Friday 23 December 2022

DCP, ACP की नाक के नीचे रिश्वत लेते सब-इंस्पेक्टर गिरफ्तार. DCP के बगल के थाने में सब-इंस्पेक्टर बेखौफ-बेधड़क रिश्वत ले रहा था. भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को ना डीसीपी का डर और ना ही कानून का.


दिल्ली पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर रिश्वत लेते पकड़ा गया


इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है.
सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार सिविल लाइन थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव को गिरफ्तार किया गया है.
50 हजार रिश्वत दो-
हर्ष विहार निवासी सोनू राठौड़ ने सब इंस्पेक्टर प्रवीण यादव द्वारा पचास हजार रुपए रिश्वत मांगने की सीबीआई में शिकायत की थी. 
बुजुर्ग महिला के खाते से लाखों निकाल लिए-
सोनू का चचेरा भाई देवेंद्र कुमार राठौड़ इस समय जेल में बंद है. देवेंद्र सिविल लाइन इलाके में एक बुजुर्ग महिला के यहां पर ड्राइवर / सहायक की नौकरी करता था. देवेंद्र ने महिला के कई चैक चोरी करके दस लाख रुपए से ज्यादा रकम उनके खातों से निकाल ली थी. महिला की शिकायत पर वर्ष 2018 में देवेंद्र के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज किया गया.
सोनू ने सीबीआई को बताया कि तीस हजारी कोर्ट में इस मामले का जांच अधिकारी सब -इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव उससे मिला. सब-इंस्पेक्टर ने देवेंद्र राठौड़ की जमानत और चार्ज शीट के संबंध में पचास हजार रुपए रिश्वत की मांग की.
 जमानत की व्यवस्था हो जाएगी -
सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने शिकायतकर्ता से इस मामले के ही एक अन्य आरोपी विजय गुप्ता की ओर से भी उससे रिश्वत मांगी.
सोनू ने सब-इंस्पेक्टर से अनुरोध किया कि उन्हें किश्तों में भुगतान की अनुमति दी जाए. सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने आश्वासन दिया कि चार्ज शीट के बाद जमानत की व्यवस्था की जाएगी.
सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव ने सोनू से कहा कि जेल में बंद व्यक्तियों की जमानत तभी संभव होगी जब वह चार्ज शीट दाखिल करेगा.
सीबीआई को सत्यापन/ वैरीफिकेशन में सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव द्वारा रिश्वत की मांग करने की पुष्टि हो गई. 
थाने में पकड़ा-
इसके बाद सीबीआई ने मामला दर्ज कर जाल बिछाया और सब-इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार को 22 दिसंबर को थाने में ही  रिश्वत की पहली किश्त के रुप में पांच हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार कर लिया. थाने में ही एसीपी का भी दफ़्तर है.
डीसीपी का भी डर नहीं-
सिविल लाइन थाने से चंद कदम के फासले पर ही उत्तर जिले के डीसीपी सागर सिंह कलसी और एडिशनल डीसीपी के दफ्तर है. थाने में तो एसीपी सतेंद्र यादव का भी दफ़्तर है.
इस मामले से पता चलता है भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में कानून का ही नहीं वरिष्ठ अफसरों का भी जरा सा भी डर नहीं है. इसलिए तो वह एक तरह से डीसीपी,एसीपी की नाक के नीचे भी  बेखौफ होकर रिश्वत वसूलने का दुस्साहस कर रहे हैं.
इससे वरिष्ठ अफसरों की भूमिका और कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लग जाता है.
वरिष्ठ अफसरों को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे चार्ज शीट दाखिल करने के नाम पर किए जाने वाले भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके. 







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