुलिस कंट्रोल रूम में एक सहायता डेस्क स्थापित किया गया है । दिल्ली पुलिस द्वारा यह सुनिश्चत करने के लिए कि परेशानी संबंधी कॉलों पर ध्यान देने में कम से कम समय लिया गया है कॉल आपरेटरों को नियमित हिदायत दी जाती है । ताकि कतार में कॉलों की संख्या कम की  जा सके । 



Friday 9 September 2016

वीआईपी इलाके में पीसीआर वैन में महिला पुलिस तैनात ,

वीआईपी इलाके में पीसीआर वैन में महिला पुलिस तैनात ,


दिल्ली पुलिस की महिलाकर्मियों को आज से एक नई जिम्मेदारी दी गई है।  पुलिस  कंट्रोल रूम की गाड़ी  ( पीसीआर वैन ) में  महिला पुलिस कर्मी तैनात की गई है । फिलहाल 5 पीसीआर वैन से इसकी शुरूआत की गई है इन वैन में ड्राइवर और इंचार्ज समेत सभी पुलिसकर्मी महिला है । यह देखा गया है कि पुलिस के पास मदद के  लिए फोन करने वाली परेशान  महिला बिना झिझक के महिला पुलिसकर्मी को अपनी परेशानी आसानी से बता सकती है इसलिए पीसीआर वैन में भी महिला पुलिसकर्मी तैनात करने की पहल की गई है । विज्ञान भवन,जीसस मैरी कॉलेज,खान मार्केट मेट्रो स्टेशन,अमेरिकन सेंटर कस्तूरबा गांधी मार्ग और मोती लाल नेहरू मार्ग पर यह वैन तैनात की गई है। पुलिस ने  अपने इस पायलट प्रोजक्ट में नयी दिल्ली के वीआईपी इलाके को ही शामिल किया है। दिलचस्प बात है कि  वीआईपी इलाके में मिलने वाले  परिणाम के आधार पर इस योजना को  खास कर उन इलाकों में बढ़ाया जाएगा  जहां पर महिलाओं के खिलाफ अपराध  हो सकते है । उल्लेखनीय है कि पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के प्रति  अगर वाकई गंभीर और संवेदनशील  होती तो इस योजना को पहले  उन इलाकों में आजमाती जहां पर वह इसे  बाद में लागू करने की कह रही है ।

Friday 2 September 2016

दिल्ली में डेढ़ लाख से ज्यादा मोबाइल फोन चोरी, बरामद सिर्फ 6720 ,

 दिल्ली में डेढ़ लाख से ज्यादा मोबाइल फोन चोरी,   पुलिस  ने बरामद  किए सिर्फ 6720 ही
 इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली में रोजाना सौ से ज्यादा मोबाइल फोन चोरी या खो जाते है । इस साल 30 जून तक करीब 25 हजार मोबाइल फोन चोरी या खो जाने के मामले पुलिस ने दर्ज किए है ।  पुलिस इनमें से सिर्फ 1068 मोबाइल ही बरामद कर पाई है ।  पिछले ढ़ाई साल में डेढ़ लाख से ज्यादा मोबाइल फोन चोरी या खो जाने के मामले पुलिस ने दर्ज किए है  लेकिन पुलिस पांच प्रतिशत से भी कम फोन  ही बरामद कर पाई है ।
 दिल्ली पुलिस ने  30 जून 2016 तक मोबाइल फोन चोरी या खो जाने के 24482 मामले दर्ज किए । इनमें से  सिर्फ 1068  मोबाइल फोन ही पुलिस बरामद कर पाई है । साल 2015 में मोबाइल चोरी या खोने के 62373 और साल 2014 में 66724 मामले दर्ज हुए थे ।  पुलिस साल 2015 में 3415  और साल 2014 में 2237  मोबाइल फोन ही बरामद कर पाई है।  इस तरह पिछले  ढ़ाई साल में मोबाइल चोरी या खो जाने के कुल 153579 मामलों में पुलिस सिर्फ 6720 मोबाइल फोन ही बरामद कर पाई है । चोरी या खोए मोबाइल फोन  का पता लगाने के लिए साल 2014 में 47310, साल 2015 में 47976 और साल 2016 में 19698 फोन को निगरानी/ सर्विलांस पर रखा गया । पुलिस ने  6632 फोन उनके मालिकों को सौंप दिए  है ।  राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने  यह जानकारी  दी  थी ।  दिल्ली में मोबाइल फोन चोरी के बारे में सांसद राम कुमार कश्यप और हिशे लाचुंगपा ने सरकार से सवाल पूछे थे।
  उल्लेखनीय है कि मोबाइल फोन का आई.एम.ई.आई. नंबर  पुलिस को दिए जाने और सर्विलांस पर रखे जाने के बावजूद मोबाइल मालिक को न तो  कोई सूचना दी जाती है और न  ही मोबाइल खोजा जाता है।  पुलिस द्वारा मोबाइल फोन की  बरामदगी  के आंकड़ों से ही यह बात साबित होती है कि पुलिस की  फोन खोजने में  कोई रूचि  नहीं होती ।

पुलिस का कहना है कि चोरी हुए मोबाइल फोन का पता लगाने और उसे बरामद करने के लिए  जांच अघिकारी द्वारा सभी प्रकार के प्रयास किए जाते है ।  इन मामलों की जांच को बंद करने तक चोरी हुए मोबाइल के मालिकों को समय समय पर मामले की जांच की प्रगति की जानकारी दी जाती है । 

Thursday 11 August 2016

आतंकी सरगना अपने बच्चों को जन्नत भेजे ,

 आतंकी सरगना अपने बच्चों को जन्नत  भेजे ,
इंद्र वशिष्ठ
कश्मीर के हालात पर  राज्य सभा में चर्चा में  सभी दलों ने वहां पर हालात सामान्य करने और लोगों का विश्वास जीतने की दिशा में कदम उठाने की बात कही । सभी ने कश्मीर समस्या के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए चेताया भी । गृह मंत्री राज नाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि दुनिया की कोई ताकत कश्मीर को हिन्दुस्तान से  नहीं  ले सकती । गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान से बात होगी तो कश्मीर पर नहीं पाकिस्तान द्वारा कब्जाए कश्मीर पर बात होगी । पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा भारत की धरती पर नहीं चलेगा । कश्मीर में आईएसआईएस के झंडे़ फहराए जाते है । झंड़ा फहराने वाले इस्लाम को बदनाम करते है। गृह मंत्री ने बताया कि लश्कर  ए तोएबा  सरकारी अफसरों को धमका रहा है ।
पाकिस्तान को दुरूस्त करो--राज्य सभा में समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने कहा कि जब तक पाकिस्तान को दुरूस्त नहीं किया जाएगा कश्मीर मामला नहीं सुलझेगा । पाकिस्तान द्वारा कब्जाया कश्मीर हमारा है उसे वापस करने का दबाव नहीं बनेगा तब तक हल नहीं निकलेगा।  यादव ने कहा कि  सदर ए रियासत कश्मीर डा.कर्ण सिंह यहां बैठे है  उनकी रियासत था  मुजफ्फराबाद, मीर पुर सब इनका था । पाकिस्तान पर जब तक नियंत्रण नहीं किया जाएगा तब तक कश्मीर मे शांति बहाल नहीं होगी ।  पाकिस्तान का आम आदमी नहीं चाहता कि रिश्ते खराब हो, वहां की सेना और आईएसआई ऐसा चाहते है।
 बुरहान कब्र में ज्यादा खतरनाक--तृण मूल कांग्रेस के देरक ओब्राईन ने कहा कि आज इंटरनेट पर राय बनाई जाती है ऐसे में इंटरनेट कश्मीर में बंद करते रहेंगे तो युवा आपके साथ नहीं आएंगे । देरक ने कहा कि बुरहान वानी सड़क के मुकाबले इंटरनेट पर ज्यादा खतरनाक था  और जिंदा रहने के मुकाबले कब्र में ज्यादा खतरनाक है । गृह मंत्री का जब शांति की अपील का टवीट आया तब कश्मीर में इंटरनेट  बंद था । पैलेट गन बच्चों की चेतना को नुकसान पहुंचा रही है।  देरक  ने एक शेर के माध्यम से कहा- "एक दो जगह नहीं सारा बदन है छलनी, दर्द बेचारा परेशान है किधर से उठे "
 गोली नहीं मोहब्बत की जरूरत--  शरद यादव ने कहा कि गोली से कोई समाधान नहीं होता । घर का बेटा-बेटी  विद्रोह कर देता है तो  उनको वापस लाने का प्रयास करते है या नहीं ? , वो हमारे लोग है गुस्से मे है तो भी मोहब्बत के साथ उनको वापस लाना चाहिए । पैलेट गन तो लोगों को गोली मारने से  भी  खराब है इससे लोगों की आंख चली गई । यादव ने कहा कि हरियाणा में क्या नहीं हो गया लेकिन वहां पैलेट गन नहीं चलाई ।
अपने बच्चों को जन्नत क्यों नहीं  भेजते --जम्मू  से सांसद एवं मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर जेहाद इतना महान, पावन, पवित्र है जो सीधा जन्नत पहुंचाता है तो फिर दूसरों को उकसाने वाले  पहले अपने बच्चों को जन्नत जाने का मौका क्यों नहीं देते  । जिन लोगों ने जेहाद के नाम पर उकसाया वे अपने बच्चों को तो हिन्दुस्तान के बड़े शहरों या विदेश में हिफाजत से रखते है । गरीब के बच्चों को उकसाते  है । कश्मीरियत की बात बिना कश्मीरी पंडित के नहीं  हो सकती है । सिंह ने कहा कि गृह मंत्री कश्मीर गए तब कांग्रेस ने वहां पर  उनसे मिलने से इंकार कर दिया । दिल्ली में अलग कश्मीर में अलग बात करते है ।
राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कश्मीर में जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत का कत्ल हो रहा है ।  यह सिर्फ कानून व्यवस्था की समस्या नहीं समझी जानी चाहिए ।   इस मामले पर प्रधानमंत्री के संसद में न बोलने पर आजाद ने कहा कि अपने मुल्क का ताज जल रहा है उसकी गर्मी दिल तक पहुंचे न पहुंचे  लेकिन सिर को  तो गर्मी महसूस होना चाहिए  ।
  डा. कर्ण सिंह ने कहा कि  मैं दुखी हूं पैलेट गन को बंद किया जाना चाहिए ।  यह केवल आंतरिक मामला नहीं है  अंतर्राष्ट्रीय मामला है जटिल मामला है लगातार बात होनी चाहिए । समाधान के लिए पाकिस्तान और चीन से भी बात करनी होगी । सिर्फ  सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर भेजने से फायदा नहीं होगा । कश्मीर में  आर्थिक विकास बड़ा मुद्दा है लेकिन सिर्फ आर्थिक पैकेज से समस्या हल नहीं होगी । मदद के लिए ठोस काम करना होगा ।

पीडीपी के नजीर अहमद लवाय ने कहा कि कश्मीर का मसला उस समय ही क्यों याद आता है जब कश्मीर जल रहा होता है।  पहले या बाद में क्यों नहीं याद आता ।  कश्मीरी बंदूक के साथ नहीं हैं हम देश के साथ है । हम जानते है कि बंदूक का दर्द क्या होता है ।  मैंने परिजन खोए हैं । कश्मीरी पढ़े-लिखे है पढ़ना चाहते है। सभी दलों ने पैलेट गन पर पाबंदी की मांग की । 

Thursday 4 August 2016

उड़ता पंजाब , उड़न छू सरकार

 उड़ता पंजाब ,  उड़न छू सरकार , नशे में सबसे आगे
इंद्र वशिष्ठ
नशाखोरी के मामले में पंजाब वाकई उड़ता पंजाब  साबित हो गया है। सरकार के आंकड़ों  से भी इस बात का खुलासा हो गया है। राज्य सभा में सरकार ने बताया कि साल 2014 और 2015 में  देश भर में ड्रग्स के  50940  मामले दर्ज हुए ,  जिसमें  19392 मामले पंजाब में ही दर्ज हुए है । राज्य सभा में  गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजु ने यह जानकारी देते हुए  माना कि पंजाब में स्थिति गंभीर है  लेकिन सरकार ने इससे निपटने के लिए कई कदम उठाए ।  बड़ी संख्या में ड्रग्स  पकड़ी गई ।  नशे के कई सौदागर  भी पकड़े गए है ।
   राज्य सभा में इस बारे में  सवाल पूछने वाले  वकील के टी एस  तुलसी ने इसे गंभीर और चिन्ताजनक बताते हुए कहा कि पंजाब में मंत्री भी  ड्रग के कारोबार में शामिल है लेकिन कोई भी कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं की गई ।  सिर्फ नशेड़ियों को पकड़ा गया है  । नशे के बड़े सौदागरों को छुआ तक नहीं गया । इससे लगता है कि पंजाब के मंत्रियों को बचाने में केंद्र सरकार  की  मिलीभगत है ।
कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि ड्रग के कारोबार में गिरफ्तार किए गए डीएसपी जगदीश सिंह भोला ने कोर्ट में खुलासा किया था कि बादल सरकार के 3 मंत्री शामिल है उसमें से एक मंत्री को किंगपिन बताया था । बाजवा ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की । बाजवा ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या सिंथेटिक ड्रग्स है पंजाब में इसका उत्पादन भी होता है । 70 प्रतिशत सिंथेटिक ड्रग्स,20 प्रतिशत शराब ,अफीम, चरस ,गांजा और 10 प्रतिशत हेरोइन  का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है । शरद यादव ने भी जानना चाहा कि सरकार सीबीआई जांच कराएंगी या नहीं ।
गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजु ने कहा कि  सिर्फ किसी का नाम लेने से केस नहीं बनता है उसकी एक प्रक्रिया होती है ।
शिव सेना के संजय राउत ने कहा कि फिल्म उड़ता पंजाब पर हंगामा हुआ  था । लेकिन सिर्फ पंजाब ही  नहीं उड़ रहा ड्रग्स के मामले में  देश  की उड़ता हिन्दुस्तान  जैसी स्थिति हो गई है ।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री  विजय सांपला ने बताया कि पंजाब में 35 हजार लोगों के खून की  जांच कराई गई है जिसमें से 3 हजार के खून में ड्रग का पता चला है ।  पंजाब में 28 नशा मुक्ति केंद्र  खोले गए है ।  
सरकार देश भर में ऩशाखोरों का पता लगाने के लिए विस्तृत  सर्वे कराएगी । एम्स को यह सर्वे करने की जिम्मेदारी गई है एम्स  2018 तक जानकारी उपलब्ध कराएंगा। राज्य सभा में दो दिन प्रश्न काल में यह  मुद्दा उठाया गया ।


Wednesday 20 July 2016

बिहार मे 200 नील गाय किसके आदेश पर मारी गई ?

 सरकार ने गोली मारने का आदेश नहीं दिया ।
बिहार मे 200  नील गाय किसके आदेश पर मारी गई ?
 इंद्र वशिष्ठ
केंद्र सरकार ने  इस बात से इंकार किया है कि उसने बिहार में 200 नील गायों को गोली मारने का आदेश दिया है । पर्यावरण और वन मंत्री अनिल माधव दवे ने राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि वन्य जीवों के कारण फसल को होने वाले नुकसान के कारण  सरकार ने संबंधित राज्यों को जो परामर्श पत्र/ एडवाइजरी भेजा था उसमे गोली मारने का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया।  मंत्री ने यह भी बताया कि बिहार सरकार ने भी कोई आदेश नहीं दिया है।

 वन्य जीवों की संख्या बढ़ी-- मंत्री ने वन्य  जीवों की संख्या कम होने के दावे से  भी इंकार करते हुए कहा कि इनकी संख्या बढ रही है। विशेषकर ये जो तीन श्रेणियां है नील गाय , सुअर और विशेष  प्रजाति के बंदर जिनके कारण हिमाचल और उत्तराखण्ड के किसान बहुत परेशान रहते है। इनकी हत्या के लिए कोई आदेश केंद्र सरकार की ओर से नहीं दिया गया । कांग्रेस के मोती  लाल वोरा ने इस बारे में सवाल पूछा था ।
 मोती लाल वोरा ने कहा कि केंद्र  सरकार ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 3 से हटाकर अनुसूची 5 में सूचीबद्ध करने के बिहार सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर  लिया जिसका मतलब यह हुआ कि केंद्र ने  राज्य सरकार को एक साल के लिए पूरी छूट दे दी कि वे नील गायों को मारे । सरकार ने गोली मारने की अनुमति तो नहीं दी लेकिन उससे भी क्रूरतापूर्ण कार्य किया बिहार सरकार के अनुरोध को माना ।
केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन के जरिए जंगली सुअर,नील गाय और बंदर को संरक्षित पशु की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इनको फसलों को नुकसान पहुचाने वाला जानवर घोषित किया है ।

 किसान की  सोचें--मंत्री ने  यह भी कहा कि जब हम वन्य जीव सरंक्षण के संबंध में  विचार करेंगे तो हमें उस दो बीघा जमीन के किसान का भी विचार करना चाहिए जिसकी लहलहाती फसल, शाम के समय जब वह घर लौटता है तो उसे जवान देखता है । लेकिन जब सुबह लौटता है तो उजड़ जाती है।  ऐसा लगता है कि उसका जवान बेटा या बेटी संसार से चली गई हो। हमे उस किसान पर जरूर विचार करना चाहिए।  
  उल्लेखनीय है कि बिहार में 200 से ज्यादा नील गायों को गोली मारने का मामला पिछले दिनों चर्चा में रहा । नील गाय को गोली मारते शिकारी न्यूज चैनलों पर दिखाए गए। 

Tuesday 5 July 2016

पुलिस अफसर हो ईमानदार तो भला कैसे न रूके अपराध

    
पुलिस को चुनौती  देते लुटेरे , 

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली में लुटेरों का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन  बाइक सवार बेखौफ लुटेरे गोलियां चलाते हुए दिनदहाड़े वारदात कर रहे है।  एक दिन में ही सनसनीखेज लूट की अनेक वारदात कर लुटेरे पुलिस को तो चुनौती दे ही रहे है लोगों में भी दहशत पैदा हो रही है। घर हो या बाहर, पैदल या गाडी में लोग कहीं भी सुरक्षित नहीं  है । हालांकि पुलिस ने कई मामलों में लुटेरों को पकडा भी है और कई मामलों में लोगों ने भी हिम्मत दिखाई और लुटेरों को पकडवाया है। लेकिन आए दिन हो रही लूटपाट से तो यही लग रहा है कि लुटेरों में पुलिस का कोई खौफ नहीं है।
 बीट  पुलिस को दुरुस्त किया जाए ---पुलिस  सड़क पर होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने  में  विफल  साबित हो रही  है  । सड़क पर दिनदहाडे हो रही वारदात से तो लगता है कि पुलिस के कार्य करने के तरीके और नीयत में  ही कहीं कोई कमी है इस लिए लुटेरे लगातार वारदात कर रहे है। एक बात तय है कि पुलिस अगर ठान ले और ईमानदारी से कोशिश करे तो लूट,चेन झपटनेजेब तराशी और गाडी चोरी की वारदात को तो काफी हद तक रोका जा सकता है। ऐसे इलाके जहां सड़क पर अपराध ज्यादा होते है उनकी पहचान कर वहां पर पुलिस की मौजूदगी और गश्त बढाई जानी चाहिए । इसके अलावा बीट स्तर पर पुलिस को दुरुस्त किया जाना  सबसे जरूरी है
भ्रष्टाचार -- पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार और अपराध की सभी वारदात को दर्ज न करना अपराध बढने की मुख्य वजह है। बीट स्तर पर सुधार करने की बात पुलिस अफसर पहले भी कहते रहे है लेकिन सुधार नहीं हो रहा । बीट पर तैनात पुलिस वाले को इलाके की पूरी खबर रहती है। लेकिन यह सचाई है कि बीट वाले ही इलाके में अवैध वसूली के लिए पुलिस के  मुख्य माध्यम है। यह भी सचाई है कि बीट में तैनात पुलिस वाला वसूली गई सारी रकम अकेला तो अपने पास रखता नहीं है। पुलिस में जब तक ऊपर  तक  भ्रष्टाचार  रहेगा निचले स्तर पर पुलिस में कुछ सुधार होने वाला नहीं है। भ्रष्ट पुलिस वाला जाहिर  है अपना पूरा ध्यान और समय ज्यादा से ज्यादा वसूली करने में ही लगाएगा । तो ऐसे में अपराध रोकने या अपराधियों पर नजर रखने में न तो उसकी रुचि होगी और न ही उसके पास समय होगा। अगर अपराध रोकने है तो पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करना होगा। दिल्ली कीसडकों पर अवैध पार्किंगगाडियों की खरीद-बिक्रीगाडियों की मरम्मत और बिल्डिंग मैटीरियल के धंधे आदि भीपुलिस की कमाई का एक बडा जरिया है। वारदात के बाद पुलिस बेशक देर से पहुंचे लेकिन अगर कोई अपने मकान में मरम्मत भी करे तो बीट की पुलिस के अलावा पीसीआर वाले भी वसूली करने तुरन्त पहुंच जाते है।
  लुटेरों के बेखौफ होने  की मुख्य वजह -अपराधियों में पुलिस या कानून का डर न होने की  मुख्य वजह पुलिस द्धारा सभी वारदात को दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करना है। अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस इस तरह के हथकंडे अपनाती है। सचाई यह है कि ऐसा करके पुलिस अपराधियों की मदद ही कर रही है। अपराधी भी यह बात जानते है कि पुलिस लूट या चेन झपटने की ज्यादातर वारदात दर्ज ही नहीं करती है। ऐसे में  अपराधी अगर कभी पकडा भी जाता है तो पता चलता है कि उसके द्धारा की गई सारी वारदात पुलिस ने दर्ज ही नहीं की है। अपराध के सारे मामलों को दर्ज किया जाए तब ही  असल में अपराध रुकेगा और अपराधियों में डर पैदा होगा। अभी तो आलम ये है कि एक लुटेरे ने मान लो लूट या चेन झपटने की दस वारदात की लेकिन पुलिस ने दर्ज सिर्फ दो ही की।ऐसे में लुटेरा पकडा भी गया तो  दो मामलों में जमानत करा कर जेल से जल्द बाहर आ जाएगा और फिर से अपराध करने लगेगा।  अगर दस की दस वारदात दर्ज होती तो उस अपराधी के खिलाफ दस मामले चलतेपुलिस का केस मजबूत होता।  अदालत के सामने उस अपराधी के सारे अपराध आए  तो  जमानत पर भी जेल  से बाहर आना इतना आसान नहीं होगा। पुलिस में जब तक भ्रष्टाचार व्याप्त रहेगा और पुलिस सभी वारदात जब तक दर्ज नही करेगी। अपराध नहीं रुकेगें और न ही अपराधियों में खौफ पैदा होगा।

Wednesday 22 June 2016

मेट्रो चोर-चोरनी के चंगुल में ।

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मेट्रो में चोरी की 2700  वारदात ,   सिर्फ 109 चोर पकड़े गए ।
मेट्रो  चोर-चोरनी  के चंगुल में ,  पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान ,
  इंद्र वशिष्ठ
 सावधान-  मेट्रो  रेल मे सफर के दौरान चौकन्ने रहें , खास तौर पर उतरते समय  वर्ना  नकदी और  कीमती सामान गंवा देंगे । मेट्रो में सक्रिय जेबकत्तरे और चोरनियों के गिरोह  पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते है। चोर- चोरनियों  के कई गिरोह  तो सालों  से मेट्रो मे चोरी कर रहे है । मेट्रो में पांच महीने में  ही चोरी और जेबतराशी की 2700 से ज्यादा वारदात  दर्ज हुई  है  सिर्फ 109 चोर पकड़े गए।
कंधे पर बैग निशाना--  चोर-चोरनी के गिरोह कंधे पर बैग लटकाने वाले को निशाना बनाते है।  पुलिस द्वारा पकड़ी गई महिला चोरों ने पूछताछ में बताया कि उनको अंदाजा रहता है कि महिलाए  नकदी और जेवर आदि छोटे पर्स में रख कर उसे बैग में रखती है। कंधे पर बैग लटका कर सफर करने  वाली महिला को  चोरनियों का गिरोह घेर कर खड़ा हो जाता है। मेट्रो के अंदरउतरते समय या एस्कलेटर पर जहां भी मौका मिला भीड़ की आड़ में  ये चोरनियां बैग की जिप खोल कर सामान चोरी कर  लेती है । चोरी करने वाली माल तुरन्त अपनी साथियों को पास कर देती है।
मोबाइल और लैपटाप  --जेबकत्तरे  पर्स चोरी करने के अलावा मोबाइल और लैपटाप  चोरी करते है।  मेट्रो में चोरी के मामले पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते है।
109 चोर--  पुलिस ने 31 मई 2016 तक मेट्रो में चोरी के 2337 और जेबतराशी के 423 मामले दर्ज किए है । पुलिस सिर्फ 100 चोरों और 9 जेबकत्तरों को ही गिरफ्तार कर पाई है।  पुलिस के अपराध  के आंकड़े सचाई से कोसों दूर होते है।  क्योंकि अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस जेब कटने के सभी मामलों को दर्ज नहीं करती ।  जेबकाटते या बैग से चोरी करते हुए  अपराधियों के फोटो सीसीटीवी  कैमरों में कई  बार पाए गए है। इसके बावजूद पुलिस जेबकत्तरों पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
 इन स्टेशनों पर रहें चौकन्ना--पुलिस के अनुसार जेबकत्तरों के  गिरोह भीड़ भाड़ वाले राजीव चौक , कश्मीरी गेट.चांदनी चौक  और चावड़ी बाजार स्टेशनों  पर सबसे ज्यादा सक्रिय है। मेट्रो में बढ़ती भीड़ जेबकत्तरों के लिए माहौल मुफीद बना देती है। मेट्रो में सवार होते समय लोगों द्वारा की जानी वाली धक्का मुक्की भी जेबकत्तरों और चोरों को मौका देती है।
मेट्रो में रोजाना  25 लाख  से  ज्यादा लोग सफर करते है। सुरक्षा सीआइएसएफ और  दिल्ली पुलिस के पास है।  मेट्रो में होने वाले अपराध की  रोकथाम और जांच का जिम्मा पुलिस के पास है।  
25 लाख के हीरों के जेवरात--मेट्रो मे 25 लाख के हीरों के जेवरात  की चोरी को  महिला चोर ने अंजाम दिया । बीकानेर निवासी मांगी लाल 23 मई को  मेट्रो से चांदनी चौक से द्वारका जा रहा था। उसके बैग मे डिब्बे में हीरे के  जेवर के 5 सैट थे । पुलिस ने सीसीटीवी की फुटेज को खंगाला तो एक औरत  बैग से  चोरी करते और जेवर के डिब्बे के साथ नई दिल्ली स्टेशन पर उतरती दिखाई दी ।  पुलिस ने उस औरत की पहचान पूजा के रूप में की । पूजा  को  पकड़ लिया गया । उससे पूछताछ पर उसके रिश्तेदार के घर  से  25 लाख के जेवरात बरामद हो गए । पूजा मेट्रो में एक दशक से  भी ज्यादा समय से चोरी कर रही है। मेट्रो में चोरी के आरोप में पूजा को 2002 और 2015 में भी गिरफ्तार किया गया था ।  पूजा अकेली ही चोरी करती है।
 6 लाख के जेवर--- मेट्रो में गुडगांव की सुनीता खन्ना के बैग से 1 जून को 6 लाख के हीरे और सोने के जेवर चोरी हो गए ।  नई दिल्ली  स्टेशन पर  सीसीटीवी की फुटेज मे दिखाई दिया कि सुनीता जब उतर रही थी तब उसे औरतों के गिरोह ने घेर रखा था । उनमें से एक राखी की पहचान हो गई। राखी ,ललित,सुरेखा और तुलसा को पकड़ लिया गया ।  राखी इस गिरोह की सरगना है। ये चारों मेट्रो में चोरी और जेबकाटने के आरोप में पहले भी  पकड़ी जा चुकी है।  चारों शादीशुदा है।

Tuesday 14 June 2016

दिल्ली में अवैध बंदूकों का बोलबाला,



  दिल्ली में अवैध बंदूकों का बोलबाला,
 अवैध बंदूक  बनाने में बिहार बना पाकिस्तानमध्य प्रदेश भी पीछे नहीं

 इंद्र  वशिष्ठ,
  दिल्ली और एनसीआर में  पिछले 4-सालों में  हत्या, लूट और जबरन वसूली  जैसे  संगीन अपराध  में देसी पिस्तौल के इस्तेमाल में जबरदस्त इजाफा हुआ है । उम्दा किस्म के देसी पिस्तौल का आसानी से मिल जाना इसका मुख्य कारण है।   
मुंगेर गढ़-  अपराध में अवैध पिस्तौलों के बढ़़ते इस्तेमाल को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने एक स्टडी कीजिसमें पता चला कि उम्दा किस्म के ये देसी पिस्तौल बिहार के मुंगेर में बनाए जाते है। क्वालिटी के मामले में ये हथियार भारतीय आयुध फैक्टरी में बने हथियार से किसी भी तरह कम नहीं है। मुंगेर में बनी पिस्तौल से एक बार में 7-8 गोलियां तक आसानी से चलाई जा सकती है। इसलिए इन  पिस्तौलों की  अपराधियों में जबरदस्त मांग है। तफ्तीश के दौरान पता चला कि मुंगेर में छोटी-छोटी फैक्टरियों में हथियार बनाए जाते है और संगठित गिरोह द्वारा पूरे देश में सप्लाई किए जाते है। यह भी पता चला कि अवैध हथियार मेरठ,आगरा और इलाहाबाद के हथियार तस्करों द्वारा सप्लाई किए जाते है। हथियार बिहार से लाकर दिल्ली और आसपास के राज्यों में सप्लाई किए जाते है। हथियारों की तस्करी में महिलाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है। उन पर शक न हो इसलिए वह महिलाओं के साथ परिवार की तरह यात्रा करते है।
आतंकियों और नक्सलियों को भी सप्लाई-पुलिस ने पाया कि हथियार तस्कर मध्य प्रदेश,उड़ीसा,बिहार और झारखंड के नक्सलियों को भी हथियार सप्लाई करते है। 19-9-2010 को जामा मस्जिद के बाहर विदेशियों पर गोलियां चलाने और पुणे बम धमाकों के आरोप में पकड़े गए इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों से भी मुंगेर की बनी 4 पिस्तौल बरामद हई थी।
मुंगेर बना दर्रा----पाकिस्तान में उत्तर-पश्चिम फरंटियर इलाके में दर्रा- नामक इलाके में  अवैध हथियार बनाना बड़े कुटीर उद्योग की तरह है। उसी तरह भारत में मुंगेर उम्दा किस्म के देसी पिस्तौल/रिवाल्वर बनाने के बड़े  स्त्रोत के रूप में उभरा है। पुलिस के अनुसार सरकार ने मुंगेर में कुछ साल पहले बंदूक बनाने के लिए 32 फैक्टरियों को लाइसेंस दिए थे। इनमें काम करने वाले या रिटायर हुए कुछ लोग मोटा पैसा कमाने के लिए अवैध हथियार बनाने लगे। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगरकैराना में भी देसी तमंचे बनाए जाते है। हरियाणा के मेवात में भी हथियार बनाए जाने की भी जानकारी पुलिस को मिली है।
मध्य प्रदेश भी गढ़- मुंगेर के बाद अवैध हथियार बनाने में मध्य प्रदेश का नंबर आता है। पुलिस ने स्टडी में पाया कि मध्य प्रदेश के भिंड,  खरगौनधार और  सेंधवा, बरवानी में भी अवैध पिस्तौले बनाई जाती है। ये पिस्तौल  दिल्ली समेत कई राज्यों के अपराधियों को सप्लाई किए जाते है। 
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी राजन भगत ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने  15 मई 2016 तक 288 पिस्तौल/रिवाल्वर/ बंदूक जब्त की है । साल 2012 में 586,साल 2013 में 700,साल 2014 में 868 और साल 2015 में 433पिस्तौल/रिवाल्वर जब्त की गई ।
स्पेशल सेल ने 4 जून 2016 को मथुरा के उतवार का नंगला गांव निवासी सलामुद्दीन को गिरफ्तार किया । उसके पास से 27 पिस्तौलें  बरामद हुई । सलामुद्दीन मथुरा के छाता निवासी  मुश्ताक के लिए काम करता है।  मध्य प्रदेश के सेंधवा से पिस्तौल की एक खेप लाने के एवज में उसे 5000 रूपए मिलते थे । मुश्ताक दिल्ली,एनसीआर और अन्य इलाकों में हथियार सप्लाई करता है।
 देसी को विदेशी बताते है।-मोटे मुनाफे के लिए इन पिस्तौलों को विदेशी बता कर बेचने के लिए इन पर  मेड इन इंग्लैंड और यूएसए भी लिख दिया जाता है। मुंगेर से पिस्तौल 10-12 हजार रुपए में लाकर हथियार तस्कर 25-30 हजार रुपए में अपराधियों को बेचते है।
99 मुंगेरी पिस्तौल की सबसे बड़ी खेप - दिल्ली पुलिस ने  जुलाई 2013 में मुंगेर से लाई गई 99 पिस्तौल और 198 मैगजीन  बरामद की थी । एम्बेसडर कार की हेडलाइटों के पीछे बनाए गए विशेष स्थान पर ये पिस्तौले छिपा कर लाई गई थी।  इस मामले में गिरफ्तार किए गए  मुंगेर निवासी निरंजन मिश्र और फिरोज आलम ने  पुलिस को बताया कि वह देश के ज्यादातर हिस्से में हथियार सप्लाई करते है। इन्होंने ने यह भी बताया कि वह हर महीने हथियारों की कम से कम एक खेप  दिल्ली और आसपास के राज्यों में सप्लाई करते है।  उन्होंने मुजफ्फर नगर के हाजी उर्फ मुल्लाजी को 85 पिस्तौले सप्लाई की थी। बरामद पिस्तौल पर ‘आर्मी सप्लाई केवल’ और ‘मेड इन यूएसए ’ लिखा हुआ है।
 12 जनवरी 2014 को स्पेशल सेल ने खरगौन के दिनेश और सुनील को १६ अवैध पिस्तौलों के साथ गिरफ्तार किया था । इन दोनों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि ये दोनों दिल्ली ,एनसीआर के अलावा मुजफ्फरनगर ,आगराअलीगढ़ और हाथरस में हर पखवाड़े हथियारों की एक खेप  सप्लाई करते रहे  है। 5 फरवरी 2014 को स्पेशल सेल ने मध्यप्रदेश के बरवानी निवासी मोह बाई उर्फ मुन्नी को उस समय पकड़ा जब वह मथुरा निवासी शम्सु को 9 पिस्तौलें सौंप रही थी। मुन्नी ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि गांव में अवैध पिस्तौल बनाने वाले व्यकित के लिए वह हथियार सप्लाई करती है। हथियार की एक खेप पहुंचाने की एवज में उसे 2500 रूपए मिलते है। मुन्नी अवैध हथियारों के साथ पहले बीना जिला सागर और सेंधवा में भी पकड़ी जा चुकी है। 19 फरवरी 2014 को स्पेशल सेल ने ही हाथरस के संजू को 10 पिस्तौलों के साथ पकड़ा। संजू ने पुलिस को बताया कि खरगौन में वीरपाल सिंह अवैध पिस्तौलें बनाता है और वहीं मुख्य सप्लायर भी है। संजू खरगौन से हथियार लाकर हाथरस के ही हमबीर के माध्यम से देश के ज्यादातर हिस्से में सप्लाई करता था ।

Friday 8 April 2016

केजरीवाल लुटा रहा आम आदमी का खजाना



राजनीति के लिए  खजाना लुटाता केजरीवाल
इंद्र वशिष्ठ
एनआईए के डीएसपी तंजील अहमद की हत्या की गुत्थी सुलझने से पहले ही केजरीवाल ने उनके परिवार को एक करोड़ रूपए मुआवजे का ऐलान कर दिया । तंजील की हत्या निजी रंजिश के कारण उसके रिश्तेदार ने कराई। ऐसे मे तंजील की मौत शहीद की श्रेणी में नहीं आती । केजरीवाल द्वारा पुलिस जांच पूरी होने के पहले ही  मुआवजे का ऐलान  करना दिखाता है कि वह  सरकारी खजाने का इस्तेमाल कितनी गैर जिम्मेदारी से करता है।
केजरीवाल  तंजील के परिवार को एक करोड़ रूपए देते है तो दिल्ली के उन सैंकड़ो परिवार को भी एक- एक करोड़ रूपए मिलना चाहिए, जिनके परिवार के सदस्य की हत्या कर दी गई। दिल्ली में हर साल हत्या की सैंकड़ों वारदात होती है। ऐसे में अपराध पीड़ित हर परिवार एक करोड़ के मुआवजे का हकदार है।
केजरीवाल यानी प्रचारवाल-  कांग्रेस, बीजेपी को कोस कर खुद को उनसे अलग बताने वाला केजरीवाल भी इन दलों जैसा निकला । अपनी छवि बनाने के लिए केजरीवाल विज्ञापनों पर सरकारी खजाने का करोड़ो रूपए खर्च करने में दूसरे दलों से किसी तरह कम नहीं है। दिल्ली के बाहर के अखबारों में भी विज्ञापन देकर दिल्ली की जनता के पैसे को बर्बाद कर रहा है। खबरों की शक्ल में भी दिए जाने से आम आदमी को यह पता भी नहीं चलता कि वह सरकारी विज्ञापन है।
विज्ञापनबाजी पर पैसा बर्बाद  करने की बजाए यह रकम सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज पर खर्च की जानी चाहिए । केजरीवाल सरकारी अस्पतालों में जाएं तो पता चलेगा कि विज्ञापनों पर जो करोड़ों रूपए वह फूंक रहे है उस रकम से  कितने मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
कथनी, करनी में अंतर- केजरीवाल ने कहा था कि गाड़ी,बंगला , सुरक्षा कुछ नहीं लूंगा, लेकिन सत्ता मिलते ही यह सब ले लिया ।  केजरीवाल का दूसरे दलों  से अलग होने का दावा खोखला निकला ।
चाणक्य से सीखें सरकारी खजाने का इस्तेमाल- चाणक्य से एक बार एक विदेशी मिलने आया, वह उस समय कुछ कार्य रहे थे। कार्य समाप्त करने के बाद  चाणक्य ने दीया बुझा दिया । विदेशी के पूछने पर चाणक्य ने कहा कि दीये  में जल रहा तेल सरकारी खजाने का था। आपसे बातचीत के दौरान उसका इस्तेमाल करना उचित नही है।