Saturday, 29 March 2025

जगदीप धनखड़: इंसानियत ज़िंदा है


जगदीप धनखड़: इंसानियत ज़िंदा है



इंद्र वशिष्ठ
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व/चरित्र का पता उसकी छोटी-छोटी बातों/कार्यों और आचरण से चलता है। 
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बारे में विपक्ष की राय/ धारणा अपनी जगह पर है। विपक्ष के प्रति जगदीप धनखड़ का राजनैतिक व्यवहार तो, जैसा है वैसा ही रहेगा, क्योंकि राजनीति में यह सब स्वाभाविक/सामान्य है। 
संवेदनशील चेहरा-
लेकिन जगदीप धनखड़ का एक ऐसा रुप इस पत्रकार ने शुक्रवार 28 मार्च 2025 को राज्यसभा में देखा, जिसमें उनका मानवीय और संवेदनशील चेहरा नज़र आया। 
राज्य सभा में हंगामे और शोर शराबे के बीच में भी विपक्ष के सदस्यों के प्रति भी वह कितने संवेदनशील और उनकी परवाह करने वाले हैं। कहने, सुनने और देखने में यह  व्यवहार बेशक बहुत सामान्य सा लगेगा, लेकिन सही मायने में ऐसे व्यवहार से ही व्यक्ति के संस्कार, परवरिश, इंसानियत और चरित्र का पता चलता है।
खरगे जी को पानी दो-
राज्य सभा में शुक्रवार 28 मार्च को सदन में
सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन द्वारा मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा के बारे में दिए बयान पर हंगामा किया जा रहा था। 
राज्य सभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस विषय पर बोलने के लिए खड़े हुए। मल्लिकार्जुन खरगे ने जैसे ही बोलना शुरू  किया, उन्हें खांसी आ गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने तुरंत अपने पास रखे हुए, पानी के गिलास की तरफ हाथ बढ़ाया और अपने स्टाफ़ से कहा, खरगे जी को पानी दो। स्टाफ़ तुरंत सभापति वाला पानी का गिलास खरगे को दे कर आया। 
इससे पता चलता है कि हंगामे और शोर शराबे के बीच में भी जगदीप धनखड़ सदस्यों के प्रति कितने संवेदनशील, जागरूक है। 
तानाशाह कौन नहीं है ? -
सत्ता/भाजपा के राजनेता होने के कारण जगदीप धनखड़ का विपक्ष के प्रति राजनैतिक व्यवहार तो स्वाभाविक रूप से वैसा ही है, जैसा विपक्षी दलों के नेता खुद सत्ता में होने पर तत्कालीन विपक्ष के साथ करते रहे हैं। सत्ता और राजनेताओं का मूल चरित्र लगभग एक जैसा ही होता है। जो विपक्षी दल आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह कह रहे हैं। अतीत में वह खुद भी तानाशाही करते रहे हैं। 


(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1989 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)




Thursday, 27 March 2025

नशा बेचने वाली से 2.5 लाख लेते हवलदार और सिपाही गिरफ्तार, एसएचओ फरार, पुलिस की सांठगांठ से चलता है नशे का कारोबार

 एसएचओ,हवलदार और सिपाही निलंबित 



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिसकर्मियों के लगातार पकड़े जाने के बावजूद भ्रष्टाचार थम नहीं रहा। 
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के सागरपुर थाना में तैनात हवलदार सांवरमल और सिपाही शुभम गिल को ढाई लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार  किया है। रिश्वत लेने के बाद पुलिसकर्मी ने एसएचओ को फोन किया। सीबीआई की रेड का पता चलते ही गिरफ्तारी से बचने के लिए सागर पुर थाने का एसएचओ दिनेश कुमार भाग गया।
एसएचओ, हवलदार और सिपाही को निलंबित कर दिया गया है। 

एक महिला की शिकायत के आधार पर 26 मार्च 2025 को हवलदार सांवरमल और सिपाही शुभम गिल के विरुद्ध मामला दर्ज किया।
शिकायतकर्ता महिला नशीले पदार्थ/ड्रग्स बेचने के मामले में कुछ समय पहले ही जेल से बाहर आई है। उसका भाई जोगा सांसी भी नशीले पदार्थ बेचने का धंधा करता है। 
आरोप है कि आरोपी पुलिस कर्मियों ने शिकायतकर्ता महिला को ड्रग्स का धंधा करने देने और ड्रग्स के मामले में नहीं फंसाने के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। आरोपी पुलिसकर्मी बातचीत के बाद शिकायतकर्ता से 3 लाख रुपए की रिश्वत लेने के लिए सहमत हो गए।
सीबीआई ने 26 मार्च को जाल बिछाया और हवलदार सांवरमल और सिपाही शुभम गिल को शिकायतकर्ता से 2.5 लाख रुपये की रिश्वत मांगते और स्वीकार करते हुए रंगे हाथों  गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में हवलदार मुकेश मीणा भी शामिल बताया जाता है। 

इन पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी से एक बार फिर ये बात साबित हो गई कि पुलिस की सांठगांठ से ही ड्रग्स/शराब का अवैध कारोबार चलता है। 
ट्रैफिक पुलिस- सीबीआई ने 22 मार्च को ट्रैफिक पुलिस के वसंत विहार सर्किल में तैनात एएसआई अशोक कुमार और हवलदार राम सिंह को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।शिकायतकर्ता से साप्ताहिक बाजार में टेबल सप्लाई करने की अनुमति देने के लिए रिश्वत मांगी।
हवाला से रिश्वत- सीबीआई की मुंबई से आई टीम ने 19 मार्च को हवाला के माध्यम से ढाई लाख रुपए रिश्वत लेने वाले रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
हवलदार भाग गया- मार्च में ही हरिनगर थाने के हवलदार सतीश को सीबीआई रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। 
एसएचओ लाइन हाज़िर- सीबीआई ने 20 फरवरी को सनलाइट कालोनी थाने में तैनात एएसआई राम सिंह को 10 हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। एएसआई राम सिंह ने एक दम्पति को जेल भेजने की धमकी दे कर 30 हज़ार रुपए रिश्वत मांगी। एएसआई राम सिंह को निलंबित किया गया। इस मामले में सनलाइट कालोनी थाने के एसएचओ गुलशन नागपाल को लाइन हाज़िर किया गया। 
सब-इंस्पेक्टर भाग गया- सीबीआई 29 जनवरी 2025 को लाहौरी गेट थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना रिश्वत की रकम लेकर थाने से भागने में सफल हो गया।सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को आउटर डिस्ट्रिक्ट के राज पार्क थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को आपराधिक मामले को बंद करने के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।  सीबीआई ने 2 जनवरी 2025 को उत्तर पश्चिम जिले के नेताजी सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। 2 जनवरी 2025 को ही सीबीआई शाहदरा जिले के सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र रिश्वत की रकम लेकर भाग गया। 










Saturday, 22 March 2025

ट्रैफिक पुलिस का एएसआई और हवलदार गिरफ्तार : सीबीआई


दिल्ली पुलिस का एएसआई और हवलदार गिरफ्तार : सीबीआई


इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई द्वारा दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट पुलिसवालों को पकड़ने का सिलसिला जारी है। सीबीआई ने ट्रैफिक पुलिस के वसंत विहार सर्किल में तैनात एएसआई अशोक कुमार और हवलदार राम सिंह को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 
एएसआई अशोक कुमार और हवलदार राम सिंह ने शिकायतकर्ता से साप्ताहिक बाजार में टेबल सप्लाई करने की अनुमति देने के लिए रिश्वत मांगी। 
सीबीआई ने जाल बिछाया और दस हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया। 
हवाला से रिश्वत- 
सीबीआई की मुंबई से आई टीम ने 19 मार्च को हवाला के माध्यम से ढाई लाख रुपए रिश्वत लेने वाले रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया। सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी।
एसएचओ लाइन हाज़िर-
 सीबीआई ने 20 फरवरी को सनलाइट कालोनी थाने में तैनात एएसआई राम सिंह को 10 हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। एएसआई राम सिंह ने एक दम्पति को जेल भेजने की धमकी दे कर 30 हज़ार रुपए रिश्वत मांगी। एएसआई राम सिंह को निलंबित किया गया। इस मामले में सनलाइट कालोनी थाने के एसएचओ गुलशन नागपाल को लाइन हाज़िर किया गया। 
सब-इंस्पेक्टर भाग गया-
 सीबीआई 29 जनवरी 2025 को लाहौरी गेट थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना रिश्वत की रकम लेकर थाने से भागने में सफल हो गया।सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को आउटर डिस्ट्रिक्ट के राज पार्क थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को आपराधिक मामले को बंद करने के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।  
सीबीआई ने 2 जनवरी 2025 को उत्तर पश्चिम जिले के नेताजी सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। 
2 जनवरी 2025 को ही सीबीआई शाहदरा जिले के सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र रिश्वत की रकम लेकर भाग गया। 



हज हाउस के कोचिंग सेंटर को फिर से शुरू करे सरकार: इमरान प्रतापगढ़ी


हज हाउस के कोचिंग सेंटर को फिर से शुरू करे सरकार: इमरान प्रतापगढ़ी



इंद्र वशिष्ठ, 
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने राज्य सभा में अल्पसंख्यक मंत्रालय से हाजियों के पैसे से चलने वाले मुंबई के हज हाउस के कोचिंग सेंटर को फिर से शुरू करने और उसकी सीटें भी बढ़ाने की मांग की है। 
सरकार को परेशानी-
राज्य सभा में शून्य काल में इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि जब पैसा सरकार को नहीं देना है, बल्कि हाजियों का जो सैकड़ों करोड़ रुपए इकट्ठा है, उससे इस कोचिंग सेंटर को चलना है, तो फिर इस कोचिंग सेंटर को चलाने में और देश के बाकी हज हाउसों में इसे शुरू करने में सरकार को क्या परेशानी है ?
इमरान प्रतापगढ़ी  ने कहा  यूपीए की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी और पूर्व प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह की कोशिशों से सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद 2009 में कोचिंगों के अभाव में प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा न ले पाने वाले एससी, एसटी और माइनॉरिटी के छात्रों के लिए रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी शुरू की गई थी।
डा. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, एमएएनयूयू , हैदराबाद, एएमयू,अलीगढ़, जामिया हमदर्द और जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में दूरदराज के गांवों से आने वाले बच्चों ने मंहगी यूपीएससी कोचिंगों के बजाय भारत सरकार की रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमियों में एडमिशन लेना शुरू किया और प्रतियोगी परीक्षाओं में जाने के उनके सपने पूरे होने लगे। 
हाजियों का पैसा-
इसी से प्रभावित होकर मुंबई के हज हाउस में 2009 में एक कोचिंग सेंटर शुरू किया गया, जिसके लिए सरकार से कोई फंड नहीं लिया गया, बल्कि हाजियों के रजिस्ट्रेशन फीस और सर्विस चार्जेज़ से बनने वाले हज कमेटी के कॉर्पस के एक हिस्से से इसे शुरू किया गया। 
तकरीबन 10 साल तक शानदार तरीके से चलने वाले इस कोचिंग सेंटर के रिजल्ट्स भी बढ़िया रहे। उसने कई आईएए आईपीएस दिए और महाराष्ट्र की स्टेट सर्विसेज़ में भी छात्र सेलेक्ट होने लगे।
मंत्री ने बंद किया-
इमरान ने कहा कि कोविड आया तब पहले सीटें घटाई गईं और फिर तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री महोदया को मौका मिला और उन्होंने 2023 में इस कोचिंग सेंटर को बंद कर दिया। वे सैंकड़ों छात्र जो हर साल इस कोचिंग सेंटर से फायदा उठा रहे थे, एक झटके में उनके सपने चकनाचूर कर दिए गए।

Friday, 21 March 2025

आशा कर्मियों को 21000 रुपए दो: मनोज झा


आशा कर्मियों को 21000 रुपए दो: मनोज झा



इंद्र वशिष्ठ,
राष्ट्रीय जनता दल के प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने राज्य सभा में आशा कर्मियों का मानदेय पूरे देश में 21,000 रुपए करने की मांग की। 
राज्य सभा में मनोज झा ने कहा आशा कर्मी तकरीबन 20 वर्षों से हमारी तमाम योजनाओं को अपने उन कंधों पर ढो रही हैं, जो कई दफा मजबूत कंधे नहीं होते और उन कंधों पर वजन तब और बढ़ जाता है, जब उनके समक्ष अनिश्चितताएं हों।
आशा कर्मियों  द्वारा बीते 20 वर्षों में तमाम राज्यों की सारी योजनाएं, खासकर स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में इन्हीं वर्कर्स द्वारा चलाई जा रही हैं।
2000 मानदेय-
मनोज झा ने कहा कि आशा कर्मियों के लिए राज्यवार परिस्थितियां बहुत विपरीत हैं। हाल ही में इनकी एक हड़ताल भी हुई थी। एक तरफ केरल जैसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा मानदेय है, दूसरी तरफ मेरा अपना गृह राज्य, बिहार है, जहां मात्र 2,000 रुपए मानदेय है। यह पूरे देश के समक्ष एक चुनौती है। 
मनोज झा ने कहा अगर आप इनको वर्कर्स/ एक्टिविस्ट कह रहे हैं, तो मानदेय थोड़ा अपमानजनक लगता है। अगर हम इसको कोई बेहतर नाम दें, तो अच्छा होगा। 
मनोज झा ने मांग कि पूरे देश में इनके लिए 21,000  रुपए का प्रावधान किया जाए और रिटायरमेंट पर एकमुश्त 5 लाख रुपए दिया जाए। साल 2020 में यह स्टैंडिंग कमेटी का भी आग्रह था






Thursday, 20 March 2025

मनरेगा में 150 दिन रोजगार और न्यूनतम मजदूरी 400 रुपए हो: सोनिया गांधी

मनरेगा में 150 दिन रोजगार और न्यूनतम मजदूरी 400 रुपए हो: सोनिया गांधी




इंद्र वशिष्ठ, 
कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने राज्य सभा में कहा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को भाजपा सरकार ने व्यवस्थित रूप से कमजोर कर दिया है।
बजट में कमी-
सोनिया गांधी ने राज्य सभा में शून्य काल के दौरान कहा कि बजट आवंटन 86,000 करोड़ रुपए पर स्थिर है, जो सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में दस साल का सबसे निचला स्तर है। वास्तविकता में आवंटित बजट में 4,000 करोड़ रुपए की कमी आई है। इसके अलावा, अनुमान बताते हैं कि लगभग 20 प्रतिशत आवंटित राशि पिछले सालों के बकाया भुगतान को निपटाने में खर्च हो जाएगी।
चुनौतियां-
इसके अतिरिक्त, इस योजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आधार आधारित भुगतान प्रणाली और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली को शामिल करना, वेतन भुगतान में लगातार देरी और मुद्रास्फीति की भरपाई के लिए पर्याप्त वेतन दरें न होना शामिल है। 
150 दिन रोजगार-
सोनिया गांधी ने मांग कि इस योजना को बनाए रखने और विस्तार करने के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किया जाए, न्यूनतम  मजदूरी बढ़ा कर 400 रुपए प्रति दिन की जाए, मजदूरी का समय पर भुगतान हो, आधार आधारित भुगतान प्रणाली की अनिवार्यता और एनएमएमएस की अनिवार्य आवश्यकताओं को हटाना चाहिए और  गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या को प्रति वर्ष 100 से बढ़ाकर 150 करना चाहिए।  यह सुनिश्चित करने के लिए ये उपाय आवश्यक हैं कि महात्मा गांधी नरेगा सम्मानजनक रोजगार और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करे।
रोजगार का कानून-
सोनिया गांधी ने कहा कि इस योजना को यूपीए सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू किया गया था। यह ऐतिहासिक कानून लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चक्र साबित हुआ है।
 

हवाला से रिश्वत लेने वाला सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक गिरफ्तार, 50 लाख मांगे, जीजा-साले को गिरफ्तार करने की धमकी दी



हवाला से रिश्वत लेने वाला सब- इंस्पेक्टर  गिरफ्तार



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया है। सीबीआई के अनुसार सब- इंस्पेक्टर राहुल  मलिक को मुंबई, इरोड (तमिलनाडु) और नई दिल्ली में स्थित कई हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से आंशिक भुगतान के रूप में 2.5 लाख रुपए की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में  गिरफ्तार किया है। 

सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
मुंबई में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय करने  वाले शिकायतकर्ता शाहबाज़ शेख ने सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक के ख़िलाफ़ सीबीआई की मुंबई शाखा में मामला दर्ज कराया था। 
आरोप है कि शिकायतकर्ता शाहबाज़ मुंबई में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय करता है और कैश मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) से संबंधित निजी कंपनी के साथ उसके व्यापारिक संबंध थे। बाद में, शिकायतकर्ता को यह भी पता चला कि वर्चुअल वॉलेट के लिए निजी कंपनी द्वारा उसे दिए गए लॉगिन क्रेडेंशियल फर्जी नाम से बनाए गए थे। निजी कंपनी के ख़िलाफ़ दर्ज मामले की जांच रोहिणी साइबर थाने में  तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक द्वारा की जा रही थी।
50 लाख मांगे-
सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता के साले को नोटिस जारी किया था जो जांच में शामिल हुए और जब वे जांच के लिए उसके सामने पेश हुए, तो आरोपी ने उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी। 
यह भी आरोप है कि 7 मार्च 2025 को  एसआई राहुल मलिक नवी मुंबई में शिकायतकर्ता के घर गया और मामले से उसका और उसके साले का नाम हटाने के लिए 50 लाख रुपए रिश्वत मांगी,  रिश्वत नहीं देने पर उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी। 8 मार्च 2025 को सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता को घोड़बंदर रोड, मुंबई के एक होटल में मिलने के लिए बुलाया। जब शिकायतकर्ता उक्त होटल में  एसआई राहुल मलिक से मिला, तो उसने फिर से शिकायतकर्ता को धमकाया और अपने मोबाइल पर 16 लाख रुपए की राशि टाइप करके रिश्वत की मांग की। 
हवाला से रिश्वत-
इसके बाद  जब शिकायतकर्ता अपने वकील के साथ साइबर पुलिस थाना, रोहिणी गया, तो आरोपी ने उसे रिश्वत न देने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी। परस्पर बातचीत  के बाद, सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक 14 लाख रुपए की रिश्वत लेने के लिए सहमत हो गया और शिकायतकर्ता से कहा कि वह उन लोगों का विवरण साझा करेगा जिन्हें रिश्वत दी जानी थी। 
सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता को हवाला टोकन नंबर, मुंबई में हवाला ऑपरेटर का नंबर, जिसे रिश्वत की राशि दी जानी थी, का विवरण भेजा।
सीबीआई द्वारा 19.03.2025 को जाल बिछाया गया, जिसमें हवाला ऑपरेटर ने, मुंबई, इरोड (तमिलनाडु) और नई दिल्ली में स्थित कई हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से रिश्वत के भुगतान के रूप में सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक की ओर से मुंबई में 2.5 लाख रुपए की रिश्वत स्वीकार की। इसके बाद सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को 19.03.2025 को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया। राहुल मलिक को  सीबीआई टीम मुंबई ले गई। 
क्रिप्टो करंसी-
दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2023 में प्रदीप बैरा की शिकायत पर 17.95 लाख रुपए / क्रिप्टो करंसी ठगी का मामला दर्ज किया था। इस मामले में बैंक खातों की जांच के दौरान मुंबई के शाहबाज़ शेख का नाम आया था। ठगी की रकम उसके खाते में गई थी

Saturday, 15 March 2025

पुलिस ने 6 साल में सिर्फ 10 हजार मोबाइल फोन बरामद किए, मोबाइल छीनने वाले लुटेरों का आतंक



दिल्ली पुलिस: 6 साल में सिर्फ 10 हजार मोबाइल फोन बरामद 



इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली में लोग स्नैचिंग/झपटमारी के जमकर शिकार हो रहे हैं। लोग झपटमारों/लुटेरों के आतंक से त्रस्त है। लेकिन दिल्ली पुलिस का दावा है कि पिछले तीन साल में मोबाइल फोन स्नैचिंग/छीनने की वारदात कम हुई हैं।
आंकड़ों की बाजीगरी-
वैसे सच्चाई यह है कि पुलिस द्वारा दर्ज अपराध के आंकड़े हमेशा हकीकत से कोसों दूर ही होते हैं। पुलिस द्वारा आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम दिखाने की परंपरा है। अपराध कम दिखाने के लिए लूट/स्नैचिंग के सभी मामलों को सही दर्ज न करना या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा जारी है। 
70 फीसदी फोन बरामद नहीं-
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में सांसद माथेश्वरन वी.एस. के सवाल के जवाब में बताया कि पुलिस ने वर्ष 2019 से 28 फरवरी 2025 तक की अवधि में मोबाइल फोन स्नैचिंग/छीनने के 33711 मामले दर्ज किए है। पुलिस ने इस अवधि में 10290 फोन  बरामद किए हैं। 
33711 मोबाइल छीने गए-
पुलिस ने मोबाइल फोन स्नैचिंग के साल 2019 में 3549, साल 2020 में 5580, साल 2021 में 6989, साल 2022 में 6382, साल 2023 में 5873, साल 2024 में 4749 और साल 2025 में 589 (28 फरवरी तक) मामले दर्ज किए। 
10290 फोन ही बरामद-
पुलिस द्वारा साल 2019 में 1240, 
साल 2020 में 1668, साल 2021 में 1950, साल 2022 में 1919, साल 2023 में 1776, साल 2024 में 1572 और  साल 2025 में 165 (28 फरवरी तक) मोबाइल फोन बरामद किए गए। पुलिस ने लगभग सत्तर फीसदी मोबाइल फोन बरामद ही नहीं किए।
पुलिस के हथकंडे-
सच्चाई यह है कि पुलिस अपराध कम दिखाने के लिए डकैती/लूट, स्नैचिंग/झपटमारी, चोरी/जेबकटने/ठगी आदि अपराधों के ज्यादातर मामलों को भी या तो दर्ज ही नहीं करती या हल्की धारा में दर्ज करती है। अपराध को दर्ज ना करके तो पुलिस एक तरह से अपराधियों की ही मदद करने का गुनाह ही करती है।
एक ही रास्ता- 
अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण करने का सिर्फ और सिर्फ एकमात्र रास्ता अपराध के सभी मामलों की सही एफआईआर दर्ज करना ही है। अभी तो हालत यह है कि मान लो अगर कोई लुटेरा पकड़ा गया, जिसने लूट/छीना झपटी की 100 वारदात करना कबूल किया है। लेकिन एफआईआर सिर्फ दस-बीस वारदात की ही दर्ज पाई गई। अगर पुलिस सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करे, तो अपराधी ज्यादा समय तक जेल में रहेगा। अपराधी को हरेक मामले में जमानत कराने और मुकदमेबाजी के लिए वकील को पैसा देना पड़ेगा, जिससे वह आर्थिक रूप से भी कमज़ोर हो जाएगा। ज्यादा मामलों में शामिल होने के कारण उसे जमानत भी आसानी से नहीं मिलेगी। अपराधी के अंदर सज़ा मिलने का डर बैठेगा।
पुलिस अगर अपराधों की सही एफआईआर दर्ज करें, तभी अपराध और अपराधियों की सही तस्वीर भी सामने आ पाएगी। तभी अपराध और अपराधियों से निपटा जा सकता है। 
वीआईपी का फोन तुरंत बरामद-
आम आदमी की स्नैचिंग/लूट की एफआईआर तक आसानी से दर्ज नहीं करने वाली पुलिस सत्ताधारी नेताओं,आईपीएस/आईएएस अफसरों और विदेशी राजदूतों  आदि के फोन तो चौबीस घंटों में ही बरामद करने में माहिर है। पुलिस अगर ईमानदारी से चाहे तो आम आदमी के फोन को भी तुरंत बरामद कर सकती है। 

(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1989 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)