Friday 25 June 2021

ओलंपियन सुशील पहलवान और स्पेशल सेल का "प्रेम" का रिश्ता। सुशील को बनाया हीरो। सुशील की जान दांव पर लगा स्पेशल सेल ने किया फोटो सेशन। पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान।


ओलंपियन सुशील पहलवान और स्पेशल सेल का "प्रेम" का रिश्ता।
 सुशील को बनाया पुलिस ने हीरो ।
सुशील की जान दांव पर लगा स्पेशल सेल ने किया फोटो सेशन
पहले आत्म समर्पण, अब फोटो सेशन


इंद्र वशिष्ठ
सागर पहलवान की हत्या के आरोपी ओलंपियन सुशील पहलवान को मंडोली जेल से तिहाड़ जेल में भेज दिया गया। सुशील पहलवान की जान को उसके दोस्त से दुश्मन बने बदमाश काला जठेड़ी से खतरा बताया जाता है। इसलिए जेल में सुशील को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखा गया है।
 हीरो बनाया पुलिस ने -
लेकिन जेल के बाहर सुशील की सुरक्षा में पुलिस जबरदस्त लापरवाही बरत रही है।  पुलिस सुशील को वीआईपी की तरह सम्मान भी दे रही है।  
शुक्रवार को मंडोली जेल से तिहाड़ जेल ले जाने के लिए सुशील की सुरक्षा के लिए  विशेष रुप से स्पेशल सेल के पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। पुलिस की तीसरी बटालियन के पुलिसकर्मियों और स्पेशल सेल के सुरक्षा घेरे में सुशील को तिहाड़ जेल ले जाया गया। तिहाड़ की जेल नंबर दो में सुशील को रखा गया है।
पुलिस का सुशील प्रेम उजागर -
तिहाड़ जेल ले जाए जाने से पहले स्पेशल सेल और तीसरी बटालियन के पुलिसकर्मियों ने सुशील पहलवान के साथ अपनी फोटो खींच कर फोटो सेशन किया। पुलिस वालों की यह हरकत सुशील की सुरक्षा को दांव पर लगाने वाली है। फोटो खींचने में मस्त पुलिसकर्मी क्या यह भूल गए कि सुशील ने अपनी जान को खतरा बताया हुआ है। ऐसे में फोटो सेशन के लिए उसे एक मिनट के लिए भी रोकना खतरनाक साबित हो सकता है।
वैसे सुशील भी फोटो में बहुत खुश दिखाई दे रहा है। उसने बड़े इत्मीनान से फोटो खिंचवाई हैं। ऐसे में यह लगता ही नहीं कि उसकी जान को खतरा है। क्योंकि जिसकी जान को खतरा होता है वह तो डर के मारे एक पल भी ऐसे ही कहीं पर भी रुकता नहीं है।
शर्मनाक-
हत्या के आरोपी के साथ इस तरह फोटो खींच कर पुलिस द्वारा उसका महिमा मंडन किया जाना शर्मनाक है। पुलिसकर्मियों का यह आचरण पुलिस की छवि खराब करने वाला है।
सुशील की सुरक्षा में उसी स्पेशल सेल को लगाया गया जिसकी सुशील को स्कूटी पर घूमते हुए पकड़ने की कहानी ने पुलिस की खूब खिल्ली उड़वाई थी। अब स्पेशल सेल ने हत्या के आरोपी के प्रति अपना प्रेम जगजाहिर कर दिया। 
ऐसे में सवाल उठता है कि जो पुलिस  हत्या के आरोपी संग तस्वीरें खिंचवाने में खुद को गौरवान्वित महसूस करती है। उससे मामले की सही जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है। इससे तो यहीं लगता है कि जेल में भी सुशील को विशेष दर्जा और सुविधाएं दी जा सकती हैं।
ऐसे में पुलिस की भूमिका पर मृतक सागर के परिवार द्वारा भी उंगली उठाई जा सकती है।
वैसे सागर पहलवान हत्याकांड मामले की तफ्तीश पर शुरुआत से ही सवालिया निशान लग रहा है। अब अदालत में पता चलेगा कि अपराध शाखा के धुरंधरों ने सुशील के खिलाफ सबूत जुटाने में कितनी ईमानदारी से काम किया है।

मुलजिम, पुलिस दोनों ने उल्लंघन किया।-
सुशील और पुलिस वालों ने न तो मास्क पहना और न ही दो गज दूरी के नियम का पालन किया है। लगता है मुलजिम और पुलिस नियमों से ऊपर हैं।

गैंगवार की आशंका ? -
पुलिस सूत्रों के अनुसार वारदात के बाद हरियाणा के बदमाश  काला जठेड़ी ने सुशील से कहा कि, तूने सोनू को पीट कर ठीक नहीं किया। अब तेरी हमारी आमने सामने की दुश्मनी होगी। 
सुशील चाहता था कि काला जठेड़ी सोनू महाल को उसके खिलाफ बयान देने से मना कर दे। लेकिन सोनू महाल ने सुशील के खिलाफ बयान दे दिया है। हत्या के अनेक मामलों में आरोपी सोनू काला जठेड़ी का खास साथी और रिश्तेदार  है।
अब यह आशंका है कि सुशील पहलवान और काला जठेड़ी के बीच गैंगवार भी हो सकती है।
 बदमाश बदला लेगा या पैसा ?- 
इसलिए वारदात के बाद से ही सुशील काला जठेड़ी से समझौता करने की कोशिश में लगा हुआ है। 
 सुशील की काला जठेड़ी से सांठगांठ, यारी थी लेकिन सोनू महाल की भी पिटाई करके सुशील ने उसको अपनी जान का दुश्मन बना लिया। 
वैसे पैसे के लिए अपराध करने वाले काला जठेड़ी और सोनू महाल भी सुशील से मोटी रकम लेकर चुप बैठ सकते हैं। लेकिन पैसे से ज्यादा अपने अपमान और पिटाई को अहमियत दी तो सुशील से बदला लेगा। सुशील के साथ नीरज बवानिया गिरोह के बदमाश भी वारदात में शामिल थे। ऐसे में काला जठेड़ी और सोनू अगर बदला नहीं लेंगे तो अपराध जगत में उनका दबदबा कम हो जाएगा। 

आत्म समर्पण की पोल खोली वीडियो ने  - 
23 मई को स्पेशल सेल के एसीपी अत्तर सिंह और इंस्पेक्टर शिव कुमार की टीम द्वारा सुशील की मुंडका से कथित "गिरफ्तारी" का दावा किया गया था ।
पुलिस ने बताया कि ये दोनों स्कूटी पर सवार थे।

एक वीडियो वायरल है जिसमें  सड़क पर एक व्यक्ति दो लोगों के साथ आराम  से जा रहा है। वह सुशील बताया जा रहा है।
अब यह सवाल उठता है कि यह वीडियो किसने बनाया और वायरल किया है ?
दिल्ली पुलिस ने तो मीडिया को ऐसा कोई वीडियो जारी किया नहीं है।
 स्पेशल सेल भी सुशील का आत्म समर्पण या  गिरफ्तार करते हुए का वीडियो बना कर वायरल करेगी नहीं? 
पुलिस ने बताया है कि सुशील स्कूटी पर सवार था। जबकि वीडियो में तो कारें दिखाई दे रही है।
 मीडिया में भी वायरल इस वीडियो के बारे में पुलिस की चुप्पी से तो यह लगता है कि वीडियो सही है।
इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि यह वीडियो सुशील के साथियों ने ही बनाया होगा। उन लोगों ने वीडियो वायरल इसलिए किया होगा ताकि पुलिस उनके साथ धोखा करके कोई दूसरी "कहानी" ना बना दे। कोई हथियार आदि प्लांट न कर दे। इसके अलावा इस वीडियो से सुशील बाद में अदालत में पुलिस की कथित गिरफ्तारी की कहानी को झूठी साबित भी कर सके। 
 स्कूटी की कहानी हज्म नहीं हुई-
पुलिस का कहना है कि सुशील और अजय को जब गिरफ्तार किया गया, तब वह स्कूटी पर जा रहे थे। फरार सुशील और अजय जिसे पुलिस तलाश कर रही थी क्या वह दिल्ली में ही इस तरह स्कूटी पर खुलेआम घूम सकते हैंं ? इससे पुलिस की कहानी पर संदेह पैदा होता है। इससे तो यह लगता है कि सुशील ने पुलिस से मिलीभगत कर खुद आत्म समर्पण किया है।
पुलिस का कहना है कि वह पैसे लेने जा रहा था। सुशील खुद पैसे लेने जाने का खतरा मोल क्यों लेगा? जो चेले या दोस्त अब तक उसकी मदद कर रहे थे वह तो उसे पैसा भी खुद ही पहुंचा देते।
पुलिस अफसर और वकील ही नहीं आम लोगों को भी पुलिस की कहानी हज्म नहीं हो रही।
इतने दिनों से पुलिस को चकमा दे रहा सुशील इतना मूर्ख तो नहीं ही होगा, कि वह दिल्ली में ही लॉकडाउन में स्कूटी पर खुलेआम घूम कर खुद ही पुलिस को पकड़ने का न्योता और मौका देता।

महिला खिलाड़ी की स्कूटी-
पुलिस के अनुसार सुशील  गुरुग्राम में अपने दोस्त शराब कारोबारी से पैसा लेने गया था। इसके बाद वह हरि नगर में रहने वाली हैंडबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी के घर गया। उस लड़की की स्कूटी सुशील ले आया। इस स्कूटी पर ही बिना हेलमेट के सुशील और अजय जा रहे थे।

आईपीएस की भूमिका-
इस मामले से स्पेशल सेल के आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। क्योंकि बिना आईपीएस अफसरों की मंजूरी/ सहमति के एसीपी और इंस्पेक्टर अपने स्तर तो सुशील का समर्पण करा नहीं सकते।

असल में श्रेय,प्रचार इनाम और अपने को काबिल दिखाने के चक्कर में अफसर ऐसी हास्यास्पद कहानी गढ़ देते है। इसीलिए अदालत में पुलिस की कहानियों की धज्जियां उड़ती हैं।
टूलकिट मामले में मीडिया में जोर शोर से कहानी बताने वाले कमिश्नर और अपराध शाखा के आईपीएस अफसरों ने सुशील पहलवान के बारे में मीडिया में बोलने की जरा भी हिम्मत नहीं दिखाई।
 
वैसे सागर पहलवान हत्याकांड मामले की तफ्तीश पर शुरुआत से ही सवालिया निशान लग रहा है। अब अदालत में पता चलेगा कि अपराध शाखा के धुरंधरों ने सुशील के खिलाफ सबूत जुटाने में कितनी ईमानदारी से काम किया है।
सुशील पहलवान के नौकर की जनवरी 2018 को  रहस्यमय हालत में मौत हो गई। स्टेडियम से जुड़े ल़ोगों ने बताया कि माडल टाउन पुलिस ने मामला रफा दफा कर दिया। इस मामले में भी कमिश्नर और आईपीएस अफसरों ने चुप्पी साध रखी हैं।

रामदेव के सामने पुलिस का पवनमुक्तासन।-
 सागर पहलवान की हत्या के बाद सुशील पहलवान हरिद्वार गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार रामदेव ने एक संयुक्त पुलिस आयुक्त को सुशील की मदद करने के लिए फोन किया था। इस पत्रकार ने मई मेें ही यह उजागर कर दिया था कि रामदेव ने अगर किसी संयुक्त आयुक्त को फोन किया है तो वह रामदेव की ही जाति के सुरेंद्र सिंह यादव भी हो सकते हैं। क्योंकि सुरेंद्र सिंह यादव के नेतृत्व में ही इस मामले की जांच की जा रही थी।
वैसे रामदेव ने जिस भी आईपीएस को फोन किया हो वह अगर तुरंत हरिद्वार पुलिस को फोन कर देता तो सुशील पकड़ा जाता। 
इस मामले में रामदेव और आईपीएस का जिक्र सामने आया। लेकिन पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव की चुप्पी से साफ है कि रामदेव ने सुशील को पनाह दी थी।
एक लड़की को देशद्रोह के झूठे मामले में गिरफ्तार करने वाले बहादुर कमिश्नर और आईपीएस अफसरों की रामदेव का नाम आते ही फूंक निकल गई। रामदेव को सुशील को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार करना तो दूर  आईपीएस उसका नाम तक लेने से डरते हैं।

इस मामले में रोहिणी पुलिस ने भी हरियाणा के बदमाशों को आधी रात में घेवरा में पैदल घूमते हुए गिरफ्तार करने की कहानी बना कर अपनी खिल्ली उड़वाई।

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