Saturday 15 April 2023

ACP की नाक के नीचे 30 लाख की उगाही, एएसआई गिरफ्तार, पुलिस को सूजी दो, केस का हलवा बनवा लो, नशे के सौदगरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करने वाला ACP एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में.


एसीपी की नाक के नीचे 30 लाख की उगाही, 
एएसआई गिरफ्तार, 
पुलिस को सूजी दो, केस का हलवा बनवा लो, 
नशा तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करने वाला एसीपी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स में.



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस वाकई 'दिल की पुलिस' बन गई है.  अपराधियों को गिरफ्तार करने के साथ ही उन्हें सज़ा से बचाने के लिए मदद/राहत की सुविधा/ पैकेज भी दे रही है. 
लेकिन यह सुविधा मुफ़्त में नहीं मिलती. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपराधियों को अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है. 

ऐसे में पुलिस द्वारा अपराधियों को गिरफ्तार करना महज़ खानापूर्ति/ दिखावा सा लगता है. 

अफसरों की भूमिका-
आईपीएस अफसर अपराधी की गिरफ्तारी पर मीडिया में प्रचार कर अपना कर्तव्य पूर्ण हुआ मान लेते है.
इसके बाद अपराधी अगर बरी हो जाए तो ठीकरा न्याय व्यवस्था/अदालत पर फोड़ दिया जाता है. 
बरी का इंतजाम-
आईपीएस अफसर शायद कभी यह जानने की जेहमत ही नहीं उठाते, कि कोर्ट में मुकदमा शुरू होने से पहले ही उनके मातहत पुलिसकर्मियों द्वारा ही अपराधी को बरी कराने का खुद ही इंतजाम कर दिया जाता है.
नशे के सौदागर से सांठगांठ-
अपराधियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस खुद किस तरह अपराधी से सांठगांठ कर  अपराध करती है. इसका ताजा उदाहरण पेश है. सीबीआई ने नारकोटिक्स ब्रांच में तैनात एएसआई रुपेश को तीस लाख रुपए की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया है. सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को दस लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया है.
एसीपी की नाक के नीचे-
इस मामले ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है.दरिया गंज स्थित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के इस दफ़्तर में ही एसीपी अनिल शर्मा और प्रभात सिन्हा भी बैठते  हैं.एएसआई रुपेश एसीपी अनिल शर्मा की टीम में है. यानी एसीपी की नाक के नीचे ही एएसआई रुपेश ने रिश्वत ली.
क्या एएसआई अकेला तीस लाख रुपए रिश्वत ले सकता है? किसी को गिरफ्तार करने या न करने का निर्णय  जांच अफसर/ आईओ भी  वरिष्ठ अफसरों से सलाह मशवरा किए बिना नहीं लेता है. 
नशे की सौदागर -
रघुवीर नगर निवासी अनिल कुमार ने 12 अप्रैल सीबीआई में शिकायत की थी. अनिल के साले रवि मलिक की पत्नी निशा को दरिया गंज स्थित अपराध शाखा की नारकोटिक्स ब्रांच ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. रवि मलिक को भी पुलिस अपने साथ ले गई. पुलिस ने बिचौलिए अनुराग निवासी मंगोल पुरी के माध्यम से तीस लाख रुपए रिश्वत की मांग की. 
गिरफ्तार नहीं करेंगे-
इस मामले में रवि मलिक और उसके परिवार के सदस्यों( शिकायतकर्ता समेत) किसी को भी गिरफ्तार न करने और निशा की केस में मदद करने की एवज़ में रिश्वत की मांग की गई. 
रवि की मां रानी देवी ने बिचौलिए अनुराग के माध्यम से 12 लाख रुपए एएसआई रुपेश को दे दिए. जिसके बाद रवि मलिक को पुलिस ने छोड़ दिया.बिचौलिए अनुराग ने बाकी के 18 लाख रुपए 12 अप्रैल को देने के लिए कहा. 
दस किलो सूजी यानी दस लाख रुपए-
शिकायतकर्ता ने बताया कि पैसे की मांग कोड वर्ड में "दस किलो सूजी" यानी 10 लाख रुपये के लिए की गई थी.सीबीआई ने  आरोपों को सत्यापित कर मामला दर्ज किया.इसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया.सीबीआई ने 13 अप्रैल को देर रात में दरिया गंज में नारकोटिक्स ब्रांच के दफ़्तर में रिश्वत लेते हुए एएसआई रुपेश और बिचौलिए अनुराग को गिरफ्तार किया.

कमिश्नर संजय अरोरा, एसीपी की कुंडली तो खंगाल लेते - 
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स  में कैसे कैसे अफसरों को तैनात किया गया है. इसका नमूना एसीपी अनिल शर्मा है.  नशे के सौदागरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए एसीपी अनिल शर्मा जैसे अफसर को तैनात करना  पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा और आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाता है.
पश्चिम जिला पुलिस के सतर्कता विभाग के तत्कालीन एसीपी ने साल 2021 में जांच में पाया था कि राजौरी गार्डन थाने के तत्कालीन एसएचओ अनिल कुमार शर्मा इलाके में अवैध शराब की बिक्री और जुए जैसे अपराध को रोकने में पूरी तरह विफल है। यह सब गैरकानूनी गतिविधियां पुलिसकर्मियों की जानकारी में है और पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.  
 तत्कालीन डीसीपी उर्विजा गोयल ने इसे घोर लापरवाही माना. 20 सितंबर 2021 को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने राजौरी गार्डन एसएचओ अनिल शर्मा को हटा दिया था. इंस्पेक्टर से एसीपी बने इन्ही अनिल शर्मा के कंधों पर नशे के कारोबार को बंद कराने की जिम्मेदारी देना आश्चर्यजनक है.
एसीपी ने 15 लाख मांगे-
 सीबीआई ने 31अगस्त 2022 को बाहरी उत्तरी जिले  के ही बवाना थाना स्थित नारकोटिक्स शाखा में तैनात एसीपी बृज पाल  के खिलाफ नशे के सौदागर से 15 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था.इस मामले में एएसआई दुष्यंत गौतम को सात लाख 89 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. एनडीपीएस  के मामले में शिकायतकर्ता की पत्नी को राहत देने के लिए एसीपी ने एएसआई के जरिए 15 लाख रुपए की मांग की थी. 
सूजी दो,हलवा खाओ-
इन मामलों से पता चलता है कि पुलिस सूजी यानी रिश्वत लेकर केस का हलवा बना कर अपराधी को बरी करा देती है.

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)









 


1 comment:

  1. What is the role of vigilance department in Delhi Police. If such officials continue to indulge in such activities, people will loose faith in the system. It is high time that Police Commissioner takes strict action against corrupt officials. Anju grover, https://anju grover. com

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