दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा, बदमाशों और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के गठजोड़ पर प्रहार करो, तभी अपराध-अपराधियों पर अंकुश लगेगा।
गिरोहों को बेरहमी से खत्म करना
दिल्ली पुलिस की प्राथमिकता हो,
डीसीपी थाने जाकर लोगों की
समस्याओं का समाधान करें,
भवन निर्माण के लिए पुलिस की
परमिशन की जरूरत नही
इंद्र वशिष्ठ,
दिल्ली में लूट/जबरन वसूली/ रंगदारी के लिए गोलियां चला कर दहशत फैलाने और सरेआम हत्या जैसे सनसनीखेज अपराध करके पुलिस के सुरक्षा व्यवस्था के दावे की धज्जियां उड़ाने वाले बेखौफ अपराधियों की अब शामत आने वाली है। ऐसे अपराधी दिल्ली में अपराध करने की सोचें भी नहीं। वरना उनकी जान की खैर नहीं।
गृह मंत्री अमित शाह ने अपराधियों के खात्मे के लिए पुलिस को खुली छूट दे दी है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में अपराधियों के अंतरराज्यीय गिरोहों को बेरहमी/क्रूर दृष्टिकोण (रुथलेस अप्रोच) के साथ खत्म करना दिल्ली पुलिस की प्राथमिकता होनी चाहिए, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में कानून व्यवस्था को सुधारा जा सके।
जड़ पर वार जरुरी-
गृह मंत्री अगर वाकई अपराधियों के गिरोहों को जड़ से खत्म करना चाहते हैं, तो बदमाशों और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के गठजोड़ पर प्रहार करना चाहिए। बदमाशों से सांठगांठ रखने वाले पुलिसकर्मियों को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। तभी अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगेगा।
भ्रष्ट और अपराधी प्रवृत्ति के पुलिसकर्मियों की सांठगांठ के कारण ही बदमाश बेखौफ हो गए हैं।
खाकी को खाक में मिला रहे-
अपराधियों को एक तरह से पालने पोसने वाले भ्रष्ट/अपराधी प्रवृत्ति के पुलिसकर्मी अपने-अपने बदमाशों को दूसरी पुलिस टीमों के हाथों मारे/पकडे़ जाने से बचाने का काम करते हैं। बदमाशों को बचाने के लिए ऐसे पुलिसकर्मी कथित एनकाउंटर में उन्हें पकड़ा हुआ दिखा कर, इनाम और बारी से पहले तरक्की भी पा जाते हैं।
सच्चाई यह है कि भ्रष्ट पुलिसकर्मी, पुलिस, देश या समाज के हित के लिए कुछ भी नहीं करते। ये सिर्फ और सिर्फ अपने निजी फायदे, बदमाशों से मिलने वाले पैसे, विभाग से मिलने वाले इनाम और बारी से पहले तरक्की आदि के लिए ही सब कुछ करते हैं।
आईपीएस जिम्मेदार-
यह सब आज से नहीं बरसों से हो रहा है। इसके लिए भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के आका आईपीएस अफसर जिम्मेदार हैं। जब तक भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को पालने पोसने वाले आईपीएस अफसरों की नकेल नहीं कसी जाएगी यानी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, यह सब ऐसे ही चलता रहेगा।
खतरनाक/गंभीर बात यह है कि आका आईपीएस अफसर ऐसे पुलिसकर्मियों की करतूतों, कथित एनकाउंटरों की कहानियों में आंख मूंद कर शामिल हो जाते हैं। आईपीएस अफसर भी अपने किसी न किसी फायदे/ स्वार्थ के लिए सच्चाई जानते हुए भी ऐसे पुलिसकर्मियों को संरक्षण, इनाम और बारी से पहले तरक्की देते हैं। अफसरों के संरक्षण के कारण ही बदमाशों से सांठगांठ रखने वाले पुलिसकर्मी बेखौफ हैं।
पैसा और पनाह-
स्पेशल सेल द्वारा हाशिम बाबा गिरोह के फरार हत्यारों को पैसा और पनाह देने के आरोप में सब- इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह की 16 फरवरी 2025 को गिरफ्तारी से सांठगांठ की बात एक बार फिर से साबित हो गई है। सब- इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह का इरादा दूसरी पुलिस टीमों से इन हत्यारों को बचाने के लिए उनका आत्म समर्पण कराने का था। ऐसे पुलिसकर्मी कथित एनकाउंटर में उन्हें पकड़ा हुआ दिखा कर, इनाम और बारी से पहले तरक्की भी पा जाते हैं।
गुंडे ने रिमांड में ईद मनाई-
साल 2024 जून में कुख्यात हाशिम बाबा को रिमांड पर लाकर ईद की पार्टी करवाने के आरोप में उत्तर पूर्वी जिले के स्पेशल स्टाफ में तैनात सब- इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह समेत तीन-चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर किया गया था। रमजान के दिनों में स्पेशल स्टाफ ने एक बदमाश को पिस्तौल के साथ पकड़कर उसका लिंक गैंगस्टर हाशिम बाबा से निकाला था। जिसके बाद हाशिम बाबा को पूछताछ के लिए रिमांड पर लाया गया था। मगर वहां उसकी वीआईपी की तरह खातिरदारी की गई। पुलिस वालों ने उसकी ईद मनवाई थी। जिसमें हाशिम के घरवाले, रिश्तेदार और जानकार भी पहुंचे थे।
चर्चा तो यह भी है कि जेल के बाहर आकर ईद मनाने के लिए ही हाशिम ने पुलिसकर्मियों से सांठगांठ की। योजना अनुसार हाशिम ने अपने एक गुर्गे की पिस्तौल के साथ "गिरफ्तारी" और अपने "रिमांड " का नाटक रचा। सब- इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह का बाद में तबादला मध्य जिले में कर दिया गया।
जिस पुलिस अफसर का इस सब- इंस्पेक्टर के ऊपर हाथ है,उसके खिलाफ भी तो कार्रवाई की जानी चाहिए।
हवालात को बनाया मयखाना-
साल 2021 में लोधी कालोनी में स्पेशल सेल के हवालात में बदमाशों ने दारू पार्टी की और उसका वीडियो भी वायरल कर पूरी दुनिया के सामने दिल्ली पुलिस को नंगा कर दिया।
बदमाशों ने वीडियो वायरल कर समाज और अपराध जगत में यह साबित कर दिया कि पैसा मुंह पर मारो, तो स्पेशल सेल भी हवालात को मयखाना बना देता है।
लेकिन इस मामले में सिर्फ़ एक सब-इंस्पेक्टर रोहित को निलंबित कर खानापूर्ति कर दी गई। आतंकियों से निपटने वाले स्पेशल सेल के हवालात में बदमाश शराब पार्टी कर सकते हैं, तो बाकी थानों में क्या हालात होंगे, यह अंदाजा लगाया जा सकता है।
भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण ही पुलिस बदनाम है। दूसरी ओर बदमाशों को पकड़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले पुलिसकर्मियों का मनोबल टूटता है। बदमाश भी उनका ताने मार कर मजाक उड़ाते हैं।
कानून व्यवस्था को दुरुस्त करो-
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार 28 फरवरी को दिल्ली की नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की उपस्थिति में कानून-व्यवस्था और समन्वय पर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में दिल्ली सरकार के गृह मंत्री आशीष सूद, दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोरा और अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
दिल्ली में महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के साथ-साथ राजधानी में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने और अपराधों पर नियंत्रण करने से संबंधित कई सुझावों और उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई।
डीसीपी थानों में जन सुनवाई करें-
गृहमंत्री ने कहा कि डीसीपी स्तर के अधिकारी थानों में जाकर जन-सुनवाई शिविर लगाएं और जनता की समस्याओं का समाधान करें। सभी सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अपने अधीन थानों में गंभीर केसों की स्वयं निगरानी करें। आगामी एक वर्ष तक दिल्ली पुलिस प्रत्येक तीन महीने के अंतराल में अपराधों के खिलाफ विशेष अभियान चलाए और इसे आगे चलकर प्रत्येक डेढ़ महीने के भीतर चलाए। गृहमंत्री ने कहा कि लगातार खराब काम/प्रदर्शन करने वाले पुलिस थानों और सब-डिविजनो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
घुसपैठियों पर कार्रवाई-
गृह मंत्री ने निर्देश दिए कि दिल्ली में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या घुसपैठियों के भारत में घुसने से लेकर उनके दस्तावेज बनवाने और उन्हें यहां रहने में मदद करने वाले पूरे नेटवर्क में संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। अवैध घुसपैठियों का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है और इसमें पूरी सख्ती के साथ काम हो और उन्हें चिन्हित कर निर्वासित किया जाए। नशीले पदार्थों के मामलों में इसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की ज़रूरत है।
पुलिस की मंजूरी की जरुरत नहीं-
गृहमंत्री ने निर्देश दिए कि दिल्ली में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से संबंधित मामलों में दिल्ली पुलिस की परमिशन की जरुरत नहीं होगी।
खोया-पाया, पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट, चरित्र सत्यापन, ट्रैफिक, वरिष्ठ नागरिकों और हिम्मत एप्प के बारे में लोगों की संतुष्टि के स्तर को जानना बेहद ज़रूरी है और इसके लिए एक थर्ड पार्टी सर्वे कराया जाना चाहिए।
जाम का हल निकालें-
दिल्ली पुलिस रोजाना जाम लगने वाले स्थानों को चिन्हित करे और दिल्ली पुलिस कमिश्नर व मुख्य सचिव बैठक कर इसका त्वरित हल निकालें, जिससे जनता को राहत मिल सके
गृह मंत्री ने कहा दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामलों के त्वरित निपटान के लिए दिल्ली सरकार विशेष अभियोजक नियुक्त करे जिससे इन मामलों का जल्द निपटान हो सके।
अपराध मुक्त राजधानी-
अमित शाह ने कहा कि दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार आपसी सहयोग से ही देश की राजधानी को अपराधमुक्त कर एक आदर्श राजधानी बना सकती हैं।
उन्होंने यातायात प्रबंधन पर साझा प्रयास, कानून प्रवर्तन की आधारभूत संरचना के सुदृढ़ीकरण, महिला एवं बाल सशक्तीकरण, सिविक विभागों के बीच परस्पर सहयोग, भ्रष्टाचार पर अंकुश, सामुदायिक पुलिसिंग, सीसीटीवी कैमरों के रख-रखाव और एकीकरण आदि की दिशा में कार्य करने का सुझाव दिया।
(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1989 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)
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