Thursday 18 November 2021

ऑटो रिक्शा गैंग ने बुजुर्ग दम्पत्ति के जेवर,नकदी उड़ाई। गिरोह में महिलाएं भी शामिल।रेलवे स्टेशन, बस अड्डा/स्टैंड पर सक्रिय गिरोह। चोरों को पकड़ने में पुलिस हमेशा फिसड्डी।


ऑटो रिक्शा गैंग ने बुजुर्ग दम्पत्ति के जेवर,नकदी उड़ाई। 
गिरोह में महिलाएं भी शामिल।
रेलवे स्टेशन, बस अड्डा/ स्टैंड पर सक्रिय गिरोह।
चोरों को पकड़ने में पुलिस हमेशा फिसड्डी-


 इंद्र वशिष्ठ 
राजधानी में तिपहिया स्कूटर सवार लुटेरो के गिरोह रोजाना लोगों को शिकार बना रहे। इन गिरोहों में महिलाएं भी शामिल है।
लोग चोरों के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। लेकिन पुलिस अफसरों की नजर में शायद यह अपराध कोई मायने नहीं रखता है।
पुलिस अफसर उन लोगों की पीड़ा/तकलीफ़ का अंदाजा भी नहीं लगा सकते जिनकी जीवन भर की जमा पूँजी, गहने,सामान आदि चोरी हो जाते हैं। 
पुलिस अगर ईमानदारी से कोशिश करें, तो ऐसे गिरोहों को पकड़ा जा सकता है, लेकिन चोरी के मामलों को सुलझाने में पुलिस रुचि लेती ही नहीं है।
लुट गए बुजुर्ग दम्पत्ति -
ऐसे ही एक गिरोह ने 18 नवंबर की सुबह एक बुजुर्ग दम्पत्ति के लाखों रुपए के जेवर और नकदी पर हाथ साफ कर दिया । 
बिहार से पत्नी चंद्र कांता (70) के साथ दिल्ली आए बुजुर्ग छाजू राम शर्मा (76) ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से त्री नगर जाने के लिए तिपहिया स्कूटर लिया। स्टेशन से कुछ दूर जाते ही चालक ने स्कूटर रोक दिया, कहा कि खराब हो गया। इस दौरान एक अन्य  स्कूटर वाला आ गया। उसमें दो महिला सवारी पहले से ही  बैठी हुई थी। 
दम्पत्ति भी उस स्कूटर में बैठ गए। कुछ दूर जाने पर चालक ने एक अन्य को भी बिठा लिया। युवक के बैठने के बाद एक महिला दम्पत्ति की ओर पीठ करके यानी ओट करके ऐसे बैठ गई कि उन्हें अपना  सामान नजर नहीं आए। 
गलत रास्ते पर ले गया।-
चालक देशबंधु गुप्ता मार्ग की बजाए स्कूटर को राज घाट की ओर ले गया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय,शक्ति नगर की ओर से घुमाते हुए एक स्थान पर ले जा कर स्कूटर रोक दिया। चालक ने दम्पत्ति को उतार दिया और बोला कि तुम यहीं खड़े रहना मैं दूसरी सवारी को छोड़ कर वापस आता हूं। 
दम्पत्ति काफी देर वहां खड़े रहे, इसके बाद एक अन्य स्कूटर से त्री नगर अपनी बेटी बीना के घर पहुंचे।
जेवर नकदी चोरी-
 घर में जब उन्होंने अपनी दोनों अटैची खोली तो उनके होश उड़ गए। अटैची में रखे करीब पांच तोला सोने के जेवर, चालीस हजार रुपए नकद, दो एटीएम कार्ड, दो वोटर कार्ड, पेन कार्ड, साडियां आदि गायब मिले। दम्पत्ति हरियाणा में  भात में शामिल होने के लिए आए थे।
पुलिस कोशिश करें तो पकड़ा जाए गिरोह-
गिरोह ने उनके एटीएम कार्ड से उनके बैंक खाते से सत्तर हजार रुपए निकाल लिए। 
गिरोह ने  दिलशाद कालोनी स्थित एटीएम से भी नकदी निकाली,  उनके कार्ड से पांच हजार के प्यूमा के जूते और तीन-तीन हजार रुपए कीमत की कमीज खरीदी। यह सब सुबह दस बजे से एक बजे के बीच किया गया।
 केशव पुरम थाना पुलिस अगर चाहे और ईमानदारी से कोशिश करें तो स्टेशन और उपरोक्त रास्तों और स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से इस गिरोह का आसानी से पता लगा सकती है।
दम्पत्ति रेलवे स्टेशन से जिस स्कूटर मे सवार हुए थे वह स्कूटर चालक भी इस गिरोह का ही साथी हो सकता है। उसने जानबूझ स्टेशन से बाहर आने के बाद दूसरे स्कूटर में उन्हें बिठाया होगा।
पुलिस की भूमिका-
लेकिन पुलिस अपराधियों को पकड़ना तो दूर चोरी का मामला तक भी दर्ज नहीं करती। परेशान छाजू राम के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह नई दिल्ली स्टेशन रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो वहां पुलिसकर्मियों ने चोरी की बजाए बैग गुम होने की लॉस्ट रिपोर्ट दर्ज कर अपना पल्ला झाड़ दिया।  

इसके बाद चंद्र कांता ने उत्तर पश्चिम जिले के केशव पुरम थाने में चोरी की ऑनलाइन ई-एफआईआर दर्ज की है।

महिला प्रेस फोटोग्राफर का सात लाख रुपए का कैमरा उड़ाया।
वारदात 8 नवंबर शाम को पूर्वी दिल्ली के शकर पुर थाना इलाके में हुई।
नोएडा निवासी वरिष्ठ पत्रकार (फोटोग्राफर) शिप्रा दास (65) स्कूल ब्लॉक के सामने मदर डेयरी रोड पर  बस का इंतजार कर रही थी। तभी एक तिपहिया स्कूटर उनके पास आकर रुका। तिपहिया में चालक के साथ एक युवक और पीछे सीट पर भी दो लोग बैठे हुए थे।
तिपहिया चालक ने शिप्रा से पूछा कि कहां जाना है। चालक ने पहले पचास रुपए मांगे, फिर तीस रुपए में नोएडा छोड़ देने को तैयार हो गया।
शिप्रा स्कूटर में बैठ गई। तिपहिया चालक ने उसे कहा कि अपना बैग पीछे रख दो, ताकि बैठने की जगह बन जाए। शिप्रा ने बैग रखने से मना कर दिया, लेकिन चालक उसे  बैग पीछे रखने के लिए बार-बार कहने लगा, तो उसने बैग पीछे रख दिया। इसी दौरान चालक के साथ बैठा युवक भी पीछे सीट पर बैठे व्यक्ति की गोद में आकर बैठ गया। शिप्रा ने बताया कि कुछ देर बाद ही सुनसान रास्ते से ले जाकर चालक ने मयूर विहार रोड पर एक जगह पर दूसरे  तिपहिया स्कूटर के पास अपना तिपहिया रोक दिया। शिप्रा से कहा कि दूसरा तिपहिया स्कूटर वाला उसे नोएडा छोड़ देगा।
सात लाख का कैमरा-शिप्रा ने घर पहुंच कर अपना बैग खोला तो उसमें कैमरे और लेंस के स्थान पर पत्थर भरे हुए थे। 
कैमरा, 2 लेंस, फ्लैश आदि की कीमत करीब सात लाख रुपए है। शिप्रा की शिकायत पर शकर पुर थाना पुलिस ने चोरी का मामला दर्ज किया है।
जान बच गई-
शिप्रा का कहना है कि उसकी जान बच गई, यह ही बहुत बड़ी बात हैं। क्योंकि अगर उसने बैग पीछे नहीं रखा होता, तो अपराधी सुनसान रास्ते पर उस पर हमला करके भी कैमरा लूट लेते। 
चौकन्ना रहेंं-
तिपहिया स्कूटर में यात्रा करते समय सावधानी बरतें और चौकन्ने रहे, वरना जान और माल दोनों से हाथ धोना पड़ सकता है। उस तिपहिया स्कूटर में तो बिल्कुल भी न बैठे, जिसमें पहले से ही सवारी बैठी हुई हो और बेशक चालक कम किराए में गतंव्य तक पहुंचाने का लालच क्यों न दे।  तिपहिया स्कूटर का नंबर भी जरूर नोट करें।
चोरी के 169474 मामले-
पुलिस कमिश्नर द्वारा सालाना प्रेसवार्ता (2021) में पेश किए अपराध के आंकड़ों से पता चलता है कि राजधानी में चोरों,लुटेरों/स्नैचरों का बोलबाला/आतंक है। पुलिस ने चोरी के कुल 169474 मामले दर्ज किए है इनमें वाहन चोरी के 35019 मामले भी शामिल है। इनमें से चोरी के 164308 मामले तो ई-एफआईआर के माध्यम से  मोबाइल फोन और वेबसाइट के माध्यम से दर्ज किए गए हैं। 
पुलिस ने घर,दुकान, कारखाने, गोदाम आदि में हुई चोरी और वाहन चोरी के कितने मामलों को सुलझाया यानी कितने चोर पकडे़ गए है। चोरी का कितना माल /संपत्ति और वाहन बरामद किए यह जानकारी पुलिस कमिश्नर ने अपनी सालाना रिपोर्ट में भी नहीं दी है। इससे साफ पता चलता है कि पुलिस चोरों को पकड़ने और गाडियां बरामद करने में बुरी तरह फेल हो गई है। इसी लिए चोरी के मामले सुलझाने के आंकड़े पुलिस ने उजागर ने नहीं किए। इसके अलावा यह भी नहीं बताया कि साल 2020 में आईपीसी के तहत दर्ज अपराध के कुल कितने मामलों को पुलिस ने सुलझा लिया है।
45 फीसदी ही अपराधी पकडे़ गए-
हालांकि एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर ने बताया कि साल 2020 में आईपीसी के तहत दर्ज अपराध के कुल 250324 मामलों में से 45.71 फीसदी मामले ही सुलझाए गए है। वाहन चोरी और चोरी के अन्य मामलों को सुलझाने की दर बहुत ही कम रहती हैं।

चोरों को पकड़ने में पुलिस हमेशा फिसड्डी-
साढ़े 4 लाख से ज्यादा चोरियां हुई।
सिर्फ 57 हजार मामले सुलझाए।
साल 2016, 2017और 2018 में चोरी के कुल 461989 मामले दर्ज किए गए ।  सिर्फ 57100 मामले पुलिस ने सुलझाए है। सिर्फ 27216 मामलों में ही चोरी का माल बरामद किया गया है। पुलिस ने सिर्फ 18581 मामलों में अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। इससे पता चलता है कि चोरी के मामलों को सुलझाने में पुलिस की बिल्कुल रुचि नहीं है।





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