Friday 4 June 2021

पुलिसवालों को जलील करने के लिए बदनाम IPS का सुशील पहलवान,रामदेव से कनेक्शन? गृहमंत्री की भूमिका पर सवालिया निशान।

         संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव

पुलिसकर्मियों को जलील करने के लिए बदनाम IPS का  सुशील पहलवान और रामदेव से कनेक्शन? 
दो आईपीएस सुर्खियों में।
 गृहमंत्री की भूमिका पर सवालिया निशान। 


 इंद्र वशिष्ठ 
क्या हत्या के आरोपी ओलंपियन सुशील पहलवान की मदद  के लिए रामदेव ने संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव को ही फोन किया था? 
इस अफसर ने ही सुशील पहलवान की मदद की थी?

 सरकार विरोधी हरकत?-
क्या 26 जनवरी 2021 को पुलिसकर्मियों से जय जवान जय किसान के नारे लगवा कर कायराना हरकत कर आईपीएस सुरेंद्र सिंह यादव ने भारत सरकार के खिलाफ काम किया है। क्या ऐसा करके किसानों का समर्थन और सरकार की नीतियों का विरोध किया गया है।
 गृहमंत्री से गुहार-
गृहमंत्री और दिल्ली पुलिस की सतर्कता शाखा मेंं उत्तरी क्षेत्र के संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव के खिलाफ दी गई शिकायत में भ्रष्टाचार समेत उपरोक्त गंभीर आरोप लगाए गए है। शिकायतकर्ता जितेंद्र सिंह ने आईपीएस के डर के कारण अपनी पहचान उजागर नहीं की है।
 पुलिस मेंं रोष-
पुलिसकर्मियों और अफसरों तक के साथ बदतमीजी से पेश आने के लिए बदनाम आईपीएस सुरेंद्र सिंह यादव के खिलाफ पुलिस में रोष  है। 
 गृहमंत्री की भूमिका-
उत्तरी क्षेत्र में तैनात आपीएस सुरेंद्र सिंह यादव शुरु से ही मातहत पुलिस वालों के साथ  दुर्व्यवहार कर उन्हें जलील करने के लिए बदनाम रहे हैं। इसके बावजूद घोषित बदतमीज आईपीएस को महत्वपूर्ण पद पर तैनात करने से गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है।
 आईपीएस के एक फोन पर पकड़ा जाता।-
सागर पहलवान की हत्या के बाद सुशील पहलवान हरिद्वार गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार रामदेव ने एक संयुक्त पुलिस आयुक्त को सुशील की मदद करने के लिए फोन किया था।
इस पत्रकार ने 14 मई को ही यह उजागर कर दिया था कि रामदेव ने अगर किसी संयुक्त आयुक्त को फोन किया है तो वह रामदेव की ही जाति के सुरेंद्र सिंह यादव भी हो सकते हैं। क्योंकि
सुरेंद्र सिंह यादव के नेतृत्व में ही इस मामले की जांच की जा रही थी।
वैसे रामदेव ने जिस भी आईपीएस को फोन किया हो, वह अगर तुरंत हरिद्वार पुलिस को फोन कर देता तो सुशील पकड़ा जाता। इस मामले में रामदेव और आईपीएस का जिक्र सामने आया। लेकिन पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव की चुप्पी से साफ है कि रामदेव ने सुशील को पनाह दी थी।
आईपीएस की कायराना हरकत-
26 जनवरी 2021 को एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें सुरेंद्र सिंह यादव कह रहे हैं कि इनको (किसानों) को शांति से समझाओ, वरना ये हमारे ऊपर से जाएंगे। सुरेंद्र सिंह यादव ने जय जवान जय किसान के नारे लगाए और पुलिस कर्मियों से भी लगवाए। शिकायत के अनुसार आईपीएस का यह आचरण सरकार विरोधी है।
वैसे अनेक वरिष्ठ आईपीएस अफसरों ने सुरेंद्र सिंह यादव की इस हरकत को पुलिसवालों का मनोबल तोड़ने वाला बताया था। अफसरों का कहना था कि ऐसी कायराना हरकत करने वाले अफसर को तो फोर्स और सेना मे बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाता है। ऐसे अफसर को सेना में तो नौकरी से निकाल दिया जाता है।
 जीजा साले-
क्या सुरेंद्र सिंह यादव और दूर के रिश्ते में उनके साले उत्तर जिला डीसीपी एंटी अल्फोंस ने जान बूझ कर किसानों को रोकने की कोशिश नहीं की। किसानों के लालकिले पर पहुंच जाने के लिए क्या यह दोनों आईपीएस जीजा साले ही जिम्मेदार हैं। 
 कमिश्नर जिम्मेदार- 
वैसे सच्चाई तो यह है कि किसानों को लालकिला पहुंचने से रोकने में विफल रहने के लिए पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव को  पद से हटाया जाना चाहिए था।
डीसीपी की संदिग्ध गतिविधियां  -
वैसे निकम्मे,नाकाबिल एसएचओ से लेकर डीसीपी तक में इस संयुक्त पुलिस आयुक्त का खौफ है। ऐसे अफसर भी कई बार सुरेंद्र सिंह यादव को बदनाम करने में लगे रहते हैं।  पिछले साल बाहरी उत्तरी जिले के तत्कालीन डीसीपी गौरव शर्मा और उत्तर पश्चिम जिले की तत्कालीन  डीसीपी विजयंता गोयल आर्य छुट्टी पर चले गए थे। यह चर्चा चल गई कि संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव द्वारा खराब व्यवहार किए जाने के कारण वह छुट्टी पर गए ।
लेकिन दूसरी ओर सूत्रों ने बताया कि डीसीपी गौरव शर्मा की छत्रछाया में उसके स्टाफ की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी संयुक्त पुलिस आयुक्त को मिल गई थी। जिसकी वजह से गौरव शर्मा ने वहां से अपना तबादला करा लिया। 
बेईमानों से संघर्ष-
आईपीएस सुरेंद्र सिंह यादव ने कुछ दिन पहले इस पत्रकार से कहा था कि भ्रष्ट अफसरों से उनका संघर्ष रहता है। सरकार तनख्वाह इसलिए देती हैं कि हम लोगों के लिए काम करें। पुलिस चीटिंग के मामले को अपनी कमाई का धंधा न बनाए, पुलिस रिकवरी एजेंट न बने,सट्टा न चलवाए और भाइयों के संपत्ति विवाद आदि में शामिल न हो। मैं सिर्फ़ यह कहता हूं कि ये.. ये..  गलत चीजें बंद करो। मेरे ऐसा कहने से किसी को तकलीफ होती हो तो मुझे फर्क नहीं पड़ता। 
 बदतमीजी का खामियाजा- 
वैसे आईपीएस अगर ईमानदार हो तो भी उसे किसी के साथ बदतमीजी करने का तो हक बिलकुल नहीं है। आईपीएस का व्यवहार अच्छा हो तो मातहत पुलिस कर्मी उसके लिए जान तक दे सकते हैंं। लेकिन व्यवहार ही खराब हो तो वहीं मातहत हिंसक प्रदर्शन या दंगों के दौरान आईपीएस को अकेला छोड़ कर भाग भी सकते हैं।

इस शिकायत के बारे में संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई। व्हाट्सएप भी किया गया। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस के स्पेशल कमिश्नर (कानून व्यवस्था) संजय सिंह ने भी कोई जवाब नहीं दिया।
 दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता आईपीएस चिन्मय बिस्वाल ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। 

 सब-इंस्पेक्टर आत्महत्या कर लेता-
जनवरी 2018 में संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव ने रात में चेंकिग के दौरान पुलिस की सक्रियता देखने के लिए झपटमारी की झूठी कॉल की थी। मौरिस नगर थाने का सब- इंस्पेक्टर रामचंद्र मौके पर अपनी कार में गया। 
इस पर सुरेंद्र सिंह यादव ने सब- इंस्पेक्टर को गालियां दी और उठक बैठक भी लगवाई। सुरेंद्र सिंह यादव के साथ उनका दोस्त रवि था। रवि ने भी सब इंस्पेक्टर से बदसलूकी की थी। सब इंस्पेक्टर ने रवि को पलटकर जवाब दे दिया तो गुस्साए यादव ने कहा कि रवि गृहमंत्री का रिश्तेदार है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त के दुर्व्यवहार से दुखी होकर  सब- इंस्पेक्टर रामचंद्र ने आत्महत्या करने तक की सोच ली थी। सब- इंस्पेक्टर रामचंद्र ने इस मामले की शिकायत रोजनामचे में दर्ज कर दी। तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक और उप राज्यपाल को इस मामले की शिकायत की गई। इसके  बाद बटालियन में तैनात संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव का दिल्ली से बाहर तबादला कर दिया गया था।
 एसएचओ को अर्दली बनाया-
शिकायत के अनुसार इसके पहले सुरेंद्र सिंह यादव जब उत्तर पूर्वी जिले में डीसीपी थे तब भी वह एसएचओ को बहुत जलील करते थे। शाहदरा के तत्कालीन एसएचओ को तो उसके पिता के सामने ही जलील किया गया।
इसके अलावा एसएचओ से दफ्तर में अर्दली का काम करा कर भी अपमानित किया जाता था।
एक एसएचओ तो बदसलूकी का सदमा झेल नहीं पाया और डिप्रेशन का शिकार हो गया। 

 कांग्रेस कनेक्शन-
शिकायत के अनुसार सुरेंद्र सिंह यादव राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी हैं। वह अलवर से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते है। इसके लिए उन्होंने दो बार नौकरी से इस्तीफा देने की तैयारी भी कर ली थी। शिकायत में डेरा मांडी छतरपुर में एक फार्म हाऊस से उनका संबंध होने जिक्र भी किया गया है।
शिकायत में हवलदार प्रवीण यादव, सिपाही मंजीत यादव और सिपाही सोनू यादव को संयुक्त पुलिस आयुक्त का खास चहेता बताया गया है।
 आप पार्टी से भी संबंध - सुरेंद्र सिंह यादव जब एंटी करप्शन ब्रांच में तैनात थे तो उनका अपने वरिष्ठ अधिकारी आईपीएस मुकेश मीणा से विवाद सुर्खियों में रहा था।
शिकायत के अनुसार सुरेंद्र यादव आम आदमी पार्टी से भी विधानसभा सभा का टिकट चाहते थे इसलिए वह उसकी कठपुतली की तरह काम कर रहे थे।
 आईपीएस को बचाते आईपीएस -
वैसे हमेशा की तरह आईपीएस के खिलाफ की गई इस शिकायत पर  भी कोई कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं है। 
इस मामले में तो पुलिस को यह बहाना भी मिल जाएगा कि शिकायतकर्ता ने अपनी पहचान छिपाई है।
 एडिशनल डीसीपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज-
पूर्वी जिला पुलिस के एडिशनल डीसीपी संजय सहरावत के खिलाफ सीबीआई ने शैक्षणिक और जन्म के जाली प्रमाण पत्र से नौकरी हासिल करने के आरोप में एफआईआर भी दर्ज की है। लेकिन एडिशनल डीसीपी संजय सहरावत अभी तक जिले में ही तैनात हैं 

 डीसीपी एंटो 3 कंप्यूटर ले गया-
साल 2020 में डीसीपी एंटो अल्फोंस तबादला होने पर द्वारका जिले से तीन टच स्क्रीन कंम्यूटर अवैध रुप से अपने साथ ले गए थे। डीसीपी द्वारा किए गए गबन के इस मामले को इस पत्रकार ने उजागर किया।
इस पत्रकार से एंटो ने कंम्यूटर लाने से साफ इनकार किया था। लेकिन कमिश्नर ने जांच कराई तो कंम्यूटर एंटो के पास ही मिले। मामला उजागर हो जाने पर कंम्प्यूटर एंटो को रीएलोकेट करके बचाया गया।
 पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने एंटो अल्फोंस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
 आईपीएस समीर शर्मा- 
पिछले साल ही पश्चिम जिले के तत्कालीन एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा के निजी स्टाफ द्वारा सट्टेबाजों से वसूली का मामला सामने आया था। इस मामले में आईपीएस समीर शर्मा की भूमिका पर सवालिया निशान लगा था। लेकिन समीर शर्मा के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। समीर शर्मा का बस जिले से तबादला करके खानापूर्ति कर दी गई।

 आईपीएस मधुर वर्मा की गुंडागर्दी-
साल 2019 मार्च में नयी दिल्ली के तत्कालीन डीसीपी मधुर वर्मा ने ट्रैफिक के इंस्पेक्टर कर्मवीर मलिक को पीट कर अपनी बहादुरी का परिचय दिया था। इंस्पेक्टर ने मधुर वर्मा के खिलाफ सतर्कता विभाग में शिकायत दी थी।लेकिन तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने मधुर वर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
 एसएचओ को जलील किया- 
इसके पहले उत्तरी जिला में  डीसीपी मधुर वर्मा ने सदर बाजार थाना के एसएचओ को थाने में उसकी कुर्सी से उतारा और उसे जमीन पर बिठा कर अपमानित किया था। 
 कुत्तों वाला डीसीपी-
दक्षिण पूर्व जिला के तत्कालीन डीसीपी रोमिल बानिया ने अपने दफ्तर में अपने कुत्तों के लिए कमरे बनवाए, कूलर लगवाए और कुत्तों  की सेवा में पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया।
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने रोमिल बानिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने तो यह तक नहीं बताया कि कमरे सरकारी धन के दुरुपयोग से बनाए गए या भ्रष्ट तरीके से बनवाए गए।
रोमिल बानिया आजकल दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त आयुक्त (सामान्य प्रशासन) के महत्वपूर्ण पद पर तैनात है।







.       माडल टाउन थाना

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