Wednesday 22 March 2017

सेना में सहायक व्यवस्था


  इंद्र वशिष्ठ
 पिछले दिनों सेना में सहायकव्यवस्था पर सवाल उठाने वाले सेना के जवान रॉय मैथ्यू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद  सहायकव्यवस्था का मुद्दा राज्यसभा में गूँजा। इस सम्बन्ध में रक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने साफ़ किया कि भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना में सहायकों की कोई व्यवस्था नहीं है। भारतीय सेना में सहायक व्यवस्था तो है पर उसके सुपरिभाषित कर्तव्य होते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि सहायकों को तुच्छ कार्यों में नहीं लगाया जाए, इसके लिए समय-समय पर विशेष आदेश जारी किए जाते हैं।
सांसद संजीव कुमार ने सशस्त्र बलों में सहायकसिस्टम पर रक्षा मंत्री से तीन सवाल पूछे थे। पहला सवाल सशस्त्र बलों में सहायकों/बड्डीज को अधिकारियों के साथ तैनात करने के औचित्य पर था। साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या ऐसी परिपाटी सशस्त्र बलों में संबंधित कार्मिकों के मनोबल के विपरीत। इसके जवाब में डॉ भामरे ने विस्तार से पूरे सिस्टम को बताया।
डॉ भामरे ने कहा कि सहायक किसी यूनिट के संगठनात्मक ढाँचे का अभिन्न अंग होता है और उसके पास युद्ध और शांतिकाल के दौरान विशिष्ट कार्य होते हैं। फील्ड में ऑपरेशंस के दौरान वह और अफसर/जेसीओ बड्डीज इन-आर्म्स के रूप में काम करते हैं। एक बड्डी दूसरे बड्डी के मूवमेंट को कवर प्रदान करता है और आपरेशंस में उसकी रक्षा करता है। इसके अलावा जहां आवश्यकता होती है वह मानसिक, शारीरिक अथवा नैतिक सहयोग देता है।
उन्होंने सहायक के कार्यों को विस्तार से बताया कि वह अपने सामान्य सिपाही के कार्यों के अलावा शांति और युद्ध दोनों में अफसरों/जेसीओ को आवश्यक समर्थन प्रदान करता है ताकि वे (अफसर/जेसीओ) सौंपे गए कार्य ध्यान से कर पाएं। यह बड्डी सैन्य टुकड़ियों के साथ एक वैकल्पिक सम्पर्क भी मुहैया कराता है जिससे अफसर को जमीनी हकीकत का पता लग जाता है। चूंकि, अफसरों और बड्डीज के बीच के सौहार्दपूर्ण संबंध से सैन्य भावना बढ़ती है तो ऐसे में उनके मनोबल पर कोई बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना ही नहीं होती। हालांकि समय-समय पर विशेष अनुदेश जारी किए जाते हैं जिससे सहायकों को एक लड़ाकू सिपाही होने के नाते ऐसे तुच्छ कार्यों में न लगाया जाए जो उसके स्वाभिमान और आत्मसम्मान के विपरीत हों।
मंत्री से यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार ने विशेष रूप से सातवें वेतन आयोग के पश्चात हजारों सहायकों/बड्डीज की तैनाती से राजकोष पर आने वाली लागत का मूल्यांकन किया गया है, इस पर मंत्री ने साफ़ किया कि सरकार के राजकोष पर इसका कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ता है।



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