Friday 14 August 2020

दीप चंद बंधु अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट के साथ उप-राज्यपाल ने किया अन्याय। फायर विभाग के एनओसी और निगम के कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिना चल रहा अस्पताल।

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                   डाक्टर विकास रामपाल


फायर विभाग के एनओसी और नगर निगम के कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिना चल रहा अस्पताल।

क्या हादसे के बाद जागेगी सरकार ?

कोरोना मरीजों का दिल जीतने वाले डाक्टर के तबादले के पीछे कौन ? नेता,अफसर या ठेकेदार ?

इंद्र वशिष्ठ
कोरोना काल में इलाज और अच्छे व्यवहार से मरीजों का दिल जीतने वाले दीप चंद बंधु अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट का सम्मान करने की बजाए अचानक तबादला करना आश्चर्यजनक और संदेहजनक है। इस मामले ने उप राज्यपाल अनिल बैजल की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है।

तबादले पर सवालिया निशान-
मेडिकल सुपरिटेंडेंट के पद से डाक्टर विकास रामपाल का तबादला भगवान महावीर अस्पताल में महज़ एक डाक्टर/ सीएमओ के पद पर करने का आदेश उप राज्यपाल अनिल बैजल ने 6 अगस्त को दिया ।
किसी अफसर या डाक्टर का तबादला वैसे तो सामान्य सी बात होती है लेकिन डाक्टर विकास रामपाल के तबादले का समय,  परिस्थिति और तरीका सब असामान्य है और नियमों को ताक पर रख कर किया गया है। नियमों के अनुसार मेडिकल सुपरिटेंडेंट के पद के लिए निर्धारित कार्यकाल (आयु 62 साल तक) पूरे होने में डाक्टर विकास रामपाल के करीब आठ महीने शेष थे। इसके बावजूद उनका तबादला कर दिया गया।

अच्छे कार्यों के बदले सज़ा-
इस तबादले को डाक्टर रामपाल की भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ंग से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। 
डाक्टर विकास रामपाल ने इस मामले में उप राज्यपाल को ज्ञापन देकर अपने तबादले पर सवाल उठाए हैं। डाक्टर विकास रामपाल के मुताबिक मनमाने तरीके से किया गया यह तबादला ईमानदारी से कार्य करने वाले डाक्टरों का मनोबल तोड़ने वाला है। कोरोना योद्धा के रूप में उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के बदले उन्हें यह सज़ा  दी गई है।
डाक्टर विकास रामपाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन को भी यह पत्र भेजा है।

दीप चंद बंधु अस्पताल दिल्ली सरकार का है लेकिन डाक्टर की तैनाती/ तबादला आदि सर्विस विभाग के द्वारा की जाती है जिसके मुखिया उप राज्यपाल अनिल बैजल हैं।‌‌‌

 मरीजों ने डाक्टर का सम्मान किया, सरकार ने अपमान किया -
कोरोना महामारी संकट के बीच में मेडिकल सुपरिटेंडेंट पद से डाक्टर विकास रामपाल के तबादले से कई सवाल उठ रहे हैं।
एक ओर दिल्ली सरकार के बड़े बड़े अस्पतालों द्वारा मरीजों को भर्ती करने से इंकार करने और इलाज में लापरवाही बरतने वाले डाक्टरों का अमानवीय संवेदनहीन चेहरा कोरोना पीड़ितों द्वारा लगातार उजागर किया जा रहा है।

ऐसे में दीप चंद बंधु अस्पताल में भर्ती
कोरोना पीड़ितों द्वारा मेडिकल सुपरिटेंडेंट डाक्टर विकास रामपाल और उनकी टीम के संवेदनशील व्यवहार की तारीफ किया जाना बहुत ही सुखद अहसास कराता है। जिससे यह पता चलता है संवेदनशील और सेवा भाव वाले डाक्टरों और नर्स आदि की कमी नहीं है।
ऐसे डाक्टर को सम्मानित करने की बजाए तबादला कर दिया जाना अपमानजनक तो है ही ईमानदारी और सेवा भाव से अपने कर्तव्य का पालन करने वाले डाक्टरों का मनोबल भी तोड़ना  है। 
प्रधानमंत्री मोदी तो जनता से थाली ताली बजवा कर कोरोना योद्धा डाक्टरों का  सम्मान कराते हैं दूसरी ओर उप राज्यपाल इस तरीके से मेडिकल सुपरिटेंडेंट का तबादला कर अपमानित कर रहे हैं। 

तबादले का औचित्य-
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि सीमित संसाधनों के बावजूद डाक्टर विकास रामपाल   डाक्टरों की टीम के साथ कोरोना के खिलाफ ज़ंग में बहुत अच्छा काम कर रहे थे तो उनका तबादला किए जाने का क्या औचित्य है। 

 70 करोड़ का  टेंडर-
डाक्टर विकास रामपाल का तबादला सामान्य तबादला नहीं है।
बताया जाता है कि दीप चंद बंधु अस्पताल में   निर्माण कार्य करने के लिए पीडब्ल्यूडी ने 70 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। अस्पताल में कुछ कार्य शुरू किया जा चुका है।
डाक्टर विकास रामपाल के विचार में इस निर्माण कार्य की जरूरत नहीं है। 

क्योंकि अस्पताल कुछ साल पहले ही बना है। उसमें कुछ ओर बनाने की न तो ज़रुरत है और न ही वहां इसकी गुंजाइश है। ऐसे में उसमें खामखां तोड़ फोड़ करना सरकारी धन की बरबादी है। 

दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि अस्पताल में बिस्तरों की संख्या दो सौ से बढ़ा कर चार सौ किए जाने के लिए यह निर्माण कार्य करने की जरूरत है।

नगर निगम और फायर विभाग का एनओसी नहीं -
दीप चंद बंधु अस्पताल को शुरू हुए कई साल हो चुके हैं लेकिन हैरानी की बात है कि इस अस्पताल के पास न तो दिल्ली नगर निगम का कंप्लीशन सर्टिफिकेट है और आग से बचाव के लिए किए जाने वाले इंतजामों के लिए  फायर विभाग का एनओसी भी नहीं है। बिना जरुरी सर्टिफिकेट और एन ओ सी के अस्पताल शुरू हो जाने के इस मामले से दिल्ली नगर निगम और फायर विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग गया है।
डाक्टर विकास रामपाल इन ज़रुरी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद ही काम शुरू करवाने को तैयार थे।
डाक्टर विकास रामपाल के स्थान पर मेडिकल सुपरिटेंडेंट नियुक्त डाक्टर सुमन कुमारी पहले भी दीप चंद बंधु अस्पताल में कार्यवाहक मेडिकल सुपरिटेंडेंट रह चुकी है बताया जाता है कि उन्होंने ही अस्पताल के री माडलिंग का नक्शा पास किया था।
ठेकेदारों के आंखों की किरकरी-
डाक्टर विकास रामपाल ने ठेकेदारों के जरिए काम लेने की बजाए सफ़ाई कर्मचारी, चौकीदार, नर्सिंग स्टाफ और डाटा एंट्री ऑपरेटर को सीधे दिल्ली सरकार से वेतन दिलवा दिया। जिससे ठेकेदार परेशान हो गए थे।
उप राज्यपाल कार्रवाई करके दिखाओ-
कोरोना के दौर में एक ओर पीड़ितों द्वारा लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और गुरु तेग बहादुर अस्पताल में डाक्टरों द्वारा भर्ती करने से इंकार या इलाज में लापरवाही बरतने के अनेक मामले सामने आए हैं। यहां तक की अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ तक को खाना मुहैया कराने के लिए सोशल मीडिया पर गुहार लगानी पड़ी।
उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री बता सकते हैं  कि इलाज में लापरवाही बरतने और भर्ती  करने से इंकार कर आपराधिक लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों के मेडिकल सुपरिटेंडेंट या डाक्टरों के खिलाफ क्या  कार्रवाई की गई है।











4 comments:

  1. Its disheartening to see, when Dr.Vikas Rampall was doing a great work in Corona times,what was the need to transfer him? LG must look into this matter. We hardly find good Corona warriors. Good warriors should be appreciated rather than penalising them.

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  2. I m totally agree with this post of Inder vashisth.

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  3. I also supporting Dr vikas Ram pal

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  4. In this country and in this political party every thing is possible to against people who are dedicated and imandaar this is again proved in the case of Dr.Rampal A dedicated Doctor and kind hearted person who has served to the cause of humanity is being punished at the fag end of his career.please reinstate him in previous capacity
    Tejinder singh makan

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