Thursday 27 April 2023

दिल्ली पुलिस की ASI और हवलदार गिरफ्तार, मामला दबाने के 7.5 लाख रुपए मांगे. रिश्वत लेने में भी पुरुष पुलिसकर्मियों से कम नहीं हैं

दिल्ली पुलिस की महिला ASI और हवलदार को एक लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार

इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस यानी दिल की पुलिस की महिला कर्मी/अफसर भी दिल खोल कर रिश्वत लेने में पुरुष कर्मियों/ अफसरों से किसी भी तरह कम नहीं हैं.
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस की एक एएसआई को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. यह महिला एएसआई बवाना में साइबर क्राइम थाने में तैनात है.
इस मामले में हवलदार जसबीर सिंह को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है 
7.5 लाख मांगे-
सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि बवाना, साइबर क्राइम थाने में तैनात एएसआई सीमा देवी के ख़िलाफ़ शिकायकर्ता से साढ़े सात लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया गया. 
एएसआई सीमा ने शिकायकर्ता महिला से उसके पति के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को दबाने/ रफा दफा करने के लिए रिश्वत मांगी थी

 गुजरात में सूरत निवासी रुपाली पौनिकर ने 26 अप्रैल को सीबीआई में शिकायत की थी.
एएसआई सीमा और हवलदार जसबीर की टीम 13 अप्रैल को रुपाली के घर गई. उसके पति विक्की को ठगी/फ्राड के मामले में शामिल बताया. पुलिस रुपाली के पति विक्की और भाई कुलदीप को उठा ले गई. रुपाली का आरोप है कि हवलदार जसबीर ने डरा धमका कर उससे 19 अप्रैल को एक रुपये रिश्वत ली. 20 अप्रैल को हवलदार जसबीर ने होटल के किराए के नाम पर उससे 25 हजार रुपए लिए. 
रुपाली का आरोप है कि उसके पति और भाई को छोड़ने के एवज़ में शिकायकर्ता को देने के बहाने से उससे 7.5 लाख रुपए रिश्वत मांगी गई. किसी भी शिकायकर्ता से उन्हें नहीं मिलवाया.
एएसआई सीमा ने शिकायकर्ता महिला से उसके पति के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को दबाने/ रफा दफा करने के लिए रिश्वत मांगी थी.सीबीआई ने मामला दर्ज कर आरोपों को सत्यापित किया.
एक लाख लेते पकड़ी-
 सीबीआई ने आज जाल बिछाया और एएसआई सीमा देवी  और हवलदार जसबीर सिंह को रिश्वत की पहली किस्त के रूप में एक लाख रुपए  लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.



दस लाख लेते गिरफ्तार-
सीबीआई ने 13 अप्रैल को दरिया गंज में अपराध शाखा के नारकोटिक्स ब्रांच के दफ़्तर में दस लाख रुपए रिश्वत लेते हुए एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को गिरफ्तार किया था.




पूरी खबर नीचे पढ़े-

एसीपी की नाक के नीचे 30 लाख की उगाही, 
एएसआई गिरफ्तार, 
पुलिस को सूजी दो, केस का हलवा बनवा लो, 
नशा तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करने वाला एसीपी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में.



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस वाकई 'दिल की पुलिस' बन गई है.  अपराधियों को गिरफ्तार करने के साथ ही उन्हें सज़ा से बचाने के लिए मदद/राहत की सुविधा/ पैकेज भी दे रही है. 
लेकिन यह सुविधा मुफ़्त में नहीं मिलती. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपराधियों को अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है. 

ऐसे में पुलिस द्वारा अपराधियों को गिरफ्तार करना महज़ खानापूर्ति/ दिखावा सा लगता है. 

अफसरों की भूमिका-
आईपीएस अफसर अपराधी की गिरफ्तारी पर मीडिया में प्रचार कर अपना कर्तव्य पूर्ण हुआ मान लेते है.
इसके बाद अपराधी अगर बरी हो जाए तो ठीकरा न्याय व्यवस्था/अदालत पर फोड़ दिया जाता है. 
बरी का इंतजाम-
आईपीएस अफसर शायद कभी यह जानने की जेहमत ही नहीं उठाते, कि कोर्ट में मुकदमा शुरू होने से पहले ही उनके मातहत पुलिसकर्मियों द्वारा ही अपराधी को बरी कराने का खुद ही इंतजाम कर दिया जाता है.
नशे के सौदागर से सांठगांठ-
अपराधियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस खुद किस तरह अपराधी से सांठगांठ कर  अपराध करती है. इसका ताजा उदाहरण पेश है. सीबीआई ने नारकोटिक्स ब्रांच में तैनात एएसआई रुपेश को तीस लाख रुपए की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया है. सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को दस लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया है.
एसीपी की नाक के नीचे-
इस मामले ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है.दरिया गंज स्थित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के इस दफ़्तर में ही एसीपी अनिल शर्मा और प्रभात सिन्हा भी बैठते  हैं.एएसआई रुपेश एसीपी अनिल शर्मा की टीम में है. यानी एसीपी की नाक के नीचे ही एएसआई रुपेश ने रिश्वत ली.
क्या एएसआई अकेला तीस लाख रुपए रिश्वत ले सकता है? किसी को गिरफ्तार करने या न करने का निर्णय  जांच अफसर/ आईओ भी  वरिष्ठ अफसरों से सलाह मशवरा किए बिना नहीं लेता है. 
नशे की सौदागर -
रघुवीर नगर निवासी अनिल कुमार ने 12 अप्रैल सीबीआई में शिकायत की थी. अनिल के साले रवि मलिक की पत्नी निशा को दरिया गंज स्थित अपराध शाखा की नारकोटिक्स ब्रांच ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. रवि मलिक को भी पुलिस अपने साथ ले गई. पुलिस ने बिचौलिए अनुराग निवासी मंगोल पुरी के माध्यम से तीस लाख रुपए रिश्वत की मांग की. 
गिरफ्तार नहीं करेंगे-
इस मामले में रवि मलिक और उसके परिवार के सदस्यों( शिकायतकर्ता समेत) किसी को भी गिरफ्तार न करने और निशा की केस में मदद करने की एवज़ में रिश्वत की मांग की गई. 
रवि की मां रानी देवी ने बिचौलिए अनुराग के माध्यम से 12 लाख रुपए एएसआई रुपेश को दे दिए. जिसके बाद रवि मलिक को पुलिस ने छोड़ दिया.बिचौलिए अनुराग ने बाकी के 18 लाख रुपए 12 अप्रैल को देने के लिए कहा. 
दस किलो सूजी यानी दस लाख रुपए-
शिकायतकर्ता ने बताया कि पैसे की मांग कोड वर्ड में "दस किलो सूजी" यानी 10 लाख रुपये के लिए की गई थी.सीबीआई ने  आरोपों को सत्यापित कर मामला दर्ज किया.इसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया.सीबीआई ने 13 अप्रैल को देर रात में दरिया गंज में नारकोटिक्स ब्रांच के दफ़्तर में दस लाख रुपए रिश्वत लेते हुए एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को गिरफ्तार किया.

कमिश्नर संजय अरोरा, एसीपी की कुंडली तो खंगाल लेते - 
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स  में कैसे कैसे अफसरों को तैनात किया गया है. इसका नमूना एसीपी अनिल शर्मा है.  नशे के सौदागरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए एसीपी अनिल शर्मा जैसे अफसर को तैनात करना  पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा और आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाता है.
पश्चिम जिला पुलिस के सतर्कता विभाग के तत्कालीन एसीपी ने साल 2021 में जांच में पाया था कि राजौरी गार्डन थाने के तत्कालीन एसएचओ अनिल कुमार शर्मा इलाके में अवैध शराब की बिक्री और जुए जैसे अपराध को रोकने में पूरी तरह विफल है। यह सब गैरकानूनी गतिविधियां पुलिसकर्मियों की जानकारी में है और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.  
 तत्कालीन डीसीपी उर्विजा गोयल ने इसे घोर लापरवाही माना. 20 सितंबर 2021 को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने राजौरी गार्डन एसएचओ अनिल शर्मा को हटा दिया था. इंस्पेक्टर से एसीपी बने इन्ही अनिल शर्मा के कंधों पर नशे के कारोबार को बंद कराने की जिम्मेदारी देना आश्चर्यजनक है.
एसीपी ने 15 लाख मांगे-
 सीबीआई ने 31अगस्त 2022 को बाहरी उत्तरी जिले  के ही बवाना थाना स्थित नारकोटिक्स शाखा में तैनात एसीपी बृज पाल  के खिलाफ नशे के सौदागर से 15 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था.इस मामले में एएसआई दुष्यंत गौतम को सात लाख 89 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. एनडीपीएस  के मामले में शिकायतकर्ता की पत्नी को राहत देने के लिए एसीपी ने एएसआई के जरिए 15 लाख रुपए की मांग की थी. 
सूजी दो,हलवा खाओ-
इन मामलों से पता चलता है कि पुलिस सूजी यानी रिश्वत लेकर केस का हलवा बना कर अपराधी को बरी करा देती है.

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)










गैंडे के शिकार मामले में फरार आरोपी गिरफ्तार: सीबीआई


गैंडे के शिकार मामले में फरार आरोपी गिरफ्तार: सीबीआई

इंद्र वशिष्ठ

सीबीआई ने गैंडे के अवैध शिकार मामले में  फरार आरोपी को गिरफ्तार किया है. निरंतर प्रयासों के पश्चात, सीबीआई ने ल्होमीठी गांव, दीमापुर (नागालैंड) में आरोपी रायडांग इंगति का पता लगाया.


सीबीआई ने असम सरकार के अनुरोध एवं इसके पश्चात भारत सरकार की अधिसूचना के आधार पर मामला दर्ज किया था और शुरू में  रोंगमोंगवे पुलिस स्टेशन, जिला कार्बी आंगलोंग (असम) में दर्ज प्राथमिकी संख्या 5/2012,  दिनांक 03.07.2012 की जांच को अपने हाथों में लिया.
शिकायत में यह आरोप लगाया है कि दिनाँक 01.07.2012 को अज्ञात शिकारियों द्वारा एक गैंडे को मार दिया गया एवं सींग बेच दिया गया. गैंडे का शव लोंग कोई टिस्सो गांव के दो नंबर सुबरी के मध्य स्थित होला में पड़ा मिला था.
जांच के दौरान, यह पाया गया कि गैंडे को मारने के बाद, अन्य आरोपी ने दीमापुर (नागालैंड) से गिरफ्तार रायडांग को गैंडे का सींग बेच दिया. उक्त आरोपी की मिलीभगत उस व्यक्ति के रूप में सामने आई जिसके माध्यम से  गैंडे के सींग का अवैध व्यापार किया गया था और मोटी रकम का लेन-देन किया गया था.
जांच के पश्चात  31.03.2018 को 5 आरोपियों के विरूद्ध आरोप पत्र दायर किया गया. 
गैंडे के सींग की अवैध बिक्री एवं अवैध शिकार से मारे गए गैंडे के सींग को खरीदने के मामले में आरोपी रायडांग का नाम जांच के दौरान सामने आया था, उसे गिरफ्तार करने के संबंध में जांच जारी रखी गई थी.

गिरफ्तार आरोपी को सक्षम न्यायालय दीमापुर के समक्ष पेश किया गया.


Monday 24 April 2023

कश्मीर में आतंकवादी सलाउद्दीन के बेटों की संपत्तियां कुर्क: NIA




कश्मीर में आतंकवादी सलाउद्दीन के बेटों की संपत्तियां कुर्क: एनआईए


इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीर में हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के स्वयं-भू सुप्रीम कमांडर और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के चेयरमैन कुख्यात आतंकवादी सैय्यद मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैय्यद सलाउद्दीन के बेटों की दो संपत्तियों को कुर्क किया है.

एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि शाहिद यूसुफ और सैय्यद अहमद शकील की कश्मीर में सोइबुग तहसील, जिला बड़गाम और नरसिंह गढ़, मोहल्ला राम बाग में स्थित संपत्तियों दो कनाल जमीन और घर को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत सोमवार को कुर्क की गई है.

तिहाड़ जेल में बंद-
शाहिद यूसुफ और सैय्यद अहमद शकील क्रमशः अक्टूबर 2017 और अगस्त 2018 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.  दोनों को विदेशों से अपने पिता के साथियों और हिज्ब उल मुजाहिदीन के ओवर ग्राउंड वर्कर से पैसा प्राप्त होता रहा है.
पाकिस्तान में है-
1993 में पाकिस्तान भाग गए सैय्यद सलाउद्दीन को अक्टूबर 2020 में भारत सरकार ने  नामित आतंकी घोषित किया.
 सलाउद्दीन वहीं से कश्मीर में आतंकी गतिविधियां चला रहा है. हिज्ब उल मुजाहिदीन , यूनाइटेड जिहाद काउंसिल और पाकिस्तान स्थित कश्मीर  केंद्रित 13  आतंकी गिरोहों के समूह मुत्तहिदा जिहाद काउंसिल के माध्यम से वह सक्रिय है. 

आतंक के लिए धन का इंतजाम-
सैय्यद सलाउद्दीन कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को उकसाने और संचालित करने के अलावा हिज्ब उल मुजाहिदीन की आतंकी गतिविधियों को बढाने के लिए  व्यापार मार्ग ,  हवाला चैनल और अंतर्राष्ट्रीय मनी ट्रांसफर चैनल के माध्यम से पैसा जुटा कर आतंकियों को मुहैया करा रहा है.
अभियान -
कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए धन एकत्र/ मुहैया कराने वाले आतंकी गिरोहों और उनके हमदर्दों/ समर्थकों के ख़िलाफ़  एनआईए ने साल 2011 में  जांच शुरू की थी. 
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने शुरू में जनवरी 2011 में एक मामला दर्ज किया था, बाद में इस मामले को एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था.
एनआईए ने पाकिस्तान और अन्य देशों में स्थित लोगों की मदद से कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को धन मुहैया कराने वाले तंत्र को खत्म करने के लिए अभियान चलाया हुआ है.
आतंकियों की संपत्तियां कुर्क-
एनआईए ने साल 2018 में कश्मीर के लेथपुरा सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर पर हमला करने के मामले में भी सोमवार को ही अवंतीपोरा में 6 दुकानें भी कुर्क की. 
इसी मामले में एक आरोपी के पिता का एक मकान और कुछ जमीन भी सितंबर 2020 में कुर्क की गई. 
एनआईए ने लेथपोरा, पुलवामा मे सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के मामले में दो आरोपियों के परिजनों की रिहायशी संपत्तियां भी साल 2021 में कुर्क की. 
इसके अलावा अनिल परिहार और उसके भाई अजीत की हत्या के मामले में भी आरोपियों की रिहायशी संपत्ति कुर्क की.


Saturday 22 April 2023

LNJP/इर्विन अस्पताल में भ्रष्ट अफसरों ने फाइलें गायब कर दी, अफसरों की मिलीभगत से दुकानदारों की बल्ले बल्ले, LG विनय कुमार सक्सेना एंटी करप्शन ब्रांच से जांच कराएं, हाईकोर्ट का आदेश अफसरों के ठेंगे पर.



एलएनजेपी/इर्विन अस्पताल में अफसरों की मिलीभगत से दुकानदारों की बल्ले बल्ले


इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली सरकार में अफसर शाही कैसे काम करती है? इसका उदाहरण लोकनायक अस्पताल के अफसरों की करतूत से लगाया जा सकता है.
अस्पताल परिसर में स्थित दुकानों को बंद/खाली कराने के लिए अस्पताल प्रशासन ने एक दशक पहले नोटिस जारी किए थे. तभी   हाईकोर्ट ने भी अस्पताल प्रशासन के हक़ में आदेश जारी कर दिया था. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने दुकानों को बंद नहीं कराया. 
  किन अफसरों या कर्मचारियों की मिलीभगत से ये दुकानें अब तक चल रही हैं? 
उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्रांच से करानी चाहिए.
दुकानें कैसे चल रही हैं? -
दिल्ली हाईकोर्ट ने  31 मार्च 2014 को अस्पताल परिसर में स्थित कियोस्क/ दुकान वालों की  याचिकाएं डिसमिस कर दी थी.
इसके बाद भी यह दुकानें कैसे चल रही हैं? दिल्ली सरकार/अस्पताल प्रशासन ने हाईकोर्ट से केस जीतने के बावजूद दुकानों को बंद क्यों नहीं कराया ? 
कब्जा क्यों नहीं लिया-
अस्पताल प्रशासन को हाईकोर्ट के आदेश के बाद तो दुकानों को बंद करा कर कब्जा ले लेना चाहिए था, दुकानदार अगर दुकान आसानी से खाली नहीं करते, तो पुलिस की मदद से दुकान खाली कराई जा सकती थी. 
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी दुकान खाली नहीं की गई, तो अस्पताल प्रशासन को दुकान मालिकों से बाजार भाव से किराए की वसूली करनी चाहिए थी.
लेकिन अस्पताल प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया. इससे साफ़ पता चलता है कि अस्पताल के संबंधित अफसरों की दुकान वालों से मिलीभगत है.
दूसरी ओर हाईकोर्ट से याचिका खारिज हो जाने पर कानूनी तौर पर दुकान मालिकों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह दुकान खाली करके कब्जा अस्पताल प्रशासन को सौंप देते.
हाईकोर्ट का आदेश-
अस्पताल प्रशासन ने इन दुकानों को बंद करने का नोटिस साल 2013 और 2014 में दिया था, जिसके खिलाफ शमशेर अली, चंद्र कांता, सत्यनारायण आदि हाईकोर्ट चल गए. हाईकोर्ट ने उनकी याचिकाओं को डिसमिस कर दिया.
हाईकोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने कहा कि 
 एक दशक से अधिक समय से कियोस्क चला रहे हैं, सिर्फ इसलिए वह यह दावा नहीं कर सकते कि राज्य को उसे बेदखल करने से पहले उसका पुनर्वास करना चाहिए. यदि याचिकाकर्ता का निवेदन स्वीकार कर लिया जाता है तो सरकार के लिए राज्य के सभी बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा.
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका और आवेदन योग्यता से रहित होने के कारण खारिज किए जाते हैं.
7-8 दुकानें अवैध रूप से चल रही हैं?
अस्पताल में इमरजेंसी के सामने गेट नंबर चार पर तीन दुकानें हैं 
एक एचपीएससी के नाम से उसके बराबर में ओल्ड कॉफी शॉप, तीसरी बिना किसी  नाम के है. ओल्ड कॉफी शॉप सत्यनारायण के नाम से आवंटित है. सत्यनारायण खरखोदा, हरियाणा का निवासी है.वहीं पर रहता है. 
अस्पताल प्रशासन ने हरियाणा निवासी सत्यनारायण को दो-दो दुकानें कैसे आवंटित कर दी? सत्यनारायण ने  लोकनायक अस्पताल से ही अपना विकलांग होने का प्रमाण पत्र कैसे बनवाया? इस विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर ही दो दो दुकानें कैसे आवंटित कर दी गई? दोनों दुकानें शुरू से ही सोनू  चला रहा है
एचपीएससी के नाम से किसी पठानिया के नाम यह दुकान आवंटित की गई है। इस दुकान को शुरू से ही सुधीर नामक व्यक्ति चला रहा है.
इस दुकान पर सिर्फ एचपीएससी के उत्पाद जूस आदि ही बेचे जा सकते हैं. लेकिन चाय, काफ़ी,पैटीज,बर्गर और कोल्ड ड्रिंक, पानी की बोतल से लेकर अनेक चीजें बेची जा रही है.
अन्य दुकानें भी सिर्फ चाय, कॉफी और शीतल पेय बेचने के लिए आवंटित की गई है लेकिन अस्पताल प्रशासन की सांठ-गांठ के कारण ही सभी दुकानों पर आवंटन की तय शर्तों का उल्लंघन कर अन्य सामान बेचा जा रहा है.
प्रसूति वार्ड के पास कृष्णा के नाम से दुकान है. प्रसूति वार्ड के वेटिंग हाल से आगे के रास्ते में भी एक अन्य दुकान  है.
एक अन्य दुकान पठानिया की बहन के नाम से आवंटित बताई जाती है.
सच्चाई यह है कि दुकान कागजों में जिन लोगों को आवंटित की गई है उनमें से सिर्फ एक या दो दुकान को ही उनके मालिक खुद बैठ कर चला रहे हैं.
बाकियों को अन्य लोग ही चला रहे हैं जोकि आवंटन के नियमों का उल्लंघन  है.
कैमरे पोल खोल देंगे-
अस्पताल परिसर और दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच की जाए तो यह साबित हो जाएगा कि सत्यनारायण हो या पठानिया कोई भी, कभी भी दुकान पर नहीं बैठता है. ये लोग करीब ढाई दशक से दुकान लिए हुए, लेकिन ढाई दिन भी दुकान पर नहीं बैठे होंगे.
इसका मतलब इन लोगों के और भी काम धंधे है. ऐसे लोगों को दुकान आवंटित किया जाना जरूरतमंद बेरोजगारों का हक़ मारना ही है.
अस्पताल प्रशासन और स्टाफ की जानकारी में यह सब कुछ है लेकिन फिर भी दुकानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती.  अस्पताल प्रशासन कार्रवाई  क्यों नहीं करता यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है. वैसे दुकान चला रहा सोनू तो कहता फिरता है कि वह तो अफसरों को 'खुश' करके ही दुकान चला रहा है.
आयकर / जीएसटी विभाग जांच करें-
अस्पताल प्रशासन की सांठ-गांठ का इससे ही पता चलता है कि दुकानों पर खाने पीने का सामान बनाया और बेचा जाता है. अस्पताल प्रशासन को क्या यह नहीं देखना चाहिए दुकानदारों ने एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस लिया हुआ है या नहीं. दिल्ली सरकार के खाद्य पदार्थों की जांच करने वाले विभाग को भी इन दुकानों पर बिकने वाले सामान की जांच करनी चाहिए.
दुकानों पर काम करने वाले नौकरों को सरकार द्वारा निर्धारित वेतन मिलता है या नहीं, श्रम विभाग को भी इसकी जांच करनी चाहिए.
दुकान मालिकों की जांच आयकर विभाग और जीएसटी विभाग को करनी चाहिए. 
दो-दो दुकानें -
एक सबसे बड़ा सवाल सत्यनारायण को दो दुकानें कैसे आवंटित कर दी गई? सत्यनारायण की पुरानी दुकान पुरानी इमरजेंसी के बाहर अभी भी कैसे चल रही है?
 साल 2007 में  इमरजेंसी की नई इमारत बनने के बाद तो पुरानी इमरजेंसी की दुकानों को वहां से शिफ्ट कर दिया गया था.लेकिन सत्यनारायण की पुरानी दुकान वहां पर अभी भी कैसे है? .
मेडिकल डायरेक्टर की भूमिका-
लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी भेज दीजिए. इस पत्रकार ने उन्हें याद दिलाया कि आदेश की कॉपियां तो अस्पताल प्रशासन के पास होनी ही चाहिए.
इस पत्रकार ने हाईकोर्ट के आदेशों की कॉपियां और इस बारे में  सवाल एमडी को भेज दिए.
कुछ दिन पहले एसडीएम नरेंद्र राणा की मौजूदगी में लोकनायक पुलिस चौकी में तैनात पुलिस अफसरों ने भी एमडी को हाईकोर्ट के आदेश के बारे में बताया था.
खबर लिखे जाने तक मेडिकल डायरेक्टर ने अपना पक्ष नहीं बताया.
खबर पढ़ने के बाद मेडिकल डायरेक्टर ने फोन कर अपना पक्ष दिया.

फाइलें गायब-
मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने  बताया कि इन दुकानों को सील/बंद/खाली कराने के लिए एमसीडी कमिश्नर, डीएम, जिले के डीसीपी और आईपी एस्टेट थाने के एसएचओ आदि को भी अनेक पत्र लिखे गए हैं. 
मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि अस्पताल के रिकॉर्ड से दुकानों के आवंटन की असली फाइलें ही गायब है.
एमडी ने बताया कि फाइलें गायब होने पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई गई. इस मामले में अस्पताल का कौन अफसर या क्लर्क जिम्मेदार है.यह पता लगाने के लिए कमेटी बनाई गई है.

डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि इन दुकानों  पर बिजली, पानी अवैध रूप से इस्तेमाल की जा रही है. दुकानों पर चाय, ब्रेड पकौड़े, मैगी आदि खाने की चीज बनाई जाती है. इसलिए एमसीडी को इन दुकानों को सील/बंद कराने के लिए पत्र लिखा गया है. 
स्टे का झूठ फैलाया-
मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि उन्हें अस्पताल के स्टाफ़ द्वारा यह झूठ बोल कर गुमराह किया गया कि दुकान वालों ने अदालत से स्टे लिया हुआ है.
इसलिए अस्पताल प्रशासन दुकानों को खुद बंद कराने से डर रहा था कि कहीं अदालत की अवमानना न हो जाए. अब इन दुकानों को  खाली/बंद कराने की कार्रवाई की जाएगी

एमडी ने बताया कि इन दुकानों पर लोगों द्वारा कोरोना से बचाव के नियमों का पालन नहीं किया जाता,मास्क नहीं लगाए जाते, जिससे कोरोना फैलता है. दुकानों के कारण गंदगी भी रहती है जिससे मच्छर भी होते है.
 

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)




Tuesday 18 April 2023

फॉरेक्स कॉर्ड से डॉलर, पाउंड चोरी करने वाला अंतरराष्ट्रीय गिरोह पकड़ा गया, इस तरह के अपराध को सुलझाने का देश में पहला मामला.


फॉरेक्स कॉर्ड से डॉलर, पाउंड चोरी करने वाला अंतरराष्ट्रीय गिरोह पकड़ा गया




इंद्र वशिष्ठ

नई दिल्ली, विदेशी मुद्रा कार्ड (फॉरेक्स कार्ड) से डॉलर, पाउंड आदि चोरी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का उत्तरी जिला पुलिस ने पर्दाफाश किया है. दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है.
दिल्ली पुलिस द्वारा इस तरह के अपराध को सुलझाने का यह देश में पहला मामला है. यह अपराध चार देशों में तीन साल की अवधि में किया गया.
पुलिस ने चोरी की रकम से खरीदी गई दो कार, सात मोबाइल फोन, 2 वाईफाई डोंगल, एक वाईफाई ब्रॉडबैंड राउटर बरामद किए  हैं

5 महीने तफ्तीश-
उत्तरी जिला के डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि प्रमुख बैंकों के ग्राहकों के फॉरेक्स कार्ड से डॉलर, पाउंड, दिरहम फर्जी कार्ड में ट्रांसफर करने के बाद बैंकॉक, दुबई और हांगकांग से पैसे निकालने वाले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का पांच महीने की लंबी तकनीकी निगरानी के बाद पर्दाफाश हुआ है. 
हवाला , सट्टेबाजों का इस्तेमाल-
पुलिस के अनुसार साल 2019 से हांगकांग, चीन, दुबई, संयुक्त अरब अमीरात, बैंकॉक से पैसा निकाला गया था. यह पैसा हवाला कारोबारियों और क्रिकेट सट्टेबाजी के चैनल का इस्तेमाल करके भारत लाया गया था.
11 लाख की विदेशी मुद्रा चोरी-
उत्तरी जिला पुलिस को एक महिला ने शिकायत की थी.फॉरेक्स कॉर्ड का इस्तेमाल करने वाली महिला ने आरोप लगाया कि जब वह यूनाइटेड किंगडम में थी, तब उसे पता चला कि लगभग 11 लाख रुपए मूल्य के पाउंड और दिरहम, जो उसने अपने फॉरेक्स कॉर्ड में डाला था, वह चोरी हो गए है. महिला ने पाया कि यूनाइटेड किंगडम की उनकी यात्रा से पहले ही बैंकॉक में पैसा निकाल लिया गया था.
उत्तरी जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ़ ने इस मामले की तफ्तीश शुरू की.
महिला के बैंक से पूछताछ में पता चला कि इस तरीके से कई अन्य लोगों के भी 64 लाख रुपए से ज्यादा निकाल लिए गए. बैंक ने भी इस बारे में पुलिस को शिकायत दर्ज कराई.

स्पेशल स्टाफ़ के एसीपी धर्मेंद्र कुमार, इंस्पेक्टर अजय कुमार, सब- इंस्पेक्टर रोहित, एएसआई राजीव, हरफूल, जग ओम, हवलदार अमित, देवेंद्र, श्रीपाल, राकेश और हवलदार भारत की टीम ने तफ्तीश के दौरान विभिन्न तिथियों के लिए भारत से थाईलैंड की यात्रा से संबंधित रिकॉर्ड/डाटा का विश्लेषण किया ,उसका तकनीकी निगरानी डेटा के विवरण के साथ मिलान किया गया. जिसमें एक आरोपी सोनल निवासी पश्चिम विहार की पहचान की गई. सोनल से पूछताछ के बाद पारस चौहान निवासी ब्रह्म पुरी दिल्ली को  गिरफ्तार किया.
 पारस आईसीआईसीआई बैंक में काम करता था उसने वहां से फॉरेक्स कार्ड वालों का विवरण और कोरे कार्ड सोनल को दिए थे. सोनल बैंक के कस्टमर केयर पर फोन करके असली कार्ड धारी का मोबाइल फोन नंबर और ई मेल आईडी बदलवा देता था इसके बाद फॉरेक्स कार्ड में जमा रकम को फर्जी कार्ड में ट्रांसफर करा लेता था. फिर उस रकम को निकाल लेते थे. इस तरीके से इस गिरोह ने करीब सवा करोड़ रुपए चोरी किए हैं.

थाईलैंड में मौज मस्ती-
 सोनल अप्रैल 2023 में भी  थाईलैंड गया था, जिसके बाद सोनल की आवाजाही का पता लगाने के लिए पुलिस टीमों को हवाई अड्डे पर रखा गया.भारत आने पर सोनल को पकड़ लिया गया. पूछताछ के दौरान, उसने खुलासा किया कि उसने विदेशी मुद्रा कार्ड धारक विवरण और विदेशी मुद्रा कार्ड एक पारस चौहान से एकत्र किया जो 2019 में बैंक का कर्मचारी था. पारस ने एक कार्ड से दूसरे कार्ड में पैसे के हस्तांतरण के बारे में विवरण प्रदान किया. आरोपी सोनल और एक अन्य सह-आरोपी संदीप ओझा ने कॉल करने के लिए सिम कार्ड की व्यवस्था की.
सोनल ने यह भी खुलासा किया कि उसने और संदीप ओझा ने अप्रैल और मई 2022 में बैंकॉक थाइलैंड की यात्रा की, जहां उन्होंने एक थाई नागरिक की मदद से विदेशी मुद्रा कार्ड का उपयोग करके एटीएम से पैसे निकाले.इसके बाद हवाला और क्रिकेट सट्टेबाजों के जरिए पैसा भारत भेजा जाता था. सोनल ऐशो-आराम की जीवनशैली जी रहा था और पैसे निकालने के बाद बार-बार थाईलैंड जा रहा था.सोनल ने यह भी खुलासा किया कि इससे पहले भी इसी तरह से 2019 में हॉन्गकॉन्ग और दुबई से पैसे निकाले  थे. आरोपी पारस चौहान ने यह भी खुलासा किया कि वह आईसीआईसीआई बैंक में कंसल्टेंट, सेल्स एंड ऑपरेशन था और एक कार्ड से दूसरे कार्ड में पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया से अच्छी तरह वाकिफ था. उसने यह भी खुलासा किया कि उसने सोनल को एक अच्छी रकम के बदले विदेशी मुद्रा कार्ड धारकों और विदेशी मुद्रा कार्ड का डेटा प्रदान किया. संदीप ओझा की तलाश की जा रही है.




Saturday 15 April 2023

ACP की नाक के नीचे 30 लाख की उगाही, एएसआई गिरफ्तार, पुलिस को सूजी दो, केस का हलवा बनवा लो, नशे के सौदगरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करने वाला ACP एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में.


एसीपी की नाक के नीचे 30 लाख की उगाही, 
एएसआई गिरफ्तार, 
पुलिस को सूजी दो, केस का हलवा बनवा लो, 
नशा तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करने वाला एसीपी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में.



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस वाकई 'दिल की पुलिस' बन गई है.  अपराधियों को गिरफ्तार करने के साथ ही उन्हें सज़ा से बचाने के लिए मदद/राहत की सुविधा/ पैकेज भी दे रही है. 
लेकिन यह सुविधा मुफ़्त में नहीं मिलती. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपराधियों को अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है. 

ऐसे में पुलिस द्वारा अपराधियों को गिरफ्तार करना महज़ खानापूर्ति/ दिखावा सा लगता है. 

अफसरों की भूमिका-
आईपीएस अफसर अपराधी की गिरफ्तारी पर मीडिया में प्रचार कर अपना कर्तव्य पूर्ण हुआ मान लेते है.
इसके बाद अपराधी अगर बरी हो जाए तो ठीकरा न्याय व्यवस्था/अदालत पर फोड़ दिया जाता है. 
बरी का इंतजाम-
आईपीएस अफसर शायद कभी यह जानने की जेहमत ही नहीं उठाते, कि कोर्ट में मुकदमा शुरू होने से पहले ही उनके मातहत पुलिसकर्मियों द्वारा ही अपराधी को बरी कराने का खुद ही इंतजाम कर दिया जाता है.
नशे के सौदागर से सांठगांठ-
अपराधियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस खुद किस तरह अपराधी से सांठगांठ कर  अपराध करती है. इसका ताजा उदाहरण पेश है. सीबीआई ने नारकोटिक्स ब्रांच में तैनात एएसआई रुपेश को तीस लाख रुपए की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया है. सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को दस लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया है.
एसीपी की नाक के नीचे-
इस मामले ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है.दरिया गंज स्थित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के इस दफ़्तर में ही एसीपी अनिल शर्मा और प्रभात सिन्हा भी बैठते  हैं.एएसआई रुपेश एसीपी अनिल शर्मा की टीम में है. यानी एसीपी की नाक के नीचे ही एएसआई रुपेश ने रिश्वत ली.
क्या एएसआई अकेला तीस लाख रुपए रिश्वत ले सकता है? किसी को गिरफ्तार करने या न करने का निर्णय  जांच अफसर/ आईओ भी  वरिष्ठ अफसरों से सलाह मशवरा किए बिना नहीं लेता है. 
नशे की सौदागर -
रघुवीर नगर निवासी अनिल कुमार ने 12 अप्रैल सीबीआई में शिकायत की थी. अनिल के साले रवि मलिक की पत्नी निशा को दरिया गंज स्थित अपराध शाखा की नारकोटिक्स ब्रांच ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. रवि मलिक को भी पुलिस अपने साथ ले गई. पुलिस ने बिचौलिए अनुराग निवासी मंगोल पुरी के माध्यम से तीस लाख रुपए रिश्वत की मांग की. 
गिरफ्तार नहीं करेंगे-
इस मामले में रवि मलिक और उसके परिवार के सदस्यों( शिकायतकर्ता समेत) किसी को भी गिरफ्तार न करने और निशा की केस में मदद करने की एवज़ में रिश्वत की मांग की गई. 
रवि की मां रानी देवी ने बिचौलिए अनुराग के माध्यम से 12 लाख रुपए एएसआई रुपेश को दे दिए. जिसके बाद रवि मलिक को पुलिस ने छोड़ दिया.बिचौलिए अनुराग ने बाकी के 18 लाख रुपए 12 अप्रैल को देने के लिए कहा. 
दस किलो सूजी यानी दस लाख रुपए-
शिकायतकर्ता ने बताया कि पैसे की मांग कोड वर्ड में "दस किलो सूजी" यानी 10 लाख रुपये के लिए की गई थी.सीबीआई ने  आरोपों को सत्यापित कर मामला दर्ज किया.इसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया.सीबीआई ने 13 अप्रैल को देर रात में दरिया गंज में नारकोटिक्स ब्रांच के दफ़्तर में रिश्वत लेते हुए एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को गिरफ्तार किया.

कमिश्नर संजय अरोरा, एसीपी की कुंडली तो खंगाल लेते - 
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स  में कैसे कैसे अफसरों को तैनात किया गया है. इसका नमूना एसीपी अनिल शर्मा है.  नशे के सौदागरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए एसीपी अनिल शर्मा जैसे अफसर को तैनात करना  पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा और आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाता है.
पश्चिम जिला पुलिस के सतर्कता विभाग के तत्कालीन एसीपी ने साल 2021 में जांच में पाया था कि राजौरी गार्डन थाने के तत्कालीन एसएचओ अनिल कुमार शर्मा इलाके में अवैध शराब की बिक्री और जुए जैसे अपराध को रोकने में पूरी तरह विफल है। यह सब गैरकानूनी गतिविधियां पुलिसकर्मियों की जानकारी में है और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.  
 तत्कालीन डीसीपी उर्विजा गोयल ने इसे घोर लापरवाही माना. 20 सितंबर 2021 को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने राजौरी गार्डन एसएचओ अनिल शर्मा को हटा दिया था. इंस्पेक्टर से एसीपी बने इन्ही अनिल शर्मा के कंधों पर नशे के कारोबार को बंद कराने की जिम्मेदारी देना आश्चर्यजनक है.
एसीपी ने 15 लाख मांगे-
 सीबीआई ने 31अगस्त 2022 को बाहरी उत्तरी जिले  के ही बवाना थाना स्थित नारकोटिक्स शाखा में तैनात एसीपी बृज पाल  के खिलाफ नशे के सौदागर से 15 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था.इस मामले में एएसआई दुष्यंत गौतम को सात लाख 89 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. एनडीपीएस  के मामले में शिकायतकर्ता की पत्नी को राहत देने के लिए एसीपी ने एएसआई के जरिए 15 लाख रुपए की मांग की थी. 
सूजी दो,हलवा खाओ-
इन मामलों से पता चलता है कि पुलिस सूजी यानी रिश्वत लेकर केस का हलवा बना कर अपराधी को बरी करा देती है.

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)









 


Friday 14 April 2023

CBI ने रिश्वतखोर इंजीनियर, ठेकेदार को गिरफ्तार किया

सीबीआई ने रिश्वतखोर इंजीनियर,ठेकेदार को गिरफ्तार किया

इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने घूसखोरी के मामले में डाक विभाग के एक असिस्टेंट इंजीनियर और एक ठेकेदार को गिरफ्तार किया है.

सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि  पोस्टल सिविल सब डिवीजन, संबलपुर में तैनात असिस्टेंट इंजीनियर ( सिविल ) सुवाशीष पाल कोअपने लिए 1.22 लाख रुपए की रिश्वत की मांग करने और स्वीकार करने के साथ-साथ एक कार्यकारी अभियंता (सिविल), पोस्टल डिवीजन, भुवनेश्वर (ओडिशा) के लिए शिकायतकर्ता से 18,500 रुपए की अन्य धनराशि को रिश्वत के रूप में मांग करने व स्वीकार करने पर गिरफ्तार किया गया है.
 आरोप है कि शिकायतकर्ता को दिए गए एएमसी अनुबंध हेतु  3.77 लाख रुपए के शेष भुगतान को जारी करने के लिए रिश्वत की मांग की गई.
 इस मामले में  ठेकेदार देबेंद्र कुमार पुहान को भी गिरफ्तार किया गया, जिसने कार्यकारी अभियंता की ओर से असिस्टेंट इंजीनियर सुवाशीष पाल से 18,500 रुपए की रिश्वत राशि प्राप्त की थी.

सीबीआई ने आरोपी असिस्टेंट इंजीनियर सुवाशीष पाल के विरुद्ध मामला दर्ज किया जिसमें आरोप है कि शिकायतकर्ता को दिसंबर-2021 में न्यू पी एंड टी कॉलोनी, राउरकेला में पोस्टल स्टाफ क्वार्टरों की मरम्मत एवं रखरखाव के कार्य हेतु कार्य आदेश जारी किया गया था और जिसके अनुसरण में, उसने  रु.19.47 लाख (लगभग) की राशि के कार्यों को पूरा किया. आरोप है कि उक्त ठेके के विरूद्ध  1.77 लाख रुपए (लगभग) कार्य निष्पादन में देरी के लिए रोके गए थे तथा  नमूना परीक्षण के लिए दो लाख रुपए रोके गए थे.
3.77 लाख रुपए की रोकी गई राशि को जारी करने के लिए असिस्टेंट इंजीनियर ने कथित रूप से स्वयं के लिए 1.5 लाख रुपए एवं  कार्यकारी अभियंता के लिए 18,500 रुपए की एक अन्य धनराशि की शिकायतकर्ता से माँग की.
 परस्पर बातचीत के पश्चात आरोपी, स्वयं के लिए 1,22,000  रुपए एवं कार्यकारी अभियंता के लिए 18,500 रुपए स्वीकार करने को तैयार हुआ.

सीबीआई ने जाल बिछाया एवं उक्त  रिश्वत की मांग करने और स्वीकार करने पर आरोपी को पकड़ा.

भुवनेश्वर, संबलपुर, पटना आदि सहित आरोपियों के परिसरों में तलाशी ली, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए.

 गिरफ्तार आरोपियों को भुवनेश्वर की सक्षम अदालत में आज पेश किया गया.

Tuesday 11 April 2023

सास ससुर की हत्या में बहू गिरफ्तार .बहू के प्रेमी की तलाश, गोकुल पुरी बुजुर्ग दंपत्ति हत्याकांड



बहू ने प्रेमी से सास ससुर की हत्या कराई.


इंद्र वशिष्ठ
उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकुल पुरी इलाके में बुजुर्ग सास ससुर की हत्या के मामले में दंपत्ति की पुत्रवधू/बहू को गिरफ्तार किया गया है. उसके प्रेमी समेत दो लोगों की तलाश की जा रही है.

बुजुर्ग दंपत्ति राधे श्याम वर्मा (72) और उनकी पत्नी वीना (68) की 9-10 अप्रैल  की रात को उनके घर में ही गला काट कर हत्या कर दी गई. राधे श्याम माडल बस्ती स्थित दिल्ली सरकार के स्कूल में उप-प्रधानाचार्य (वाइस प्रिंसिपल) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

उत्तर पूर्वी जिले के डीसीपी जॉय तिर्की ने बताया कि तफ्तीश के बाद इस मामले में दंपत्ति के पुत्र रवि की पत्नी मोनिका को गिरफ्तार किया है. 
मोनिका ने अपने प्रेमी आशीष के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची. 
आशीष वैशाली के एक बॉर में बाउंसर है. आशीष ने अपने साथी विकास के साथ मिलकर हत्या की है.  घर से 4.30 लाख रुपए और जेवरात ले  गए. उनकी तलाश की जा रही है.

शादी से नाखुश-
मोनिका अपनी शादी से खुश नहीं थी. 
मोनिका कोरोना काल के दौरान फेसबुक पर आशीष के संपर्क में आई. दोनों होटलों में भी जाते थे. आशीष ने मोनिका को अपनी मां से भी मिलवाया. मोनिका के शादीशुदा और एक बच्चे की मां होने के कारण आशीष के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नही था.

बंदिशों से परेशान-
मोनिका और आशीष के प्रेम संबधों का उसके पति रवि और सास ससुर को चल गया. उन्होंने मोनिका पर बंदिशे लगा दी. उससे स्मार्ट फोन भी ले लिया और साधारण फीचर फोन दे दिया. प्रेम संबधों को लेकर परिवार वालों का अक्सर मोनिका से झगड़ा भी होता रहता था.

सास ससुर ज्यादा टोकते थे. पति ज्यादा रोक नहीं पाता था. बंदिशों से परेशान मोनिका ने दिसंबर 2022 में आशीष से कहा कि तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. सास ससुर को रास्ते से हटाने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

राधे श्याम अपने सौ गज के मकान को बेचना चाहते थे. सवा करोड़ से ज्यादा कीमत का मकान पूरा बिक नहीं पा रहा था. राधे श्याम ने मकान के पिछले हिस्से को बेच दिया. उन्हें बयाना/एडवांस के रुप में पांच लाख रुपए मिले थे.
मोनिका को लगा कि मकान भी उसके हाथ से निकल जाएगा. उसने हत्या की साज़िश रची. उसका इरादा हत्या के बाद मकान बेच कर मिले पैसों से आशीष के साथ रहने का था.
आशीष ने दो नए सिम कार्ड खरीदे. इन नए नंबरों पर दोनों बात करते थे.
योजनानुसार 9 अप्रैल की शाम को मोनिका ने अपने पति रवि और सास को बहाने से बाजार भेज दिया. राधे श्याम उस समय अपनी दुकान पर थे.
 शाम सात बजे आशीष अपने दोस्त विकास के साथ मोटर साइकिल पर मोनिका के मकान के पिछवाडे पहुंच गया. मकान के पिछले दरवाजे से मोनिका उन्हें अंदर ले गई. आशीष और विकास को छत पर छिपा दिया, उन्हें कोल्ड ड्रिंक पिलाई.
आधी रात में करीब सवा एक बजे आशीष और विकास ग्राउंड फ्लोर पर राधे श्याम और वीना के कमरे में गए और दोनों की हत्या कर दी.
करीब सवा दो बजे दो पिछले दरवाजे से  ही चले गए. पुलिस को उनके आने जाने की सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी मिल गई है . 

हत्या के बाद मोनिका ने खूब जोरों से दहाड़े मार कर रोने का नाटक किया.
लेकिन पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में उसकी पोल खुल गई. 
 रवि वर्मा भी पेशे से शिक्षक हैं और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में ही मुस्तफाबाद इलाके में गेस्ट टीचर हैं. हालांकि, वह पिछले कुछ समय से कपड़ों से संबंधित काम और दुकान चला रहे थे. 


Saturday 8 April 2023

CBI ने 10 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए जम्मू के के मुख्य बागवानी अफसर को पकड़ा


सीबीआई ने 10 लाख रिश्वत लेते हुए बागवानी अफसर को पकड़ा


इंद्र वशिष्ठ, 

नई दिल्ली,  सीबीआई ने 10 लाख  रुपए  की रिश्वत के मामले में मुख्य बागवानी अधिकारी और उसके बिचौलिए को गिरफ्तार किया है.

सीबीआई के प्रवक्ता आर  सी जोशी ने बताया कि 10 लाख  की रिश्वत के मामले में जम्मू के मुख्य बागवानी अधिकारी सरबजीत सिंह  एवं उसके  बिचौलिए/मध्यस्थ गौहर अहमद डार को गिरफ्तार किया है.

सीबीआई ने शिकायकर्ता की तैनाती एवं पदोन्नति सहित उसके विभागीय मुद्दों को सुलझाने हेतु 10 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में  आरोपी एवं अन्य के विरुद्ध मामला दर्ज किया.

सीबीआई ने जाल बिछाया एवं  मुख्य बागवानी अधिकारी सरबजीत सिंह को शिकायतकर्ता से 10 लाख रुपए की रिश्वत माँगने व स्वीकार करने के दौरान रंगे हाथ पकड़ा।  बिचौलिए गौहर अहमद डार को भी पकड़ा गया.

दोनों आरोपियों के परिसरों एवं विशेष सचिव (बागवानी) के परिसरों में भी तलाशी ली गई।  तलाशी के दौरान, 3.5 लाख रुपए  (लगभग) की नकदी तथा चल/अचल संपत्ति सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए गए।

आरोपियों को जम्मू की सक्षम अदालत के समक्ष आज पेश किया गया.

        

प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं के लिए शौचालय बनवा रहे हैं, एमसीडी बंद कर रही है, त्री नगर में महिला शौचालयों पर ताला/अवैध कब्जा , पुलिस की नाक के नीचे अवैध कब्जा?






प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं के लिए शौचालय बनवा रहे हैं, एमसीडी बंद कर रही है, त्री नगर में महिला शौचालयों पर ताला/अवैध कब्जा , पुलिस की नाक के नीचे अवैध कब्जा? 

महिला शौचालय पर जड़ दिया ताला



इंद्र वशिष्ठ 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के लिए शौचालय बनवाने का अभियान चलाया हुआ है, लेकिन दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में एमसीडी द्वारा महिलाओं के लिए बनाए गए शौचालयों का महिलाएं ही इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं.
महिलाओं के लिए शौचालय बनाने के नाम पर सरकारी खजाने का किस तरह से दुरूपयोग किया जा रहा है. इसका अंदाज़ा इस मामले से ही लगाया जा सकता है.

महिला शौचालय पर ताला-
 त्रीनगर इलाके के बीचों बीच वर्धमान वाटिका नामक एक पार्क है. पार्क का एक हिस्सा महिलाओं के लिए रिजर्व है. इसमें महिलाओं के लिए एक शौचालय भी बनाया गया है. लेकिन इस शौचालय पर हमेशा ताला लगा रहता है.  
महिलाएं खासकर बुजुर्ग महिलाएं झाडियों की आड़ में लघु शंका करने को मजबूर हैं.
यह पत्रकार हमेशा इस शौचालय पर ताला लगा ही देख रहा है. 
सरकारी खजाने का दुरुपयोग-
एमसीडी के अफसर और निगम पार्षद किस तरह से सरकारी खजाने का दुरुपयोग करते हैं इसका भी यह जीता जागता उदाहरण है यह शौचालय जो हमेशा बंद ही रहता है 
उसका एक-दो साल पहले  पुनर्निर्माण /रिनोवेशन भी करा दिया गया.
इसके बाद फिर ताला जड़ दिया गया.   
पुनर्निर्माण के नाम पर सिर्फ शौचालय की  दीवारों पर टाइल्स लगा दी गई.  जबकि पुनर्निर्माण में तो पुराने शौचालय को तोड़ कर उसके स्थान पर नया शौचालय बनाया जाना चाहिए था. 
एमसीडी कमिश्नर जांच कराएं-
एमसीडी कमिश्नर को इस मामले की जांच करानी चाहिए ताकि पता चल सके कि ठेकेदार को पुनर्निर्माण/नया शौचालय बनाने के लिए भुगतान किया गया है या सिर्फ टाइल्स बदलने के कार्य के लिए पैसा दिया गया. निष्पक्ष  जांच से ही पता चल पाएगा कि इस मामले में घपला/भ्रष्टाचार हुआ है या नहीं.
सवाल उठता है कि जब यह शौचालय महिलाओं के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध ही नहीं है तो इस पर दोबारा सरकारी धन क्यों खर्च किया गया. महिलाओं के लिए शौचालय उपलब्ध कराने के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई. क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है.

निगम पार्षद की जिम्मेदारी-
यह शौचालय महिलाओं के लिए उपलब्ध कराना एमसीडी के अफसरों के साथ साथ इलाके की निगम पार्षद की भी जिम्मेदारी है.
इस समय इस इलाके में भाजपा की निगम पार्षद मीनू वीरेंद्र गोयल है. उनसे पहले यहां पर भाजपा की ही निगम पार्षद मंजू संजय शर्मा थी. महिला पार्षद द्वारा समय समय पर पार्क का दौरा किया जाता रहा है.  
दौरे में महिला पार्षद को क्या बंद पड़ा शौचालय नजर नहीं आया ? पार्षद को महिलाओं से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में मालूम करना चाहिए. 

नि:शुल्क सेवा में वसूली क्यों-
इसी पार्क के बाहरी हिस्से में भी गुरुद्वारा के सामने भी एक शौचालय बना हुआ है. यह शौचालय गंदा/बदबूदार है. पानी का इंतजाम न होने के कारण आठ अप्रैल को यह शौचालय भी बंद कर दिया गया. 
 यह शौचालय नि:शुल्क है . शौचालय की दीवार पर रंग से नि:शुल्क लिखा भी गया था जिसे मिटा दिया. यहां शौचालय का इस्तेमाल करने वालों से अवैध वसूली भी की जाती रही है. एमसीडी कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कि वह निगरानी रखें, ताकि कोई अवैध वसूली न कर सके. नि:शुल्क सेवा इस तरह से लिखा जाए ताकि कोई उसे मिटा न सके.पार्क के दूसरे फल मंडी वाले गेट के पास बना शौचालय भी गंदा ही रहता है. इस वजह से लोग वहां खुले में पेशाब करते हैं. 
पार्क बना मयखाना-
 इस शौचालय के बाहर और वर्धमान पार्क के अंदर खासकर रात के समय खुलेआम शराब पी जाती है. इस पत्रकार द्वारा इस बारे में समय समय पर वरिष्ठ पुलिस अफसरों को सूचना देने पर कार्रवाई भी की जाती रही है लेकिन कुछ दिन बाद यह सब दोबारा शुरू हो जाता है. 
बीट वालों पर एक्शन हो-
जब तक इलाके के बीट अफसरों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, यह सिलसिला बंद नहीं हो सकता. पार्क में कुछ ऐसे आवारा लोग होते है, जो गालियां बकते रहते हैं खुले में पेशाब करते है, ताश की आड़ में जुआ खेलते हैं. 
जिसके कारण पार्क में महिलाओं का घूमना फिरना मुश्किल हो जाता है. ऐसा नहीं है कि बीट वालों को उनके बारे में मालूम नहीं है. बीट वाले भी ऐसे लोगों के साथ देखें जाते हैं. बीट वालों के मोबाइल फोन की डिटेल्स निकाली जाए तो ऐसे कुछ लोगों के उसमें फोन नंबर भी मिल सकते हैं.

बीट बूथ के सामने अवैध कब्जा ? 
 इसी इलाके के ओंकार नगर में  नाले वाले रोड पर केशव पुरम थाना पुलिस का बीट बूथ नंबर सात बना हुआ है.  इसके ठीक सामने ही तुलसी नगर पुल के किनारे पर एमसीडी का पुरुषों के लिए शौचालय है. उसके बराबर में ही महिला शौचालय बना हुआ था. यह शौचालय भी महिलाओं के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध नहीं हुआ. अब इस महिला शौचालय पर ही अवैध कब्जा कर लिया गया है. 
इस पत्रकार ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ पुलिस अफसरों को दी. ताकि कब्जा करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए.
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी जितेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है.

निगम पार्षद मीनू गोयल के पति वीरेंद्र गोयल को भी सूचना दी गई. वीरेंद्र गोयल को इस बारे में कुछ मालूम नहीं था, जबकि एमसीडी अगर कोई भी वैध निर्माण कार्य करेगी तो उसके बारे में इलाके के निगम पार्षद को मालूम होता ही है.
 सात अप्रैल को वीरेंद्र गोयल उस स्थान पर गया, वहां उसे बताया गया कि एमसीडी अपना सामान रखने के लिए स्टोर बना रही है.
 इस पत्रकार ने वीरेंद्र गोयल को बताया कि यहां तो पहले महिला शौचालय था. 
शौचालय उपलब्ध कराएं-
 शौचालय बनाने के बाद उसे महिलाओं के लिए उपलब्ध कराना एमसीडी का दायित्व है. सिर्फ शौचालय बना कर उस पर ताला लगा देना या उसे स्टोर बना देना तो सरकारी धन की भी बरबादी है.

शौचालय बना कर जनता को सुविधा उपलब्ध कराना तो सही है लेकिन स्टोर बना देना, तो  अवैध कब्जा करना ही हुआ . स्टोर तो किसी अन्य सरकारी परिसर में भी बनाया जा सकता है . सड़क या फुटपाथ पर अतिक्रमण नहीं किया जाना चाहिए.  अवैध निर्माण और अतिक्रमण करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने वाली एमसीडी द्वारा खुद अवैध निर्माण और अतिक्रमण करना उनकी भूमिका पर सवालिया निशान लगाता है.

अवैध कब्जा ?-
यह निर्माण कार्य वाकई वैध है या अवैध, कब्जा किसने किया यह तो जांच से ही साबित हो सकता हैं.
पुलिस अफसरों को  इस निर्माण कार्य की फाईल मंगानी चाहिए. यहीं नहीं एमसीडी के वरिष्ठ अफसरों से पूछताछ करके सच्चाई पता लगानी चाहिए. सिर्फ किसी के कहने भर से भरोसा नहीं करना चाहिए. वरिष्ठ पुलिस अफसर यह तो जानते ही हैं  कि कोई भी सरकारी निर्माण कार्य कराने की तो एक पूरी प्रक्रिया होती. कितने बजट का काम है किस ठेकेदार को दिया गया आदि आदि. 
इस निर्माण में पुरानी ईंटों और पुरानी सिल्लियों का इस्तेमाल किया गया है. 
एमसीडी अगर कोई वैध निर्माण कराती तो उसमें पुराने सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
बूथ किराये पर दे दिया-
केशव पुरम थाना के इस बीट बूथ की भी  रोचक कहानी है. करीब तीन दशक पुरानी बात है बीट में तैनात पुलिस वालों ने बूथ को ही किराये पर दे दिया था . इस पत्रकार ने यह जानकारी अशोक विहार के तत्कालीन एसीपी बालाजी श्रीवास्तव को दी. तब उन्होंने बीट में तैनात पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की.
दिल्ली पुलिस में कार्यवाहक कमिश्नर रहे 1988 बैच के आईपीएस बालाजी श्रीवास्तव इस समय पुलिस अनुसन्धान एवम विकास ब्यूरो ( बीपीआरएंडडी ) में महानिदेशक है.


(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)