Friday, 31 January 2025

चुनाव में पुलिस द्वारा लाइसेंसी हथियार जमा करना अवैध ? बंदूक जमा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती पुलिस, लाइसेंसी बंदूकों से चुनाव में भला कैसा खतरा ?



बंदूक जमा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती पुलिस

दिल्ली पुलिस द्वारा लाइसेंसी हथियार जमा कराना वैध या अवैध ? 



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस द्वारा विधानसभा चुनाव के कारण आजकल लाइसेंसी हथियारों को जमा कराया जा रहा है। लेकिन सभी लाइसेंसी हथियारों को जमा कराना किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। कानून की दृष्टि में भी यह वैध नहीं है। 
देश के दो हाईकोर्ट के फैसलों से तो पता चलता है कि चुनाव के नाम पर हथियार जमा कराना कानून सम्मत यानी वैध नहीं है। 
क्या दिल्ली पुलिस के आईपीएस अफसरों को लोगों की जान की परवाह और कानून की समझ/ जानकारी नहीं है ? दिल्ली में लगभग पचास हजार लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं। 
जान माल खतरे में-
पुलिस किसी भी व्यक्ति को हथियार का लाइसेंस उसकी जान माल की सुरक्षा के लिए देती है। लेकिन चुनाव की घोषणा होते ही लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए जाते हैं। चुनाव खत्म हो जाने के बाद हथियार वापस दे दिए जाते हैं। जिस व्यक्ति ने अपनी जान माल की सुरक्षा के लिए लाइसेंसी हथियार लिया है। ऐसे में उसका हथियार जमा करा कर पुलिस एक तरह से खुद ही उसकी जान माल को खतरे में डाल देती है। क्योंकि उसके दुश्मन या अपराधियों को भी यह बात मालूम होती है कि चुनाव के दौरान उसके पास आत्मरक्षा के लिए लाइसेंसी हथियार नहीं होता है। 
मान लो ऐसे में अगर कोई वारदात उसके साथ हो गई, तो उसकी जिम्मेदार पुलिस ही होगी। पुलिस को अगर कानून का पालन करने वाले लोगों के लाइसेंसी हथियार जमा कराने ही हैं तो पहले उन लोगों को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराए। 
पुलिस के दावे पर सवाल-
पुलिस जान माल के खतरे का आकलन और व्यक्ति के चरित्र/आचरण आदि की पड़ताल करने के बाद ही हथियार का लाइसेंस देती है। व्यक्ति के ख़िलाफ़ कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है यह सब देखने के बाद ही पुलिस लाइसेंस बनाती हैं। मतलब पुलिस पूरी छानबीन के बाद ही लाइसेंस बनाने का दावा करती है।
लेकिन फिर चुनाव के दौरान उस व्यक्ति का हथियार जमा कराने से तो पुलिस के ऊपर ही सवालिया निशान लग जाता है। 
सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि पुलिस वाकई जान माल के खतरे के आधार पर हथियार का लाइसेंस जारी करती है तो चुनाव के दौरान हथियार जमा करा कर वह खुद उस व्यक्ति की जान को खतरे में क्यों डाल देती है? 
भरोसा नहीं-
हथियार जमा कराने से तो लगता है कि गहन छानबीन के बाद लाइसेंस बनाने का पुलिस का दावा खोखला है, लगता है कि पुलिस को उस व्यक्ति/ लाइसेंसी पर भरोसा ही नहीं है। वरना पुलिस को यह क्यों लगता है कि चुनाव के दौरान सभी लाइसेंसी हथियारों का दुरुपयोग कर सकते है। 
उपरोक्त दोनों ही सूरत में पुलिस की पेशेवर काबलियत और दावों पर सवालिया निशान लग जाता है। क्योंकि अगर पुलिस ने वाकई गहन छानबीन के आधार पर लाइसेंस दिया है तो उसे कानून का पालन करने वालों के हथियार जमा नहीं कराना चाहिए।
अगर कोई लाइसेंसी हथियार का दुरूपयोग या अपराध के लिए इस्तेमाल करता है तो उसके खिलाफ तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन बिना किसी ठोस कारण के सभी लाइसेंसी हथियारों को जमा कराना किसी भी तरह से उचित नहीं है। 
यह तर्क दिया जाता है कि कानून- व्यवस्था बनाए रखने, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार हथियार जमा किए जाते हैं।  
लेकिन देश के दो हाईकोर्ट के फैसलों से तो पता चलता है कि चुनाव के नाम पर हथियार जमा कराना कानून सम्मत नहीं है। 
हथियार  जमा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती पुलिस: इलाहाबाद हाईकोर्ट -
लोकसभा चुनावों के बीच मार्च 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लाइसेंसी हथियारों को लेकर फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव में असलहा जमा नहीं कराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्य आदेश से असलहे जमा नहीं करा सकते हैं।
 हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई पुराने फैसलों का भी जिक्र किया। हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव में सुरक्षा के उपायों को आधार बनाते हुए लोगों से असलहा जमा कराने के लिए नहीं कह सकते हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि किसी असलहा धारक से कानून व्यवस्था को खतरा लगे, तो उसके लाइसेंसी हथियारों को जमा करा सकते हैं
किसी भी व्यक्ति को तब तक लाइसेंसी हथियार जमा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा जब तक उसके खिलाफ कोई विशिष्ट लिखित आदेश न हो।
 बाध्य न करें-
उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका में राज्य सरकार को यह आदेश देने की प्रार्थना की गई थी कि वह वैध हथियार लाइसेंस धारकों को केवल आगामी  चुनावों के आधार पर अपने हथियार जमा करने के लिए बाध्य न करे, हाईकोर्ट ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि किसी भी व्यक्ति को हथियार जमा करने के लिए तब तक बाध्य नहीं किया जाएगा, जब तक कि उस व्यक्ति के खिलाफ विशेष निर्देश के साथ सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिखित आदेश जारी न किया गया हो। 
हाईकोर्ट ने कहा कि कई निर्णयों और नियमों में राज्य को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि वह किसी व्यक्ति को बिना किसी व्यक्तिगत नोटिस या संचार के, जिसमें यह कारण बताया गया हो कि हथियार जमा करना क्यों आवश्यक है, बाध्य न करे।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि कोई भी जिला मजिस्ट्रेट या जिला पुलिस अधीक्षक या उनके अधीनस्थ कोई भी अधिकारी आम नागरिकों को अपना हथियार जमा करने के लिए बाध्य नहीं करेगा, जब तक कि केंद्र सरकार का कोई आदेश न हो। 
 यदि किसी नागरिक का आपराधिक इतिहास हो या वह हथियार प्रदर्शित करता हुआ पाया जाए तो उसके विरुद्ध कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जा सकेगी। 
 जिला मजिस्ट्रेटों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे व्यक्तिगत मामलों की जांच करने के बाद लाइसेंस निलंबित करने तथा आपराधिक इतिहास वाले या जमानत पर रिहा या जिनका साफ सुथरा इतिहास नहीं है, उन व्यक्तियों से संबंधित मामलों में शस्त्र जमा कराने के आदेश पारित करें, क्योंकि इससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। 
पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य में शस्त्र लाइसेंसों और उनके जमा करने के सत्यापन के उद्देश्य से गठित स्क्रीनिंग समिति को ऐसे जमा करने के लिए ठोस कारण बताना होगा और समिति द्वारा कोई सामान्य आदेश पारित नहीं किया जाएगा। 
(रविशंकर तिवारी बनाम यूपी राज्य सिविल रिट याचिका संख्या 2844/2024 आदेश दिनांक : 22-03-2024 ) 

हथियार जमा करना अवैध-
झारखंड हाईकोर्ट ने भी मई 2024 में लोकसभा चुनाव में सभी हथियार लाइसेंसधारियों से हथियार जमा करने के आदेश को वैध नहीं माना।
एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि इस तरह का आदेश कानून की नजर में वैध नहीं ठहराया जा सकता। 
हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने बोकारो जिला के उपायुक्त (डीसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत उपायुक्त ने सभी लाइसेंसधारी हथियारधारकों को अपने हथियार जमा करने का निर्देश दिया था। साथ ही हथियार जमा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई थी। अदालत ने प्रार्थी के हथियार को वापस करने का निर्देश भी उपायुक्त को दिया। 
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी द्वारा जारी किया गया आपत्तिजनक आदेश, जिसमें सभी लाइसेंस-धारियों को एक ही झटके में अपने हथियार जमा करने का निर्देश दिया गया है, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार नहीं है, और मनमाना है और दिमाग का उपयोग नहीं करने को दर्शाता है। 
स्क्रूटनी-
कोर्ट ने कहा कि उपायुक्त और जिला निर्वाचन पदाधिकारी को हथियार जमा करने के पहले सभी लाइसेंसधारियों की स्क्रूटनी करनी चाहिए। स्क्रूटनी में यदि यह पता चले कि लाइसेंस लेने वाले का आपराधिक रिकॉर्ड है और वह चुनाव में बाधा पहुंचा सकता है तो वैसे लोगों से ही हथियार जमा कराया जाना चाहिए। यदि किसी के भी विरुद्ध कुछ भी प्रतिकूल नहीं मिलता है, यदि लाइसेंसधारी स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें जमा करने का निर्देश देना आवश्यक नहीं है।
चुनाव आयोग के निर्देशों की गलत व्याख्या-
हाईकोर्ट ने कहा कि  एक सामान्य आदेश जारी करके राज्य ने न केवल भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को गलत तरीके से पढ़ा या गलत व्याख्या की, बल्कि उन्होंने लाइसेंसधारियों की विभिन्न श्रेणियों को एक साथ जोड़ दिया, जो वे नहीं कर सकते थे, क्योंकि लाइसेंसधारी जो किसी आपराधिक मामले में शामिल है या अपने कुछ कार्यों के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए खतरा बन जाता है, उसे कानून का पालन करने वाले हथियार लाइसेंसधारी के बराबर नहीं माना जा सकता है, जिसके खिलाफ किसी को भी, यहां तक कि राज्य को भी कोई शिकायत नहीं है। नागरिकों की यह श्रेणी, जो कानून का पालन करने वाले हैं और जिनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है, उन्हें अन्य श्रेणियों के बराबर नहीं माना जा सकता है। 


Thursday, 30 January 2025

लाहौरी गेट थाने का रिश्वतखोर सब- इंस्पेक्टर फरार, मंत्री का दामाद ?



सब- इंस्पेक्टर मंत्री का दामाद ? 



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई दिल्ली पुलिस के लाहौरी गेट थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना शिकायतकर्ता से रिश्वत की रकम लेकर थाने से भागने में सफल हो गया। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना की तलाश की जा रही है। 
पुलिस में चर्चा है कि सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना राजस्थान के एक मंत्री का दामाद/रिश्तेदार बताया जाता है। 
पुरानी दिल्ली में आसिफ़ अली रोड, शंकर गली निवासी सैय्यद अनीस अहमद की शिकायत पर सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना के ख़िलाफ़ सीबीआई ने 29 जनवरी को मामला दर्ज किया। अनीस अहमद दूतावास के बाहर वीज़ा फार्म आदि भरने का काम करता है। 
शिकायत के अनुसार अभय सिंह नामक व्यक्ति ने वीज़ा संबंधी कार्य के लिए अनीस अहमद के बैंक खाते में 29700 रुपए डाले थे। बेटे के विवाह में व्यस्त होने के कारण अनीस अभय सिंह का काम समय पर नहीं कर पाया। 
दो लाख मांगे-
25 जनवरी को लाहौरी गेट थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना और एक अन्य पुलिसकर्मी अनीस अहमद को पकड़ कर फतेह पुरी पुलिस चौकी में ले गए। पुलिस वालों ने अनीस अहमद के बेटे ऊजेर अहमद को भी चौकी में बुला लिया। पुलिस वालों ने कहा कि अभय सिंह ने अनीस के ख़िलाफ़ शिकायत की है। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना ने मामला निपटा देने के लिए दो लाख रुपए रिश्वत मांगी। सब- इंस्पेक्टर ने अभय सिंह के 29700 रुपए भी वापस उसके खाते में डाल देने के लिए कहा।
रिश्वत न देने पर अनीस और उसके बेटे को जेल में डाल देने की धमकी दी। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना परस्पर बातचीत के बाद 70 हजार रुपए रिश्वत लेने के लिए तैयार हो गया। 
दो सीढ़ियों का चक्कर -
सीबीआई ने जाल बिछाया। 29 जनवरी को दोपहर में अनीस के बेटे ऊजेर ने लाहौरी गेट थाने की तीसरी मंजिल पर स्थित सीढ़ियों में रिश्वत की किश्त के रूप में 10 हजार रुपए सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को दिए। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना ने ऊजेर अहमद से रिश्वत की बकाया रकम भी लेकर आने को कहा। ऊजेर अहमद ने रिश्वत देने के बाद सीबीआई टीम को सूचना दी। सीबीआई टीम जब वहां पहुंची तो सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना दूसरी ओर बनी सीढ़ियों से भाग गया। 
सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना का साथी हवलदार रोहतास सीबीआई को थाने में मिल गया। उससे पूछताछ की गई। 
अनीस अहमद के बेटे ऊजेर अहमद ने बताया तीसरी मंजिल पर दो सीढ़ियों बनी होने का उन्हें पता नहीं था। उसने दाई ओर बनी सीढ़ियों पर सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को रिश्वत की रकम दी। रिश्वत लेने के बाद सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना बाईं ओर बनी सीढ़ियों से भाग गया। थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे में सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना सीढ़ियों से जाता हुआ कैद हुआ है। 
25 हजार लेकर छोड़ा-
ऊजेर अहमद ने बताया कि 25 जनवरी को सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना ने उन्हें डराने के लिए बंद/गिरफ्तार करने का पूरा नाटक भी किया था।  उजैर अहमद ने बताया कि जमा तलाशी के नाम पर उसकी घड़ी और पर्स ले लिया गया। पर्स में रखे 15 हजार रुपए सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना ने ले लिए। उजैर अहमद ने बताया कि दस हजार रुपए और लेने के बाद सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना ने उसे और उसके पिता को छोड़ा था। इसके बाद 27 जनवरी को उन्होंने सीबीआई में शिकायत की। 

भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी-
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा। दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों का इस महीने में यह चौथा मामला सामने आया है। 
सीबीआई ने दस जनवरी 2025 को आउटर डिस्ट्रिक्ट के राज पार्क थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को आपराधिक मामले को बंद करने के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 
 सीबीआई ने दो जनवरी 2025 को उत्तर पश्चिम जिले के नेताजी सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। 
दो जनवरी 2025 को ही सीबीआई शाहदरा जिले के सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र रिश्वत की रकम लेकर भाग गया। 
सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र ने कार मरम्मत का काम करने वाले मोहम्मद आजाद से कहा कि उसके खिलाफ़ दो मतदाता पहचान पत्र रखने की शिकायत दर्ज हुई है। आजाद के खिलाफ कार्रवाई ना करने के लिए सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र ने आजाद से चार लाख रुपए रिश्वत मांगी। 
रिश्वत न देने पर उसे देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार करने की धमकी दी। 
सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र जीटीबी एंक्लेव थाने की तीसरी मंजिल पर बैरक में रहता है। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र ने दो जनवरी को आजाद से रिश्वत के डेढ़-दो लाख रुपए बैरक में लिए। आजाद ने रिश्वत दे कर नीचे आने के बाद सीबीआई को इशारा किया। सीबीआई की टीम तीसरी मंजिल की बैरक में गई, तब तक सब-इंस्पेक्टर राजेन्द्र वहां से भाग गया। 
 
सीबीआई विफल-
सीबीआई दिल्ली पुलिस के कई रिश्वतखोरों को रंगेहाथ पकड़ने में विफल हुई है।  साल 2024 में  भी सीबीआई के विफल होने के कई मामले सामने आए थे





Monday, 27 January 2025

1 करोड़ 40 लाख रुपए रिश्वत मांगने वाले 2 डाक्टर गिरफ्तार


1 करोड़ 40 लाख रुपए रिश्वत मांगने वाले 2 डाक्टर गिरफ्तार


इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने एक करोड़ चालीस लाख रुपए रिश्वत मांगने वाले दो डाक्टरों समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। 
सीबीआई ने तलाशी के दौरान पच्चीस लाख रुपए बरामद किए हैं।
सीबीआई ने रोहतक में प्रगति अस्पताल चलाने वाली डाक्टर शिखा के पति डाक्टर विकास की शिकायत पर ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक, क्षेत्रीय केंद्र, हिसार में तैनात डाक्टर अनुराग शर्मा और बिचौलिए प्राइवेट डाक्टर नितिन शर्मा के ख़िलाफ़ एक करोड़ चालीस लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया। 
सीबीआई ने जाल बिछाया और दस लाख रुपए लेते हुए बिचौलिए प्राइवेट डाक्टर नितिन शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद डाक्टर अनुराग शर्मा को गिरफ्तार किया गया। 
सीबीआई ने डाक्टरों के दो साथियों प्राइवेट व्यक्ति धर्म पाल और रक्षा मंत्रालय के एकाउंट विभाग में सीनियर एकाउंट अफसर श्याम सुंदर को भी गिरफ्तार किया। 
सतर्कता विभाग (ईसीएचएस) प्रगति अस्पताल के विरुद्ध जांच कर रहा है। इस जांच के कारण पिछले 6-7 महीनों से ईसीएचएस मरीजों का रेफरेंस बंद था। डाक्टर नितिन शर्मा और डाक्टर अनुराग शर्मा ने सतर्कता जांच पूरी करने और ईसीएचएस मरीजों का रेफरेंस शुरू करने के लिए शिकायतकर्ता से 1.40 करोड़ रुपए मांगे। आरोपी डाक्टरों ने शिकायतकर्ता डाक्टर विकास से 50 फीसदी (70 लाख रुपए) अग्रिम भुगतान करने को कहा। 
सीबीआई में शिकायत करने से पहले
डाक्टर विकास रिश्वत के पैंतीस लाख रुपए आरोपी डाक्टरों को दे भी चुके थे। 








Friday, 10 January 2025

दिल्ली पुलिस का रिश्वतखोर सब- इंस्पेक्टर गिरफ्तार, पुलिस में भ्रष्टाचार चरम पर

इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई द्वारा दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पकड़ने का सिलसिला जारी है। सीबीआई ने शुक्रवार 10 जनवरी को आउटर डिस्ट्रिक्ट के राज पार्क थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 
सीबीआई के अनुसार शिकायतकर्ता के भाई के ख़िलाफ़ दर्ज आपराधिक मामले को बंद करने के लिए सब-इंस्पेक्टर दीपक झा ने रिश्वत मांगी। शिकायतकर्ता से रिश्वत की रकम की किश्त के रूप में सात हज़ार रुपए लेते हुए सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को सीबीआई ने रंगे हाथ पकड़ लिया। 
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा। 9 दिनों के भीतर में पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार का यह तीसरा मामला सामने आया है।
हवलदार गिरफ्तार-
सीबीआई ने दो जनवरी को उत्तर पश्चिम जिले के नेताजी सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। 
सब- इंस्पेक्टर फरार- 
दो जनवरी को ही सीबीआई शाहदरा जिले के सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र रिश्वत की रकम लेकर भाग गया। 
सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र ने कार मरम्मत का काम करने वाले मोहम्मद आजाद से कहा कि उसके खिलाफ़ दो मतदाता पहचान पत्र रखने की शिकायत दर्ज हुई है। आजाद के खिलाफ कार्रवाई ना करने के लिए सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र ने आजाद से चार लाख रुपए रिश्वत मांगी।रिश्वत न देने पर उसे देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार करने की धमकी दी। 
सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र जीटीबी एंक्लेव थाने की तीसरी मंजिल पर बैरक में रहता है। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र ने दो जनवरी को आजाद से रिश्वत के डेढ़-दो लाख रुपए बैरक में लिए। आजाद ने रिश्वत दे कर नीचे आने के बाद सीबीआई को इशारा किया। सीबीआई की टीम तीसरी मंजिल की बैरक में गई, तब तक सब-इंस्पेक्टर राजेन्द्र वहां से भाग गया। 
 नेताजी सुभाष प्लेस थाने क्षेत्र में नार्थ स्कवायर मॉल, फन सिनेमा के बाहर खाने की रेहड़ी लगाने देने के लिए हवलदार शिव हरि पाठक ने शिकायतकर्ता सतीश यादव से बीस हज़ार रुपए रिश्वत मांगी। सीबीआई ने दो जनवरी को रात को हवलदार शिव हरि को पुलिस बूथ में सतीश से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया।






Thursday, 9 January 2025

5000 किलोमीटर की आंख मिचौली के बाद स्पेशल सेल ने बेंगलुरु में दबोचे 2 बदमाश, तिलक नगर, ककरौला, पंचकूला में हत्याओं में वांटेड


इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने विदेश में मौजूद भगौड़े बदमाश कपिल सांगवान उर्फ नन्दू के गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली के तिलक नगर और ककरौला में सनसनीखेज हत्याओं के मामलों के अलावा  हरियाणा के पंचकूला में तिहरे हत्याकांड में भी इन दोनों बदमाशों की पुलिस को तलाश थी।
बंगलुरु में दबोचे-
स्पेशल सेल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर  मनोज सी और एसीपी वेद प्रकाश की देखरेख में इंस्पेक्टर मान सिंह और इंस्पेक्टर संजीव कुमार की टीम ने साहिल उर्फ पोली (गंगा विहार, दीनपुर, नजफगढ़)और विजय गहलौत उर्फ कालू (ककरौला) को 9 जनवरी को बेंगलुरु, कर्नाटक से गिरफ्तार किया है। इनके पास से दो लाख रुपए और तीन मोबाइल फोन बरामद हुए। 
कई राज्यों की खाक छानी-
हत्या, लूट,जबरन वसूली/ रंगदारी, हत्या की कोशिश समेत सनसनीखेज अपराध के अनेक मामलों में शामिल इन बदमाशों की तलाश में कई महीने तक हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और कर्नाटक की खाक छानते हुए पांच हज़ार किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद स्पेशल सेल को बेंगलुरु में इन बदमाशों को पकड़ने में सफलता मिली। 
पुलिस ने कई राज्यों में इन बदमाशों के छिपने के संभावित ठिकानों पर छापे मारे। 
विजय गहलौत के ख़िलाफ़ कई मामलों में अदालत ने गैर जमानती वारंट भी जारी किए हुए है।