Tuesday 5 July 2016

पुलिस अफसर हो ईमानदार तो भला कैसे न रूके अपराध

    
पुलिस को चुनौती  देते लुटेरे , 

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली में लुटेरों का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन  बाइक सवार बेखौफ लुटेरे गोलियां चलाते हुए दिनदहाड़े वारदात कर रहे है।  एक दिन में ही सनसनीखेज लूट की अनेक वारदात कर लुटेरे पुलिस को तो चुनौती दे ही रहे है लोगों में भी दहशत पैदा हो रही है। घर हो या बाहर, पैदल या गाडी में लोग कहीं भी सुरक्षित नहीं  है । हालांकि पुलिस ने कई मामलों में लुटेरों को पकडा भी है और कई मामलों में लोगों ने भी हिम्मत दिखाई और लुटेरों को पकडवाया है। लेकिन आए दिन हो रही लूटपाट से तो यही लग रहा है कि लुटेरों में पुलिस का कोई खौफ नहीं है।
 बीट  पुलिस को दुरुस्त किया जाए ---पुलिस  सड़क पर होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने  में  विफल  साबित हो रही  है  । सड़क पर दिनदहाडे हो रही वारदात से तो लगता है कि पुलिस के कार्य करने के तरीके और नीयत में  ही कहीं कोई कमी है इस लिए लुटेरे लगातार वारदात कर रहे है। एक बात तय है कि पुलिस अगर ठान ले और ईमानदारी से कोशिश करे तो लूट,चेन झपटनेजेब तराशी और गाडी चोरी की वारदात को तो काफी हद तक रोका जा सकता है। ऐसे इलाके जहां सड़क पर अपराध ज्यादा होते है उनकी पहचान कर वहां पर पुलिस की मौजूदगी और गश्त बढाई जानी चाहिए । इसके अलावा बीट स्तर पर पुलिस को दुरुस्त किया जाना  सबसे जरूरी है
भ्रष्टाचार -- पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार और अपराध की सभी वारदात को दर्ज न करना अपराध बढने की मुख्य वजह है। बीट स्तर पर सुधार करने की बात पुलिस अफसर पहले भी कहते रहे है लेकिन सुधार नहीं हो रहा । बीट पर तैनात पुलिस वाले को इलाके की पूरी खबर रहती है। लेकिन यह सचाई है कि बीट वाले ही इलाके में अवैध वसूली के लिए पुलिस के  मुख्य माध्यम है। यह भी सचाई है कि बीट में तैनात पुलिस वाला वसूली गई सारी रकम अकेला तो अपने पास रखता नहीं है। पुलिस में जब तक ऊपर  तक  भ्रष्टाचार  रहेगा निचले स्तर पर पुलिस में कुछ सुधार होने वाला नहीं है। भ्रष्ट पुलिस वाला जाहिर  है अपना पूरा ध्यान और समय ज्यादा से ज्यादा वसूली करने में ही लगाएगा । तो ऐसे में अपराध रोकने या अपराधियों पर नजर रखने में न तो उसकी रुचि होगी और न ही उसके पास समय होगा। अगर अपराध रोकने है तो पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करना होगा। दिल्ली कीसडकों पर अवैध पार्किंगगाडियों की खरीद-बिक्रीगाडियों की मरम्मत और बिल्डिंग मैटीरियल के धंधे आदि भीपुलिस की कमाई का एक बडा जरिया है। वारदात के बाद पुलिस बेशक देर से पहुंचे लेकिन अगर कोई अपने मकान में मरम्मत भी करे तो बीट की पुलिस के अलावा पीसीआर वाले भी वसूली करने तुरन्त पहुंच जाते है।
  लुटेरों के बेखौफ होने  की मुख्य वजह -अपराधियों में पुलिस या कानून का डर न होने की  मुख्य वजह पुलिस द्धारा सभी वारदात को दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करना है। अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस इस तरह के हथकंडे अपनाती है। सचाई यह है कि ऐसा करके पुलिस अपराधियों की मदद ही कर रही है। अपराधी भी यह बात जानते है कि पुलिस लूट या चेन झपटने की ज्यादातर वारदात दर्ज ही नहीं करती है। ऐसे में  अपराधी अगर कभी पकडा भी जाता है तो पता चलता है कि उसके द्धारा की गई सारी वारदात पुलिस ने दर्ज ही नहीं की है। अपराध के सारे मामलों को दर्ज किया जाए तब ही  असल में अपराध रुकेगा और अपराधियों में डर पैदा होगा। अभी तो आलम ये है कि एक लुटेरे ने मान लो लूट या चेन झपटने की दस वारदात की लेकिन पुलिस ने दर्ज सिर्फ दो ही की।ऐसे में लुटेरा पकडा भी गया तो  दो मामलों में जमानत करा कर जेल से जल्द बाहर आ जाएगा और फिर से अपराध करने लगेगा।  अगर दस की दस वारदात दर्ज होती तो उस अपराधी के खिलाफ दस मामले चलतेपुलिस का केस मजबूत होता।  अदालत के सामने उस अपराधी के सारे अपराध आए  तो  जमानत पर भी जेल  से बाहर आना इतना आसान नहीं होगा। पुलिस में जब तक भ्रष्टाचार व्याप्त रहेगा और पुलिस सभी वारदात जब तक दर्ज नही करेगी। अपराध नहीं रुकेगें और न ही अपराधियों में खौफ पैदा होगा।

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