Sunday, 29 December 2024

केजरीवाल ने बनाए मौहल्ले में क्लीनिक, भाजपा ने की मौहल्ले से दूर डिस्पेन्सरी, त्री नगर की सीजीएचएस डिस्पेन्सरी अशोक विहार शिफ़्ट

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को डिस्पेन्सरी का स्थानांतरण रोक कर बुजुर्गों, मरीजों के प्रति संवेदनशील होने का परिचय देना चाहिए.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा पूर्व मंत्री हर्षवर्धन की तरह डिस्पेन्सरी का स्थानांतरण रुकवाएं






इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने लोगों को उनके घर के पास ही चिकित्सा सुविधा/इलाज उपलब्ध कराने के लिए मौहल्ला क्लीनिक खोलें हैं।
दूसरी ओर भाजपा की सरकार एक इलाके की सीजीएचएस डिस्पेन्सरी को दूसरे इलाके में स्थानांतरित कर सीजीएचएस लाभार्थियों/ सरकारी कर्मचारियों से चिकित्सा सुविधाओं को दूर कर उनके लिए समस्या पैदा कर रही हैं। 
संवेदनहीन नौकरशाही-
भाजपा सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह, लोगों खासकर बुजुर्गों/मरीजों के प्रति कितने संवेदनहीन और अमानवीय है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में त्री नगर स्थित सीजीएसएस की डिस्पेन्सरी को यहां से अशोक विहार स्थानांतरित किया जा रहा है। लगभग पांच दशक से त्री नगर के ओंकार नगर-सी इलाके में सीजीएचएस की यह डिस्पेन्सरी है। यह डिस्पेन्सरी किराये की इमारत में है। अगर डिस्पेन्सरी को स्थानांतरित करना बहुत ही जरूरी है, तो उसे त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में स्थानांतरित किया जा सकता है। लेकिन त्री नगर की डिस्पेन्सरी को यहां से कई किलोमीटर दूर अशोक विहार में स्थानांतरित किया जाना किसी भी तरह सही/ उचित/ जायज/ तर्क संगत/ व्यवहारिक नहीं है। अशोक विहार में सीजीएचएस की एक डिस्पेन्सरी पहले से ही मौजूद है। उसी इमारत की पहली मंजिल पर त्री नगर की डिस्पेन्सरी को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया /कार्रवाई चल रही है। 
डिस्पेन्सरी को अशोक विहार  स्थानांतरित किए जाने से त्री नगर के सीजीएचएस लाभार्थियों, खासकर सेवानिवृत्त बुजुर्गों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, इसका अंदाजा वरिष्ठ अफसरों यानी नौकरशाहों को बिल्कुल भी नहीं है। वरना वह इस तरह का अमानवीय/ संवेदनहीन और अव्यवहारिक कदम नहीं उठाते। 
बुजुर्गों पर पहाड़ टूट जाएगा-
त्री नगर की डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित किए जाने से मरीजों, खासकर बुजुर्गों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। बुजुर्गों को शारीरिक/ मानसिक रूप से तो कष्ट होगा ही, इसके अलावा रिक्शा से एक बार अशोक विहार डिस्पेन्सरी आने जाने में ही उन्हें कम से कम सौ रूपये खर्च करने पड़ेगें। मरीजों को इलाज/ दवा  के लिए एक महीने में कई- कई बार डिस्पेन्सरी जाना  पड़ता है। ऐसे में उन पर आर्थिक रूप से बहुत बोझ पड़ेगा। असुविधा के अलावा समय अलग बर्बाद होगा। 
हर्षवर्धन का सराहनीय कार्य-
त्री नगर स्थित इस डिस्पेन्सरी को कुछ साल पहले भी बंद करने की कोशिश नौकरशाही ने की थी। लेकिन तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन ने डिस्पेन्सरी को बंद नहीं करने दिया। तब भाजपा से जुड़े लोगों ने मंत्री से कहा था, कि कांग्रेस के राज में तो डिस्पेन्सरी बंद या स्थानांतरित नहीं हुई और अब हमारे (भाजपा) राज में ऐसा हो रहा है। 
प्रवीण खंडेलवाल से उम्मीद-
सीजीएचएस लाभार्थियों/बुजुर्गों को उम्मीद है कि मरीजों के हित में अब क्षेत्रीय सांसद प्रवीण खंडेलवाल भी इस डिस्पेन्सरी को यहां से स्थानांतरित नहीं होने देंगे। 

खोजों तो जगह मिल ही जाएगी-
त्री नगर में ही वर्धमान वाटिका के साथ ही  नगर निगम की इमारत में बुजुर्गों के लिए मनोरंजन केंद्र बनाया था, जो बंद पड़ा रहता है। वर्धमान पार्क के साथ ही समुदाय भवन भी है। इनमें किसी भी इमारत की किसी मंजिल को सीजीएचएस किराये पर लेकर वहां डिस्पेन्सरी स्थानांतरित कर सकती है। इसके अलावा इलाके में खोजने पर डिस्पेन्सरी के लिए और भी बिल्डिंग/ इमारत किराये पर मिल सकती हैं। डीडीए से इस इलाके में ही जमीन लेकर उस पर सीजीएचएस डिस्पेन्सरी के लिए इमारत बनाई जा सकती है। 
संवेदनशील डाक्टर की जरुरत-
त्री नगर डिस्पेन्सरी में पर्याप्त स्थान उपलब्ध है लेकिन डाक्टर यह जताते हैं कि स्थान कम है इसलिए डिस्पेन्सरी को यहां से शिफ़्ट कर दिया जाए। 
जबकि समस्या तो संवेदनहीन डाक्टर से होती है स्थान से नहीं। दरअसल डिस्पेन्सरी में संवेदनशील डाक्टर की जरुरत होती है। इस डिस्पेन्सरी में कुछ समय पहले तक डाक्टर खुद तो एसी कमरे में बैठते थे और मरीज को बाहर खुले में धूप में बिठा कर खिड़की के झरोखे से देखते थे। दरअसल कोरोना काल में यह व्यवस्था शुरू की गई थी लेकिन कोरोना काल खत्म होने के बाद भी डाक्टरों ने यह व्यवस्था इस डिस्पेन्सरी में जारी रखी‌। 
इस पत्रकार ने मरीजों के साथ डाक्टरों के इस अमानवीय व्यवहार को 12 सितंबर 2024 को उजागर किया। जिसके बाद डाक्टर दीपक गुप्ता का यहां से तबादला कर दिया गया। 

पता चला है कि 1993 में रानी बाग स्थित सीजीएचएस डिस्पेन्सरी को प्रीतम पुरा स्थानांतरित करने की कोशिश की गई थी लेकिन लोगों ने एतराज़ किया, तो उसे  स्थानांतरित नहीं किया गया। 
अपडेट-
सीजीएचएस के डायरेक्टर सतीश वाई एच ने 31 दिसंबर 2024 को बताया कि त्री नगर डिस्पेन्सरी में रिपेयर का काम करने के लिए डिस्पेन्सरी को अस्थायी रूप से अशोक विहार शिफ़्ट किया गया है। दो- तीन महीने में रिपेयर का काम पूरा हो जाने पर वापस डिस्पेन्सरी यहां आ जाएगी। 
डिस्पेन्सरी को त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में शिफ़्ट क्यों नहीं किया गया? इस पर डायरेक्टर का कहना है उसमें समय ज्यादा लगता। 

उल्लेखनीय है कि सीजीएचएस के 27 दिसंबर के पत्र में यह कहीं नहीं लिखा कि डिस्पेन्सरी अस्थायी रूप से अशोक विहार शिफ़्ट की जा रही है। 








Thursday, 12 December 2024

चेक से रिश्वत लेने वाला बैंक ऑफ बड़ौदा का ब्रांच मैनेजर गिरफ्तार : सीबीआई


चेक से रिश्वत लेने वाला बैंक ऑफ बड़ौदा का मैनेजर गिरफ्तार



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने 1 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए  बैंक ऑफ बड़ौदा, शिकारपुर शाखा, बुलंदशहर के ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक  को गिरफ्तार किया। ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक ने शिकायतकर्ता से चेक के माध्यम से रिश्वत की मांग की व उक्त चेक को बैंक से भुनाते हुए पकड़ा गया। ब्रांच मैनेजर के घर से एक पिस्तौल बरामद हुई है। 
सीबीआई ने  बैंक ऑफ बड़ौदा, शिकारपुर शाखा, बुलंदशहर के ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक के खिलाफ जावेद की शिकायत के आधार पर 11.12.2024 को मामला दर्ज किया। शिकायतकर्ता जावेद की पत्नी ने बैंक में 80 लाख रुपए की ऋण सीमा (लोन लिमिट) करने के लिए आवेदन किया। ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक ने 80 लाख रुपए की ऋण सीमा स्वीकृत करने  के लिए जावेद से एक लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक ने जोर देकर जावेद से कहा कि 1 लाख रुपए की रिश्वत उसे विधिवत हस्ताक्षरित बैंक चेक के माध्यम से दी जाए, ताकि वह स्वयं रिश्वत की धनराशि बैंक से निकाल सके।

सीबीआई ने जाल बिछाया एवं शिकायतकर्ता जावेद ने विधिवत हस्ताक्षरित बैंक चेक ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक को सौंप दिया। जैसे ही ब्रांच मैनेजर अंकित मलिक ने शिकायतकर्ता के उक्त चेक का उपयोग करके 1 लाख रुपए की रिश्वत धनराशि बैंक से निकाली, सीबीआई टीम ने उसे पकड़ लिया और उसके कब्जे से 1 लाख रुपए की रिश्वत राशि बरामद की।

बुलंदशहर एवं दिल्ली में अंकित मलिक के आवासीय परिसरों की तलाशी ली गई। तलाशी अभियान के दौरान बुलंदशहर में उसके घर से एक पिस्तौल बरामद की गई और उसे थाना कोतवाली, शिकारपुर, बुलंदशहर को सौंप दिया गया। 


Wednesday, 11 December 2024

डीडीए का असिस्टेंट इंजीनियर 2 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया: सीबीआई



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने 2 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए डीडीए के असिस्टेंट इंजीनियर (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के रूप में कार्यरत) राहुल मीणा और एमटीएस मनीष को गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई ने विक्रम शर्मा की शिकायत पर 11.12.2024 को डीडीए, विकास मीनार में तैनात एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अंकुश और असिस्टेंट इंजीनियर राहुल मीणा के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया।
विक्रम शर्मा के पास डीडीए के यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में स्वीमिंग पूल के संचालन और रखरखाव करने का ठेका है। 
आरोप है कि आरोपियों ने दस लाख का बिल बिल पास करने/भुगतान करने पर इनाम के तौर पर 3 लाख रुपए रिश्वत मांगी। परस्पर बातचीत के पश्चात, आरोपी, शिकायतकर्ता से 2.8 लाख रुपए  की रिश्वत स्वीकारने पर सहमत हो गया।
सीबीआई ने  11.12.2024 को जाल बिछाया। असिस्टेंट इंजीनियर (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के रूप में कार्यरत) राहुल मीणा के निर्देश पर, शिकायतकर्ता ने डीडीए के आरोपी एमटीएस मनीष को आंशिक भुगतान के रूप में 2 लाख रुपए की रिश्वत राशि सौंपी।  दोनों आरोपियों को पकड़ लिया गया।



एनआईए के 140 मामलों में 595 अपराधियों को सज़ा



एनआईए के 140 मामलों में 595 अपराधियों को सज़ा



इंद्र वशिष्ठ, 
नई दिल्ली, एनआईए द्वारा की गई 140 मामलों की तफ्तीश अदालत में सही साबित हुई है। 
एनआईए के कुल 147 मामलों में अदालत द्वारा अब तक निर्णय/ फैसला दिया गया है, जिनमें से 140 मामलों में 595 अपराधियों को सजा हुई है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में सांसद नीरज शेखर और आदित्य प्रसाद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। 
640 मामले दर्ज-
गृह राज्य मंत्री ने राज्य सभा में बताया कि  05.12.2024 की स्थिति के अनुसार एनआईए ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक कुल 640 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से 109 मामलों में सक्रिय जांच तथा 395 में आगे की जांच चल रही है। 505 मामलों में अदालत में आरोप-पत्र दायर किए जा चुके हैं। एनआईए द्वारा अब तक 4174 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है तथा 595 की सज़ा/ दोषसिद्धि हुई है।अदालत द्वारा कुल निर्णय दिए गए 147 मामलों में से 140 मामलों में सज़ा/ दोषसिद्धि हुई है।
543 संपत्तियां कुर्क-
एनआईए द्वारा तफ्तीश किए गए मामलों में सज़ा/ दोषसिद्धि की दर 95.23 फीसदी है। एनआईए ने  गैर कानूनी गतिविधियां  (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत कुल 543 संपत्तियों (चल और अचल) को जब्त/ कुर्क किया है, जिनकी कीमत 109.6 करोड़ रुपये है।
51 अदालत-
एनआईए द्वारा तफ्तीश किए गए मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए, देश भर में 51 विशेष अदालतें नामित की गई हैं।  एनआईए के मामलों में प्रभावशाली अभियोजन के लिए एनआईए के पास वर्तमान में 135 विशेष लोक अभियोजक (पीपी) और 42 वरिष्ठ पीपी हैं।
एनआईए का कार्य आतंकवाद से संबंधित अपराधों, आतंकी फंडिंग, जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन), मानव तस्करी तथा साइबर आतंकवाद जैसे अनुसूचित अपराधों की जांच करना  है।