Friday, 8 December 2017

CRPF, बारुदी सुरंग रोधक वाहनों की कमी से जान गंवा रहे जवान


इन्द्र वशिष्ठ
 बारूदी सुरंग रोधक वाहनों की कमी के कारण सुरक्षा बलों के जवान खतरनाक हालात में काम करते हुए जान गंवा रहे हैं। अरसा पहले इन वाहनों की जरूरत का न सिर्फ अंदाजा लगाया गया था बल्कि इनकी खरीद किए जाने पर सहमति और मंजूरी भी हो चुकी है। इन प्रोटेक्टेड व्हीकल्स (MPVs) की कमी का सबसे ज्यादा नुकसान यदि किसी अर्ध सैनिक बल को हो रहा है तो वो है सीआरपीएफ, जो आतंकवाद प्रभावित राज्यों के अलावा माओवादियों के गढ़ में भी काम कर रही है।
बरसों पहले सीआरपीएफ के लिए 668 MPVs खरीदे जाने का प्रस्ताव मंजूर हुआ था लेकिन इस बल के पास महज 126 ऐसे वाहन हैं। असम राइफल्स के लिए 92 की मंजूरी है लेकिन मिले सिर्फ 28 हैं। सीमा सुरक्षा बल(BSF) को 224 की जरूरत है जबकि इसके पास सिर्फ 24 MPVs है। वहीं भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के लिए 40 वाहन मंजूर हैं लेकिन अभी तक सिर्फ 50% यानि 20 ही हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के लिए 16 और सशस्त्र सीमा बल (SSB) के लिए 7 MPVs मंजूर किए गए हैं लेकिन अभी इनके पास तो MPVs है ही नहीं।
एक तरफ इन वाहनों की कमी है तो दूसरी तरफ माओवादी बारूदी सुरंग धमाकों की आक्रामकता बढाते जा रहे हैं। हालत यह है कि बारूदी सुरंग बिछे होने का अंदाजा होने के बावजूद सुरक्षा बलों को जोखिम उठाकर उन सड़कों से गुजरना पड़ता है। ये जवान साधारण वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो ये अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट ही वाहन के फर्श पर बिछा देते हैं ताकि धमाका होने की स्थिति में उसके असर को कम किया जा सके।
MPVs का महत्व सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाने भर का नहीं है। ऐसे वाहन का इस्तेमाल एम्बुलेंस और सुरक्षित बनकर के रूप में भी होता है।

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