Thursday 27 October 2011

किरण बेदी का क्राइम



इंद्र वशिष्ठ
किरण बेदी द्धारा एयर इंडिया के विमानों में 75 प्रतिशत रियायत पर इकनॉमी क्लास में किए गए सफर का विभिन्न संस्थाओं के आयोजकों से बिजनेस क्लॉस की टिकट का किराया वसूलना स्पष्ट रुप से आपराधिक मामला है। किरण बेदी उनके ट्रस्ट और किराए की जाली रसीद बनाने वाली ट्रैवल एजेंसी फलाईवेल के मालिक अनिल बल इसमें समान रुप से शामिल है। इन सभी के खिलाफ पहली नजर में आपराधिक साजिश रचने की आईपीसी की धारा 120 बी, धोखाधड़ी 420, धोखाधड़ी के लिए जालसाजी 468,दस्तावेजों में जालसाजी 471 और कामन इंटेशन की धारा 34 के तहत अपराधिक मामला बनता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अपराध इन लोगों ने एक बार या अनजाने में नहीं किया बल्कि किसी आदी मुजरिम की तरह पैसा वसूलने के मकसद से साजिश रच कर बार-बार किया  है। अपराध के मामले में  नीयत ( इंटेशन) और मकसद( मोटीव) को देखा जाता है। किरण बेदी के मामले में गलत नीयत और ज्यादा रकम वसूलने का मकसद बिलकुल स्पष्ट है। पुलिस सर्विस के दौरान भी इस तरह पैसा वसूलने की जानकारी बेदी ने विभाग से छिपाई  वरना बेदी के खिलाफ विभागीय एक्शन भी होता।
उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री ए राजा आदि के खिलाफ भी आइपीसी की इन्हीं धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है।इस तरह राजा और बेदी बराबर है।
जाली रसीद- पैसा वसूलने के मकसद से बिजनस क्लास में सफर  की जो रसीदें आयोजकों को दी गई वह जाहिर है कि जाली ही थी क्योंकि जो किराया बेदी ने खर्च ही नहीं किया स्पष्ट है कि उसकी रसीद असली तो हो ही नहीं सकती। किरण बेदी का यह कहना कि उनका मकसद इस तरह अपने एनजीओ के लिए पैसा बचाना था इसमें कोई पर्सनल फायदा नहीं उठाया। पूर्व आइपीएस और लॉ ग्रेजुएट किरण बेदी को शायद कानून की मामूली समझ भी नहीं है वर्ना अपराध के इस मामले में वह इस तरह के हास्यापद तर्क न देती। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी काबिल अफसर रहीं होगी किरण? एनजीओ भी उनका है और यात्राओं का ज्यादा पैसा  भी उन्होंने हीं वसूला तो यह पर्सनल फायदा नही तो क्या है ?
किरण बेदी ने कहा कि ट्रैवल एजेंसी ने रसीद जारी कर आयोजकों से पैसे लिए थे इसलिए एजेंसी को पैसा लौटाने को कहा है। पैसा ट्रैवल एकाउंट में पड़ा है जबकि पहले किरण ने कहा था कि यह पैसा मेरे एनजीओ को गया है। उल्लेखनीय है कि अगर कोई लुटेरा लूट की रकम दान कर दें तो भी उसका अपराध खत्म नही हो जाता। रोहिणी में एक बार एक ठेकेदार ने सरकारी कर्मचारियों से मिलीभगत कर सड़क सिर्फ फाइलों में बनी दिखा कर सरकार को चूना लगा दिया था। किरण का मामला भी ऐसा ही है बिजनस क्लास में सफर किए बिना ही उसकी रसीद देकर पैसा वसूल लिया ।  किरण बेदी ने वीरता पदक के आधार पर हवाई किराए में छूट का फायदा उठाया लेकिन आयोजकों से बढा- चढा कर किराए के पैसे वसूले।
पूर्व मुख्य न्यायधीश जे एस वर्मा ने किरण बेदी को आड़े हाथों लिया और कहा कि जो पैसा आपने खर्च नहीं किया हो उसे दूसरे से लेना हरगिज स्वीकार्यनहीं है।इससे भी आपत्तिजनक  बात यह है कि बेदी ने इसका यह कह कर बचाव किया कि यह रकम उन्होंने अपने लिए नहीं ली। 

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