इंद्र वशिष्ठ
NDTV की अपने आपराधिक मामले को मीडिया पर हमला बनाने की साज़िश फेल
हो गई। प्रेस क्लब में हुई सभा खाप पंचायत और मोदी स्यापा सभा बन कर रह गई। सभा
में वह नामचीन कथित पत्रकार मौजूद थे जो मंत्री पद से लेकर ब्रिटेन, डेनमार्क में राजदूत
और राज्यसभा सांसद के रुप में सत्ता का सुख भोगने के बाद आराम से जुगाली कर रहे
हैं। क्या सरकार का राग दरबारी गाए बिना किसी को यह सुख नसीब हो सकता है ।अब इनके
मुख से प्रेस की आजादी की बात करना ठीक ऐसे हैं कि नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को
चली। बुजुर्ग पत्रकार कुलदीप नैयर से माफी सहित पूछना चाहता हूं कि क्या आपने कभी
भी उन सरकारों के खिलाफ अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल किया था जिनकी दया से 1990में आपने उस विलायत
में राजदूत का सुख भोगा जिसके लिए आईएफएस अफसर भी तरस जाते हैं। कुलदीप जी फिर 1997में राज्यसभा सुख भी
भोगा। अरुण शौरी जी आपने अपनी प्रतिभा पूरी जिंदगी क्या केंद्रीय मंत्री बनने के
लिए ही दिखाई थी। मंत्री बनने से तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया था कि आपने
पत्रकारिता धर्म का पालन नही किया था। मंत्री पद का सुख भोगने के दौरान आपके अंदर
का पत्रकार तब कहां था जब कश्मीर टाइम्स के इफ्तिखार गिलानी को देश द्रोह के झूठे
केस में आपकी ही सरकार ने आईबी और दिल्ली पुलिस की मदद से जेल में सड़ाया। अरूण जी
क्या यह सच नहीं है कि इंडियन एक्सप्रेस के खिलाफ दरिया गंज थाने में जमीन कब्जा
करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था बाद में कोर्ट के माध्यम से वह प्लाट एक्सप्रेस को
मिला। इस तरह प्रेस एरिया में एक्सप्रेस के दो प्लाट हो गए जबकि अन्य के पास तो
सिर्फ एक एक है।ऐसी बुनियाद पर खड़ा यह समूह पत्रकारों को सम्मानित किया करता है।
ऐसे मामलों में आपकी पत्रकारिय प्रतिभा कभी देखने को नहीं मिली। न ही तब जब
एक्सप्रेस की हड़ताल खत्म कराने के लिए बीजेपी के खुराना की मदद से अखबार निकाला।
ऐसे मामलों में आप जैसे दिग्गज मठाधीश कभी नहीं बोलें तो शेखर गुप्ता बिचारे की तो
हैसियत क्या है। एच के दुआ जी क्या आपने कभी भूल से भी अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल
उन सरकारों की पोल खोलने को किया जिनकी मेहरबानी से डेनमार्क में राजदूत और राज्य
सभा का सुख भोगा। दुआ जी में जरुर सुरखाब के पर लगे हैं। कांग्रेस हो या बीजेपी या
हो तीसरा दल यह सदा सत्ता के दरबार में रहे। प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल और
अटल बिहारी वाजपेई के भी मीडिया सलाहकार रहे तो कांग्रेस से राज्यसभा का सुख लिया।
पूरी जिंदगी सरकारी बंगले में गुजारी और अब जगत गुरु अंबानी के एक फाउंडेशन से
जुड़े हुए हैं।
शौरी जी आपको
अब मंत्री नहीं बनाया गया तो आपका पत्रकार जागृत हो गया। आप सब पत्रकारिता को
पायदान की तरह इस्तेमाल कर सत्ता सुख तक भोग चुके हैं। नाम, पैसा,पावर सब आपके पास
है।आप क्या जानें ईमानदारी से पत्रकारिता करने वालों की तकलीफ़। आप सब को तो प्रणय
जैसे मठाधीश पर दर्ज आपराधिक मामला भी प्रेस की आजादी पर हमला लगता है।
कुंए के मेंढक
की तरह सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत के अखबार , चैनल को ही नेशनल मीडिया घोषित कर स्वयं भू
मठाधीश बने बैठे हैं । जबकि दक्षिण भारत में भी ऐसे अखबार और चैनल है जिनके
मुकाबले दिल्ली के मठाधीश कहीं नहीं टिकेंगे। आपराधिक मामले को मीडिया पर हमला बता
आरोपी प्रणय रॉय को बचाने के लिए तो आप एक जुट हो गए ।आप एक कार्य और कर दीजिए कि ED Police
, CBI की खबरें देना
बंद कर दीजिए क्योंकि जो भी पकड़े जाते हैं वह खुद को बेकसूर बताते हैं। उन
बेकसूरों की आवाज़ भी इसी तरह उठाएं तो लगे कि आपने भी कभी पत्रकारिता की थी।अब
छोटा सा सवाल जो नामचीन वकील फली नरीमन के बयान से उपजा है फली जी ने कहा कि जिस
तरह प्रणय के साथ किया गया "लगता" है कि प्रेस की आजादी पर हमला हैं।फली
जी कृपया मेरा ज्ञान वर्धन करें कि किसी आपराधिक मामले में कोर्ट सबूत के आधार पर
निर्णय करती हैं या लगता है पर। आपकी बात से जज थरेजा याद आ गए जिसने आईपीएस जेपी
सिंह के बेटे संतोष को यह कहते हुए बरी किया था कि मुझे मालूम है कि प्रियदर्शिनी
मट्टू की हत्या तुमने की है। हालांकि बाद में हाई कोर्ट से उसे सजा हुई। फली जी
अगर" लगता" हैं के आधार पर बात की जाए तो मुझे तो मीडिया मठाधीश माफिया
से कम नहीं लगते और मोदी और कांग्रेस भी एक जैसे ही लगते है। फली जी आपका भी
मठाधीशों की तरह दोहरा चरित्र है बात प्रेस की आजादी की करते हो और कोर्ट में केस
मजीठिया वेज बोर्ड का विरोध करने वाले प्रेस मालिकों का लड़ते हैं। लगता है कि
आपका धर्म भी सिर्फ पैसा ही हैं।
फली जी
आप तो इतने
बडे वकील है कोर्ट में दो मिनट में साबित कर सकते हैं कि सच क्या हैं फिर बाहर
नेता की तरह क्यों कमजोर दलील दी। कोर्ट भरे हुए हैं बेकसूरों के केस से कृपया
उनको भी ऐसी मुफ्त सेवा दीजिए। आप लोगो ने जिसे नेशनल मीडिया घोषित कर रखा है वह
आपके साथ दिखा नहीं। TOI, HT, NBT, हिंदुस्तान, जागरण,अमर उजाला के मालिक /संपादक ही नहीं
पत्रकारिता का इस्तेमाल कर दो बार राज्य सभा का सुख भोग चुके पायनियर के करोड़ पति
चंदन मित्रा और जमीन कब्जा के आरोपी सांसद पंजाब केसरी के अश्विनी कुमार तक भी
नहीं थे। राजीव शुक्ला, और रजत शर्मा जैसे मठाधीश भी आपकी अदालत मे हाजिर नहीं हुए।
बाबू मोशाय अब बताओ मैंने तो पहले ही कह दिया था मीडिया के मठाधीश एकजुट नहीं
होंगे क्योंकि जैसे आप किसी की गोद में है वैसे ही वह बेचारे भी किसी की गोद में
है अब भला आपका कथित नेशनल मीडिया ही आप के साथ नहीं है फिर भी आप इसे मीडिया पर
हमला बता रहे हैं। ठीक लालू की तरह जो अकूत संपत्ति के मामले में यह कुतर्क देता
है कि मेरे खिलाफ फासीवादी ताकतें हैं। बाबू मोशाय तो यह है आपका स्तर है।
बाबू मोशाय और
हद तो यह हैं कि जेल भोगी सुब्रत रॉय सहारा ,सुधीर चौधरी, तरुण तेजपाल तक ने भी आपको सहारा नहीं दिया।100करोड़ की वसूली के
आरोपी जी न्यूज के लाला सुभाष चंद्र तक ने भी आपका साथ नहीं दिया। मदारी की तरह
चीख चीख कर पत्रकारिता का तमाशा बनाने वाले आपके शिष्य अर्नब गोस्वामी की भी पोल
खुल चुकी है । अर्नब गोस्वामी बाबू मोशाय की ओर अंगुली उठा कर क्यों नहीं कहता
"नेशन वांटस"।आज तक के मालिक बिजनस मैन अरुण पुरी के अलावा किसी अन्य
चैनल के मालिक/संपादक ने भी बाबू मोशाय के दरबार में हाजिरी नहीं लगाई। दिल्ली
छावनी में फौजियों के साथ मारपीट करने का आरोपी दीपक चौरसिया भी आपकी चौपाल में
नहीं था। घर में पुलिस के कब्जे में मौजूद पत्रकार गिलानी को चौरसिया ने मदारी की
तरह चीख चीख कर भगोड़ा घोषित किया था। बाबू मोशाय, राजदीप सरदेसाई,बरखा दत्त जैसे
मठाधीशों के लिए कहावत हैं कि छाछ तो बोले सो बोले छलनी भी बोले जिसमें सत्तर छेद।
हरियाणवी
बुद्धि से मैं तो इतना ही समझा हूं कि घर वालों की भी अगर हां में हां न मिलाएं तो
वह भी आपको किनारे कर देते हैं । तो बिना राग दरबारी गाए भला सत्ता सुख किसे मिला
होगा। सत्ता से सांठ गांठ करके ही बाबू मोशाय जैसे मीडिया मठाधीशों का माफिया खड़ा
हुआ है। अगर मोदी ईमानदार हैं तो ऐसे सभी मठाधीशों के खिलाफ कार्रवाई करके दिखाए
जिन पर CBI, ED Policeमें केस दर्ज है।अगर ऐसा नहीं किया गया तो साफ हो जाएगा कि
कार्रवाई करने की धमकी देकर मीडिया को अपना भोंपू बनाने की नीयत हैं।
इंद्र वशिष्ठ
पूर्व विशेष संवाददाता दैनिक भास्कर,
पूर्व विशेष संवाददाता दैनिक भास्कर,
पूर्व क्राइम
रिपोर्टर सांध्य टाइम्स(टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप)
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