दिल्ली पुलिस की महिला ASI और हवलदार को एक लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार
इंद्र वशिष्ठ,
दिल्ली पुलिस यानी दिल की पुलिस की महिला कर्मी/अफसर भी दिल खोल कर रिश्वत लेने में पुरुष कर्मियों/ अफसरों से किसी भी तरह कम नहीं हैं.
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस की एक एएसआई को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. यह महिला एएसआई बवाना में साइबर क्राइम थाने में तैनात है.
इस मामले में हवलदार जसबीर सिंह को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है
7.5 लाख मांगे-
सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि बवाना, साइबर क्राइम थाने में तैनात एएसआई सीमा देवी के ख़िलाफ़ शिकायकर्ता से साढ़े सात लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया गया.
एएसआई सीमा ने शिकायकर्ता महिला से उसके पति के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को दबाने/ रफा दफा करने के लिए रिश्वत मांगी थी
गुजरात में सूरत निवासी रुपाली पौनिकर ने 26 अप्रैल को सीबीआई में शिकायत की थी.
एएसआई सीमा और हवलदार जसबीर की टीम 13 अप्रैल को रुपाली के घर गई. उसके पति विक्की को ठगी/फ्राड के मामले में शामिल बताया. पुलिस रुपाली के पति विक्की और भाई कुलदीप को उठा ले गई. रुपाली का आरोप है कि हवलदार जसबीर ने डरा धमका कर उससे 19 अप्रैल को एक रुपये रिश्वत ली. 20 अप्रैल को हवलदार जसबीर ने होटल के किराए के नाम पर उससे 25 हजार रुपए लिए.
रुपाली का आरोप है कि उसके पति और भाई को छोड़ने के एवज़ में शिकायकर्ता को देने के बहाने से उससे 7.5 लाख रुपए रिश्वत मांगी गई. किसी भी शिकायकर्ता से उन्हें नहीं मिलवाया.
एएसआई सीमा ने शिकायकर्ता महिला से उसके पति के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को दबाने/ रफा दफा करने के लिए रिश्वत मांगी थी.सीबीआई ने मामला दर्ज कर आरोपों को सत्यापित किया.
एक लाख लेते पकड़ी-
सीबीआई ने आज जाल बिछाया और एएसआई सीमा देवी और हवलदार जसबीर सिंह को रिश्वत की पहली किस्त के रूप में एक लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.
दस लाख लेते गिरफ्तार-
सीबीआई ने 13 अप्रैल को दरिया गंज में अपराध शाखा के नारकोटिक्स ब्रांच के दफ़्तर में दस लाख रुपए रिश्वत लेते हुए एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को गिरफ्तार किया था.
पूरी खबर नीचे पढ़े-
एसीपी की नाक के नीचे 30 लाख की उगाही,
एएसआई गिरफ्तार,
पुलिस को सूजी दो, केस का हलवा बनवा लो,
नशा तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करने वाला एसीपी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में.
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस वाकई 'दिल की पुलिस' बन गई है. अपराधियों को गिरफ्तार करने के साथ ही उन्हें सज़ा से बचाने के लिए मदद/राहत की सुविधा/ पैकेज भी दे रही है.
लेकिन यह सुविधा मुफ़्त में नहीं मिलती. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपराधियों को अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है.
ऐसे में पुलिस द्वारा अपराधियों को गिरफ्तार करना महज़ खानापूर्ति/ दिखावा सा लगता है.
अफसरों की भूमिका-
आईपीएस अफसर अपराधी की गिरफ्तारी पर मीडिया में प्रचार कर अपना कर्तव्य पूर्ण हुआ मान लेते है.
इसके बाद अपराधी अगर बरी हो जाए तो ठीकरा न्याय व्यवस्था/अदालत पर फोड़ दिया जाता है.
बरी का इंतजाम-
आईपीएस अफसर शायद कभी यह जानने की जेहमत ही नहीं उठाते, कि कोर्ट में मुकदमा शुरू होने से पहले ही उनके मातहत पुलिसकर्मियों द्वारा ही अपराधी को बरी कराने का खुद ही इंतजाम कर दिया जाता है.
नशे के सौदागर से सांठगांठ-
अपराधियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस खुद किस तरह अपराधी से सांठगांठ कर अपराध करती है. इसका ताजा उदाहरण पेश है. सीबीआई ने नारकोटिक्स ब्रांच में तैनात एएसआई रुपेश को तीस लाख रुपए की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया है. सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को दस लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया है.
एसीपी की नाक के नीचे-
इस मामले ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है.दरिया गंज स्थित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के इस दफ़्तर में ही एसीपी अनिल शर्मा और प्रभात सिन्हा भी बैठते हैं.एएसआई रुपेश एसीपी अनिल शर्मा की टीम में है. यानी एसीपी की नाक के नीचे ही एएसआई रुपेश ने रिश्वत ली.
क्या एएसआई अकेला तीस लाख रुपए रिश्वत ले सकता है? किसी को गिरफ्तार करने या न करने का निर्णय जांच अफसर/ आईओ भी वरिष्ठ अफसरों से सलाह मशवरा किए बिना नहीं लेता है.
नशे की सौदागर -
रघुवीर नगर निवासी अनिल कुमार ने 12 अप्रैल सीबीआई में शिकायत की थी. अनिल के साले रवि मलिक की पत्नी निशा को दरिया गंज स्थित अपराध शाखा की नारकोटिक्स ब्रांच ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. रवि मलिक को भी पुलिस अपने साथ ले गई. पुलिस ने बिचौलिए अनुराग निवासी मंगोल पुरी के माध्यम से तीस लाख रुपए रिश्वत की मांग की.
गिरफ्तार नहीं करेंगे-
इस मामले में रवि मलिक और उसके परिवार के सदस्यों( शिकायतकर्ता समेत) किसी को भी गिरफ्तार न करने और निशा की केस में मदद करने की एवज़ में रिश्वत की मांग की गई.
रवि की मां रानी देवी ने बिचौलिए अनुराग के माध्यम से 12 लाख रुपए एएसआई रुपेश को दे दिए. जिसके बाद रवि मलिक को पुलिस ने छोड़ दिया.बिचौलिए अनुराग ने बाकी के 18 लाख रुपए 12 अप्रैल को देने के लिए कहा.
दस किलो सूजी यानी दस लाख रुपए-
शिकायतकर्ता ने बताया कि पैसे की मांग कोड वर्ड में "दस किलो सूजी" यानी 10 लाख रुपये के लिए की गई थी.सीबीआई ने आरोपों को सत्यापित कर मामला दर्ज किया.इसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया.सीबीआई ने 13 अप्रैल को देर रात में दरिया गंज में नारकोटिक्स ब्रांच के दफ़्तर में दस लाख रुपए रिश्वत लेते हुए एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को गिरफ्तार किया.
कमिश्नर संजय अरोरा, एसीपी की कुंडली तो खंगाल लेते -
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में कैसे कैसे अफसरों को तैनात किया गया है. इसका नमूना एसीपी अनिल शर्मा है. नशे के सौदागरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए एसीपी अनिल शर्मा जैसे अफसर को तैनात करना पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा और आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाता है.
पश्चिम जिला पुलिस के सतर्कता विभाग के तत्कालीन एसीपी ने साल 2021 में जांच में पाया था कि राजौरी गार्डन थाने के तत्कालीन एसएचओ अनिल कुमार शर्मा इलाके में अवैध शराब की बिक्री और जुए जैसे अपराध को रोकने में पूरी तरह विफल है। यह सब गैरकानूनी गतिविधियां पुलिसकर्मियों की जानकारी में है और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
तत्कालीन डीसीपी उर्विजा गोयल ने इसे घोर लापरवाही माना. 20 सितंबर 2021 को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने राजौरी गार्डन एसएचओ अनिल शर्मा को हटा दिया था. इंस्पेक्टर से एसीपी बने इन्ही अनिल शर्मा के कंधों पर नशे के कारोबार को बंद कराने की जिम्मेदारी देना आश्चर्यजनक है.
एसीपी ने 15 लाख मांगे-
सीबीआई ने 31अगस्त 2022 को बाहरी उत्तरी जिले के ही बवाना थाना स्थित नारकोटिक्स शाखा में तैनात एसीपी बृज पाल के खिलाफ नशे के सौदागर से 15 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था.इस मामले में एएसआई दुष्यंत गौतम को सात लाख 89 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. एनडीपीएस के मामले में शिकायतकर्ता की पत्नी को राहत देने के लिए एसीपी ने एएसआई के जरिए 15 लाख रुपए की मांग की थी.
सूजी दो,हलवा खाओ-
इन मामलों से पता चलता है कि पुलिस सूजी यानी रिश्वत लेकर केस का हलवा बना कर अपराधी को बरी करा देती है.
(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)