Saturday, 25 January 2014

दिल्ली पुलिस: नेताओं के लिए, नेताओं के साथ,सदैव

दिल्ली पुलिस: नेताओं के लिए, नेताओं के साथ,सदैव 
इंद्र वशिष्ठ,
आपके लिए, आपके साथ, सदैव का दावा करने वाली दिल्ली पुलिस ने अपना नया नारा शांति, सेवा और न्याय बनाया है लेकिन ऐसा लगता है कि पुलिस सेवा आम आदमी की नहीं नेताओं की कर रही है इसलिए आम आदमी को न्याय और शांति नहीं मिल  रही है।
पीएचक्यू या पार्टी मुख्यालय- पुलिस आम आदमी के नहीं नेताओं के साथ है। इसका अंदाजा इस मामले से  लगाया जा सकता है जब दिल्ली पुलिस मुख्यालय भाजपा का दफ्तर बन गया। मामला गुरु वार 23 जनवरी क़ा है । भाजपा के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष विजय गोयल अपने सहयोगी नेताओं के साथ पुलिस मुख्यालय में एक शिकायतकर्ता के रूप में पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी से मिलने पहुंचे। भाजपा नेता वहां पर अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री सोमनाथ भारती के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई न किए जाने की शिकायत करने गए। पुलिस कमिश्नर से  मिलने के बाद विजय गोयल ने पुलिस मुख्यालय के लॉन में मीडिया को संबोधित किया। आधा घंटे से ज्यादा समय तक गोयल आदि ने पुलिस मुख्यालय के लॉन का इस्तेमाल राजनीतिक बयानबाजी के लिए इस तरह से किया जैसे कि वह भाजपा के मुख्यालय में करते हैं। भाजपा द्वारा पुलिस मुख्यालय का इस्तेमाल राजनीतिक बयानबाजी के लिए करने से पुलिस के दोहरे चरित्र का पता चलता है।
राजपथ और जनपथ- कमिश्नर से मिलने आने वाले वीआईपी शिकायतकत्र्ता पुलिस मुख्यालय में मुख्य द्वार यानी राजपथ से जाते है जबकि आम आदमी को इमारत में प्रवेश दूसरे द्वार यानी जनपथ से मिलता है। पुलिस का भेदभाव यहीं खत्म नहीं हो जाता है। आम आदमी को पुलिस कमिश्नर के दफ्तर के सामने लिफ्ट की गैलरी में रखी लोहे की कु र्सियों पर बैठाया जाता है। जबकि नेता या अन्य रसूखदार शिकायतकत्र्ता को न केवल  एसी कमरे में बिठाया जाता बल्कि चाय-पानी भी पेश की जाती है।
पुलिस मुख्यालय में नेताओं के लिए मीडिया की सुविधा- आम शिकायतकत्र्ता  मुख्यालय में पुलिस के खिलाफ शिकायत करने के बाद वहां मौजृद मीडिया के सामने जब अपना मामला उठाना चाहता है तो पुलिस उसे ऐसा करने से रोक देती है। आम शिकायतकत्र्ता से पुलिस कहती है कि वह अपनी समस्या पर मीडिया से मुख्यालय के गेट के बाहर बात कर सकते है मुख्यालय परिसर में नहीं। जबकि नेताओं के लिए पुलिस यह सुविधा उपलब्ध करा देती है।

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