Tuesday 31 October 2023

मस्त मौला, जिंदा दिल, बेबाक और निराला अंदाज।अलविदा संदीप



मस्त मौला, जिंदा दिल और बेबाक, निराला अंदाज का

अलविदा संदीप


आइये इंद्र जी, आ भई इंद्र, बोलिये इंद्र जी, बोलो इंद्र। 
इस अंदाज में बात करने वाला संदीप ठाकुर चला गया। करीब तीस साल पुराने दोस्त संदीप का हृदय गति रुक जाने मुंबई में कल 30 अक्टूबर 2023 को असमय निधन हो गया। सुबह उसे सांस लेने में दिक्कत हुई। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में एंबुलेंस में ही उसकी सांसें थम गई। 
आज सुबह मित्र गुलशन खत्री ( मेट्रो एडिटर, नवभारत टाइम्स) ने यह सूचना दी, लेकिन अभी भी, यकीन ही नहीं हो रहा कि संदीप हमारे बीच नहीं है। 
संदीप से पिछले हफ्ते 26 अक्टूबर को ही तो, नेशनल मीडिया सेंटर में मुलाकात हुई थी। काफ़ी समय साथ बिताया। ये मालूम नहीं था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात साबित होगी। 
तभी उसने बताया कि वह अगले दिन यानी 27 अक्टूबर को मुंबई जा रहा है।  
संदीप की इकलौती बेटी सौंदर्या मुंबई में रहती है। 
बरसों का साथी-
क्राइम रिपोर्टिंग करने के दौरान मेरी संदीप से मुलाकात हुई। वर्ष 1994 में नवभारत टाइम्स के रिपोर्टर मित्र किशोर मालवीय की शादी में संदीप समेत नौ पत्रकार मित्र और दिल्ली पुलिस के तत्कालीन प्रवक्ता रवि पवार पटना गए थे। तब से लेकर पिछले हफ्ते वीरवार तक संदीप से  मिलने जुलने  का सिलसिला जारी था।
मेरे द्वारा सांध्य टाइम्स और संदीप द्वारा हिंदुस्तान अखबार छोड़ देने के बाद हम दोनों पीआईबी में ज़्यादा समय बिताते थे। दोनों वही से अपना कार्य करते थे। 
आजकल तो मैं नेशनल मीडिया सेंटर कम ही जाता हूं। लेकिन मेरे नेशनल मीडिया सेंटर जाने की एक वजह संदीप से मिलना होता था। 
निराला अंदाज-
संदीप  मीडिया सेंटर नियमित रूप से जाता था। संदीप का अंदाज/ स्टाइल निराला था। उसके कपड़े, चश्मा, जूते, हैट और घड़ी सब कुछ अलग हट कर होता था। यह सब कुछ उस पर जंचता भी था और यही उसकी पहचान भी थी। बारहों महीने कमीज के बटन छाती तक खुले रखने वाला संदीप सेहत के प्रति बहुत जागरूक था। सेहतमंद रहने के लिए वह सैर के साथ जिम में पसीना भी बहाता था। खुशमिजाज और जिंदा दिल संदीप को मैंने कभी परेशान या दुखी नही देखा। ऐसे व्यक्ति का अचानक इस तरह चले जाना बहुत दुखदायी है। 
संदीप को घूमने फिरने का बहुत शौक था। 

मूलतः बिहार में भागलपुर निवासी संदीप ने राष्ट्रीय सहारा अखबार से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय की रिपोर्टिंग से की।
संदीप ठाकुर दैनिक हिंदुस्तान में वरिष्ठ संवाददाता के पद पर रहे। इसके बाद महानगर, हमवतन, सन स्टार आदि अखबारों में भी वरिष्ठ पदों पर रहे। अभी वह मासिक पत्रिका रविवार दिल्ली में सलाहकार संपादक के पद पर थे। 

हीरो-
हीरो की तरह  दिखने/रहने वाले संदीप का झुकाव फिल्म क्षेत्र में भी था। आखिरी मुलाकात में संदीप ने बताया कि सामाजिक सरोकार से जुड़ी उनकी फिल्म ढाई आखर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई है। यह गोवा में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी। इस फिल्म में संदीप ने एक्जीक्यूटिव निर्देशक के  रूप में काम किया। संदीप ने पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान से बकायदा कोर्स भी किया था।

संदीप की पत्नी शिखा और बेटी सौंदर्या उर्फ सिल्की है। 
भगवान् संदीप की आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को दुख सहने की शक्ति दे। 






Sunday 29 October 2023

" लड्डू " खाने वाला हवलदार गिरफ्तार : CBI





मैदान गढ़ी थाने में  " लड्डू " खाने का सिलसिला जारी, 



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के मैदान गढ़ी थाने में लड्डू/ रिश्वत खाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। 
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक हवलदार को गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई के अनुसार दक्षिण जिले के मैदान गढ़ी थाने में तैनात हवलदार कमल कुमार को  शिकायतकर्ता से 20 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 
10 हजार रुपये प्रति छत-
शिकायतकर्ता राम पाल मैदान गढ़ी गांव में अपनी बेटी के प्लॉट पर निर्माण कार्य करवा रहा था। निर्माण कार्य को बंद करवाने की धमकी दे कर हवलदार कमल कुमार ने दस हजार रुपये प्रति छत/लेंटर रिश्वत मांगी। शिकायतकर्ता हवलदार को 35 हज़ार रुपये पहले दे भी चुका है। 
शिकायतकर्ता ने सीबीआई में शिकायत कर दी। सीबीआई ने आरोपों के सत्यापन के बाद मामला दर्ज किया और हवलदार को पकड़ने के लिए 28 अक्टूबर को जाल बिछाया। 20 हज़ार रुपये रिश्वत लेते हुए हवलदार कमल कुमार को रंगे हाथ पकड़ लिया।
आईपीएस अधिकारियों की भूमिका? 
मैदान गढ़ी थाने के एसएचओ राजीव कुमार के कार्यकाल में सीबीआई द्वारा लड्डू यानी रिश्वत खाने वाले पुलिसकर्मियों को पकड़ने का यह दूसरा मामला है। 
पहले मामले के समय ही एसएचओ राजीव कुमार की भूमिका पर  सवालिया निशान लग गया था। इसके बावजूद राजीव कुमार अभी तक एसएचओ के पद पर जमा हुआ है। 
इससे पुलिस मुख्यालय और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की कार्यप्रणाली और भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। 
 "लड्डू"  खा-खा कर थानेदार बना करोड़पति-
सीबीआई ने दो साल पहले 27 अक्टूबर 2021 को  मैदान गढ़ी थाने के ही सब-इंस्पेक्टर भोजराज सिंह को 50 हजार रुपए रिश्वत /"लड्डू" लेते हुए गिरफ्तार किया था। सब- इंस्पेक्टर ने 5 किलो लड्डू (5 लाख रुपए) मांगे, कहां कि लड्डू 'साहब' भी खाएंगे।
अदालत में शिकायतकर्ता की जमानत की अर्जी का विरोध न करने की एवज में सब-इंस्पेक्टर भोज राज ने  पांच लाख रुपए रिश्वत की मांग की। 
 लड्डू यानी रिश्वत- 
सब-इंस्पेक्टर ने रिश्वत की रकम के लिए कोड वर्ड में लड्डू /चीनी शब्द का इस्तेमाल किया था।
 सब-इंस्पेक्टर ने शिकायतकर्ता से कहा कि पांच किलो लड्डू /चीनी नहीं, तो कम से कम दो किलो लड्डू/ चीनी  दो, क्योंकि उसमें  'साहब', समेत हम दस लोग हैं।
 यहां 'साहब' शब्द का इस्तेमाल एसएचओ के लिए इस्तेमाल किया गया लगता है।
सीबीआई ने सब-इंस्पेक्टर भोजराज के घर से एक करोड़ सात लाख रुपए और उसकी कार से पांच लाख 47 हजार रुपए बरामद किए थे। 

एसीपी की नाक के नीचे रिश्वतखोरी-
 एक अन्य मामले में 24 अक्टूबर 2023 को उत्तरी जिला के डीसीपी मनोज कुमार मीना ने सब- इंस्पेक्टर विजय पाल को निलंबित और लाइन हाज़िर कर दिया। सीबीआई ने 20 अक्टूबर 2023 को एसीपी धर्मेंद्र कुमार (ऑपरेशन सेल) के दफ़्तर में तैनात सब- इंस्पेक्टर विजय पाल के ख़िलाफ़ बाप-बेटे को हथियार बनाने के मामले में फंसाने की धमकी दे कर 5 लाख रुपए मांगने का मामला दर्ज किया।

इसके पहले दिसंबर 2022 में उत्तरी जिले के सिविल लाइन थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव  को सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। थाना परिसर में ही एसीपी का भी दफ़्तर है। 
इन मामलों से पता चलता है भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में कानून का ही नहीं वरिष्ठ अफसरों का भी जरा सा भी डर नहीं है. इसलिए तो वह एसीपी की नाक के नीचे भी  बेखौफ होकर रिश्वत वसूलने का दुस्साहस कर रहे हैं।