केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को डिस्पेन्सरी का स्थानांतरण रोक कर बुजुर्गों, मरीजों के प्रति संवेदनशील होने का परिचय देना चाहिए.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा पूर्व मंत्री हर्षवर्धन की तरह डिस्पेन्सरी का स्थानांतरण रुकवाएं
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने लोगों को उनके घर के पास ही चिकित्सा सुविधा/इलाज उपलब्ध कराने के लिए मौहल्ला क्लीनिक खोलें हैं।
दूसरी ओर भाजपा की सरकार एक इलाके की सीजीएचएस डिस्पेन्सरी को दूसरे इलाके में स्थानांतरित कर सीजीएचएस लाभार्थियों/ सरकारी कर्मचारियों से चिकित्सा सुविधाओं को दूर कर उनके लिए समस्या पैदा कर रही हैं।
संवेदनहीन नौकरशाही-
भाजपा सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह, लोगों खासकर बुजुर्गों/मरीजों के प्रति कितने संवेदनहीन और अमानवीय है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में त्री नगर स्थित सीजीएसएस की डिस्पेन्सरी को यहां से अशोक विहार स्थानांतरित किया जा रहा है। लगभग पांच दशक से त्री नगर के ओंकार नगर-सी इलाके में सीजीएचएस की यह डिस्पेन्सरी है। यह डिस्पेन्सरी किराये की इमारत में है। अगर डिस्पेन्सरी को स्थानांतरित करना बहुत ही जरूरी है, तो उसे त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में स्थानांतरित किया जा सकता है। लेकिन त्री नगर की डिस्पेन्सरी को यहां से कई किलोमीटर दूर अशोक विहार में स्थानांतरित किया जाना किसी भी तरह सही/ उचित/ जायज/ तर्क संगत/ व्यवहारिक नहीं है। अशोक विहार में सीजीएचएस की एक डिस्पेन्सरी पहले से ही मौजूद है। उसी इमारत की पहली मंजिल पर त्री नगर की डिस्पेन्सरी को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया /कार्रवाई चल रही है।
डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित किए जाने से त्री नगर के सीजीएचएस लाभार्थियों, खासकर सेवानिवृत्त बुजुर्गों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, इसका अंदाजा वरिष्ठ अफसरों यानी नौकरशाहों को बिल्कुल भी नहीं है। वरना वह इस तरह का अमानवीय/ संवेदनहीन और अव्यवहारिक कदम नहीं उठाते।
बुजुर्गों पर पहाड़ टूट जाएगा-
त्री नगर की डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित किए जाने से मरीजों, खासकर बुजुर्गों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। बुजुर्गों को शारीरिक/ मानसिक रूप से तो कष्ट होगा ही, इसके अलावा रिक्शा से एक बार अशोक विहार डिस्पेन्सरी आने जाने में ही उन्हें कम से कम सौ रूपये खर्च करने पड़ेगें। मरीजों को इलाज/ दवा के लिए एक महीने में कई- कई बार डिस्पेन्सरी जाना पड़ता है। ऐसे में उन पर आर्थिक रूप से बहुत बोझ पड़ेगा। असुविधा के अलावा समय अलग बर्बाद होगा।
हर्षवर्धन का सराहनीय कार्य-
त्री नगर स्थित इस डिस्पेन्सरी को कुछ साल पहले भी बंद करने की कोशिश नौकरशाही ने की थी। लेकिन तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन ने डिस्पेन्सरी को बंद नहीं करने दिया। तब भाजपा से जुड़े लोगों ने मंत्री से कहा था, कि कांग्रेस के राज में तो डिस्पेन्सरी बंद या स्थानांतरित नहीं हुई और अब हमारे (भाजपा) राज में ऐसा हो रहा है।
प्रवीण खंडेलवाल से उम्मीद-
सीजीएचएस लाभार्थियों/बुजुर्गों को उम्मीद है कि मरीजों के हित में अब क्षेत्रीय सांसद प्रवीण खंडेलवाल भी इस डिस्पेन्सरी को यहां से स्थानांतरित नहीं होने देंगे।
खोजों तो जगह मिल ही जाएगी-
त्री नगर में ही वर्धमान वाटिका के साथ ही नगर निगम की इमारत में बुजुर्गों के लिए मनोरंजन केंद्र बनाया था, जो बंद पड़ा रहता है। वर्धमान पार्क के साथ ही समुदाय भवन भी है। इनमें किसी भी इमारत की किसी मंजिल को सीजीएचएस किराये पर लेकर वहां डिस्पेन्सरी स्थानांतरित कर सकती है। इसके अलावा इलाके में खोजने पर डिस्पेन्सरी के लिए और भी बिल्डिंग/ इमारत किराये पर मिल सकती हैं। डीडीए से इस इलाके में ही जमीन लेकर उस पर सीजीएचएस डिस्पेन्सरी के लिए इमारत बनाई जा सकती है।
संवेदनशील डाक्टर की जरुरत-
त्री नगर डिस्पेन्सरी में पर्याप्त स्थान उपलब्ध है लेकिन डाक्टर यह जताते हैं कि स्थान कम है इसलिए डिस्पेन्सरी को यहां से शिफ़्ट कर दिया जाए।
जबकि समस्या तो संवेदनहीन डाक्टर से होती है स्थान से नहीं। दरअसल डिस्पेन्सरी में संवेदनशील डाक्टर की जरुरत होती है। इस डिस्पेन्सरी में कुछ समय पहले तक डाक्टर खुद तो एसी कमरे में बैठते थे और मरीज को बाहर खुले में धूप में बिठा कर खिड़की के झरोखे से देखते थे। दरअसल कोरोना काल में यह व्यवस्था शुरू की गई थी लेकिन कोरोना काल खत्म होने के बाद भी डाक्टरों ने यह व्यवस्था इस डिस्पेन्सरी में जारी रखी।
इस पत्रकार ने मरीजों के साथ डाक्टरों के इस अमानवीय व्यवहार को 12 सितंबर 2024 को उजागर किया। जिसके बाद डाक्टर दीपक गुप्ता का यहां से तबादला कर दिया गया।
पता चला है कि 1993 में रानी बाग स्थित सीजीएचएस डिस्पेन्सरी को प्रीतम पुरा स्थानांतरित करने की कोशिश की गई थी लेकिन लोगों ने एतराज़ किया, तो उसे स्थानांतरित नहीं किया गया।
अपडेट-
सीजीएचएस के डायरेक्टर सतीश वाई एच ने 31 दिसंबर 2024 को बताया कि त्री नगर डिस्पेन्सरी में रिपेयर का काम करने के लिए डिस्पेन्सरी को अस्थायी रूप से अशोक विहार शिफ़्ट किया गया है। दो- तीन महीने में रिपेयर का काम पूरा हो जाने पर वापस डिस्पेन्सरी यहां आ जाएगी।
डिस्पेन्सरी को त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में शिफ़्ट क्यों नहीं किया गया? इस पर डायरेक्टर का कहना है उसमें समय ज्यादा लगता।
उल्लेखनीय है कि सीजीएचएस के 27 दिसंबर के पत्र में यह कहीं नहीं लिखा कि डिस्पेन्सरी अस्थायी रूप से अशोक विहार शिफ़्ट की जा रही है।