Friday, 8 April 2016

केजरीवाल लुटा रहा आम आदमी का खजाना



राजनीति के लिए  खजाना लुटाता केजरीवाल
इंद्र वशिष्ठ
एनआईए के डीएसपी तंजील अहमद की हत्या की गुत्थी सुलझने से पहले ही केजरीवाल ने उनके परिवार को एक करोड़ रूपए मुआवजे का ऐलान कर दिया । तंजील की हत्या निजी रंजिश के कारण उसके रिश्तेदार ने कराई। ऐसे मे तंजील की मौत शहीद की श्रेणी में नहीं आती । केजरीवाल द्वारा पुलिस जांच पूरी होने के पहले ही  मुआवजे का ऐलान  करना दिखाता है कि वह  सरकारी खजाने का इस्तेमाल कितनी गैर जिम्मेदारी से करता है।
केजरीवाल  तंजील के परिवार को एक करोड़ रूपए देते है तो दिल्ली के उन सैंकड़ो परिवार को भी एक- एक करोड़ रूपए मिलना चाहिए, जिनके परिवार के सदस्य की हत्या कर दी गई। दिल्ली में हर साल हत्या की सैंकड़ों वारदात होती है। ऐसे में अपराध पीड़ित हर परिवार एक करोड़ के मुआवजे का हकदार है।
केजरीवाल यानी प्रचारवाल-  कांग्रेस, बीजेपी को कोस कर खुद को उनसे अलग बताने वाला केजरीवाल भी इन दलों जैसा निकला । अपनी छवि बनाने के लिए केजरीवाल विज्ञापनों पर सरकारी खजाने का करोड़ो रूपए खर्च करने में दूसरे दलों से किसी तरह कम नहीं है। दिल्ली के बाहर के अखबारों में भी विज्ञापन देकर दिल्ली की जनता के पैसे को बर्बाद कर रहा है। खबरों की शक्ल में भी दिए जाने से आम आदमी को यह पता भी नहीं चलता कि वह सरकारी विज्ञापन है।
विज्ञापनबाजी पर पैसा बर्बाद  करने की बजाए यह रकम सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज पर खर्च की जानी चाहिए । केजरीवाल सरकारी अस्पतालों में जाएं तो पता चलेगा कि विज्ञापनों पर जो करोड़ों रूपए वह फूंक रहे है उस रकम से  कितने मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
कथनी, करनी में अंतर- केजरीवाल ने कहा था कि गाड़ी,बंगला , सुरक्षा कुछ नहीं लूंगा, लेकिन सत्ता मिलते ही यह सब ले लिया ।  केजरीवाल का दूसरे दलों  से अलग होने का दावा खोखला निकला ।
चाणक्य से सीखें सरकारी खजाने का इस्तेमाल- चाणक्य से एक बार एक विदेशी मिलने आया, वह उस समय कुछ कार्य रहे थे। कार्य समाप्त करने के बाद  चाणक्य ने दीया बुझा दिया । विदेशी के पूछने पर चाणक्य ने कहा कि दीये  में जल रहा तेल सरकारी खजाने का था। आपसे बातचीत के दौरान उसका इस्तेमाल करना उचित नही है। 

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