Thursday 23 April 2020

कोरोना योद्धा और मरीज़ भूखे पेट लड़ रहे ज़ंग। जागो लोगों जागो, लापरवाही पाओ तो सरकार को जगाओ, मरीज़ को बचाओ।


कोरोना योद्धा

कोरोना योद्धा और मरीज़ भूखे पेट लड़ रहे ज़ंग।
जागो लोगों जागो, लापरवाही पाओ तो आवाज उठाओ, सरकार को जगाओ,
मरीज़ को बचाओ।

इंद्र वशिष्ठ
कोरोना से निपटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा  अच्छी व्यवस्था करने के दावे तो बहुत किए जा रहे हैं लेकिन सरकार के इन दावों की पोल अस्पताल और क्वारंटीन सेंटर में भर्ती मरीजों  द्वारा ही नहीं, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा भी खोली जा रही है। अभी तो दिल्ली में कोरोना ग्रस्त मरीजों का आंकड़ा दो हजार के पार ही पहुंचा  है। लेकिन इतने कम लोगों के इलाज में ही घोर लापरवाही बरती जा रही  है तो उस समय क्या हाल होगा जब मरीजों की तादाद बढ़ जाएगी जैसा कि आशंका जताई जा रही है। उन्हीं आशंकाओं को ध्यान में रख कर सरकार द्वारा व्यापक तैयारी किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।
देश की राजधानी में महामारी के शिकार लोगों के इलाज में लापरवाही बरतना, कोरोना योद्धा स्वास्थ्य कर्मियों  को भरपेट भोजन तक नहीं मिलने से पूरे देश के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है।

कोरोना योद्धा भूखे पेट जंग लड़ रहे हैं- 

सरकार कोरोना की जंग में शामिल डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ आदि को कोरोना योद्धा कह रही है लेकिन दूसरी ओर इन योद्धाओं को भरपेट भोजन तक नहीं दिया जा रहा है।
दिल्ली सरकार के गुरु तेग बहादुर अस्पताल के ऐसे योद्धाओं यानी नर्सिंग स्टाफ ने अपना दुखड़ा  अस्पताल प्रशासन आदि को सुनाया था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
जब इन योद्धाओं की पीड़ा सोशल मीडिया पर  वायरल अनेक वीडियो से उजागर हुई तो सरकार के कान पर जूं रेंगी।

सरकार बौखलाई वीडियो बनाने पर रोक लगाई -
हालांकि वीडियो वायरल होने से बौखला कर अस्पताल प्रशासन ने आदेश जारी कर दिया कि कर्मचारियों द्वारा इस तरह के वीडियो बना कर वायरल नहीं किए जाएं। 
एक तो सरकार कर्मचारियों के बताने के बाद भी उनके रहने खाने की व्यवस्था को सुधारती नहीं है। दूसरी ओर चाहती है कि मजूबर कर्मचारी वीडियो सार्वजनिक भी न करें।
कोरोना योद्धा सरकारी खाने से दुखी-
नर्सिंग स्टाफ ने वीडियो में कहा कि हम अपना घर छोड़कर यहां काम कर रहे हैं हमें पेशंट देखने से डर नहीं लगता। पेशंट तो कितने भी देख सकते हैं।
लेकिन हमें खाना देखकर दुःख होता है। भरपेट भोजन तक नहीं दिया जाता है।
नाश्ते में दो ब्रेड और एक केला दिया जाता है। जिससे किसी का भी पेट नहीं भरता है।
लंच और डिनर में बिल्कुल फ्रिज जैसी ठंडी दाल और चावल दिए जाते हैं। पिछले चार दिनों से यहीं दिया जा रहा है। 

योद्धा खाएंगे नहीं तो ज़ंग लड़ेंगे कैसे-
कोरोना की जंग में सबसे आगे रहने वाले इन योद्धाओं को भरपेट और पोष्टिक भोजन नहीं मिलेगा तो इन लोगों का इम्युन सिस्टम तो बिल्कुल ही कमजोर हो जाएगा। कोरोना से लड़ने के लिए तो यह सबसे जरूरी है कि व्यक्ति का इम्युन सिस्टम ताकतवर हो।

जागो लोगों जागो, आवाज उठाओ, सरकार को जगाओ -
हाल ही में जहांगीर पुरी के कोरोना पीड़ित अरविंद गुप्ता की जान तो उसके परिवार की समझदारी से बच गई।
लोकनायक अस्पताल में भर्ती अरविंद गुप्ता शुगर, हाइपरटेंशन के पहले से ही मरीज़ है। इसके बावजूद उनको खाना तक नहीं दिया गया और भर्ती होने के बाद डाक्टरों ने उसे दो-तीन दिन तक देखा ही नहीं।
 तेज बुखार से पीड़ित अरविंद गुप्ता ने अपने परिवार को फोन कर उसे वहां से निकाल कर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने की गुहार लगाई।
परिवार वालों ने वीडियो बना कर वायरल किया तब जाकर सरकार और डॉक्टरों की नींद खुली और अरविंद की सुध ली।
सरकार को जानलेवा लापरवाही के इस गंभीर मामले में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और संबंधित डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। तभी मरीजों की जान से खिलवाड़ करने के मामले रुकेंगे।
इलाज में  लापरवाही अपराध -
इतना तो डाक्टर जानते ही हैं कि शुगर के मरीज को भूखा रखने से उसकी मौत भी हो सकती है।
इलाज न करना और इलाज में लापरवाही बरतना भी अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करने वाले डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।
कोरोना जैसे महामारी के दौर में भी डाक्टर और सरकार द्वारा इस तरह की गंभीर लापरवाही इन दोनों की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते है।

गंभीर बीमारी से पीड़ितों पर तो ख़ास ध्यान दो-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि कोरोना से मरने वालों में 83 फीसदी लोग पहले से ही शुगर,सांस, हृदय, कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित थे। मरने वालों में 80 फीसदी की उम्र पचास साल से ज्यादा है।

ऐसे में तो सरकार ओर डाक्टरों को ऐसे मरीजों पर तो विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसे मरीजों के इलाज, रहने- खाने और देखभाल के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए। 
लेकिन ऐसा हो नहीं रहा अरविंद गुप्ता के मामले से यह साफ़ पता लगता है। वह शुगर, हाइपरटेंशन के पहले से मरीज़ हैं। भूखा रहने से उनके शुगर का स्तर गड़बड़ा जाता तो उनकी जान भी जा सकती थी ।
 मौत का कारण लापरवाही भी हो सकती है? -
मान लीजिए अरविंद गुप्ता की मौत शुगर से हो जाती तो सरकार तो सिर्फ़ यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेती कि कोरोना के एक ओर मरीज़ की मौत हो गई। यह बात तो कभी उजागर भी नहीं होती कि शुगर, हाइपरटेंशन के मरीज अरविंद गुप्ता को भूखा रखा गया और डॉक्टरों ने उन्हें देखा तक नहीं था। ऐसे मामले  में मौत का असली कारण शुगर और इलाज में लापरवाही होती लेकिन नाम कोरोना का हो जाता।
जागो और जगाओ-
अरविंद गुप्ता के परिवार की तरह ही  कोरोना मरीजों के सभी परिजनों और रिश्तेदारों को इसी तरह सतर्क और जागरूक रहना चाहिए और लापरवाही पाए जाने पर अपनी आवाज़ इसी तरह बुलंद करनी चाहिए। जिससे कि सरकार का ध्यान इस ओर जाएं। 
सरकार बौखलाए नहीं सुधार करे-
सरकार को भी ऐसे मामलों के उजागर होने पर बौखलाने के बजाए शुक्र मनाना चाहिए कि लोग जागरूक है और ऐसा करके वह  सरकार की ही मदद  कर रहे हैं। लोगों द्वारा बताने से सरकार को अपनी कमियां दूर करने का मौका मिल सकता है।

मरीज़ से निरंतर संपर्क ज़रुरी -
जैसे रोडवेज की बस में लिखा  जाता है  कि सवारी अपने सामान की सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार है। इसी तरह लोगों को अस्पताल में भर्ती अपने मरीजों के निरंतर संपर्क में रहना चाहिए। 

क्वारंटीन सेंटर में पलंग नहीं, जमीन पर बिस्तर-
 रोहतक निवासी सीजीएचएस से सेवानिवृत्त  यशपाल अरोड़ा ने बताया कि पश्चिम दिल्ली के अशोक नगर निवासी उनकी चचेरी बहन अनीता अरोड़ा (54) को चार अप्रैल को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 22 अप्रैल को उनके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पाज़िटिव आई।

इसके बाद 22 अप्रैल को अनीता को 14 दिनों के लिए शाहदरा मंडौली  में फ्लैटों में बना गए क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया गया।
वहां पर एक कमरे में जमीन पर गद्दे बिछाकर कर तीन मरीजों को रखा गया है। मच्छरों की भरमार है लेकिन मच्छर भगाने के लिए आल आउट वगैरह भी नहीं है।

महिला और पुरुष एक ही कमरे में-
हैरानी की बात है कि महिला मरीज के कमरे में ही पुरुष मरीज़ को भी रखा गया है। 
अनीता के कमरे में ही करीब 70 साल के एक बुजुर्ग मरीज़ को रखा गया है। बुजुर्ग हार्ट पेशंट भी है। ऐसे बुजुर्ग मरीज़ की देखभाल के लिए भी अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। बुजुर्ग अपने काम के लिए अनीता का सहारा लेने को मजबूर  हैं।
इस क्वारंटीन सेंटर में जमाती और इंडोनेशिया के नागरिक भी है।
नहाने के लिए बाल्टी- डिब्बे की व्यवस्था तक नहीं है।
यशपाल अरोड़ा ने बताया कि खाना भी वहां पर अन्य लोगों को वह ही दिया जाता है जो खाना जमाती या यहां भर्ती एक स्थानीय नेता पसंद या फरमाइश करते है।
अनीता भी शुगर की मरीज़ है रहने खाने और देखभाल की अच्छी व्यवस्था न होने से परिवार वाले परेशान और चिंतित हैं।

RML और AIIMS की व्यवस्था से मरीज़ संतुष्ट।
पश्चिम दिल्ली में ही रहने वाले अनीता के भाई चरणजीत अरोड़ा भी कोरोना पाज़िटिव थे। पांच दिनों तक उनका डाक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज किया गया। इसके बाद एम्स झज्जर में उनके लिए क्वारंटीन की व्यवस्था की गई थी। अब अपने घर आ गए चरणजीत राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुए इलाज और एम्स झज्जर में क्वारंटीन की व्यवस्था की तारीफ करते हैं। उन्होंने बताया कि क्वारंटीन सेंटर में जाते ही उनको रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली ज़रुरी चीज़ों की किट भी दे दी गई थी।

राम भरोसे मत छोड़ो-
माना कि कोरोना के इलाज के लिए अभी तक कोई दवा नहीं है।लेकिन सरकार और डाक्टर अपनी ओर से तो कोई लापरवाही न बरतें।
सरकार मरीजों के इलाज , उनके रहने खाने और देखभाल की व्यवस्था तो अच्छी कर ही सकती है। ऐसा नहीं लगना चाहिए  कि सरकार सिर्फ मरीजों को ला कर अस्पताल में राम भरोसे छोड़ देती है।

सिपाही सचिन ने खोली पोल-
नजफगढ़ के चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक अस्पताल में भर्ती कोरोना पीड़ित दिल्ली पुलिस के सिपाही सचिन ने अपना वीडियो वायरल कर बताया कि खांसी या बुखार तक की दवाई तक नहीं दी जा रही है । गर्म पानी नहीं दिया जाता और चद्दर आदि भी नहीं बदले जाते हैं।

                  अस्पताल प्रशासन का आदेश
                 मंडावली सेंटर में जमीन पर बिस्तर











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