Monday, 28 January 2013

पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर सवालिया निशान

पुलिस कमिश्नर की नैतिकता और भूमिका पर सवालिया निशान

इंद्र वशिष्ठ,

सुप्रीम  कोर्ट के पूर्व  चीफ जस्टिस  जे  एस वर्मा ने पुलिस कमिश्नर की  नैतिकता पर  सवाल उठाते हुए कहा कि   पुलिस कमिश्नर को इस्तीफा  देना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि   शांति से प्रदर्शन  करने वालो  पर लाठीचार्ज लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है  दिल्ली हाई कोर्ट ने  भी सामूहिक बलात्कार के  मामले में  पेश स्टेटस रिपोर्ट पर  बार - बार पुलिस को कड़ी फटकार लगा कर पुलिस कमिश्नर की भूमिका पर  सवालिया निशान लगाया  है ।  ऐसे में पुलिस कमिश्नर  का यह कहना हैरानी भरा  है कि उनको  बिल्कुल  भी यह नहीं  लगा   कि नैतिकता के आधार पर उनको अपना पद छोड़  देना चाहिए।   इसके पहले दिल्ली के उप-राज्यपाल  सामूहिक बलात्कार मामले में दो एसीपी को सस्पेंड कर  पुलिस आयुक्त की कार्यप्रणली और भूमिका पर सवालिया निशान लगा चुके  है। उप-राज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने 24  दिसंबर 12  को ट्रैफिक पुलिस के एसीपी मोहन सिंह और पीसीआर के एसीपी याद राम को अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से न निभाने के कारण सस्पेंड करने के आदेश दिए।
पुलिस के दावे की पोल खुली -चलती बस में सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पुलिस के गश्त और चेकिंग के दावे की पोल खोलने के अलावा पीसीआर और ट्रैफिक पुलिस को भी कठघरे में खड़ा कर दिया था। लेकिन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने इस मामले में किसी अफसर को तो दूर एक सिपाही तक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट में दिसंबर में  दी इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट में भी किसी पुलिस वाले को दोषी नहीं बताया था। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर नाराजगी जताई और पुलिस को फटकार लगाई थी। जिसके बाद पुलिस ने खानापूर्ति के नाम पर हौजखास  थाने के तीन सिपाहियों को रामाधार सिंह नामक व्यकित की लूट की शिकायत पर कार्रवाई न करने के आरोप में 22 दिसंबर को सस्पेंड कर दिया । बलात्कार की वारदात से पहले आरोपियों ने रामाधार को लूटा था।  लेकिन वारदात के इतने दिन  बाद भी सामूहिक बलात्कार के मामले में किसी पुलिस वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई पुलिस आयुक्त ने नहीं की ।  लेकिन उपराज्यपाल ने अमेरिका से वापस आते ही इस मामले में पहली नजर में ही दो एसीपी को अपनी डयूटी/जिम्मेदारी ठीक तरह से निभाने का दोषी पाया और उनको सस्पेंड कर पुलिस आयुक्त की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया।

 उप-राज्यपाल के रुप में तेजेंद्र खन्ना द्वारा इस तरह की कार्रवाई दूसरी बार की गई । - मार्च 1997 में कनाट प्लेस में अपराध शाखा के एसीपी सतबीर राठी की  टीम ने दो व्यापारियों को फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था। तत्कालीन पुलिस आयुक्त निखिल कुमार ने  पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर माफी तक नहीं मांगी थी। लेकिन अगले दिन ही तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेद्र खन्ना ने  पुलिसवालों के खिलाफ  हत्या का मुकदमा  दर्ज कराया था। इसके साथ ही तत्कालीन पुलिस आयुक्त निखिल कुमार को भी पद से हटा दिया गया।
आपके  लिए, आपके साथ, सदैव के दावे की पोल खुली -
-चलती बस में सामूहिक बलात्कार के  मामले की शिकार युवती के दोस्त का  बयान  दिल्ली पुलिस के अमानवीय और अंसवेदनशील चेहरे को उजागर कर पुलिस आयुक्त की भूमिका पर  सवालिया निशान लगा चुका है। युवक ने वारदात की सूचना के बाद मौके पर पहुंची  पीसीआर वैन के पुलिसवालों की  असलियत का खुलासा किया।   लेकिन  अफसर  पुलिसवालों की गलती मानने को तैयार ही नही  होते।

Friday, 25 January 2013

इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों से हमले का खतरा


इंडियन मुजाहिद्दीन के भगोड़े/वांटेड  आतंवादियों  से हमले का  खतरा

इंद्र वशिष्ठ   

 इंडियन मुजाहिद्दीनके  भगोड़े/वांटेड  आतंवादियों  द्वारा  दिल्ली, मुंबई या बंगलूरू जैसे  महानगर में आतंकी  हमला किए जाने की  आशंका  है। दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश और कर्नाटक  में हुए बम ब्लास्ट में शामिल इंडियन मुजाहिद्दीन के  25-30 आतंवादी अभी क  पुलिस की  पकड़ में नहीं आए है। इन आतंकवादियों द्वारा ही हमला कि जाने का खतरा मंडरा रहा है। दूसरी ओर अजमल कसाब की फांसी के बाद  लश्कर  तोएबा की  भी बदला लेने की  धमकी की से आतंकी  हमले का  खतरा है।
पता चला है  कि  आतंकी  हमलारने के  इरादे से इंडियन मुजाहिद्दीन के  ये आतंकवादी अपने साथियों को ट्ठा रहे है  इनमें पुणे ब्लास्ट के लिए बम बनाने वाले दो आतंकी  और मुंबई में झवेरी बाजार समेत तीन स्थानों  पर बम धमाको में शामिल आतंकी भी  है।  इनमें दो के  नाम वका और तबरेज पता चले है।  पुलिस को क  है कि ये  पाकिस्तानी है और पुणे ब्लास्ट में भी ये दोनों शामिल थे। इनके अलावा अहमद सिद्दी बप्पा जरार उर्फ  यासिन भट उर्फ शाहरुख उर्फ इमरान की भी पुलिस को तलाश है।दिल्ली में 19-9-2010  में जामा मस्जिद के बाहर विदेशी नागरिको पर हमला और वही का में बम रखने के  मामले के  अलावा दिल्ली में 13-9-2008  में हुए सिलसिलेवार बम धमाको के  मामले में अहमद सिद्दी बप्पा जरार उर्फ  यासिन भटक की  दिल्ली पुलिस को  तलाश है। अहमद सिद्दी बप्पा जरार उर्फ  यासिन भट पर दिल्ली पुलिस ने 15 लाख रुपए का  इनाम रखा हुआ है। दिल्ली में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाको में शामिल दो आतंकवादियों को  दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने 19-9-2008 को बटला हाऊस इलाके  में एनकाउंटर में मार गिराया था। इसका  बदला लेने के  लिए इंडियन मुजाहिद्दीन के   आतंवादियों  ने जामा मस्जिद के  बाहर 19-9-2010 को ही हमला किया जामा मस्जिद मामले में ड़े गए आतंकी कतील की 8-6-2012 को  यरवड़ा जेल में हत्या कर  दी गई। जिसका बदला लेने के  लिए इंडियन मुजाहिद्दीनके   आतंकवादियों  ने 1-8-12 को  पुणे में जंगली महाराज रोड पर बम धमाके किए  थे। पुणे ब्लास्ट मामले में  स्पेशल सेल द्वारा   ड़े गए आतंकवादियों ने बताया कि  मयंम्मार में मुसलमानों पर अत्याचार का  बदला लेने के  लिए अब उनका  इरादा  बौधगया के मंदिरों पर हमलारने का  है।
 उपरोक्त मामलों से ही यह साफ है कि  इंडियन मुजाहिद्दीन के  आतंवादी चुप नहीं बैठे है वह हमले करने की  साजिश लगातार रचते रहते है। लश्कर  तोएबा और इंडियन मुजाहिद्दीन में सांठ-गांठ है। इंडियन मुजाहिदीन के  आतंकवादी कर्नाटक के मूल निवासी  रियाज और उसका भाई इकबाल भटक पाकिस्तान में है।  आईएसआई ने   पाकिस्तानियों को  भेजक भारतीयों  से हमले कराने की  रणनीति अपनाई हुई ताकि पाकिस्तान पर सीधा इलजाम लगे। आईएसआई के मंसूबों को  इंडियन मुजाहिद्दीन  के आतंवादी पूरा क रहे है। 

Saturday, 19 January 2013

दिल्ली में महफूज नही महिलाएं




दिल्ली में महफूज नही महिलाएं


इंद्र वशिष्ठ
राजधानी में महिलाएं साल दर साल असुरक्षित होती  जा रही है। साल २०१२ भी महिलाओं के लिए  सुरक्षित नहीं था। साल के अंत में चलती बस में गैंग रेप ने तो पूरे देश को ही झकझोर दिया। लगातार तीसरे बर्ष  भी  बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले बढ़े है। साल २०१२ में बलात्कार के ७०६ मामले दर्ज हुए जबकि २०११में ५७२ और २०१० में ५०७ बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे।  साल २०१२ में छेड़छाड़ के ७२७, साल २०११ में ६५७ और साल २०१० में ६०१ मामले दर्ज हुए थे। पुलिस का कहना है कि साल २०१२ में बलात्कार के ९६.३२ प्रतिशत मामलों में आरोपी पीडि़ता के जानकार/रिश्तेदार/पड़ोसी या सहयोगी थे। सिर्फ  .६८ प्रतिशत वारदात में आरोपी अजनबी थे।
साल २०१२ में झपटमारी की १४४० वारदात दर्ज हुई जबकि २०११ में १४७६ मामले दर्ज हुए थे पुलिस ने झपटमारी की वारदात कम होने का दावा किया है। लेकिन महिलाओं के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है इसक पता इससे ही लगाया जा सकता है कि चेन झपटने के ज्यादतर  मामले पुलिस दर्ज ही नहीं करती या महिला को रिपोर्ट दर्ज कराने के इतने दुष्परिणाम बता देती है कि महिला खुद ही डर के मारे रिपोर्ट दर्ज नहीं कराती
बीते  साल आईपीसी के तहत दर्ज मामलों में .७५ प्रतिशत की वृद्वि हुई है। आईपीसी के तहत कुल ५४२८७ मामले दर्ज हुए जबकि साल २०११ में यह संख्या ५३३५३ थी। साल २०१२ में ५३.१५ प्रतिशत मामलों को सुलझाने का दावा पुलिस ने किया है। साल २०१२ में संगीन अपराध में १०.६४ प्रतिशत की वृद्वि हुई है। हालांकि पुलिस के आकंडें़  सचाई से दूर होते है क्योंकि आकंड़ों से अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस द्वारा सभी वारदात को दर्ज करना या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा आज भी कायम है। आज भी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए लोगों को सिफारिश या कोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। लूट को चोरी में दर्ज  दिया जाता है। जेब कटने और मोबाइल चोरी की ज्यादातर वारदात तो पुलिस दर्ज ही नहीं करती है।
साल २०१२ में हत्या ,डकैती,फिरौती के लिए अपहरण,वाहन चोरी,घरों में चोरी के मामलों में भी कमी का दावा पुलिस ने किया है। हत्या के ५२१,डकैती के २८, फिरौती के लिए अपहरण के २१, वाहन चोरी के १४३९१, घरों में चोरी के १७४६ मामले दर्ज हुए। हत्या की कोशिश,लूट, जबरन वसूली, सेंधमारी, अपहरण के मामले बढ़े है।
सडक़ दुर्घटनाओं में कमी आई -बीते साल १८२२ जानलेवा दुर्घटनाएं हुई जबकि २०११ में यह संख्या २०४७ थी।