Tuesday, 15 April 2025

रिटायर्ड इंस्पेक्टर से 2 लाख लेते एएसआई गिरफ्तार, एसएचओ फरार, गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश की धज्जियां उड़ाई

दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर

गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश की धज्जियां उड़ाई



इंद्र वशिष्ठ, 
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बावजूद पुलिस वाले मकान बनाने वालों से वसूली करने में लगे हुए हैं। 
बेखौफ, निरंकुश, भ्रष्ट पुलिस वालों द्वारा रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर से भी मकान निर्माण करने देने के लिए रिश्वत वसूलने का मामला सामने आया हैं। 
एसएचओ फरार-
माडल टाउन थाने में तैनात एएसआई सुदेश कुमार यादव को दिल्ली पुलिस के ही रिटायर्ड इंस्पेक्टर यशपाल से दो लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पुलिस की ही विजिलेंस यूनिट ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी से बचने के एसएचओ पवन मीणा फरार हो गया। 
एसएचओ लाइन हाज़िर-
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि एएसआई सुदेश कुमार को सस्पेंड और एसएचओ पवन मीणा को लाइन हाज़िर किया गया है। एसएचओ पवन मीणा सोमवार दोपहर में एक दिन की परमिशन लेकर घर गया था, लेकिन मंगलवार रात तक वह डयूटी पर वापस नहीं आया। 
4 लाख मांगे-
रिटायर्ड इंस्पेक्टर यशपाल का महेंद्रू एन्क्लेव में दो सौ गज का मकान है। मकान में सबसे ऊपरी म़जिल पर 140 गज में बना हुआ है। अब शेष छत पर यशपाल निर्माण कार्य/ लैंटर करवा रहा था।
यशपाल द्वारा विजिलेंस यूनिट में की गई शिकायत में आरोप लगाया कि उनके मकान में छत पर मरम्मत/निर्माण कार्य करने की अनुमति के बदले एएसआई सुदेश द्वारा उनसे लगातार 4 लाख रुपए रिश्वत की मांग की जा रही थी। जब उसने कुछ निर्माण कार्य शुरू किया, तो एएसआई सुदेश और क्षेत्र के अन्य बीट स्टाफ द्वारा उसे रुकवा दिया गया। 4 लाख रुपए रिश्वत की मांग की गई, साथ ही धमकी दी गई कि रिश्वत देने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। अंत में मामला दो लाख रुपए में तय हुआ। 
एसएचओ की मिलीभगत-
रिटायर्ड इंस्पेक्टर काम रुकवाए जाने के संबंध में अपनी शिकायत लेकर माडल टाउन थाने के एसएचओ पवन मीणा से भी मिला था, लेकिन एसएचओ ने उसे एएसआई सुदेश से मिलने के लिए कहा।
एसएचओ ने उसके साथ बदतमीजी से बात की और कहा "चलिए, काम बंद करिये "
एएसआई सुदेश ने यशपाल को 14 अप्रैल को रिश्वत के पैसे के साथ बुलाया। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत के साथ एक पेन ड्राइव भी उपलब्ध कराई, जिसमें बताया कि रिश्वत की मांग के संबंध में  मॉडल टाउन थाने के विभिन्न पुलिस अधिकारियों के साथ उसकी बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग है। 
यह सूचना मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट की टीम ने जाल बिछाया। 14 अप्रैल को शाम को एएसआई सुदेश ने थाने  की पहली मंजिल पर स्थित अपने कमरे में शिकायतकर्ता यशपाल से  2 लाख रुपए रिश्वत ली। विजिलेंस की टीम ने तुरंत एएसआई सुदेश कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया।
गृह मंत्री के निर्देश की धज्जियां उड़ाई-
केंद्रीय गृह मंत्री ने एक मार्च को गृह मंत्रालय में दिल्ली की कानून व्यवस्था की समीक्षा  बैठक में निर्देश दिया था कि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के मामलों में पुलिस की परमिशन की जरूरत नहीं होगी। बैठक में दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी मौजूद थी। 
गृह मंत्री के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार ने भी बकायदा सर्कुलर निकाला था जिसमें कहा गया था भवन निर्माण कार्यों में दिल्ली पुलिस की अनुमति की जरूरत नहीं होती। पुलिस का कार्य केवल अवैध निर्माण की सूचना संबंधित एजेंसी को देना है। 
भ्रष्टाचार चरम पर-
दिल्ली पुलिसकर्मियों के लगातार पकड़े जाने के बावजूद भ्रष्टाचार थम नहीं रहा। 
हवलदार विजिलेंस टीम को टक्कर मार कर भाग गया-
4 अप्रैल 2025 को जाफरपुर कलां थाने का हवलदार गजेंद्र रिश्वत के 15 हजार रुपए लेकर भाग गया। शिकायतकर्ता से मकान बनाने देने और बोरिंग के लिए रिश्वत मांगी। 
हवलदार  कार से विजिलेंस टीम को टक्कर मार कर भागा। विजिलेंस टीम के दो पुलिसकर्मी घायल हुए। हत्या के प्रयास और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया। हवलदार गजेंद्र सिंह को 25 अप्रैल को विजिलेंस यूनिट ने गिरफ्तार कर लिया।
एसएचओ फरार-
सीबीआई ने 26 मार्च को दिल्ली पुलिस के सागरपुर थाना में तैनात हवलदार सांवरमल और सिपाही शुभम गिल को ढाई लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार  किया है। रिश्वत लेने के बाद पुलिसकर्मी ने एसएचओ को फोन किया। सीबीआई की रेड का पता चलते ही गिरफ्तारी से बचने के लिए सागर थाने का एसएचओ दिनेश कुमार भाग गया था। एसएचओ को बाद अदालत से जमानत मिल गई। 
आरोपी पुलिस कर्मियों ने शिकायतकर्ता महिला को नशे/ड्रग्स का धंधा करने देने और ड्रग्स के मामले में नहीं फंसाने के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। 
हवाला से रिश्वत लेने वाला सब- इंस्पेक्टर  गिरफ्तार-
सीबीआई की मुंबई टीम ने 19 मार्च को दिल्ली पुलिस के रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया है। सीबीआई के अनुसार सब- इंस्पेक्टर राहुल  मलिक को मुंबई, इरोड (तमिलनाडु) और नई दिल्ली में स्थित कई हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से आंशिक भुगतान के रूप में 2.5 लाख रुपए की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में  गिरफ्तार किया है। 
सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
मुंबई में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय करने  वाले शिकायतकर्ता शाहबाज़ शेख ने सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक के ख़िलाफ़ सीबीआई की मुंबई शाखा में मामला दर्ज कराया था। 
एएसआई, हवलदार गिरफ्तार-
सीबीआई ने 22 मार्च को ट्रैफिक पुलिस के वसंत विहार सर्किल में तैनात एएसआई अशोक कुमार और हवलदार राम सिंह को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।शिकायतकर्ता से साप्ताहिक बाजार में टेबल सप्लाई करने की अनुमति देने के लिए रिश्वत मांगी।
हवलदार भाग गया-
मार्च में ही हरिनगर थाने के हवलदार सतीश को सीबीआई रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। 
हवाला से रिश्वत- सीबीआई की मुंबई से आई टीम ने 19 मार्च को हवाला के माध्यम से ढाई लाख रुपए रिश्वत लेने वाले रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
एसएचओ लाइन हाज़िर- सीबीआई ने 20 फरवरी को सनलाइट कालोनी थाने में तैनात एएसआई राम सिंह को 10 हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। एएसआई राम सिंह ने एक दम्पति को जेल भेजने की धमकी दे कर 30 हज़ार रुपए रिश्वत मांगी। एएसआई राम सिंह को निलंबित किया गया। इस मामले में सनलाइट कालोनी थाने के एसएचओ गुलशन नागपाल को लाइन हाज़िर किया गया। 
सब-इंस्पेक्टर भाग गया- सीबीआई 29 जनवरी 2025 को लाहौरी गेट थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना रिश्वत की रकम लेकर थाने से भागने में सफल हो गया।सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को आउटर डिस्ट्रिक्ट के राज पार्क थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को आपराधिक मामले को बंद करने के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।  सीबीआई ने 2 जनवरी 2025 को उत्तर पश्चिम जिले के नेताजी सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। 2 जनवरी 2025 को ही सीबीआई शाहदरा जिले के सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र रिश्वत की रकम लेकर भाग गया। 













Thursday, 10 April 2025

NIA News 2025



26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टर माइंड तहव्वुर राणा NIA के शिकंजे में






26/11 मुंबई आतंकी हमले का
मास्टर माइंड एनआईए के शिकंजे में


इंद्र वशिष्ठ, 
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने वीरवार शाम को 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता/मास्टर माइंड तहव्वुर हुसैन राणा को गिरफ्तार कर लिया। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद इंदिरा गांधी एअरपोर्ट, नई दिल्ली पहुंचने पर राणा को गिरफ्तार किया गया।

बरसों की कोशिश सफल-
एनआईए ने कई वर्षों के निरंतर और ठोस प्रयासों के बाद राणा का प्रत्यर्पण सुनिश्चित किया था। आतंकी सरगना/मास्टरमाइंड राणा द्वारा अमेरिका से प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के अंतिम प्रयास भी विफल रहे थे।
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर
राणा(64) को अमेरिका के लॉस एंजिल्स से एक विशेष विमान में एनएसजी और एनआईए की टीमों द्वारा 10 अप्रैल को नई दिल्ली लाया गया। एनआईए की जांच टीम ने हवाई अड्डे पर सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद  शिकागो (अमेरिका) में रहने वाले राणा को विमान से उतरते ही गिरफ्तार कर लिया।

आतंकी न्याय के कटघरे में-

भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के समन्वित प्रयासों के साथ-साथ अमेरिका में संबंधित अधिकारियों के साथ, एनआईए ने पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया है, जो आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों में एक बड़ा कदम है, चाहे वे दुनिया के किसी भी हिस्से में भाग गए हों।

आखिरकार प्रत्यर्पण हो गया-
भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत एनआईए द्वारा शुरू की गई कार्यवाही के तहत राणा को अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। राणा के विभिन्न मुकदमों और अपीलों, जिनमें यू.एस. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन भी शामिल है, को यू.एस. न्याय विभाग के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय, कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के लिए यू.एस. अटॉर्नी कार्यालय, यू.एस. मार्शल सेवा, नई दिल्ली में एफ.बी.आई. के कानूनी अटैची कार्यालय और यू.एस. राज्य विभाग के कानून प्रवर्तन के लिए कानूनी सलाहकार कार्यालय की सक्रिय सहायता से खारिज कर दिए जाने के बाद आखिरकार प्रत्यर्पण हो पाया। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के मेहनती और लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप भगोड़े राणा के लिए आत्मसमर्पण वारंट हासिल हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उसका अंततः प्रत्यर्पण हुआ। 
166 लोग मारे गए-
राणा पर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाउद गिलानी और नामित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हूजी) के गुर्गों के साथ-साथ पाकिस्तान स्थित अन्य सह-षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर 2008 में मुंबई में हुए विनाशकारी आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है। घातक हमलों में कुल 166 लोग मारे गए और 238 से अधिक घायल हुए।
भारत सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत एलईटी और एचयूजेआई दोनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।


सेना में कैप्टन डाक्टर राणा-

तहव्वुर राणा ने कैडेट कॉलेज हसन अब्दल में पढ़ाई की, जो एक मशहूर सैन्य तैयारी कराने वाला स्कूल रहा, जहां उसकी डेविड कोलमैन हेडली से गहरी दोस्ती हुई, जो बाद में मुंबई हमलों की योजना बनाने वाले प्रमुख लोगों में शामिल रहा। अपनी मेडिकल डिग्री पूरी करने के बाद, राणा पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में शामिल हो गया, जहां उसने कैप्टन जनरल ड्यूटी प्रैक्टिशनर के रूप में काम किया। 
अपनी सैन्य सेवा के बाद, तहव्वुर राणा और उसकी पत्नी, जो एक डॉक्टर भी थी - 2001 में कनाडाई नागरिक बन गया। 2009 में अपनी गिरफ्तारी से पहले, वह शिकागो में रहता था, जहां उसने कई बिजनेस चलाए, जिसमें फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम का एक इमिग्रेशन और ट्रैवल एजेंसी भी शामिल था। 

मुखौटा कंपनी-
2006 में तहव्वुर राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड हेडली को मुंबई में इस इमिग्रेशन फर्म की एक ब्रांच खोलने में मदद की। यह लीगल बिजनेस बाद में उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक मुखौटा के रूप में सामने आया। 

मुंबई आतंकी हमलों में भूमिका-

तहव्वुर राणा की 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमलों की प्लानिंग साल 2005 के आसपास शुरू हुई, जब वह आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के सदस्य के रूप में साजिश का हिस्सा बन गया। 
मुंबई  में संभावित आतंकवादी लक्ष्यों की तलाश के लिए उसकी इमिग्रेशन फर्म का मुंबई कार्यालय जानबूझकर स्थापित किया गया था। 
इस दावे की पुष्टि डेविड हेडली ने भी की, जो मुंबई हमलों के लिए जगहों/ लोकेशंस की पहचान करने के लिए दोषी होने के बाद एक प्रमुख गवाह बन गया था। राणा ने हेडली को भारत के लिए वीजा हासिल करने में मदद की थी, और मुंबई में "इमीग्रेसन सेंट" की स्थापना की, जिसने उसके संचालन के लिए कवर के रूप में काम किया। 
कई शहरों का दौरा-
हमलों से कुछ दिन पहले 13 नवंबर से 21 नवंबर, 2008 के बीच तहव्वुर ने अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ हापुड़, दिल्ली, आगरा, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई सहित कई भारतीय शहरों का दौरा किया। उसकी शुरुआती योजना में विभिन्न शहरों में स्थित चबाड हाउस को निशाना बनाना शामिल था। 
साजिशकर्ता-
सबूतों से पता चला कि तहव्वुर राणा 26/11 हमले के षड्यंत्र रचने वालों में शामिल था और वह पाकिस्तान के "मेजर इकबाल" के साथ करीबी संपर्क में रहा, जिसके बारे में माना जाता है कि वह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी का हिस्सा रहा था। मेजर इकबाल ने हेडली को मुंबई आफिस संचालित करने और बाद की गतिविधियों की योजनाओं को मंजूरी देने के लिए लगभग 1,500 डॉलर दिए थे‌। जांच से पता चला कि राणा और हेडली ने अपने पूरे ऑपरेशन के दौरान मुंबई आफिस के माध्यम से एक भी लीगल इमीग्रेशन मामले को आगे नहीं बढ़ाया, जिससे पुष्टि होती है कि वो बिजनेस सिर्फ एक दिखावा था। 

मुंबई हमले-
26 नवंबर, 2008 को, दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में हमले किए, जिसमें ताज महल होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस (यहूदी आउटरीच सेंटर) सहित कई स्थानों को निशाना बनाया गया।घेराबंदी 60 घंटे से ज्यादा समय तक चली, जिसकी वजह से छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। हमलों की साज़िश/ योजना तहव्वुर राणा और हेडली दोनों की मदद से बनाई गई थी, जिसने टार्गेट सेट किए और उसकी निगरानी की। 

हेडली ने टार्गेटेड लोकेशंस पर निगरानी करने के लिए 2007 और 2008 के बीच मुंबई की पांच लंबी यात्राएं कीं और प्रत्येक यात्रा से पहले, उसे लश्कर के सदस्यों से निर्देश मिले। प्रत्येक टोही मिशन के बाद, वह लश्कर के सदस्यों से मिलने और निगरानी वीडियो सहित अपने निष्कर्षों को साझा करने के लिए पाकिस्तान भी जाया करता था। तहव्वुर राणा के इमीग्रेशन बिजनेस ने इन गतिविधियों के लिए सही कवर प्रदान किया। 

अदालत में पेश किए गए सबूतों से पता चला कि राणा और हेडली ने अमेरिका में रहते हुए पाकिस्तान स्थित षड्यंत्र रचने वालों के साथ अपने संपर्कों को छिपाने के लिए जानबूझकर कदम उठाए। चूंकि राणा ने सेना छोड़ दी थी, इसलिए हेडली ने मेजर इकबाल के माध्यम से उसे मदद का आश्वासन दिया, जिससे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ उनके संबंधों की और पुष्टि हुई। राणा, हेडली और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच संबंध इतने मजबूत थे कि हेडली ने गवाही दी कि एजेंसी ने लश्कर को सैन्य और नैतिक समर्थन प्रदान किया था। 

भारत की अपनी यात्राओं के दौरान, हेडली ने राणा के साथ टेलीफोन पर नियमित रूप से संपर्क किया - अपनी पहली यात्रा के दौरान 32 से अधिक कॉल किए, और बाद की यात्राओं में भी इसी तरह की संख्या में फोन किए। ये बातचीत षड्यंत्रकारियों के बीच चल रही प्लानिंग का खुलासा करता है। आईएसआई के मेजर इकबाल ने हेडली के भारत में रहने के दौरान राणा के साथ टेलीफोन और ईमेल के माध्यम से संपर्क किया, जो पाकिस्तान में षड्यंत्रकारियों के साथ सीधे संपर्क से बचने की उनकी मूल योजना से अलग था। 
कनाडा कनेक्शन
पाकिस्तानी सेना में अपनी सेवा के बाद, तहव्वुर राणा और उसकी पत्नी कनाडा चले गए और 2001 में कनाडाई नागरिक बन गए। एक कनाडाई नागरिक के रूप में, राणा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक स्वतंत्र रूप से यात्रा करने में योग्य था, जिसने उसकी आतंकवादी गतिविधियों को प्लान करने में भूमिका अदा की। उसकी कनाडाई नागरिकता ने उसे अमेरिका और बाद में भारत में बिजनेस स्थापित करते समय एक निश्चित स्तर की विश्वसनीयता दी। 

एक वैध कनाडाई व्यवसायी के रूप में अपनी स्थिति का इस्तेमाल करते हुए, तहव्वुर राणा ने शिकागो में अपनी इमीग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म की स्थापना की, जो आतंकवादी अभियानों की नींव बन गई। उसकी कनाडाई नागरिकता ने उसकी यात्राओं और व्यावसाय के कामों को वैध दिखलाने में मदद की, जिसका आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। 


अक्टूबर 2009 में, तहव्वुर राणा और हेडली को अमेरिकी अधिकारियों ने डेनमार्क में जाइलैंड्स-पोस्टेन अखबार के आफिस पर हमला करने की कथित साजिश के लिए गिरफ्तार किया था, जिसने कार्टून पब्लिश किए थे। इस जांच से मुंबई हमलों में उसकी संलिप्तता का पता चला। जून 2011 में, अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में तीन सप्ताह की सुनवाई के बाद, राणा को लश्कर-ए-तैयबा को मदद करने और डेनिश अखबार के खिलाफ विफल साजिश में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था।