Saturday, 28 June 2025

अफसरशाही का खामियाजा भुगत रहे CGHS लाभार्थी , स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा अफसरशाही पर नकेल कसो, संवेदनहीन अफसरों ने त्री नगर की डिस्पेन्सरी अशोक विहार शिफ़्ट की

 स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा संवेदनहीन अफसरशाही पर नकेल कसो 

अफसरशाही का खामियाजा भुगत रहे सीजीएचएस लाभार्थी

सीजीएचएस की अफसरशाही: त्री नगर की  डिस्पेन्सरी अशोक विहार शिफ़्ट की




इंद्र वशिष्ठ, 
केंद्र सरकार के संवेदनहीन अफसरों ने त्री नगर में दशकों से मौजूद सीजीएचएस डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित कर सीजीएचएस लाभार्थियों से चिकित्सा सुविधाओं को दूर कर उनके लिए समस्या पैदा कर दी। 
संवेदनहीन नौकरशाही-
सीजीएचएस के वरिष्ठ नौकरशाह, लोगों खासकर बुजुर्गों/मरीजों के प्रति कितने संवेदनहीन और अमानवीय है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में त्री नगर स्थित सीजीएसएस की डिस्पेन्सरी को यहां से दिसंबर 2024 में अशोक विहार स्थानांतरित कर दिया गया। लगभग पांच दशक से त्री नगर के ओंकार नगर-सी इलाके में सीजीएचएस की यह डिस्पेन्सरी थी। यह डिस्पेन्सरी किराये की इमारत में थी। अगर डिस्पेन्सरी को स्थानांतरित करना बहुत ही जरूरी था, तो उसे त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में स्थानांतरित किया जा सकता था। लेकिन त्री नगर की डिस्पेन्सरी को यहां से कई किलोमीटर दूर अशोक विहार में स्थानांतरित किया जाना किसी भी तरह सही/ उचित/ जायज/ तर्क संगत/ व्यवहारिक नहीं है। अशोक विहार में तो सीजीएचएस की एक डिस्पेन्सरी पहले से ही मौजूद है। उसी इमारत की पहली मंजिल पर त्री नगर की डिस्पेन्सरी शिफ़्ट कर दी गई। 
बुजुर्गों पर पहाड़ टूटा-
त्री नगर की डिस्पेन्सरी को अशोक विहार स्थानांतरित किए जाने से सभी लाभार्थियों,  खासकर बुजुर्गों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बुजुर्गों को शारीरिक/ मानसिक रूप से तो कष्ट होता ही है, इसके अलावा रिक्शा आदि से एक बार अशोक विहार डिस्पेन्सरी आने जाने में ही उन्हें कम से कम दो सौ रूपये खर्च करने पड़ते हैं। मरीजों को इलाज/ दवा  के लिए एक महीने में कई- कई बार डिस्पेन्सरी जाना  पड़ता है। ऐसे में उन पर आर्थिक रूप से बहुत बोझ पड़ा है। असुविधा के अलावा समय अलग बर्बाद होता है। यही नहीं मुख्य सड़कों पर भारी ट्रैफिक के बीचों बीच से होकर अशोक विहार आना जाना बुजुर्गों के लिए जोखिम भरा भी है। उपरोक्त समस्याओं के कारण डिस्पेन्सरी जाने की बजाए कई बार लोग  बाज़ार से दवाई खरीदने को मजबूर है। 
समाधान-
त्री नगर में ही वर्धमान वाटिका के साथ ही  नगर निगम की इमारत में बुजुर्गों के लिए मनोरंजन केंद्र बनाया गया था, जो बंद रहता है। वर्धमान पार्क के साथ ही नगर निगम का समुदाय भवन भी है। इनमें किसी भी इमारत की किसी मंजिल को सीजीएचएस किराये पर लेकर वहां डिस्पेन्सरी स्थानांतरित कर सकती है। लेखू नगर में निगम के एक मैटरनिटी होम की इमारत भी है मैटरनिटी होम तो वहां से शिफ्ट हो चुका है। इस इमारत में भी सीजीएचएस डिस्पेन्सरी खोली जा सकती है।
इसके अलावा इलाके में खोजने पर डिस्पेन्सरी के लिए और भी बिल्डिंग/ इमारत किराये पर मिल सकती हैं। इसके अलावा डीडीए से इस इलाके में ही जमीन लेकर उस पर सीजीएचएस डिस्पेन्सरी के लिए इमारत बनाई जा सकती है। 
डायरेक्टर की भूमिका-
सीजीएचएस के डायरेक्टर सतीश वाई एच ने 31 दिसंबर 2024 को इस पत्रकार को बताया था कि त्री नगर डिस्पेन्सरी में रिपेयर का काम करने के लिए डिस्पेन्सरी को अस्थायी रूप से अशोक विहार शिफ़्ट किया गया है। दो- तीन महीने में रिपेयर का काम पूरा हो जाने पर वापस डिस्पेन्सरी यहां आ जाएगी। डिस्पेन्सरी को त्री नगर में ही किसी दूसरी इमारत में शिफ़्ट क्यों नहीं किया गया? इस पर डायरेक्टर का कहना था उसमें समय ज्यादा लगता। 
लेकिन अब 6 महीने बीत गए डिस्पेन्सरी वापस उस मकान में नहीं आई है। 
इस पत्रकार ने देखा कि जिस मकान में डिस्पेन्सरी थी वहां पर रिपेयर का तो कुछ भी काम किया ही नहीं गया। वैसे भी रिपेयर तो डिस्पेन्सरी शिफ़्ट किए बगैर भी की जा सकती थी। 
जिस मकान में यह डिस्पेन्सरी थी उस इमारत की हालत ठीक है इसका पता इससे चलता है कि उसमें ऊपर के दो फ्लोर पर अभी भी कई परिवार रह रहे हैं। भूतल पर डिस्पेन्सरी थी। 
इससे डायरेक्टर की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है। 
सीजीएचएस के डायरेक्टर सतीश वाई एच  को इस पत्रकार ने फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

स्वास्थ्य मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी एवं सीजीएचएस की डीजी रोली सिंह का इस बारे में कहना है कि वह इस मामले को देखेंगी।


(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1989 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)




Thursday, 26 June 2025

साइबर ठगों के 8.5 लाख म्यूल बैंक अकाउंट का पता चला, 9 आरोपी गिरफ्तार: सीबीआई


साइबर ठगों के 8.5 लाख म्यूल बैंक अकाउंट : सीबीआई



इंद्र वशिष्ठ, 
नई दिल्ली, सीबीआई ने साइबर धोखाधड़ी/ठगी और डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराध में इस्तेमाल किए जा रहे म्यूल बैंक खातों के संबंध में 5 राज्यों में 42 स्थानों पर छापेमारी की। इस सिलसिले में 9 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। 
सीबीआई ने देश भर में विभिन्न बैकों की 700 से ज्यादा शाखाओं में 8.5 लाख म्यूल खातों का पता लगाया है। साइबर ठगों द्वारा लोगों को ठगने लिए म्यूल खातों का इस्तेमाल किया जाता है। 
ऑपरेशन चक्र-V 
सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र-V के तहत संगठित साइबर अपराध/डिजिटल गिरफ्तारी जैसे अपराध पर अंकुश लगाने के लिए राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 42 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया, ताकि डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले, छद्म रूप धारण करने, धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों, निवेश संबंधी धोखाधड़ी और यूपीआई-आधारित वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल संगठित साइबर धोखेबाजों द्वारा पीड़ितों के खातों से साइबर धोखाधड़ी की राशि को ट्रांसफर करने के लिए खोले जा रहे म्यूल बैंक खातों के खतरे से निपटा जा सके।
बैंक वालों की मिलीभगत-
सीबीआई के अनुसार इन साइबर धोखेबाजों को कुछ बैंक कार्मिकों, एजेंटों, बैंक संपर्क व्यक्तियों, बिचौलियों और ई-मित्रों की कमीशन और चूक से मदद मिल रही है, जो साइबर धोखाधड़ी वाले धन को प्राप्त और ट्रांसफर करने के साथ-साथ ऐसे खातों से निकासी को सक्षम बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले म्यूल खाते खोलने में सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
700 शाखाओं में म्यूल खाते-
सीबीआई ने म्यूल खाते खोलने की पूरी साजिश, बैंकरों और बिचौलियों की भूमिका का पता लगाने और बैंक के मौजूदा नियमों व दिशा-निर्देशों को समझने के लिए जांच शुरू की है। जांच से पता चला है कि संपूर्ण भारत में विभिन्न बैंकों की 700 से अधिक शाखाओं में लगभग 8.5 लाख म्यूल खाते खोले गए है। ये खाते उचित केवाईसी मानदंडों या ग्राहक की उचित जांच या प्रारंभिक जोखिम मूल्यांकन के बिना खोले गए थे। 
बैंक मैनेजरों की भूमिका-
बैंकों के शाखा प्रबंधक भी सिस्टम द्वारा उत्पन्न कुछ संदिग्ध लेन-देन अलर्ट के संबंध में उचित जांच करने में विफल रहे हैं। कुछ बैंक खाताधारकों के पते को अप्रत्यक्ष रूप से सत्यापित करने के लिए ग्राहकों को पावती/धन्यवाद पत्र भेजने में भी विफल रहे हैं। आरबीआई द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और बैंकों द्वारा जारी कुछ आंतरिक दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया है। इसलिए भारतीय न्याय संहिता के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, जाली दस्तावेज़ों को असली बताकर उपयोग करने और बैंक कार्मिकों द्वारा आपराधिक कदाचार के अपराध के लिए भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
9 गिरफ्तार-
तलाशी के दौरान, कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य, मोबाइल फोन, बैंक खाता खोलने के दस्तावेज, लेन-देन के विवरण, केवाईसी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। 
म्यूल बैंक खाता खोलने में शामिल व्यक्तियों सहित बिचौलियों की पहचान की गई है। इसके अलावा, 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें म्यूल बैंक खाते खोलने के संचालन और सुविधा में उनकी भागीदारी के लिए बिचौलिए, एजेंट, एग्रीगेटर, खाताधारक और बैंक संपर्क व्यक्ति शामिल हैं।
म्यूल बैंक अकाउंट -
म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक अकाउंट होते हैं जिनका इस्तेमाल साइबर ठग अपराध से मिले पैसे के लिए करते हैं। अपराधी अगर  अपने खुद के अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें पकड़ना आसान होता है। वे तुरंत पकड़े जा सकते हैं। इस से बचने के लिए अपराधी किसी तीसरे व्यक्ति के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। यह भी हो सकता है कि इस तीसरे व्यक्ति को पता भी न हो कि वे अपराधियों के लिए काम कर रहे हैं। 
साइबर ठग ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं जिनके पास पैसे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। जैसे बुजुर्ग, अनपढ़ या गरीब। इन्हें पैसे का लालच दिया जाता है जिससे वे अपना अकाउंट खुलवाने के लिए अपने दस्तावेज/ जानकारी दें या अपने मौजूदा अकाउंट का इस्तेमाल करने दें। इसके अलावा वे नकली पहचान दस्तावेज के जरिए भी अकाउंट खुलवा लेते हैं।





Tuesday, 24 June 2025

30 लाख रुपए रिश्वत मांगने वाला ग्रेटर कैलाश थाने का इंस्पेक्टर गिरफ्तार


तीस लाख रिश्वत मांगने वाला इंस्पेक्टर गिरफ्तार


इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा। दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने ग्रेटर कैलाश थाने में तैनात इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव और उसके साथी धर्मवीर को गिरफ्तार किया है। इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव ने तीस लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया धर्मवीर खुद को वकील बता रहा था।
ग्रेटर कैलाश की रहने वाली महिला ने विजिलेंस यूनिट को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उसके और उसके पति के खिलाफ थाना ग्रेटर कैलाश में एफआईआर दर्ज की गई थी। उस मामले के आईओ इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव मामले में उनका पक्ष लेने के लिए उनसे रिश्वत मांग रहे हैं।  सौदेबाजी के बाद रिश्वत की रकम 30 लाख रुपए तय हुई है। शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव ने उसे धर्मवीर को रिश्वत की रकम देने का निर्देश दिया है, जिसने खुद को वकील बताया है।  
एसीपी, विजिलेंस की देखरेख में एक टीम गठित की गई। 23 जून को विजिलेंस टीम ने एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए बाद धर्मवीर निवासी खिड़की एक्सटेंशन, मालवीय नगर‌ को गिरफ्तार कर लिया।  इसके बाद इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव को भी गिरफ्तार किया गया। विजिलेंस को जांच के दौरान पता चला कि धर्मवीर रजिस्टर्ड वकील नहीं है और वह खुद को वकील के तौर पर गलत तरीके से पेश कर रहा है।

भ्रष्टाचार चरम पर-
दिल्ली पुलिसकर्मियों के लगातार पकड़े जाने के बावजूद भ्रष्टाचार थम नहीं रहा।

एफआईआर से नाम हटाने के लिए रिश्वत-
दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने 10 जून को गोविंद पुरी थाने के एएसआई सुशील शर्मा और उसकी महिला सहयोगी को शिकायतकर्ता से 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। गिरफ्तार महिला की थाने के बाहर चाय की दुकान है। एएसआई सुशील शर्मा उसके जरिये रिश्वत लेता था। एफआईआर से दिहाड़ी मजदूर शिकायतकर्ता के परिवार के सदस्यों के नाम हटाने के लिए एएसआई सुशील शर्मा ने दस हजार रुपए रिश्वत मांगी। 
ट्रैफिक वाले गिरफ्तार-
21 मई को दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट ने समयपुर बादली ट्रैफिक सर्कल के दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपियों में एएसआई विजय कुमार और हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र हैं। इन पर आरोप है कि शिकायतकर्ता से ट्रैफिक चालान से प्रोटेक्शन के तौर पर 30 हजार रुपये रिश्वत वसूली थी। 
डीसीपी विजिलेंस के मुताबिक, 21 मई को दिल्ली पुलिस के थाना विजिलेंस में अपनी शिकायत लेकर आए शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि समयपुर बादली ट्रैफिक सर्कल के महादेव चौक पर तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मी उनसे रिश्वत की मांग कर रहे हैं। विजिलेंस यूनिट ने टीम गठित की। कथित पुलिसकर्मी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ने के लिए ट्रैप लगाया। इसके बाद रोहिणी सेक्टर-30 में एक सुनसान जगह से रिश्वत लेते पकड़ा गया।
पता चला कि शिकायतकर्ता पहले ट्रैफिक पुलिस की क्रेन पर काम करता था ये पुलिस वाले  रिश्वत की रकम लाने के लिए शिकायतकर्ता का इस्तेमाल  थे। 
हवलदार भाग गया
15-4-2025  को दिल्ली पुलिस के पश्चिम विहार थाने के हवलदार को विजिलेंस यूनिट ने एक अपराधी से 40,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा, लेकिन वह मौके से भागने में सफल रहा। एस एच ओ पश्चिम विहार को जिला लाइन भेजा गया
दिल्ली पुलिस के अनुसार, विजिलेंस विभाग को एक बीसी (बैड कैरेक्टर) व्यक्ति से शिकायत मिली थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पश्चिम विहार पश्चिम पुलिस स्टेशन के दो पुलिस अधिकारी उसे 40,000 का भुगतान न करने पर झूठे मामले में फंसाने और गिरफ्तार करने की धमकी दे रहे थे
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, विजिलेंस टीम ने जाल बिछाया जब शिकायतकर्ता पश्चिम विहार में हेड कांस्टेबल मनोज को पैसे सौंपने के लिए पहुंचा, तो विजिलेंस टीम को हवलदार, मनोज ने  देख लिया और हिरासत में लिए जाने से पहले भाग गया।
रिटायर्ड इंस्पेक्टर से 2 लाख लेते एएसआई गिरफ्तार, एसएचओ फरार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बावजूद पुलिस वाले मकान बनाने वालों से वसूली करने में लगे हुए हैं। 
बेखौफ, निरंकुश, भ्रष्ट पुलिस वालों द्वारा रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर से भी मकान निर्माण करने देने के लिए रिश्वत वसूलने का मामला सामने आया हैं। 
एसएचओ फरार-
माडल टाउन थाने में तैनात एएसआई सुदेश कुमार यादव को दिल्ली पुलिस के ही रिटायर्ड इंस्पेक्टर यशपाल से दो लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पुलिस की ही विजिलेंस यूनिट ने 14 अप्रैल को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी से बचने के एसएचओ पवन मीणा फरार हो गया। 
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि एएसआई सुदेश कुमार को सस्पेंड और एसएचओ पवन मीणा को लाइन हाज़िर किया गया है। एसएचओ पवन मीणा सोमवार दोपहर में एक दिन की परमिशन लेकर घर गया था, लेकिन मंगलवार रात तक वह डयूटी पर वापस नहीं आया। 
लाख मांगे-
रिटायर्ड इंस्पेक्टर यशपाल का महेंद्रू एन्क्लेव में दो सौ गज का मकान है। मकान में सबसे ऊपरी म़जिल पर 140 गज में बना हुआ है। अब शेष छत पर यशपाल निर्माण कार्य/ लैंटर करवा रहा था।
यशपाल द्वारा विजिलेंस यूनिट में की गई शिकायत में आरोप लगाया कि उनके मकान में छत पर मरम्मत/निर्माण कार्य करने की अनुमति के बदले एएसआई सुदेश द्वारा उनसे लगातार 4 लाख रुपए रिश्वत की मांग की जा रही थी। जब उसने कुछ निर्माण कार्य शुरू किया, तो एएसआई सुदेश और क्षेत्र के अन्य बीट स्टाफ द्वारा उसे रुकवा दिया गया। 4 लाख रुपए रिश्वत की मांग की गई, साथ ही धमकी दी गई कि रिश्वत देने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। अंत में मामला दो लाख रुपए में तय हुआ। 
एसएचओ की मिलीभगत-
रिटायर्ड इंस्पेक्टर काम रुकवाए जाने के संबंध में अपनी शिकायत लेकर माडल टाउन थाने के एसएचओ पवन मीणा से भी मिला था, लेकिन एसएचओ ने उसे एएसआई सुदेश से मिलने के लिए कहा।
एसएचओ ने उसके साथ बदतमीजी से बात की और कहा "चलिए, काम बंद करिये "
एएसआई सुदेश ने उसे 14 अप्रैल को रिश्वत के पैसे के साथ बुलाया। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत के साथ एक पेन ड्राइव भी उपलब्ध कराई, जिसमें बताया कि रिश्वत की मांग के संबंध में  मॉडल टाउन थाने के विभिन्न पुलिस अधिकारियों के साथ उसकी बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग है। 
यह सूचना मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट की टीम ने जाल बिछाया। 14 अप्रैल को शाम को एएसआई सुदेश ने थाने  की पहली मंजिल पर स्थित अपने कमरे में शिकायतकर्ता यशपाल से  2 लाख रुपए रिश्वत ली।
विजिलेंस की टीम ने तुरंत एएसआई सुदेश कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया।
गृह मंत्री के निर्देश की धज्जियां उड़ाई-
केंद्रीय गृह मंत्री ने एक मार्च को गृह मंत्रालय में दिल्ली की कानून व्यवस्था की समीक्षा  बैठक में निर्देश दिया था कि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के मामलों में पुलिस की परमिशन की जरूरत नहीं होगी। बैठक में दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी मौजूद थी। 
गृह मंत्री के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार ने भी बकायदा सर्कुलर निकाला था जिसमें कहा गया था भवन निर्माण कार्यों में दिल्ली पुलिस की अनुमति की जरूरत नहीं होती। पुलिस का कार्य केवल अवैध निर्माण की सूचना संबंधित एजेंसी को देना है। 
हवलदार विजिलेंस टीम को टक्कर मार कर भाग गया-
4 अप्रैल 2025 को जाफरपुर कलां थाने का हवलदार गजेंद्र रिश्वत के 15 हजार रुपए लेकर भाग गया। शिकायतकर्ता से मकान बनाने देने और बोरिंग के लिए रिश्वत मांगी। 
हवलदार  कार से विजिलेंस टीम को टक्कर मार कर भागा। विजिलेंस टीम के दो पुलिसकर्मी घायल हुए। हत्या के प्रयास और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।
एसएचओ फरार-
सीबीआई ने 26 मार्च को दिल्ली पुलिस के सागरपुर थाना में तैनात हवलदार सांवरमल और सिपाही शुभम गिल को ढाई लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार  किया है। रिश्वत लेने के बाद पुलिसकर्मी ने एसएचओ को फोन किया। सीबीआई की रेड का पता चलते ही गिरफ्तारी से बचने के लिए सागर थाने का एसएचओ दिनेश कुमार भाग गया था। एसएचओ को बाद अदालत से जमानत मिल गई। 
आरोपी पुलिस कर्मियों ने शिकायतकर्ता महिला को नशे/ड्रग्स का धंधा करने देने और ड्रग्स के मामले में नहीं फंसाने के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। 

हवाला से रिश्वत लेने वाला सब- इंस्पेक्टर  गिरफ्तार

सीबीआई की मुंबई टीम ने 19 मार्च को दिल्ली पुलिस के रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया है। सीबीआई के अनुसार सब- इंस्पेक्टर राहुल  मलिक को मुंबई, इरोड (तमिलनाडु) और नई दिल्ली में स्थित कई हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से आंशिक भुगतान के रूप में 2.5 लाख रुपए की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में  गिरफ्तार किया है। 
सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक ने शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
मुंबई में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय करने  वाले शिकायतकर्ता शाहबाज़ शेख ने सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक के ख़िलाफ़ सीबीआई की मुंबई शाखा में मामला दर्ज कराया था। 

सीबीआई ने 22 मार्च को ट्रैफिक पुलिस के वसंत विहार सर्किल में तैनात एएसआई अशोक कुमार और हवलदार राम सिंह को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।शिकायतकर्ता से साप्ताहिक बाजार में टेबल सप्लाई करने की अनुमति देने के लिए रिश्वत मांगी।
हवलदार भाग गया-
मार्च में ही हरिनगर थाने के हवलदार सतीश को सीबीआई रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। 
हवाला से रिश्वत- सीबीआई की मुंबई से आई टीम ने 19 मार्च को हवाला के माध्यम से ढाई लाख रुपए रिश्वत लेने वाले रोहिणी साइबर थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राहुल मलिक को गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता और उसके साले को गिरफ्तार करने की धमकी दे कर पचास लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। 
एसएचओ लाइन हाज़िर- सीबीआई ने 20 फरवरी को सनलाइट कालोनी थाने में तैनात एएसआई राम सिंह को 10 हज़ार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। एएसआई राम सिंह ने एक दम्पति को जेल भेजने की धमकी दे कर 30 हज़ार रुपए रिश्वत मांगी। एएसआई राम सिंह को निलंबित किया गया। इस मामले में सनलाइट कालोनी थाने के एसएचओ गुलशन नागपाल को लाइन हाज़िर किया गया। 
सब-इंस्पेक्टर भाग गया- सीबीआई 29 जनवरी 2025 को लाहौरी गेट थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर अनिल खटाना रिश्वत की रकम लेकर थाने से भागने में सफल हो गया।सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को आउटर डिस्ट्रिक्ट के राज पार्क थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर दीपक झा को आपराधिक मामले को बंद करने के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।  सीबीआई ने 2 जनवरी 2025 को उत्तर पश्चिम जिले के नेताजी सुभाष प्लेस थाने में तैनात हवलदार शिव हरि को खाने की रेहड़ी लगाने वाले सतीश यादव से दस हज़ार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। 2 जनवरी 2025 को ही सीबीआई शाहदरा जिले के सीमा पुरी थाने में तैनात सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र को रंगे हाथ पकड़ने में विफल हो गई। सब- इंस्पेक्टर राजेन्द्र रिश्वत की रकम लेकर भाग गया। 











हरियाणा में शराब व्यापारियों की हत्या करने वाला बदमाश दिल्ली में मारा गया, हरियाणा पुलिस ने 3 लाख 10 हज़ार रुपए का इनाम रखा था

हरियाणा में शराब व्यापारियों की हत्या करने वाला दिल्ली में मारा गया



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल और हरियाणा पुलिस की एसटीएफ की सयुंक्त टीम के साथ दिल्ली में हुए कथित एनकाउंटर में हरियाणा का तीन लाख दस हजार रुपए का इनामी बदमाश रोमिल वोहरा मारा गया।
रोमिल वोहरा हरियाणा में शराब व्यापारियों की सनसनीखेज हत्याओं के दो मामलों और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक मामले में वांटेड था। 

स्पेशल सेल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि 24 जून की तड़के दक्षिण दिल्ली में डेरा मांडी इलाके में हुए एनकाउंटर में रोमिल वोहरा मारा गया।
रोमिल वोहरा द्वारा चलाई गई गोलियों से स्पेशल सेल और एसटीएफ के सब- इंस्पेक्टर प्रवीण और रोहन घायल हो गए। रोमिल वोहरा के पास से एक विदेशी पिस्तौल, कारतूस और मोटर साइकिल बरामद हुई। 
सनसनीखेज हत्याएं-
कुरुक्षेत्र में 14 जून को शराब व्यापारी शांतनु की हत्या और पिछले साल 26 दिसंबर को  यमुना नगर में एक जिम के बाहर शराब व्यापारी पंकज मलिक, उसके साथियों अर्जुन और वीरेंद्र राणा की हत्या की सनसनीखेज वारदात में हरियाणा पुलिस को रोमिल वोहरा की तलाश थी।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को भी हथियार कानून के तहत दर्ज एक मामले में रोमिल वोहरा की तलाश थी।
 हरियाणा पुलिस ने यमुना नगर निवासी रोमिल पर तीन लाख दस हजार रुपए इनाम घोषित किया हुआ था। 
राणा गैंग-
रोमिल वोहरा व्यापारियों खासकर शराब व्यापारियों से जबरन वसूली करने, गोलियां चला कर व्यापारियों में दहशत फैलाने और हत्या करने वाले वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा और सूर्य प्रताप उर्फ नोनी राणा के गिरोह का बदमाश था। 
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा बैंकॉक से प्रत्यर्पित करा कर भारत लाए गए गिरोह सरगना वीरेंद्र प्रताप उर्फ ​​काला राणा और उसके विदेश में रहने वाले भाई सूर्य प्रताप उर्फ ​​नोनी राणा ने हरियाणा में हुई हत्याओं की जिम्मेदारी ली थी। अब नोनी राना विदेश में बैठ कर गिरोह चला रहा है।


Saturday, 21 June 2025

पहलगाम आतंकी हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकियों को पनाह देने के आरोप में 2 कश्मीरी गिरफ्तार


इंद्र वशिष्ठ, 
एनआईए ने पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों को पनाह देने के आरोप में दो कश्मीरियों को गिरफ्तार किया है। 
एनआईए के अनुसार पहलगाम के बटकोट निवासी परवेज अहमद जोथर और पहलगाम के हिल पार्क निवासी बशीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया गया है। इन्होंने हमले में शामिल तीन आतंकियों की पहचान का  खुलासा किया है और यह भी पुष्टि की है कि वे प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक हैं।
एनआईए की जांच के अनुसार, परवेज और बशीर ने हमले से पहले हिल पार्क में मौसमी झोपड़ी में तीन हथियारबंद आतंकवादियों को जानबूझकर शरण दी थी। दोनों लोगों ने आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और रसद सहायता प्रदान की थी, जिन्होंने उस दुर्भाग्यपूर्ण दोपहर को, धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को चुन-चुन कर मार डाला, जिससे यह अब तक का सबसे भीषण आतंकवादी हमला बन गया। एनआईए ने दोनों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया है‌। तीन आतंकवादियों ने 22 अप्रैल 2025 को दुनिया को हिला देने वाले इस भयावह हमले को अंजाम दिया था, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे और 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

उल्लेखनीय है कि पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। सुरक्षा एजेंसियों ने दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के पास हुए आतंकी हमले में शामिल होने के संदेह में तीन संदिग्ध लोगों के रेखाचित्र (स्केच) जारी किए थे। संदिग्धों के नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा हैं। तीनों आतंकवादियों के कोड नाम भी थे - मूसा, यूनुस और आसिफ और ये तीनों पुंछ में आतंकी घटनाओं में शामिल थे।

Friday, 20 June 2025

183 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में पीएनबी का सीनियर मैनेजर गिरफ्तार



183 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में पीएनबी का सीनियर मैनेजर गिरफ्तार



इंद्र वशिष्ठ, 
सीबीआई ने 183 करोड़ रुपए के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक के सीनियर मैनेजर गोविंद चंद्र हांसदा और मोहम्मद फिरोज खान को गिरफ्तार किया है। 

सीबीआई के अनुसार मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सीबीआई  ने 9 मई 2025 को तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए। ये मामले इंदौर स्थित प्राइवेट कंपनी मैसर्स तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) को 183.21 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी जमा करने से संबंधित एक बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े हैं।

इस कंपनी ने एमपीजेएनएल से 2023 में मध्य प्रदेश में 974 करोड़ रुपए की सिंचाई की 3 परियोजनाएं (ठेके) हासिल की। इन अनुबंधों का समर्थन करने के लिए 183.21 करोड़ रुपए की आठ फर्जी बैंक गारंटी जमा की गई।
प्रारंभिक सत्यापन के दौरान, एमपीजेएनएल को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के आधिकारिक डोमेन का प्रतिरूपण करते हुए धोखाधड़ी वाली ईमेल प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें बैंक गारंटी की प्रामाणिकता की झूठी पुष्टि की गई थी। इन पुष्टियों पर भरोसा करते हुए, एमपीजेएनएल ने फर्म को तीन अनुबंध दिए, जिनकी कीमत 974 करोड़ रुपए से अधिक थी। 

इस मामले में, सीबीआई ने दिनांक 19 और 20 जून 2025 को बड़े पैमाने पर अभियान चलाया, जिसमें पांच राज्यों यानी नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड और मध्य प्रदेश के  23 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप कोलकाता से पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक गोविंद चंद्र हांसदा और मोहम्मद फिरोज खान को गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई को अब तक की जांच से पता चला है कि कोलकाता स्थित एक सिंडिकेट कई राज्यों में सरकारी ठेके हासिल करने के लिए व्यवस्थित रूप से फर्जी बैंक गारंटियां तैयार कर उन्हें प्रसारित कर रहा है।




Thursday, 12 June 2025

यादगार तस्वीरें

छोटे भाई नरेंद्र वशिष्ठ की शादी की यादगार तस्वीरें, 1997


सान्ध्य टाइम्स के संपादक सत सोनी जी के साथ
यादगार तस्वीर

दिल्ली पुलिस के तत्कालीन डीसीपी क्राइम कर्नल सिंह, तत्कालीन एडिशनल डीसीपी आलोक कुमार, अजय कुमार तत्कालीन एडिशनल डीसीपी,  रविशंकर तत्कालीन एसीपी, वकील मोहम्मद नासिर और मित्रों के साथ छोटे भाई की बरात की यादगार तस्वीर, 
30-4-1997
डीसीपी कर्नल सिंह आईपीएस, पत्रकार मित्र गुलशन खत्री नवभारत टाइम्स, एसीपी रामचंद्र सिंह, निगम पार्षद आत्मा राम गुप्ता 1-5-1997
तत्कालीन डीसीपी दीपक मिश्रा आईपीएस, एसीपी रामचंद्र सिंह
बी के गुप्ता आईपीएस, पी एन अग्रवाल आईपीएस, तत्कालीन डीसीपी उत्तर पश्चिम जिला सतेंद्र गर्ग आईपीएस, पुलिस प्रवक्ता रवि पवार


तत्कालीन डीसीपी किशन कुमार आईपीएस, एडिशनल डीसीपी महावीर सिंह


तत्कालीन डीसीपी राजेश मलिक आईपीएस, एडिशनल डीसीपी संजय सिंह आईपीएस

दिल्ली पुलिस के तत्कालीन डीसीपी बी एस बोला
तत्कालीन एसीपी मोहन कुदेसिया