Sunday 25 April 2021

कोरोना महामारी संकट काल में भी कामचोर पुलिसकर्मियों की मौज। कमिश्नर के दखल की दरकार।





कोरोना संकट में भी शातिर पुलिस कर्मियों की मौज।

इंद्र वशिष्ठ
कोरोना संकट काल में दिल्ली पुलिस कर्मी एक ओर ऐसे कार्य कर रहे हैं जिससे पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आ रहा है। वहीं दूसरे ओर कुछ ऐसे पुलिसकर्मी भी है जो इस गंभीर संकट के समय भी कामचोरी या अपने घरों में आराम कर रहे हैं।
एक ओर वरिष्ठ पुलिस अफसर चाहते हैंं कि पुलिस कर्मियों से बारी-बारी से इस तरह डयूटी ली जाए जिससे उन्हें भी पर्याप्त आराम मिल जाए। लेकिन अफसरों की इस मंशा पर निचले स्तर के कुछ पुलिसकर्मी पानी फेरने में लगे हुए।
पुलिस सूत्रों के अनुसार तीसरी बटालियन में  बहुत से पुलिसकर्मी तो लगातार डयूटी कर रहे हैंं। दूसरी ओर कुछ ऐसे पुलिस कर्मी भी है जो मौज कर रहे हैं।
कमिश्नर जांच कराएं-
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव जांच कराएंं तो यह सब आसानी से पता लगाया जा सकता है और डयूटी लगाने में की जा रही गड़बड़ को बंद किया जा सकता है।
एक सेवानिवृत्त पुलिस अफसर का कहना है कि फोर्स का ऑडिट होना चाहिए, उससे सब पता चल जाएगा।

सेवा पानी करने वालों की मौज-
पुलिस सूत्रों  ने बताया कि डयूटी लगाने वाले मुंशी/बीएचएम आदि की मिलीभगत से उनके चहेते या "सेवा" करने वाले पुलिस वाले अपने घरों में कई कई दिनों तक आराम कर रहे हैं। दूसरी ओर जो "सेवा" नहीं करते उनसे लगातार डयूटी ली जा रही है। 
पुलिस सूत्रों के अनुसार डयूटी रजिस्टर की जांच से यह बात आसानी से सामने आ सकती है कि कौन-कौन पुलिसकर्मी लगातार डयूटी कर रहे हैं और कौन लगातार कई कई दिन तक रिजर्व या अन्य किसी डयूटी की रवानगी के नाम पर मौज कर रहे हैं।
मोबाइल लोकेशन खोल देगी पोल-
यह पता लगाने का सबसे सटीक और पुख्ता तरीका है कि उन पुलिस कर्मियों के मोबाइल फोन की लोकेशन निकलवा ली जाए। इससे साफ पता चल जाएगा कि वह असल में अपने घर पर रहे हैं या डयूटी पर। 
कई पुलिस वालों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया  कि जो पुलिस वाले मुंशी आदि की "सेवा पानी" करते हैं वह दस- पंद्रह दिन से लेकर एक महीना तक भी बिना छुट्टी लिए अपने घर पर गुजार लेते हैं।
 तीसरी बटालियन का कार्य अभियुक्तों को जेल से लाकर कोर्ट में पेश करने का है। कोरोना की वजह से अब कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हो रही है। इसलिए इस बटालियन के पुलिसकर्मियों का कार्य अब सिर्फ़ अस्पतालों में जेल से इलाज के लिए आने वाले या भर्ती अभियुक्तों की सुरक्षा/ निगरानी का ही है। जिसके लिए कम पुलिसवालों की जरूरत होती है। तीसरी बटालियन की नफरी करीब ढ़ाई हजार हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार मान लो इनमें से पांच सौ पुलिस वाले छुट्टी पर रहते हैंं। तो शेष दो हजार में से सिर्फ करीब एक हजार पुलिस वालों की डयूटी  लगाई जाती हैं। बाकी पुलिसकर्मी कायदे से बटालियन में ही मौजूद रहने चाहिए। 
पुलिस सूत्रों के अनुसार अगर पुलिस अफसर जांच कराएं तो पता चल जाएगा कि बटालियन में हकीकत में कुल कितने पुलिस कर्मी मौजूद रहते हैं।
पुलिस कर्मियों का आरोप है कि बटालियन के बीएचएम हवलदार और मुंशी की मिलीभगत के कारण ऐसे पुलिसकर्मियों की डाक डयूटी, कार्य सरकारी या किसी अन्य डयूटी की रवानगी भी दिखा दी जाती हैं। दूसरी ओर  ईमानदारी से डयूटी करनेवाले वाले पुलिसवालों को लगातार डयूटी पर लगा दिया जाता है। अगर ईमानदारी से डयूटी लगाई जाए तो इतनी नफरी हैं कि एक पुलिस वाले की चार-पांंच दिन में डयूटी की बारी आएगी। लेकिन डयूटी लगाने में गड़बड़ी के कारण अब एक दिन बाद ही डयूटी की बारी आ रही हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पैसे लेकर छुट्टी देने या मिलीभगत से मौज करने के मामले  की पहले भी शिकायतें की जा चुकी हैं। पुलिस वाले खुल कर  अपने नाम से शिकायत करने से डरते हैं इस लिए गुमनाम शिकायत की जाती हैं।  लेकिन कोई सख्त कार्रवाई न किए जाने से यह सिलसिला जारी है। जिससे अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता हैं। वैसे सच्चाई यह है कि थाना हो या  पुलिस की कोई  अन्य इकाई पुलिस वालों को छुट्टी मंजूर कराने के लिए चिट्ठा मुंशी की खुशामद और सेवा पानी करनी पड़ती है।


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