Wednesday 13 June 2012

आइएएस न बन पाए तो आइपीएस बन गए


आइएएस न बन पाए तो आइपीएस बन गए
आइपीएस के लिए अलग से परीक्षा हो

इंद्र वशिष्ठ
भारतीय पुलिस सेवा यानी आइपीएस में ऐसे  बहुत से लोग  भर्ती होते है जो  वास्तव में पुलिस  में शामिल  नहीं होना चाहते थे वे आइएएस अफसर बनना चाहते थे लेकिन उसमें चयन न हो पाने के कारण आइपीएस को चुनते है। जबकि वास्तव में वे पुलिस के कार्य को पसंद नहीं करते।  आइपीएस अफसरों की भर्ती की परीक्षा प्रणाली उचित  नहीं है।  इसलिए सरकार को आइपीएस के लिए अलग से परीक्षा के संचालन की संभावना तलाशनी चाहिए। सरकार से यह सिफारिश संसद की स्थायी समिति ने की है।
समिति ने राज्यसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपीएससी ग्रुप ए की विभिन्न सेवाओं के लिए परीक्षाएं संचालित करती है और आइपीएस भी उनमें से एक है। आइपीएस के इच्छुक लोग नहीं जानते कि उन्हें आइपीएस सेवा में प्रवेश मिलेगा या नहीं। इसी प्रकार जो लोग आइपीएस  में जाने के इच्छुक नहीं है वे भी नहीं जानते कि उन्हें आइपीएस सेवा या अन्य सेवा में से किसमें प्रवेश मिलेगा।
समिति का मानना है कि पुलिस सेवा का विकल्प चुनने वाले उम्मीदवारों का रवैया कुछ अलग होता है ,  अलग होना चाहिए। जिसकी गारंटी यह परीक्षा प्रणाली नहीं देती। देखा गया है कि जो लोग पुलिस का कार्य पसंद नहीं करते वे आइपीएस बन जाते है। ऐसी स्थिति मे समिति सरकार से सिफारिश करती है कि वह आइपीएस के लिए अलग से परीक्षा संचालित करने की संभावना तलाशें ताकि उम्मदीवार की मानसिक संरचना और पुलिस कार्य के प्रति झुकाव के साथ.साथ उसकी प्रवृति और रुझान भी  जांचा जा सकें।
समिति ने कहा है कि सरकार यूपीएससी से आइपीएस अफसरों की नियुक्ति के लिए अलग से परीक्षा संचालित करने का आग्रह कर सकती है। इस संबंध में एसवीपी एनपीए से भी परामर्श किया जा सकता है। समिति की बैठक में एक सदस्य ने कहा कि कई लोग जो पुलिस  में भर्ती होते है वे वास्तव में पुलिस  में शामिल  नहीं होना चाहते थे वे आइएएस अफसर बनना चाहते है लेकिन वे आइएएस में चयनित नहीं हो पाते़ एइसलिए वे दूसरी सर्वोत्तम सेवा को चुनते है।
समिति देश में 1300 आइपीएस अफसरों की कमी  को लेकर गंभीर है। यद्दपि इस कमी को पूरा करने के लिए यूपीएससी की सीधे राज्य पुलिस अफसरों और अर्धसैनिक पुलिस अफसरों में से आइपीएस अफसरों की नियुक्ति के लिए एक सीमित प्रतियोगी परीक्षा की योजना है।  लेकिन समिति का मानना है कि यह अंतिम समाधान नहीं है। यूपीएससी परीक्षा में आवश्यकता के अनुसार भर्ती की जानी चाहिए।

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