Saturday 31 December 2022

जिहादी आतंकवाद के खिलाफ साल 2022 में NIA का जबरदस्त अभियान.


जिहादी आतंक के खिलाफ एनआईए का  जबरदस्त अभियान 



इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने वर्ष 2022 में जिहादी आतंकवाद के ख़िलाफ़ जबरदस्त अभियान चलाया. एनआईए द्वारा  जिहादी आतंक के खिलाफ  35 मामले दर्ज किए गए हैं.

एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि साल 2022 में कुल 73 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि साल 2021 में 61 मामले दर्ज किए गए थे. एनआईए के लिए यह अब तक के सर्वाधिक मामले है। 

12 राज्यों में  जिहादी आतंकवाद -
एनआईए द्वारा दर्ज मामलों में जम्मू-कश्मीर, असम, बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जिहादी आतंक के 35 मामले, जम्मू-कश्मीर के 11 मामले, वामपंथी उग्रवाद के 10 मामले, पूर्वोत्तर के 5 मामले, पीएफआई से संबंधित 7 मामले, पंजाब के 4 मामले, गैंगस्टर- आतंकवादी-ड्रग तस्कर सांठगांठ के 3 मामले, टेरर फंडिंग का 1 मामला और जाली नोट से जुड़े 2 मामले शामिल हैं।
456 गिरफ्तार-
एनआईए द्वारा 19 फरार आरोपियों सहित 456 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। दो अभियुक्तों को विदेश से वापस भेजने यानी निर्वासन (डिपोर्ट ) पर गिरफ्तार किया गया है और एक अभियुक्त को प्रत्यर्पण के बाद गिरफ्तार किया गया है।
109 को सजा -
एनआईए ने साल 2022 में 368 लोगों के खिलाफ अदालत में 59 चार्जशीट दायर की हैं। अदालत द्वारा साल 2022 में 38 मामलों में फैसले सुनाए गए हैं, जिनमें से सभी मामलों में सजा दी गई हैं। 
अदालत द्वारा 109 व्यक्तियों को कठोर कारावास और जुर्माने की सजा दी गई है। छह लोगों उम्रकैद की सजा भी दी गई है। 
एनआईए के अनुसार आज की स्थिति के अनुसार सजा दर 94.39 फीसदी है।
8 आतंकी घोषित-
एनआईए द्वारा साल 2022 में गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए)  के तहत 8 व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में घोषित किया गया है. एनआईए द्वारा उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
नो मनी फॉर टेरर-
आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और रोकने के प्रयासों के तहत, एनआईए ने 18-19 नवंबर 2022 को तीसरा मंत्रिस्तरीय 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया, जिसमें 78 देशों और 16  संगठनों ने भाग लिया।
आतंकी, बदमाश, तस्करों के गठजोड़ पर प्रहार-
एनआईए ने भारत और विदेश में आतंकवादियों, गैंगस्टरों और नशीले पदार्थ/ हथियारों के तस्करों बीच उभरती सांठगांठ को तोड़ने और खत्म करने के मकसद से अगस्त, 2022 में 2 मामले दर्ज किए थे.
छापा अभियान-
एनआईए ने सितंबर ,अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में इनके पांच राज्यों में सौ से ज्यादा  ठिकानों पर छापेमारी के चार अभियान चलाए.



Sunday 25 December 2022

एयरपोर्ट पर दो हवलदारों ने सोना लूटा. SHO ने हल्की धारा में FIR दर्ज की. DCP की भूमिका पर सवालिया निशान, कमिश्नर संजय अरोड़ा एक्शन ले कर काबलियत दिखाएं.

हवलदारों ने लूटा, अफसरों ने धोखा दिया.
कठघरे में एसएचओ, डीसीपी



इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली में लुटे पिटे लोगों को पुलिस अफसरों द्वारा भी धोखा दिया जाता है. 
अपराध का शिकार व्यक्ति पुलिस पर भरोसा करके एफआईआर दर्ज कराने थाने जाता हैं. 
लेकिन अपराध का मामला आईपीसी की सही धारा में दर्ज न करके एसएचओ/डीसीपी लुटे पिटे व्यक्ति को धोखा देने और उसका भरोसा तोड़ने जैसा अक्षम्य अपराध करते है. ऐसा करके अफसर एक तरह से जानबूझकर अपराधी की मदद करने का अपराध करते हैं.
 
एयरपोर्ट पर दिल्ली पुलिस के दो हवलदारों ने दो अलग-अलग मामलों में दो लोगों से पचास लाख रुपए से ज्यादा मूल्य का 1 किलो ग्राम सोना लूट लिया. दोनों हवलदारों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
लूट को वसूली में दर्ज किया-
लूट, अपहरण और जान से मारने की धमकी देने के संगीन अपराध के इस सनसनीखेज मामले में एयरपोर्ट थाने में तैनात हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार के खिलाफ जबरन वसूली की हल्की धारा में मामला दर्ज किया गया. 
डीसीपी की भूमिका पर सवालिया निशान-
इस मामले में एयरपोर्ट के डीसीपी रवि कुमार सिंह की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है. क्योंकि ऐसे संगीन मामले में वरिष्ठ अफसरों के सलाह मशवरा/ मंजूरी के बिना एफआईआर दर्ज नही की जाती है.
कमिश्नर एक्शन लें-
पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा लुटेरे पुलिसकर्मियों के खिलाफ हल्की धारा में मामला दर्ज करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करके अपनी काबलियत दिखाएं वरना यह माना जाएगा कि वह भी पूर्व कमिश्नरों की तरह आंकड़ों की बाजीगरी द्वारा अपराध कम दिखाने के लिए अपराध दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करने का परंपरागत तरीका अपना रहे हैं.
अपहरण कर सोना लूटा-
मस्कट में मजदूरी करने वाला राजस्थान का सलाउद्दीन 19-20 दिसंबर की रात को भारत वापस आया था. दिल्ली एयरपोर्ट से महिपाल पुर के लिए उसने टैक्सी ली, जिसमें में दो सवारी ओर थी.एयरपोर्ट रैम्प से उतरते ही एक पुलिस जिप्सी ने टैक्सी को रोका. सलाउद्दीन को टैक्सी से उतार कर जिप्सी में बिठाया और थाने ले गए. जिप्सी में दो पुलिसकर्मी सवार थे.
जंगल में पीटा, लूटा, धमकी दी-
पुलिसकर्मियों ने जिप्सी को थाने में खड़ा किया, सलाउद्दीन से सोने के बारे में पूछा तो उसने मना कर दिया, पुलिसकर्मी वहां से एक निजी गाड़ी में सलाउद्दीन को जंगल में ले गए. वहां पुलिसकर्मियों ने उसे मारा पीटा और उसके बैग में तीन कैप्सूल के आकार में रखा 600 ग्राम सोना लूट लिया. सलाउद्दीन के मोबाइल फोन का सिम तोड़ दिया. पुलिसकर्मियों ने सलाउद्दीन को कहा कि, किसी को बताया तो जान से मार देंगे.
पुलिसकर्मियों ने इसके बाद सलाउद्दीन को ढाई हजार रुपए दिए और एक ओला टैक्सी में बिठा दिया. सलाउद्दीन टैक्सी से धौला कुंआ गया और वहां से जयपुर चला गया. सलाउद्दीन को यह सोना मस्कट में उसके साथ काम करने वाले सिकंदर ने दिया था. सलाउद्दीन ने सिकंदर को फोन कर सारी बातें बताई. सिकंदर ने सलाउद्दीन को बताया कि सोना रामस्वरूप (सीकर ,राजस्थान)का था.
हवलदारों ने सोना वापस करने से मना किया-
 रामस्वरूप ने फोन कर सलाउद्दीन को 21 दिसंबर को वापस दिल्ली बुलाया. रामस्वरूप को उसके परिचित पुलिसकर्मी शमशेर ने बताया कि सोना आईजीआई एयरपोर्ट थाने में तैनात हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार ने लूटा है . रामस्वरूप ने दोनों हवलदारों से बात की, लेकिन उन्होंने सोना वापस देने से मना कर दिया.
इसके बाद सलाउद्दीन ने 24 दिसंबर को इस मामले की रिपोर्ट आईजीआई थाने में दर्ज कराई.
400 ग्राम सोना लूटा-
दूसरा मामला तेलंगाना के शेख कादर बाशी का है शेख भी 19-20 दिसंबर की रात दुबई से दिल्ली आया था उससे भी पुलिस जिप्सी में सवार दो पुलिस वालों ने 400 ग्राम सोना लूट लिया.  
 यह सोना शेख ने महिपाल पुर के आरिफ़ को देना था. आरिफ ने भी अपने तौर पर पता किया तो पाया कि हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार ने सोना लूटा है.
वारदात 19-20 दिसंबर की रात में सवा तीन बजे से सुबह साढ़े छह बजे के बीच हुई.
हवलदार गिरफ्तार-
एयरपोर्ट थाने में तैनात हवलदार रोबिन सिंह और हवलदार गौरव कुमार के खिलाफ पुलिस ने जबरन वसूली की धारा में मामला दर्ज किया है. 25 दिसंबर को दोनों हवलदारों को गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों को निलंबित भी कर दिया गया है.
पुलिस का कारनामा-
पुलिस ने लूट की दो अलग-अलग हुई वारदात को एक ही एफआईआर में दर्ज किया है. पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि सलाउद्दीन की एफआईआर दर्ज करते समय ही, दूसरा पीड़ित शेख कादर भी शिकायत दर्ज कराने आ गया. 
कहानी बनाने में माहिर पुलिस -
वारदात 19-20 दिसंबर की रात में हुई. 
वारदात के चार दिन बाद दोनों पीड़ित एक साथ और एक ही समय शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंच जाएं, ऐसा इतेफ़ाक या कलाकारी पुलिस की कहानी में ही हो सकती है.
अपराध कम दिखाने का अभियान-
लूट जैसे संगीन अपराध को आंकड़ों के माध्यम से कम दिखाने के लिए ही पुलिस या तो अपराध दर्ज नही करती या हल्की धारा में दर्ज करती है. जैसा इस मामले में किया गया है. पुलिस वालों ने पीड़ित को जबरन रोका, टैक्सी से उतार कर पहले जिप्सी में अगवा किया, फिर दूसरी गाड़ी में अगवा करके जंगल में ले गए. पीड़ित को पीटा, सोना लूटा और जान से मारने की धमकी दे कर छोड़ दिया. लेकिन पुलिस ने लूट, अपहरण, जबरन रोकने और जान से मारने की धमकी देने आदि की धारा ही नहीं लगाई. 
अफसरों की भूमिका पर सवाल-
हल्की धारा में मामला दर्ज करके एक तरह से लुटेरे पुलिसकर्मियों की मदद करने का अफसरों ने भी अपराध किया है.
जितना दिमाग और मेहनत पुलिस अपराध कम दिखाने और कहानी बनाने में लगाती है अगर उसकी बजाए ईमानदारी से एफआईआर ही दर्ज करने लगे तो अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण लग सकता हैं.
डीसीपी ने फोन रिसीव नहीं किया-
इस मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए एयरपोर्ट के डीसीपी रवि कुमार सिंह को मोबाइल फोन पर संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
एसएचओ की भूमिका-
दिलचस्प बात यह है कि दोनों मामलों में पीड़ितों ने अपने स्तर पर लुटेरे पुलिसकर्मियों का पता लगा लिया. 
क्या एस एच ओ को अपने मातहत हवलदारों की गतिविधियों और चरित्र के बारे में पूरी जानकारी/ निगरानी नहीं रखना चाहिए थी ? 
इस मामले में एसएचओ की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है. 

एयरपोर्ट जांच की पोल खुल गई-
एयरपोर्ट पर कस्टम और अन्य एजेंसियों की जांच व्यवस्था की पोल इस मामले से खुल गई है.
दोनों यात्री एयरपोर्ट से सोना लेकर बाहर आ गए. इससे एयरपोर्ट पर जांच करने वाले अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है.


          रविवार दिल्ली 1-7 जनवरी 2023







Friday 23 December 2022

DCP, ACP की नाक के नीचे रिश्वत लेते सब-इंस्पेक्टर गिरफ्तार. DCP के बगल के थाने में सब-इंस्पेक्टर बेखौफ-बेधड़क रिश्वत ले रहा था. भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को ना डीसीपी का डर और ना ही कानून का.


दिल्ली पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर रिश्वत लेते पकड़ा गया


इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है.
सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार सिविल लाइन थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव को गिरफ्तार किया गया है.
50 हजार रिश्वत दो-
हर्ष विहार निवासी सोनू राठौड़ ने सब इंस्पेक्टर प्रवीण यादव द्वारा पचास हजार रुपए रिश्वत मांगने की सीबीआई में शिकायत की थी. 
बुजुर्ग महिला के खाते से लाखों निकाल लिए-
सोनू का चचेरा भाई देवेंद्र कुमार राठौड़ इस समय जेल में बंद है. देवेंद्र सिविल लाइन इलाके में एक बुजुर्ग महिला के यहां पर ड्राइवर / सहायक की नौकरी करता था. देवेंद्र ने महिला के कई चैक चोरी करके दस लाख रुपए से ज्यादा रकम उनके खातों से निकाल ली थी. महिला की शिकायत पर वर्ष 2018 में देवेंद्र के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज किया गया.
सोनू ने सीबीआई को बताया कि तीस हजारी कोर्ट में इस मामले का जांच अधिकारी सब -इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव उससे मिला. सब-इंस्पेक्टर ने देवेंद्र राठौड़ की जमानत और चार्ज शीट के संबंध में पचास हजार रुपए रिश्वत की मांग की.
 जमानत की व्यवस्था हो जाएगी -
सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने शिकायतकर्ता से इस मामले के ही एक अन्य आरोपी विजय गुप्ता की ओर से भी उससे रिश्वत मांगी.
सोनू ने सब-इंस्पेक्टर से अनुरोध किया कि उन्हें किश्तों में भुगतान की अनुमति दी जाए. सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने आश्वासन दिया कि चार्ज शीट के बाद जमानत की व्यवस्था की जाएगी.
सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव ने सोनू से कहा कि जेल में बंद व्यक्तियों की जमानत तभी संभव होगी जब वह चार्ज शीट दाखिल करेगा.
सीबीआई को सत्यापन/ वैरीफिकेशन में सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव द्वारा रिश्वत की मांग करने की पुष्टि हो गई. 
थाने में पकड़ा-
इसके बाद सीबीआई ने मामला दर्ज कर जाल बिछाया और सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार को 22 दिसंबर को थाने में ही  रिश्वत की पहली किश्त के रुप में पांच हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार कर लिया. थाने में ही एसीपी का भी दफ़्तर है.
डीसीपी का भी डर नहीं-
सिविल लाइन थाने से चंद कदम के फासले पर ही उत्तर जिले के डीसीपी सागर सिंह कलसी और एडिशनल डीसीपी के दफ्तर है. थाने में तो एसीपी सतेंद्र यादव का भी दफ़्तर है.
इस मामले से पता चलता है भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में कानून का ही नहीं वरिष्ठ अफसरों का भी जरा सा भी डर नहीं है. इसलिए तो वह एक तरह से डीसीपी,एसीपी की नाक के नीचे भी  बेखौफ होकर रिश्वत वसूलने का दुस्साहस कर रहे हैं.
इससे वरिष्ठ अफसरों की भूमिका और कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लग जाता है.
वरिष्ठ अफसरों को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे चार्ज शीट दाखिल करने के नाम पर किए जाने वाले भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके.