Tuesday 18 September 2012

पुलिस में अंधविश्वास, मीडिय़ा कसूरवार



                
पुलिस भी अंधविश्वासी,   मीडिय़ा भी कसूरवार,   अंधविश्वास का बोलबाला ,

इंद्र वशिष्ठ

इंसान भी कितना अजीब है एक ओर तो वह खुद कों आधुनिक दिखाने की होड में लगा रहता है । इसके लिए वह  नए-नए फैशन के कपडे पहनने से लेकर नए- नए  आई पैड, मोबाइल और अन्य इस तरह की चीजों का सहारा लेकर अपनी जीवन शैली और कार्य शैली से खुद को समाज में हाई टैक , आधुनिक और खुले विचारों वाला दिखाने में लगा रहता है।   दूसरी ओर  अपनी समस्याओं के हल के लिए बाबाओं और तांत्रिकों के दरबार में बडी तादाद में बढ रही उनकी हाजिरी उनके अंधविश्वासी होने की पोल खोल रही है। इंसान का यहीं दोहरा चऱि़त्र असल में उसकी सभी समस्याओं की जड है। 
जादू टोना, अंध विश्वास केवल अनपढ़ लोंगों तक ही सीमित नहीं है। पढे लिखे यहां तक की बड़े-बड़े अफसर और नेता तक अंधविश्वासी है। कुछ साल पहले दिल्ली में काला बंदर और मंकी मैन का आतंक फैल गया था।  डर के मारे लोग रात भर पहरे देने लगे थे। काले बंदर के नाम पर अंध विश्वास और अफवाह को फैलाने को लिए न्यूज चैनल और कई पुलिस अफसर भी जिम्मेदार थे। आज तक चैनल पर तो बकायदा बंदर के मुंह वाले इंसान का चित्र बना कर बताय़ा गय़ा कि काला बंदर या मंकी मैन ऐसा होगा। उस समय सुरेश राय नामक एक आईपीएस अफसर भी न्यूज चैनलों पर इस तरह के बयान देते थे जैसे वाकई काला बंदर य़ा मंकी मैन है।
अंध विश्वास का आलम यह है कि दिल्ली के कई थानों में  अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए हवन का सहारा लिया जाता रहा है। पटेल नगर थाने में लगातार हिरासत में होने वाली मौंतों से परेशान पुलिस ने इसके लिए थाने के मुख्य गेट को जिम्मेदार और अशुभ माना और उस गेट को बंद कर थाने का मुख्य गेट दूसरी सड़क की ओर बना दिया। नेता तक अंधविश्वासी है इसका पता इस बात से चलता है कि सांसद फूलन देवी की जिस सरकारी मकान में हत्या हुई थी। कोई भी सांसद उसमे रहना नहीं चाहता। अंध श्रद्धा या अंध विश्वास को बढ़ावा देने में सभी दलों के नेताओं का नजरिया एक सा ही  है।
जादू टोना के नाम पर औंरतों और बच्चों पर अत्याचार के मामले आज भी पता चलते रहते है। औरत को डायन बता कर उसकी हत्या करने या संतान पाने के लिए किसी के बच्चे की बलि  देने के मामले अक्सर सुनाई पड़ते है।  इस पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून के साथ लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।  तंत्र-मंत्र को बढ़ावा देने में इस समय अनेक न्यूज चैनल भी लगे हुए है।  ये चैनल तांत्रिकों और बाबाओं के कार्यक्रम दिखाते है और दर्शकों को यह तक नहीं बताते कि यह कार्यक्रम विज्ञापन है। सिर्फ अपने फायदे के लिए तंत्र-मंत्र को बढ़ावा देने वाले ऐसे कार्यक्रम दिखा कर न्यूज चैनल पत्रकारिता के पेशे को बदनाम कर रहे है। सरकार को ऐसे चैनलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। मीडिया का काम समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए लोगों को जागरूक करना होता है गुमराह करना नहीं।
तंत्र-मंत्र- जंतर में डूबे ऐसे ही अंधविश्वासियों ने जादू- टोने के चक्कर में तीन साल में  देश में 528 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। चौंकाने  वाली बात यह है कि जादू- टोने या तंत्र-मंत्र  के कारण  हत्या  के मामले में दिल्ली से सटा सम्पन्न राज्य हरियाणा सबसे आगे है। हरियाणा में वर्ष 2008 में 25, वर्ष 2009 में 30 और वर्ष 2010 में 57 लोगों की अंधविश्वासियों ने हत्या कर दी। हरियाणा के बाद उडीसा ऐसा राज्य है जहां पर वर्ष 2010 में 31 लोगों की हत्या कर दी गई । सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी के क्षेत्र में नाम कमाने वाला आंध्र प्रदेश भी इस मामले में पीछे नहीं है वहां पर भी वर्ष 2010 में 26 लोगों की इसी वजह से हत्या कर दी गई।
गृह मंत्रालय के  आंकडों के अनुसार जादू टोने के कारण पूरे देश में वर्ष 2008 से 2010 के दौरान कुल 528 लोगों की हत्या कर दी गई। इन  तीन सालों में अंधविश्वासियों ने हरियाणा में 112, झारखंड में 104, उडीसा में 82, आंध्र प्रदेश में 76,, मध्य प्रदेश में 58, महाराष्ट  में 33, छतीस गढ में 29, गुजरात में 9, मेघालय में 6, बिहार   और  पश्चिम बंगाल   में 4-4  ,कर्नाटक और  , तमिलनाडु में 3-3, राजस्थान में 2, उत्तर प्रदेश ,त्रिपुरा  और दादरा नगर हवेली में 3 लोगों  को जादू टोने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया।

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