छात्रा के दोस्त के दिए अहम सुराग ने पकड़वाए गैंगरेप के अपराधी
इंद्र वशिष्ठ ,
दिल्ली में16 दिसंबर 2012 की रात को चलती बस में फिजियोथेरपी की छात्रा से सामूहिक बलात्कार की सनसनीखेज वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था। छात्रा के दोस्त इस मामले के चश्मदीद गवाह द्वारा दिए गए अहम सुराग के कारण ही वारदात की सूचना के 24 घंटे के भीतर ही पुलिस इस मामले के 6 में से 4 आरोपियों को पकड़ पाई।
अहम सुराग-वसंत विहार थाना पुलिस को छात्रा के दोस्त ने बताया कि वारदात में इस्तेमाल चार्टर्ड बस का रंग सफेद था और उस पर यादव लिखा हुआ था। पुलिस के सामने सबसे पहला काम था इस अहम सुराग के आधार पर सफेद रंग की उस बस का पता लगाना।
सीसीटीवी फुटेज में बस मिली-वारदात के दौरान बस जिन रास्तों से गुजरी पुलिस ने वहां सुराग तलाशे तो एक होटल के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा पाया। सीसीटीवी कैमरे की फु टेज देखी गई तो उसमें सफेद रंग की वैसी ही बस नजर आई जैसी छात्रा के दोस्त ने बताई थी। बस पर लिखे यादव नाम से पुलिस ने उसके मालिक का पता लगाया।
बस मालिक तक पहुंची पुलिस-दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग से सफेद रंग की 370 चार्टर्ड बसों की सूची पुलिस को मिली। इनकी छानबीन कर पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल बस (नंबर डीएल-1पीसी-0149 )और उसके मालिक दिनेश यादव का पता लगा लिया। बस मालिक दिनेश यादव से पूछताछ करने पता चला कि बस चालक राम सिंह आरके पुरम सेक्टर तीन में रवि दास झज्गी कैम्प में रहता है और वहीं पर बस खड़ी करता है।
बस समेत मुख्य आरोपी गिरफ्तार-17 दिसंबर को बस मालिक से मिली सूचना के आधार पर पुलिस आरके पुरम पहुंच गई तो वहां बस खड़ी मिल गई। बस के अंदर ही बस चालक मुख्य आरोपी राम सिंह मिल गया। राम सिंह से पूछताछ कर उसके 5 अन्य साथियों का पता लगाया गया।
मुख्य आरोपी ने भाई को गांव भेज दिया -18 दिसंबर को राम सिंह से पूछताछ के आधार पर राम सिंह के भाई मुकेश के अलावा इस अपराध में शामिल विनय शर्मा, पवन गुप्ता को पकड़ लिया गया। मुकेश को वारदात के बाद राम सिंह ने राजस्थान के करौली स्थित अपने गांव भेज दिया था। इस तरह से वारदात के २४ घंटे के भीतर पुलिस ने ६ में से चार आरोपियों को पकड़ लिया।
नाबालिग पकड़ा- २१ दिसंबर को इस अपराध में शामिल नाबालिग को दिल्ली में आनन्द विहार बस अड्डे से पकड़ा गया। २१ दिसंबर को ही अक्षय ठाकुर को बिहार के औरंगाबाद में उसके गांव से गिरफ्तार कर लिया गया।
छात्रा ने दम तोड़ दिया- २९ दिसंबर २०१२- इलाज के लिए सिंगापुर गई छात्रा ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने एफआईआर में हत्या की धारा भी लगा दी।
गैंगरेप मामले की तफ्तीश काबिल-ए- गौर ,
वसंत विहार गैंग रेप मामले में पुलिस ने अहम साक्ष्य जुटाने के लिए ऐसे तरीके भी अपनाए ,जो कि तफ्तीश में पहले कभी नहीं अपनाए गए थे। छात्रा के शरीर पर अपराधियों के दांत से काटने के निशान मिले थे। ये निशान अपराधियों के दांतों के ही है इसे साबित करने के लिए अपराधियों के दांतों के इम्प्रेशन/छाप ली गई और उसका मिलान छात्रा के शरीर पर मिले निशानों से किया गया। ऐसा किसी मामले की तफ्तीश में पुलिस ने पहली बार किया है।
टीथ बाइट -जांच से जुड़े एक अफसर के अनुसार टीथ बाइट साबित करने के लिए अपराधियों के दांतों की फोटो ली गई। मैटीरियल पर उनके दांतों की छाप ली गई। छात्रा के शरीर पर मिले दांत से काटने के निशान मुख्य आरोपी राम सिंह और अक्षय ठाकुर के दांतों के पाए गए।
डीएनए प्रोफाइलिंग-इस मामले में बड़े पैमाने पर डीएनए प्रोफाइलिंग कराई गई। वारदात में इस्तेमाल बस और जहां पर युवक युवती को फ ेंका गया था वहां से और अपराधियों द्वारा सबूत नष्ट करने के लिए जला दिए गए पीडि़तों के कपड़ों से भी डीएनए डेवलप कराया गया। अपराधियों की डीएनए की जांच भी कराई गई। इलैक्ट्रानिक साक्ष्य- वारदात के दौरान बस जिस रास्ते से गुजरी थी उसे एक रुट बना कर होटल के सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन के लोकेशन से साबित किया गया। ६ तरीके से अपराधियों की पहचान सुनिश्चित की गई- इस मामले में शक की कोई गुंजाइश न रह जाए इसके लिए अपराधियों की पहचान ६ तरीके से सुनिश्चित की गई। शिनाख्त परेड़ द्वारा, कोर्ट में कठघरे में, डीएनए मैच करा कर ,फिंगर प्रिंट, टीथ बाइट से और छात्रा द्वारा मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर अपराधियों की पहचान सुनिश्चित की गई।
ब्लड रिपोर्ट- अपराधियों ने वारदात के बाद सबूत मिटाने के लिए बस को साबुन से धो दिया था लेकिन सीएफएसएल के एक्सपर्ट की मदद से पुलिस ने बस में से डीएनए जांच के लिए खून के कतरे एकत्र किए। इसके अलावा डाक्टर द्वारा जमा किए गए साक्ष्यों से भी अपराध साबित किया गया। गैंगरेप मामले ने पुलिस पर सवालिया निशान लगाया
पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा- १६ दिसंबर २०१२ को चलती बस में गैंगरेप की वारदात ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया। इस वारदात के विरोध में लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किए। पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर भी लाठीचार्ज किया। इस वारदात की गूंज अंतरिक्ष तक गई। पुलिस क मिश्नर को हटाने की मांग उठी। हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाई। लेकिन एक पुलिसवाले तक के खिलाफ तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। मर्ई में जाकर चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश दिए गए ।
इंडिया गेट और विजय चौक पर प्रदर्शनकारी लड़कियों/महिलाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। तिलक मार्ग इलाके में प्रदर्शन के दौरान सिपाही सुभाष तोमर की हार्ट अटैक से हुई मौत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर ८ युवकों को उसमें फंसा दिया। जबकि इनमें से कई युवक उस समय वहां थे ही नहीं। पुलिस ने बाद में इनको बेकसूर बताया।
एसडीएम ने आरोप लगाया- एसडीएम उषा चतुर्वेदी ने तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा और दो एसीपी पर आरोप लगाया कि बलात्कार पीडि़ता का बयान अपने मुताबिक दर्ज कराने के लिए उस पर दबाव डाला। एसडीएम ने कहा है कि मना करने पर उसके साथ बदसलूकी की गई और धमकी भी दी। एसडीएम की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को पत्र लिखा। यह मामला उजागर होने पर पुलिस ने पीडि़ता का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया।
कई मौतों से मामले की सुनवाई में देरी- इस मामले की सुनवाई करने वाले फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडिशनल सेशन जज योगेश खन्ना के माता-पिता का निधन हो गया। बचाव पक्ष के एक वकील के परिवार में मौत हो गई। एक आरोपी की छोटी बहन की मौत हो गई। ११ मार्च को तिहाड़ जेल में मुख्य आरोपी राम सिंह ने आत्महत्या कर ली।
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता के लिए पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी। पूर्व मुख्य न्यायधीश जेएस वर्मा ने भी पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने भी फटकार लगाई। लेकिन पुलिस कमिश्नर तो दूर एक सिपाही तक को नहीं हटाया गया।
आईपीएस अफसरों के खिलाफ जांच-इस मामले ने ट्रैफिक पुलिस और पीसीआर की पोल खोल दी। गृह मंत्रालय ने मई में गैँग रेप मामले में चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरु कर दी है। जिन चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच हो रही है उनमें पीसीआर के तत्कालीन स्पेशल पुलिस कमिश्नर दीपक मिश्रा, पीसीआर के ही तत्कालीन एडिशनल पुलिस कमिश्नर जीसी द्विवेदी, ट्रैफिक पुलिस के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सत्येंद्र गर्ग और ट्रैफिक के ही दक्षिण रेंज के डीसीपी प्रेमनाथ शामिल है।
गैंग रेप मामले में पुलिस की भूमिका या कमियों के बारे में जस्टिस उषा मेहरा कमेटी और गृह मंत्रालय की अफसर बीना मीणा ने अपनी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद मार्च में उपरोक्त अफसरों को चार्जशीट/मेमोरेंडम दिया गया गृह मंत्रालय ने इन अफसरों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश दिए ।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जे एस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने आपराधिक कानून में संशोधन किया और कई नई धाराएं जोड़ी गई। तेजाब से हमला करने को भी इसमें जोड़ा गया।
१६ दिसंबर २०१२ की रात का घटनाक्रम -
शाम के ६.३० बजे से ८.३० बजे- छात्रा और उसके दोस्त ने साकेत के सिलेक्ट सिटी वॉक में फिल्म देखी।
८.३० बजे- ऑटो वाले से द्वारका के मधु विहार (छात्रा के घर) जाने लिए कहा, लेकिन ऑटो वाला मुनीरका से आगे जाने को राजी नहीं हुआ।
९.१० बजे- ऑटो वाले ने इन दोनों को मुनीरका बस स्टॉप पर छोड़ दिया। दोनों वहां रूट नंबर ७६४ की बस का इंतजार करने लगे। तभी सफेद रंग की एक चार्टेड बस वहां आकर रूकी। बस कंडक्टर ने दस-दस रूपए में उनको छोड़ देने को कहा। छात्रा और उसका दोस्त बस में सवार हो गए। बस में ६ लोग सवार थे। इनमें से तीन लोगों ने छात्रा के साथ छेडख़ानी शुरु कर दी। छात्रा के दोस्त ने विरोध किया तो उन लोगों ने उसे पीटना शुरु कर दिया लोहे की रॉड से पीट-पीट कर उसे लहुलुहान कर दिया। इसके बाद लडक़ी को पीछे की सीट पर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया गया।
१०.१५ बजे रात- महिपाल पुर इलाके में फ्लाईओवर के पास लडक़े और लडक़ी को निर्वस्त्र करके फेंक दिया गया।
१०.२० बजे -हाइवे टोल कंपनी के स्टाफ के लोगों ने दोनों को इस हाल में देखा तो पुलिस को फोन किया। लेकिन यह फोन गुडगांव पुलिस कंट्रोल रुम को लगा।
१०.२२ बजे- दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रुम को इस वारदात की कॉल मिली।
१०.२४ बजे- पुलिस कंट्रोल रुम ने यह सूचना इलाके में तैनात पीसीआर की गाड़ी पर तैनात पुलिस को दी।
१०.२८ बजे- पीसीआर की गाड़ी मौके पर पहुंची।
१०.५५ बजे- पीसीआर ने दोनों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया।
१७-१२-२०१२ को वसंत विहार थाने में सामूहिक बलात्कार ,कुकर्म,अपहरण,हत्या की कोशिश और लूट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस को तफ्तीश के दौरान अपराध के रास्ते में पडऩे वाले ४ स्थानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज में वारदात में इस्तेमाल सफेद रंग की बस दिखाई दी। बस पर यादव लिखा हुआ था। बस के बारे में छात्रा के दोस्त ने पुलिस को बताया था। इस अहम सुराग के आधार पर पुलिस बस के मालिक दिनेश यादव तक पहुंच गई। १७ दिसंबर को आरके पुरम इलाके में बस मिल गई और उसमें ही मुख्य आरोपी बस चालक राम सिंह भी मिल गया। राम सिंह से पूछताछ के बाद इस अपराध में शामिल उसके भाई मुकेश के अलावा विनय शर्मा और पवन गुप्ता को भी पकड़ लिया गया।
२१-१२-२०१२-इस मामले में आरोपी अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को भी पकड़ लिया गया।
२९-१२-२०१२-इलाज के लिए सिंगापुर गई छात्रा ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस एफआईआर में हत्या की धारा लगा दी।
३-१-२०१३-वारदात के १८ दिन बाद पुलिस ने ५ आरोपियों के खिलाफ साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी। हत्या,हत्या की कोशिश,सामूहिक बलात्कार,कुकर्म,अपहरण, डकैती के दौरान चोट पहुंचाने,सबूत नष्ट करने और साजिश रचने के आरोप में दायर की गई इस चार्जशीट में नाबालिग आरोपी की भूमिका का भी विस्तार से जिक्र किया गया। इस छठे नाबालिग आरोपी के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में केस चलाया गया।
११-३-२०१३- मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।
३१ अगस्त २०१३-इस मामले में आरोपी नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया।
10 सितंबर 2013- इस मामले के चार आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया।
13 सितम्बर 2013- को अदालत ने चारो अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई ।
इंद्र वशिष्ठ ,
दिल्ली में16 दिसंबर 2012 की रात को चलती बस में फिजियोथेरपी की छात्रा से सामूहिक बलात्कार की सनसनीखेज वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था। छात्रा के दोस्त इस मामले के चश्मदीद गवाह द्वारा दिए गए अहम सुराग के कारण ही वारदात की सूचना के 24 घंटे के भीतर ही पुलिस इस मामले के 6 में से 4 आरोपियों को पकड़ पाई।
अहम सुराग-वसंत विहार थाना पुलिस को छात्रा के दोस्त ने बताया कि वारदात में इस्तेमाल चार्टर्ड बस का रंग सफेद था और उस पर यादव लिखा हुआ था। पुलिस के सामने सबसे पहला काम था इस अहम सुराग के आधार पर सफेद रंग की उस बस का पता लगाना।
सीसीटीवी फुटेज में बस मिली-वारदात के दौरान बस जिन रास्तों से गुजरी पुलिस ने वहां सुराग तलाशे तो एक होटल के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा पाया। सीसीटीवी कैमरे की फु टेज देखी गई तो उसमें सफेद रंग की वैसी ही बस नजर आई जैसी छात्रा के दोस्त ने बताई थी। बस पर लिखे यादव नाम से पुलिस ने उसके मालिक का पता लगाया।
बस मालिक तक पहुंची पुलिस-दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग से सफेद रंग की 370 चार्टर्ड बसों की सूची पुलिस को मिली। इनकी छानबीन कर पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल बस (नंबर डीएल-1पीसी-0149 )और उसके मालिक दिनेश यादव का पता लगा लिया। बस मालिक दिनेश यादव से पूछताछ करने पता चला कि बस चालक राम सिंह आरके पुरम सेक्टर तीन में रवि दास झज्गी कैम्प में रहता है और वहीं पर बस खड़ी करता है।
बस समेत मुख्य आरोपी गिरफ्तार-17 दिसंबर को बस मालिक से मिली सूचना के आधार पर पुलिस आरके पुरम पहुंच गई तो वहां बस खड़ी मिल गई। बस के अंदर ही बस चालक मुख्य आरोपी राम सिंह मिल गया। राम सिंह से पूछताछ कर उसके 5 अन्य साथियों का पता लगाया गया।
मुख्य आरोपी ने भाई को गांव भेज दिया -18 दिसंबर को राम सिंह से पूछताछ के आधार पर राम सिंह के भाई मुकेश के अलावा इस अपराध में शामिल विनय शर्मा, पवन गुप्ता को पकड़ लिया गया। मुकेश को वारदात के बाद राम सिंह ने राजस्थान के करौली स्थित अपने गांव भेज दिया था। इस तरह से वारदात के २४ घंटे के भीतर पुलिस ने ६ में से चार आरोपियों को पकड़ लिया।
नाबालिग पकड़ा- २१ दिसंबर को इस अपराध में शामिल नाबालिग को दिल्ली में आनन्द विहार बस अड्डे से पकड़ा गया। २१ दिसंबर को ही अक्षय ठाकुर को बिहार के औरंगाबाद में उसके गांव से गिरफ्तार कर लिया गया।
छात्रा ने दम तोड़ दिया- २९ दिसंबर २०१२- इलाज के लिए सिंगापुर गई छात्रा ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने एफआईआर में हत्या की धारा भी लगा दी।
गैंगरेप मामले की तफ्तीश काबिल-ए- गौर ,
वसंत विहार गैंग रेप मामले में पुलिस ने अहम साक्ष्य जुटाने के लिए ऐसे तरीके भी अपनाए ,जो कि तफ्तीश में पहले कभी नहीं अपनाए गए थे। छात्रा के शरीर पर अपराधियों के दांत से काटने के निशान मिले थे। ये निशान अपराधियों के दांतों के ही है इसे साबित करने के लिए अपराधियों के दांतों के इम्प्रेशन/छाप ली गई और उसका मिलान छात्रा के शरीर पर मिले निशानों से किया गया। ऐसा किसी मामले की तफ्तीश में पुलिस ने पहली बार किया है।
टीथ बाइट -जांच से जुड़े एक अफसर के अनुसार टीथ बाइट साबित करने के लिए अपराधियों के दांतों की फोटो ली गई। मैटीरियल पर उनके दांतों की छाप ली गई। छात्रा के शरीर पर मिले दांत से काटने के निशान मुख्य आरोपी राम सिंह और अक्षय ठाकुर के दांतों के पाए गए।
डीएनए प्रोफाइलिंग-इस मामले में बड़े पैमाने पर डीएनए प्रोफाइलिंग कराई गई। वारदात में इस्तेमाल बस और जहां पर युवक युवती को फ ेंका गया था वहां से और अपराधियों द्वारा सबूत नष्ट करने के लिए जला दिए गए पीडि़तों के कपड़ों से भी डीएनए डेवलप कराया गया। अपराधियों की डीएनए की जांच भी कराई गई। इलैक्ट्रानिक साक्ष्य- वारदात के दौरान बस जिस रास्ते से गुजरी थी उसे एक रुट बना कर होटल के सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन के लोकेशन से साबित किया गया। ६ तरीके से अपराधियों की पहचान सुनिश्चित की गई- इस मामले में शक की कोई गुंजाइश न रह जाए इसके लिए अपराधियों की पहचान ६ तरीके से सुनिश्चित की गई। शिनाख्त परेड़ द्वारा, कोर्ट में कठघरे में, डीएनए मैच करा कर ,फिंगर प्रिंट, टीथ बाइट से और छात्रा द्वारा मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर अपराधियों की पहचान सुनिश्चित की गई।
ब्लड रिपोर्ट- अपराधियों ने वारदात के बाद सबूत मिटाने के लिए बस को साबुन से धो दिया था लेकिन सीएफएसएल के एक्सपर्ट की मदद से पुलिस ने बस में से डीएनए जांच के लिए खून के कतरे एकत्र किए। इसके अलावा डाक्टर द्वारा जमा किए गए साक्ष्यों से भी अपराध साबित किया गया। गैंगरेप मामले ने पुलिस पर सवालिया निशान लगाया
पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा- १६ दिसंबर २०१२ को चलती बस में गैंगरेप की वारदात ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया। इस वारदात के विरोध में लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किए। पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर भी लाठीचार्ज किया। इस वारदात की गूंज अंतरिक्ष तक गई। पुलिस क मिश्नर को हटाने की मांग उठी। हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाई। लेकिन एक पुलिसवाले तक के खिलाफ तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। मर्ई में जाकर चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश दिए गए ।
इंडिया गेट और विजय चौक पर प्रदर्शनकारी लड़कियों/महिलाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। तिलक मार्ग इलाके में प्रदर्शन के दौरान सिपाही सुभाष तोमर की हार्ट अटैक से हुई मौत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर ८ युवकों को उसमें फंसा दिया। जबकि इनमें से कई युवक उस समय वहां थे ही नहीं। पुलिस ने बाद में इनको बेकसूर बताया।
एसडीएम ने आरोप लगाया- एसडीएम उषा चतुर्वेदी ने तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा और दो एसीपी पर आरोप लगाया कि बलात्कार पीडि़ता का बयान अपने मुताबिक दर्ज कराने के लिए उस पर दबाव डाला। एसडीएम ने कहा है कि मना करने पर उसके साथ बदसलूकी की गई और धमकी भी दी। एसडीएम की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को पत्र लिखा। यह मामला उजागर होने पर पुलिस ने पीडि़ता का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया।
कई मौतों से मामले की सुनवाई में देरी- इस मामले की सुनवाई करने वाले फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडिशनल सेशन जज योगेश खन्ना के माता-पिता का निधन हो गया। बचाव पक्ष के एक वकील के परिवार में मौत हो गई। एक आरोपी की छोटी बहन की मौत हो गई। ११ मार्च को तिहाड़ जेल में मुख्य आरोपी राम सिंह ने आत्महत्या कर ली।
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता के लिए पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी। पूर्व मुख्य न्यायधीश जेएस वर्मा ने भी पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने भी फटकार लगाई। लेकिन पुलिस कमिश्नर तो दूर एक सिपाही तक को नहीं हटाया गया।
आईपीएस अफसरों के खिलाफ जांच-इस मामले ने ट्रैफिक पुलिस और पीसीआर की पोल खोल दी। गृह मंत्रालय ने मई में गैँग रेप मामले में चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरु कर दी है। जिन चार आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच हो रही है उनमें पीसीआर के तत्कालीन स्पेशल पुलिस कमिश्नर दीपक मिश्रा, पीसीआर के ही तत्कालीन एडिशनल पुलिस कमिश्नर जीसी द्विवेदी, ट्रैफिक पुलिस के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सत्येंद्र गर्ग और ट्रैफिक के ही दक्षिण रेंज के डीसीपी प्रेमनाथ शामिल है।
गैंग रेप मामले में पुलिस की भूमिका या कमियों के बारे में जस्टिस उषा मेहरा कमेटी और गृह मंत्रालय की अफसर बीना मीणा ने अपनी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद मार्च में उपरोक्त अफसरों को चार्जशीट/मेमोरेंडम दिया गया गृह मंत्रालय ने इन अफसरों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश दिए ।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जे एस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने आपराधिक कानून में संशोधन किया और कई नई धाराएं जोड़ी गई। तेजाब से हमला करने को भी इसमें जोड़ा गया।
१६ दिसंबर २०१२ की रात का घटनाक्रम -
शाम के ६.३० बजे से ८.३० बजे- छात्रा और उसके दोस्त ने साकेत के सिलेक्ट सिटी वॉक में फिल्म देखी।
८.३० बजे- ऑटो वाले से द्वारका के मधु विहार (छात्रा के घर) जाने लिए कहा, लेकिन ऑटो वाला मुनीरका से आगे जाने को राजी नहीं हुआ।
९.१० बजे- ऑटो वाले ने इन दोनों को मुनीरका बस स्टॉप पर छोड़ दिया। दोनों वहां रूट नंबर ७६४ की बस का इंतजार करने लगे। तभी सफेद रंग की एक चार्टेड बस वहां आकर रूकी। बस कंडक्टर ने दस-दस रूपए में उनको छोड़ देने को कहा। छात्रा और उसका दोस्त बस में सवार हो गए। बस में ६ लोग सवार थे। इनमें से तीन लोगों ने छात्रा के साथ छेडख़ानी शुरु कर दी। छात्रा के दोस्त ने विरोध किया तो उन लोगों ने उसे पीटना शुरु कर दिया लोहे की रॉड से पीट-पीट कर उसे लहुलुहान कर दिया। इसके बाद लडक़ी को पीछे की सीट पर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया गया।
१०.१५ बजे रात- महिपाल पुर इलाके में फ्लाईओवर के पास लडक़े और लडक़ी को निर्वस्त्र करके फेंक दिया गया।
१०.२० बजे -हाइवे टोल कंपनी के स्टाफ के लोगों ने दोनों को इस हाल में देखा तो पुलिस को फोन किया। लेकिन यह फोन गुडगांव पुलिस कंट्रोल रुम को लगा।
१०.२२ बजे- दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रुम को इस वारदात की कॉल मिली।
१०.२४ बजे- पुलिस कंट्रोल रुम ने यह सूचना इलाके में तैनात पीसीआर की गाड़ी पर तैनात पुलिस को दी।
१०.२८ बजे- पीसीआर की गाड़ी मौके पर पहुंची।
१०.५५ बजे- पीसीआर ने दोनों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया।
१७-१२-२०१२ को वसंत विहार थाने में सामूहिक बलात्कार ,कुकर्म,अपहरण,हत्या की कोशिश और लूट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस को तफ्तीश के दौरान अपराध के रास्ते में पडऩे वाले ४ स्थानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज में वारदात में इस्तेमाल सफेद रंग की बस दिखाई दी। बस पर यादव लिखा हुआ था। बस के बारे में छात्रा के दोस्त ने पुलिस को बताया था। इस अहम सुराग के आधार पर पुलिस बस के मालिक दिनेश यादव तक पहुंच गई। १७ दिसंबर को आरके पुरम इलाके में बस मिल गई और उसमें ही मुख्य आरोपी बस चालक राम सिंह भी मिल गया। राम सिंह से पूछताछ के बाद इस अपराध में शामिल उसके भाई मुकेश के अलावा विनय शर्मा और पवन गुप्ता को भी पकड़ लिया गया।
२१-१२-२०१२-इस मामले में आरोपी अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को भी पकड़ लिया गया।
२९-१२-२०१२-इलाज के लिए सिंगापुर गई छात्रा ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस एफआईआर में हत्या की धारा लगा दी।
३-१-२०१३-वारदात के १८ दिन बाद पुलिस ने ५ आरोपियों के खिलाफ साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी। हत्या,हत्या की कोशिश,सामूहिक बलात्कार,कुकर्म,अपहरण, डकैती के दौरान चोट पहुंचाने,सबूत नष्ट करने और साजिश रचने के आरोप में दायर की गई इस चार्जशीट में नाबालिग आरोपी की भूमिका का भी विस्तार से जिक्र किया गया। इस छठे नाबालिग आरोपी के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में केस चलाया गया।
११-३-२०१३- मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।
३१ अगस्त २०१३-इस मामले में आरोपी नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया।
10 सितंबर 2013- इस मामले के चार आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया।
13 सितम्बर 2013- को अदालत ने चारो अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई ।
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