Sunday 9 July 2023

तीस हजारी में वकीलों की गैंगवार







 तीस हजारी में वकीलों की गैंगवार 



इंद्र वशिष्ठ
तीस हजारी अदालत परिसर पांच जुलाई को गोलियों की आवाज से गूंज उठा। कानून के ज्ञाता माने जाने वाले वकीलों के दो गिरोहों में हुई गैंगवार में गोलियां चलाई गई। 
गोलियां चलाने वाले गिरोहों के सरगना दिल्ली बार एसोसिएशन के पदाधिकारी है। 
अपराधियों की तरह गोलियों चला कर इन वकीलों ने साबित कर दिया कि, वे वकीलों के नाम पर कलंक हैं। 
सरगना गिरफ्तार-
उत्तर जिला के डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि दोनों गुटों के मुखिया दिल्ली बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और सचिव अतुल शर्मा के भाई ललित शर्मा को 7 जुलाई को गिरफ्तार किया गया। 
पुलिस ने 6 जुलाई को वकील अमन सिंह, सचिन सांगवान और रवि गुप्ता को गिरफ्तार किया। इनके पास से तीन देसी पिस्तौल, चार कारतूस और दो कारें बरामद हुई हैं। 
वकील या गुंडे ? -
अपराधियों की तरह गोलीबारी करके वकालत के पेशे को शर्मसार करने वाले वकीलों से इतने अवैध हथियारों के बरामद होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये वकीलों के वेश में छुपे हुए गुंडे हैं। इन वकीलों को हथियार देने वाले अपराधियों को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है। 
दम है तो, राज से पर्दा उठाओ -
डीसीपी सागर सिंह कलसी को उस कारण का भी खुलासा करना चाहिए, जिसके लिए ये वकील आपस में अपराधियों की तरह गोलियां तक चलाने पर उतर आए। 
हर अपराध का कोई न कोई कारण तो होता ही है, इसलिए डीसीपी सागर सिंह कलसी को इस अपराध के कारण का भी खुलासा करना चाहिए, ताकि इन अभियुक्त वकीलों की असलियत दुनिया सामने के उजागर हो। 
वैसे पुलिस इन वकीलों की असलियत यानी गैंगवार का असली कारण मीडिया को बताएगी इसमें संदेह है। अगर आईपीएस अफसरों में दम है तो असली कारण उजागर करें। 
वकीलों पर रहम-
चोर पकड़ने का भी प्रचार करने वाली पुलिस ने गोलियां चलाने जैसा संगीन अपराध करने वाले वकीलों की फोटो/वीडियो मीडिया को  नहीं दिए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वकीलों के प्रति पुलिस का रवैया नरम हैं। 
ऐसे में पुलिस वकीलों के ख़िलाफ़ कितना मजबूत केस बनाएगी, यह आने वाले समय में अदालत में साफ़ पता चल जाएगा। 
पुलिस मूकदर्शक-
वैसे चर्चा तो यहीं हैं कि बार एसोसिएशन को हर महीने होने वाली लाखों रुपए की आमदनी और वर्चस्व के लिए यह गैंगवार हुई है। 
आमदनी का एक मोटा जरिया अवैध पार्किंग भी है। कोर्ट के बाहर सड़क पर अवैध पार्किंग से भी मोटी आमदनी होती है। वकीलों के डर के कारण अवैध पार्किंग के मामले में पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। 
काले कोट का काला कारनामा-
 अदालत परिसर में‌  वकीलों के गिरोहों ने वकालत के पेशे को किस तरह शर्मसार किया, यह वायरल वीडियो के माध्यम से दुनिया ने देखा है। 
साफ झूठ बोल रहा-
वीडियो में गोली चलाते हुए वकील मनीष शर्मा  और एक अन्य वकील  साफ नज़र आ रहें हैं। इसके बावजूद मीडिया के सामने मनीष शर्मा गोली चलाने से साफ़ मुकर गया। मनीष शर्मा ने कहा कि बंदरों को भगाने वाली खिलौना पिस्तौल थी।
पैसा या वर्चस्व-
तीस हजारी से जुड़े वरिष्ठ वकीलों के अनुसार झगड़े का कारण पैसा/ वर्चस्व ही है। पार्किंग से भी मोटी कमाई होती है। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों में अध्यक्ष और सचिव का पद ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। वकीलों के चैंबर हो, या पार्किंग या दुकानों का आवंटन उसमें इन  पदाधिकारियों की ही मुख्य भूमिका होती है। 
वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और सचिव अतुल शर्मा के बीच ऐसे ही अनेक मुद्दों को लेकर तकरार रहती थी। इस तकरार ने बढ़ते बढ़ते गोलीबारी / गैंग वार का रुप ले लिया।
सचिव अतुल शर्मा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष शर्मा अपना अपना वर्चस्व स्थापित करने के कारण अपराधियों की कतार में शामिल हो गए।  
सबक सिखाओ-
दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष के के मनन ने इस मामले में गोली चलाने वाले मनीष शर्मा के अलावा सचिव अतुल शर्मा के वकील भाई ललित शर्मा का वकालत करने का लाइसेंस  निलंबित किया है।
दिल्ली बार काउंसिल को इस मामले में शामिल वकीलों के ख़िलाफ़ ऐसा सख्त कदम उठाना चाहिए जिससे आगे से कोई भी वकील ऐसा शर्मनाक अपराध करने की हिम्मत न करें।
निरंकुश वकील-
पिछले कुछ सालों से देश की राजधानी में ही कुछ वकीलों द्वारा लगातार वकालत के पेशे को शर्मसार करने वाली हरकत की जा रही हैं। 
तीस हजारी में ही‌‌ साल 2019 में तो कुछ वकीलों ने पुलिस वालों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा, वाहनों में आगज़नी और तोड़फोड़ कर वकालत के पेशे को शर्मसार किया था। 
उत्तरी जिले की तत्कालीन डीसीपी मोनिका भारद्वाज के साथ बदसलूकी की, मोनिका भारद्वाज को जान बचाने के लिए हाथ जोड़कर भागना पड़ा। वकीलों ने तत्कालीन एडिशनल डीसीपी हरेन्द्र सिंह को जमीन पर गिरा कर पीटा। 
अपराध करने वाले वकीलों के ख़िलाफ़ जब तक कठोर कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, यह सिलसिला जारी रहेगा। 

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)



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