Monday, 26 May 2025

पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाला सीआरपीएफ का एएसआई गिरफ्तार: एनआईए




पाकिस्तान के लिए जासूसी करनेवाला सीआरपीएफ का एएसआई गिरफ्तार:  एनआईए 


इंद्र वशिष्ठ, 
एनआईए ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब-इंसपेक्टर मोती राम जाट को गिरफ्तार किया है। सीआरपीएफ ने एएसआई को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। 

एनआईए के अनुसार पाकिस्तान के
खुफिया अधिकारियों के साथ भारत की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में सीआरपीएफ के एएसआई मोती राम जाट को गिरफ्तार किया है। 

मोती राम जाट साल 2023 से जासूसी गतिविधि में सक्रिय रूप से शामिल था। वह पाकिस्तान खुफिया अधिकारियों (पीआईओ) के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित वर्गीकृत जानकारी साझा कर रहा था। एनआईए ने जांच में पाया है कि वह विभिन्न माध्यमों से पाकिस्तानी खुफ़िया अफसरों से धन प्राप्त कर रहा था।
एनआईए ने मोती राम को दिल्ली से गिरफ्तार किया,  उससे पूछताछ जारी  है, उसे पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने 6 जून तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया है।
बर्खास्त-
सीआरपीएफ के अनुसार केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय में सीआरपीएफ कर्मियों की सोशल मीडिया गतिविधि की निरंतर निगरानी के दौरान, एएसआई मोती राम जाट द्वारा स्थापित मानदंडों और प्रोटोकॉल के उल्लंघन का मामला सामने आया। 
प्रारंभिक आकलन के बाद, मामले को गंभीर माना गया और आगे की जांच के लिए इसे  एनआईए को भेज दिया गया। इसके साथ ही एएसआई मोती राम जाट को संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत 21 मई 2025 से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।



Friday, 23 May 2025

'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान और आतंकवाद का रिश्ता पूरी दुनिया में बेनकाब: अमित शाह

'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान और आतंकवाद का रिश्ता पूरी दुनिया में बेनकाब: अमित शाह



इंद्र वशिष्ठ
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान और आतंकवाद का रिश्ता पूरी दुनिया में बेनकाब  हो चुका है। जब भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के आतंकी अड्डों पर हमला किया, तो जवाब पाकिस्तानी सेना ने दिया और मारे गए आतंकवादियों के जनाज़े में पूरी दुनिया ने पाक सेना के आला अफसरों को शामिल होते हुए देखा। वे जनाज़े को कंधा दे रहे थे। 
गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को सीमा सुरक्षा बल के अलंकरण समारोह एवं रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। 
गृह मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर हमारी भूमि पर हुए आतंकी हमलों के जवाब के इतिहास में सबसे सटीक और सभी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला था।  
शौर्य का उदाहरण-
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज का ये अलंकरण समारोह ऐसे समय पर हुआ है जब बीएसएफ और सेना ने अपने अप्रतिम शौर्य का उदाहरण पूरी दुनिया के सामने स्थापित किया है। ऑपरेशन सिंदूर, प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति, आसूचना एजेंसियों की सटीक सूचनाओं और हमारी सेनाओं की मारक क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन है। 
उचित जवाब दिया-
अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने और उसके बाद पहला सबसे बड़ा आतंकी हमला उरी में हमारे जवानों पर हुआ, तब हमने सर्जिकल स्ट्राइक कर पहली बार आतंकियों के ठिकानों में घुसकर आतंकवादियों को जवाब देने का काम किया। हम मानते थे कि भारत के इस जवाब से शायद अब सब कुछ रुक जाएगा, लेकिन नहीं रूका और पुलवामा में हमारे जवानों पर फिर आतंकी हमला हुआ। इस बार भारतीय सेनाओं ने एयर स्ट्राइक कर कठोर जवाब देते हुए एक बार फिर आतंकी अड्डों को उड़ा दिया। 
इंतिहा हो गई-
गृह मंत्री ने कहा कि इसके बाद पहलगाम में तो इंतिहा ही हो गई जब निर्दोष लोगों को धर्म पूछकर उनके परिवार, महिलाओं, बच्चों के सामने निर्ममतापूर्वक मारने का पाप पाक-प्रेरित आतंकियों ने किया। उस वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस आतंकी हमले का उचित जवाब दिया जाएगा और ऑपरेशन सिंदूर उसका उचित जवाब है।  आज पूरी दुनिया हमारी सशस्त्र सेनाओं की वीरता और मारक क्षमता की प्रशंसा कर रही है।
ऑपरेशन सिंदूर-
ऑपरेशन सिंदूर ने कुछ ही मिनटों में 9 आतंकी अड्डों को समाप्त कर दिया जिनमें से दो आतंकी संगठनों के मुख्यालय थे।
भारतीय सेनाओं ने सिर्फ आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया, जिन्होंने हमारी धरती पर गुनाह किया था। हमने हमला सिर्फ आतंकवादियों पर किया था। लेकिन पाकिस्तान ने साबित कर दिया कि आतंकवाद उसके द्वारा प्रायोजित है और उसने आतंकवादियों पर किए गए हमले को खुद पर हमला मानकर हमारे देश के नागरिक और सैन्य संस्थानों पर हमला करने का दुस्साहस कर दिया।
पाक का एयर डिफेंस सिस्टम खोखला-
गृह मंत्री ने कहा कि भारत का एयर डिफेंस सिस्टम बहुत अद्भुत है और पाकिस्तान के हमले हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सके। जब पाकिस्तानी सेना ने हमारे नागरिक और सैन्य संस्थानों पर हमला करने का प्रयास किया, तब भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने उनके एयरबेस पर हमला कर एक प्रखर और कठोर जवाब देकर हमारी मारक क्षमता का परिचय कराया और पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को खोखला साबित कर दिया। 
फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस-
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि 1965 से 2025 तक की बीएसएफ की यात्रा यह बताती है कि विकट परिस्थितियों में अल्प संसाधनों के साथ शुरू हुआ यह संगठन आज दुनिया का सबसे बड़ा और गौरवमयी सीमा सुरक्षा बल बनकर हमारे सामने खड़ा है। उन्होंने कहा कि देशभक्ति के आधार पर सभी कठिनाइयों को पार कर किस प्रकार विश्व में सर्वश्रेष्ठ बना जा सकता है, इसका सबसे उत्कृष्ट उदाहरण सीमा सुरक्षा बल है। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियां, 45 डिग्री से अधिक या बहुत कम तापमान, घने जंगल, दुर्गम पहाड़ और समुद्र के किनारे बीएसएफ के प्रहरियों ने जो देशभक्ति और निष्ठा दिखाई है उसी से बीएसएफ को फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस का सम्मान मिला है। 
बीएसएफ ने सीमा पर गोली का जवाब गोले से देकर यह बता दिया कि जब तक बीएसएफ है तब तक पाकिस्तानी सेना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकती।

बीएसएफ के जन्म की कहानी-
केन्द्रीय गृह मंत्री ने के एफ रुस्तमजी के योगदान को याद करते हुए कहा कि 1965 के युद्ध के बाद एक ऐसे बल की ज़रूरत महसूस की गई जो शांतिकाल में भी सीमा की सुरक्षा कर सके और उससे  बीएसएफ का विचार जन्मा और रुस्तमजी बल के पहले महानिदेशक बने। उन्होंने कहा कि 1965 में बीएसएफ की स्थापना के बाद 1971 में हम पर थोपे गए युद्ध में बल के जवानों ने जो वीरता दिखाई औऱ योगदान दिया, उसे भारत कभी नहीं भूल सकता और बांग्लादेश को भी उसे कभी नहीं भूलना चाहिए। 
 शाह ने कहा कि बांग्लादेश के निर्माण में बीएसएफ की बहुत बड़ी भूमिका रही और अन्याय के खिलाफ लड़ने में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस बल ने बहादुरी के साथ मोर्चा लेने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
कठिन सीमा की सुरक्षा-
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश में एक निर्णय लिया गया था कि एक सीमा पर एक ही बल सुरक्षा करेगा और तब बीएसएफ को बल की योग्यता देखकर दो सबसे कठिन सीमाओं, बांग्लादेश और पाकिस्तान, की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई।
बीएसएफ, भारत की 15 हज़ार किलोमीटर से अधिक लंबी और सबसे कठिन सीमा की सुरक्षा करता है।  बीएसएफ ने विगत 5 साल में कई तकनीकी समाधान ढूंढने का प्रयास किया है। जहां बाड़ नहीं लग सकती वहां सीमा की सुरक्षा तकनीक के माध्यम से करने के लिए दुनियाभर के सॉल्यूशन्स को प्रयोगात्मक रूप से बीएसएफ ने ज़मीन पर उतारने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ के जवानों ने भी इन-हाउस कई सॉल्यूशंस तैयार किए हैं और भौगोलिक विषमता वाली सीमाओं की सुरक्षा के लिए बीएसएफ द्वारा ढूंढे गए ये तकनीकी समाधान आने वाले दिनों में देश को सुरक्षित रखने का काम करेंगे।  ऑपरेशन सिंदूर में बीएसएफ और सेना ने अपने अप्रतिम शौर्य का उदाहरण दुनिया के सामने स्थापित किया।
 जवानों के पराक्रम को नवाजा-
अमित शाह ने कहा कि बीएसएफ 1 दिसंबर, 1965 से लेकर आज तक 2 लाख 75 हज़ार जवानों के साथ जल, थल और वायु सुरक्षा दस्ते बनाकर दुनिया के सभी सीमा सुरक्षा बलों में सर्वोच्च बना हुआ है और अपनी भूमिका को बहुत अच्छे तरीके से निभा रहा है।  देश ने भी हमेशा बीएसएफ के जवानों के पराक्रम को नवाज़ा है और 1 पद्म विभूषण, 2 पद्म भूषण, 7 पद्म श्री, 1 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र, 13 शौर्य चक्र, 56 सेना मेडल और 1246 वीरता के पुलिस पदक BSF के जवानों को मिले हैं।
 गृह मंत्री ने कहा कि यह बताता है कि एक बल को जब इतने पदक प्राप्त होते हैं तो उसकी निष्ठा कितनी अद्भुत होगी। उन्होंने कहा कि बीएसएफ ने लगभग 1 लाख 10 हज़ार किलोग्राम ड्रग्स को पिछले 5 साल में पकड़कर नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ाई को भी मज़बूत किया है।  पिछले 5 साल में 78 से अधिक नक्सलियों को मारकर बीएसएफ ने बहुत बड़े नक्सलविरोधी अभियान को भी सफल बनाने का काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार, गृह मंत्रालय और पूरा देश बीएसएफ के जवानों की वीरता के साथ और उनके पीछे चट्टान की तरह खड़ा है। उन्होंने कहा कि देश को बीएसएफ के जवानों पर भरोसा भी है और देश उनका सम्मान भी करता है।
सर्वोच्च बलिदान-
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में बीएसएफ के मोहम्मद इम्तियाज़ अहमद और दीपक चिंगाखम ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और उनका नाम देश की रक्षा के इतिहास में हमेशा के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया है।
डयूटी पर खरी-
अमित शाह ने कहा कि सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ बीएसएफ ने देश की आंतरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और आतंकवाद-विरोधी अभियानों में भी बढ चढ़ कर हिस्सा लिया है और परिणाम भी प्राप्त किए हैं।  चुनाव, कोरोना, खेल का मैदान, आतंकवाद या नक्सलवाद का सामना करना हो, जहां भी बीएसएफ को तैनात किया गया, हर मोर्चे पर बल ने बहुत अच्छे तरीके से अपनी ड्यूटी निभाई है।

Wednesday, 21 May 2025

आतंकवादियों के ताबूत खुद सबूत बनकर दुनिया के सामने आए: जगदीप धनखड़


तट रक्षकों की भूमिका सराहनीय



इंद्र वशिष्ठ, 
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को अपनी गोवा यात्रा के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना करते हुए कहा कि पाकिस्तान के आतंकी दुस्साहस का भारत ने बेहद प्रभावी तरीके से जवाब दिया। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके और बहावलपुर स्थित ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया गया, जिससे पूरी दुनिया को एक स्पष्ट संदेश मिला, कि अब आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सजा दी जाएगी, और सजा उदाहरण बनेगी। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार भारत के सिद्धांतों के अनुरूप केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया गया। अब कोई सबूत नहीं मांग रहा, क्योंकि आतंकवादियों के ताबूत स्वयं सबूत बनकर पूरी दुनिया के सामने आए, उन्हें पाकिस्तान की सेना, राजनीतिक ताकत और आतंकवादी खुद ले जा रहे थे। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।
तट रक्षकों की भूमिका सराहनीय-
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय तट रक्षक बल के प्रयासों, राष्ट्र के लिए सेवाओं और समर्पण की प्रशंसा करते हुए कहा, “आज का दिन मेरे लिए विशेष है। जब मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था- एक ऐसा राज्य जो चक्रवातों से ग्रस्त रहता है, मैंने तटरक्षक बल की निष्ठा, प्रदर्शन और समर्पण को करीब से देखा। आप लोगों का जीवन आसान नहीं है, परिस्थितियाँ कठिन हैं, खतरे अनेक हैं। लेकिन आपकी सेवा और समर्पण सुनिश्चित करता है कि संकट की घड़ी में समुद्र में कोई मृत्यु न हो। पश्चिम बंगाल में जब भी चक्रवात आए, समुद्र में शून्य मृत्यु दर रही, यह आपके समर्पण का परिणाम है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा “आप हमारे समुद्री प्रहरी हैं, आप केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि हमारी अंतरात्मा भी हैं। हमारे समुद्र पृथ्वी के फेफड़े हैं, जलवायु को नियंत्रित करते हैं, जैव विविधता को सहारा देते हैं। आप लक्षद्वीप के कोरल रीफ्स, सुंदरबन के मैंग्रोव्स, ओलिव रिडले कछुओं के प्रजनन स्थल और समुद्री जीवों के प्रवासन मार्गों की रक्षा करते हैं। आप अवैध मछली पकड़ने, प्रदूषण और जहरीले अपशिष्टों से समुद्र को सुरक्षित रखते हैं।”
लोहे का बल
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय तट रक्षक बल के अधिकारियों और जवानों से बातचीत की। तट रक्षक बल के महानिरीक्षक भीष्म शर्मा, पीटीएम, टीएम, (पश्चिम) ने  उपराष्ट्रपति को भारतीय तट रक्षक बल के संचालन और गोवा में गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उपराष्ट्रपति ने समुद्री सुरक्षा के लिए भारतीय तट रक्षक के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे "लोहे का बल" कहा। उन्होंने गोवा सरकार से भारतीय तट रक्षक बल के अभूतपूर्व विकास को बनाए रखने के लिए बल को सभी प्रकार का समर्थन प्रदान करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम-
उपराष्ट्रपति ने गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह में 3 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र, दो हार्बर मोबाइल क्रेन और कोयला हैंडलिंग के लिए कवर डोम के वाणिज्यिक परिचालन का उद्घाटन किया। लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत वाली तीन परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं।
इस अवसर पर गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री  प्रमोद सावंत, केंद्रीय राज्य मंत्री  शान्तनु ठाकुर, सचिव (पोर्ट्स, शिपिंग और जलमार्ग)  टी. के. रामचंद्रन, भारतीय तटरक्षक बल के अधिकारी, पोर्ट अथॉरिटी के अधिकारी उपस्थित थे ।

Tuesday, 20 May 2025

एवरेस्ट फतह: सीआईएसएफ की गीता समोटा ने रचा इतिहास, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने वाली सीआईएसएफ की पहली अग्रणी अधिकारी बनी, सीकर से एवरेस्ट के शिखर तक पहुंची गीता की कहानी


              सीकर से शिखर पर पहुंची

एवरेस्ट विजय: सीआईएसएफ की पहली महिला अधिकारी गीता समोटा ने रचा इतिहास

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने वाली CISF की पहली अग्रणी अधिकारी बनीं।


इंद्र वशिष्ठ, 
सहनशक्ति, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की मिसाल पेश करते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की महिला सब-इंसपेक्टर गीता समोटा ने 8,849 मीटर (29,032 फीट) ऊंचे माउंट एवरेस्ट की सफल चढ़ाई कर इतिहास रच दिया। सोमवार,  19 मई 2025 की सुबह, गीता जब "दुनिया की छत"  पर खड़ी थीं, तो वह क्षण केवल एक व्यक्तिगत विजय नहीं था, बल्कि सीआईएसएफ की शक्ति और भारत राष्ट्र की असीम साहस का प्रतीक भी बन गया।

सीकर से शिखर पर-
राजस्थान के सीकर जिले के छोटे से चक गांव से शुरू हुई गीता की यह प्रेरणादायक यात्रा उस अदम्य साहस का परिणाम है, जिसने हर बाधा को पार कर एक असाधारण उपलब्धि को संभव बनाया।
चार बहनों वाले एक साधारण परिवार में जन्मी गीता समोटा का पालन-पोषण राजस्थान के सीकर जिले के चक गांव में पारंपरिक ग्रामीण परिवेश में हुआ। गीता ने अपनी स्कूली और कॉलेज की शिक्षा स्थानीय संस्थानों से ही पूरी की। 
अलग पहचान की ललक-
बचपन से ही उसने लड़कों की उपलब्धियों के किस्से तो खूब सुने, लेकिन जब बात लड़कियों की सफलताओं की आती, तो एक खालीपन सा महसूस होता, यही खालीपन उसके भीतर अपनी अलग पहचान बनाने की ललक को जन्म देता गया। गीता को शुरू से ही खेलों में विशेष रुचि थी और कॉलेज के दिनों में वह एक होनहार हॉकी खिलाड़ी के रूप में जानी जाती थीं। मगर एक दुर्भाग्यपूर्ण चोट ने उसके खेल करियर को बीच रास्ते में ही रोक दिया। यह एक ऐसा झटका था, जिसने उन्हें अनजाने में ही एक नई दिशा की ओर मोड़ दिया, एक ऐसी राह, जहां उन्होंने न केवल खुद को फिर से खोजा, बल्कि देश और बल का गौरव भी बढ़ाया।
चुनौती को अवसर माना-
वर्ष 2011 में गीता समोटा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में शामिल हुईं। सेवा के शुरुआती वर्षों में ही उसने देखा कि पर्वतारोहण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे बल में बहुत कम लोग जानते थे। उस समय तक सीआईएसएफ के पास कोई समर्पित पर्वतारोहण दल भी नहीं था। गीता ने इस स्थिति को एक चुनौती नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखा। उसकी यह दूरदर्शिता उसे वर्ष 2015 में एक निर्णायक मोड़ पर ले आई, जब उसे औली स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) प्रशिक्षण संस्थान में छह सप्ताह के बुनियादी पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए चयनित किया गया। उल्लेखनीय रूप से, वह अपने बैच की एकमात्र महिला प्रतिभागी थीं। ट्रेनिंग के दौरान उसके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उसके भीतर न केवल आत्मविश्वास और दृढ़ता को और मजबूत किया, बल्कि पर्वतारोहण के प्रति जुनून और कौशल को भी नई ऊँचाई दी। इसके परिणामस्वरूप, उसने वर्ष 2017 में उन्नत पर्वतारोहण ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरा किया, और ऐसा करने वाली पहली तथा एकमात्र सीआईएसएफ कर्मी बनीं। ये कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम उसके भीतर छिपी पर्वतारोही प्रतिभा को निखारने में निर्णायक सिद्ध हुए।
महत्वपूर्ण उपलब्धि-
गीता की अटूट दृढ़ता ने वर्ष 2019 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का रूप लिया, जब वह उत्तराखंड की माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल की माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाली केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की पहली महिला बन गईं। हालांकि, वर्ष 2021 की शुरुआत में माउंट एवरेस्ट के लिए निर्धारित सीएपीएफ अभियान,जिसमें गीता भी प्रमुख सदस्य थी तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया। यह एक ऐसा क्षण था जो किसी के लिए निराशा और ठहराव का कारण बन सकता था, लेकिन गीता के लिए यह एक नई प्रेरणा का स्रोत बन गया। 
 शिखरों पर फतह का सिलसिला शुरू-
इसी मोड़ पर उसने एक और भी चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को अपनाया: सेवन सम्मिट "Seven Summits” अभियान,जिसमें सातों महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ाई करना शामिल है।
वैश्विक कोरोना महामारी जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद, गीता समोटा ने अपने इस  अभियान के सपने को कभी डगमगाने नहीं दिया। वर्ष 2021 और वर्ष 2022 की शुरुआत के बीच, उसने इस चुनौती के तहत चार दुर्गम चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की—ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्ज़को (2,228 मीटर), रूस में माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर), तंजानिया में माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर), और अर्जेंटीना में माउंट एकॉनकागुआ (6,961 मीटर)। इन चार शिखरों को मात्र छह महीने और 27 दिनों में फतह कर गीता समोटा ‘Seven Summits’ के अभियान में इतनी तेजी से प्रगति करने वाली सबसे तेज भारतीय महिला बन गई। ये एक उपलब्धि जो उनकी अदम्य इच्छाशक्ति, अनुशासन और समर्पण का प्रमाण है। उनकी उपलब्धियों का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। 
पहली और सबसे तेज महिला पर्वतारोही-
लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में उन्होंने महज तीन दिनों के भीतर पांच चोटियों पर सफल चढ़ाई की, जिनमें तीन 6,000 मीटर से अधिक और दो 5,000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियाँ थी और ऐसा करने वाली वह पहली तथा सबसे तेज़ महिला पर्वतारोही बन गईं। यह कारनामा न केवल उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्र के प्रति उनके गहरे गर्व और समर्पण को भी उजागर करता है।
अपनी असाधारण उपलब्धियों के लिए गीता समोटा को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है, जिनमें दिल्ली महिला आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023 और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा "Giving Wings to Dreams Award 2023" शामिल हैं। 


गीता का दृष्टिकोण भी उतना ही प्रेरणादायक है जितनी उनकी पर्वतारोहण यात्राएं। गीता कहती हैं, "पहाड़ सभी के साथ समान व्यवहार करते हैं। वे आपके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते। केवल वही लोग इन ऊंचाइयों को छू सकते हैं, जिनके भीतर एक खास 'एक्स-फ़ैक्टर' होता है।" उनकी यह सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि लैंगिक समानता और आत्मबल का संदेश भी देती है। सीआईएसएफ ने भी उनके प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाई है। चाहे वह अभियानों में भाग लेने के अवसर हो या आवश्यक वित्तीय सहयोग। बल ने न केवल उन्हें ABVIMAS, मनाली में शीतकालीन अनुकूलन प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर दिया, बल्कि माउंट एवरेस्ट जैसे ऐतिहासिक अभियानों के लिए भी उनका मार्ग प्रशस्त किया।
गीता समोटा ने केवल पहाड़ों की ऊंचाइयों को नहीं छुआ, बल्कि सामाजिक सोच की उन रूढ़ियों को भी चुनौती दी है जो महिलाओं की सीमाओं को परिभाषित करती हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि महिलाएं सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। युवा लड़कियों के लिए उनका संदेश स्पष्ट और सशक्त है — "बड़े सपने देखो, मेहनत करो और कभी हार मत मानो।" उनकी यह सोच एक प्रेरणा है, जो असंभव को संभव में बदलने की शक्ति देती है।
माउंट एवरेस्ट पर जाएगा सीआईएसएफ पर्वतारोहण दल-
सीआईएसएफ के मुख्यमंत्री जनसंपर्क अधिकारी उप महानिरीक्षक अजय दहिया ने बताया कि गीता की ऐतिहासिक सफलता से प्रेरित होकर, सीआईएसएफ अब वर्ष 2026 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक पूर्णतः समर्पित सीआईएसएफ पर्वतारोहण दल भेजने की योजना बना रहा है। यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि साहस, समर्पण और संगठनात्मक आत्मविश्वास का प्रतीक होगा।
सीआईएसएफ के महानिदेशक सहित बल के समस्त अधिकारी एवं कार्मिक महिला उपनिरीक्षक गीता समोटा को इस ऐतिहासिक उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उनकी यह असाधारण यात्रा और शिखर विजय न केवल भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि पूरे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल समुदाय के लिए भी अत्यंत गर्व का क्षण है।

Monday, 19 May 2025

ई-जीरो एफआईआर: साइबर ठगों के ख़िलाफ़ नया हथियार


ई-जीरो एफआईआर: साइबर ठगों के ख़िलाफ़ नया हथियार 



इंद्र वशिष्ठ, 
दिल्ली में अब राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और हेल्पलाइन 1930 पर 10 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय हानि से संबंधित शिकायतें स्वचालित रूप से दिल्ली पुलिस के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज होंगी। इसे तुरंत संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों को भेजा जाएगा। शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कर सकते हैं।
अपराधियों को पकड़ने में तेजी आएगी-
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4 सी ) ने अभूतपूर्व गति से अपराधियों को पकड़ने के लिए नई ई-जीरो एफआईआर पहल शुरू की है। दिल्ली के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया यह नया सिस्टम, एनसीआरपी या 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वतः एफआईआर में परिवर्तित करेगा, शुरू में यह 10 लाख रुपए से ऊपर की सीमा के लिए होगा। नया सिस्टम जांच में तेजी लाएगा, जिससे साइबर अपराधियों पर सख्ती हो सकेगी, जल्द ही इसका विस्तार पूरे देश में किया जाएगा।
धन वापसी में न हो कठिनाई-
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र  की हाल की समीक्षा बैठक में साइबर वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को गँवाए हुए धन को वापस हासिल करने में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए इस पहल को लागू करने के निर्देश दिए थे।
आसान रिपोर्टिंग-त्वरित कार्रवाई -
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 ने साइबर वित्तीय अपराधों से संबंधित शिकायतों की आसान रिपोर्टिंग और त्वरित कार्रवाई को सक्षम बनाया है। इस नई प्रक्रिया में आई 4 सी के एनसीआरपी सिस्टम, दिल्ली पुलिस के ई - एफआईआर सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) का एकीकरण शामिल है। 
दिल्ली पुलिस और आई4 सी का संयुक्त प्रयास-
दिल्ली पुलिस और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता  की धारा 173 (1) और 1(ii) के नए प्रावधानों के अनुसार मामलों के पंजीकरण के लिए एक प्रक्रिया स्थापित करने के लिए मिलकर काम किया है। थाना सीमा अधिकार क्षेत्र पर ध्यान दिए बिना इलेक्ट्रॉनिक रूप से ई- जीरो एफआईआर जारी करने की प्रक्रिया  शुरू में दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगी। बाद में इसे अन्य राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा। दिल्ली के ई- क्राइम पुलिस  स्टेशन को एनसीआरपी पर दर्ज विशिष्ट प्रकृति की साइबर अपराध शिकायतों के लिए ई- जीरो एफआईआर दर्ज करने और उन्हें क्षेत्रीय पुलिस स्टेशनों में स्थानांतरित करने के लिए अधिसूचित किया गया है। 

यह पहल एनसीआरपी/1930 शिकायतों को एफआईआर में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में सुधार करेगी, जिससे पीड़ितों के गँवाए हुए धन की आसान वसूली होगी और साइबर अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई को सुगम बनाया जाएगा। इसमें हाल ही में लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों का लाभ उठाया गया है।


Saturday, 17 May 2025

आईएसआईएस के 2 इनामी आतंकी गिरफ्तार: एनआईए

आईएसआईएस के 2 इनामी आतंकी गिरफ्तार: एनआईए


इंद्र वशिष्ठ, 
एनआईए ने आतंकी संगठन आईएसआईएस के दो फरार आतंकियों को गिरफ्तार किया है। एनआईए ने इन दोनों पर 3-3 लाख रुपए का इनाम घोषित किया हुआ था। 
विदेश से लौटते ही गिरफ्तार-
एनआईए के अनुसार आतंकी संगठन आईएसआईएस के पुणे स्लीपर मॉड्यूल के  अब्दुल्ला फैयाज़ शेख उर्फ डायपरवाला और तल्हा खान को महाराष्ट्र के पुणे में आईईडी/बम बनाने और उनके परीक्षण से जुड़े साल 2023 के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन ब्यूरो ने उस समय रोका, जब वे इंडोनेशिया के जकार्ता से भारत लौट रहे थे। इसके बाद एनआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
अब्दुल्ला फैयाज़ शेख उर्फ डायपरवाला और तल्हा खान पिछले दो साल से फरार थे। उनके खिलाफ मुंबई में एनआईए की विशेष अदालत ने गैर-जमानती वारंट भी जारी किया हुआ था। 
इस्लामी शासन -
आपराधिक साज़िश से संबंधित इस मामले में आईएसआईएस पुणे स्लीपर मॉड्यूल के आठ सदस्य पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और जेल में हैं। उन्होंने हिंसा और आतंक के माध्यम से देश में इस्लामी शासन स्थापित करने के आईएसआईएस  के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़कर भारत की शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के उद्देश्य से आतंकवादी कृत्य करने की साजिश रची थी।
बम बनाए-
पहले से ही गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों के साथ चार्जशीट किए गए, ये दोनों आरोपी पुणे के कोंढवा में अब्दुल्ला फैयाज शेख द्वारा किराए पर लिए गए घर से आईईडी/बम बनाने में लगे हुए थे। 2022-2023 की अवधि के दौरान, उन्होंने इन परिसरों में  बनाए आईईडी/बम का परीक्षण करने के लिए एक नियंत्रित विस्फोट करने के अलावा, बम बनाने और प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन और उसमें भाग लिया था।
चार्जशीट-
भारत में आईएसआईएस की हिंसक और नापाक भारत विरोधी आतंकवादी योजनाओं को विफल करने के लिए उसकी गतिविधियों की सक्रिय रूप से जांच कर रही एनआईए ने पहले मामले में सभी 10 आरोपियों के खिलाफ  यूएपीए, शस्त्र अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
अब्दुल्ला फैयाज शेख और तल्हा खान के अलावा, इस मामले में पहले गिरफ्तार किए जा चुके अन्य आरोपियों के नाम मोहम्मद इमरान खान, मोहम्मद यूनुस साकी, अब्दुल कादिर पठान, सिमाब नसीरुद्दीन काजी, जुल्फिकार अली बड़ौदावाला, शमील नाचन, आकिफ नाचन और शाहनवाज आलम हैं।
 




Monday, 12 May 2025

भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाक सेना के छक्के छुड़ाए, ऑपरेशन सिंदूर में बीएसएफ भूमिका


भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाक सेना के छक्के छुड़ाए


इंद्र वशिष्ठ, 
भारतीय सेनाओं ने देश की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम की एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी है, जिसे भेदना दुश्मन के लिए नामुमकिन है। 
पाकिस्तान जिम्मेदार-
ऑपरेशन सिंदूर में एयर ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल एयर मार्शल एके भारती ने सोमवार को कहा कि हमारी लड़ाई आतंकवाद और आतंकियों के ख़िलाफ़ थी। इसलिए सात मई को सेनाओं ने केवल आतंकवादी ठिकानों पर ही हमला किया। लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि पाकिस्तान ने आतंकियों का साथ देना उचित समझा और इस लड़ाई को अपनी लड़ाई बना लिया। इस परिस्थिति में हमारी जवाबी कार्रवाई अत्यंत आवश्यक थी। इससे पाकिस्तान का जो भी नुकसान हुआ, वे खुद ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। 
पाप का घड़ा भर गया-
मिलिट्री ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने इस युद्ध के अहम पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें ऑपरेशन सिंदूर के एयर डिफेंस की कार्रवाई को एक संदर्भ में समझने की आवश्यकता है। 
डीजीएमओ राजीव घई ने कहा कि पिछले कुछ सालों में आतंक की गतिविधियों के करैक्टर में कुछ बदलाव आ रहा था। अब हमारी सेना के साथ-साथ मासूम नागरिक, जो कि अपना बचाव करने में विफल थे। उन पर भी हमले हो रहे थे। 
साल 2024 में जम्मू में शिव खोरी मंदिर जाते हुए यात्रियों और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में मासूम पर्यटकों पर हमले इस खतरनाक ट्रेंड के विशेष उदाहरण हैं। 
पहलगाम तक आतंकियों के पाप का ये घड़ा भर चुका था। 
मजबूत एयर डिफेंस-
डीजीएमओ राजीव घई ने बताया कि आतंकियों पर हमारे सटीक हमले एलओसी और इंटरनेशनल बाउंड्री को पार किए बिना किए गए थे। इसलिए हमें पूरा अंदेशा था कि पाकिस्तान का वार भी बार्डर के उस पार से ही होगा। इसलिए हमने अपनी एयर डिफेंस की पूरी तैयारी पहले से ही कर ली थी। 
बहुस्तरीय एयर डिफेंस-
हमारी इंवेंटरी में शामिल काउंटर मैनड एरियल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर साधन और एयर डिफेंस वेपन का एयर फ़ोर्स के इसी प्रकार के सिस्टम के साथ अनोखा मिश्रण किया गया। इसलिए जब-जब पाकिस्तानी एयर फ़ोर्स ने भारत की एयरफील्ड और लॉजिस्टिक्स इंस्टालेशन में 9-10 मई की रात को लगातार हमले किए, वो इस मजबूत एयर डिफेंस ग्रिड के सामने विफल हो गए। 
अंतरराष्ट्रीय सीमा से राडार, काउंटर अनमैनड एरियल सिस्टम, शोल्डर फायर वेपन, विंटेज एयर डिफेंस वेपन, जो कि काफी सालों से हमारी सेना में है और माडर्न एयर डिफेंस वेपन सिस्टम आदि की बहुस्तरीय वायु सुरक्षा व्यवस्था हैं। 
दुश्मन बचना नामुमकिन-
डीजीएमओ राजीव घई ने कहा कि ऐसे में कोई मौका नहीं था कि पाकिस्तान एयर फ़ोर्स मल्टी लेयर डिफेंस को पार करके पीछे हमारी एयर फील्ड या लॉजिस्टिक इंस्टालेशन को टारगेट कर पाए। 
अगर वह इस सारे सिस्टम को पार कर भी गए, तो फिर भी उनको एयर फील्ड या इंस्टालेशन, जो भी चीज़ वह टारगेट कर रहे हैं। उस पर पहुंचने से पहले कोई न कोई इस मल्टी लेयर ग्रिड का सिस्टम जरूर गिरा देगा। पाकिस्तानी एयर फील्ड की दुर्दशा सबने देखी है। जबकि भारत की एयर फील्ड हर प्रकार से ऑपरेशनल है। 
यहीं नहीं पाकिस्तान के ड्रोन और वेपनाइज यूएवी से की गई हमलावर कोशिश भी इस सुरक्षा ग्रिड के कारण नाकाम हुई। जो बचे खुचे ड्रोन थे उन्हें हमारे शोल्डर फायर हथियारों से मार गिराया गया। 
बीएसएफ की भूमिका-
डीजीएमओ ने कहा कि बार्डर पर तैनात बीएसएफ के जवान भी इस अभियान में बढ़ चढ़ कर शामिल हुए और बहुत बहादुरी से सेना का साथ दिया। बीएसएफ का काउंटर अलार्म सिस्टम भी सेना के एयर डिफेंस ग्रिड का हिस्सा था जिसके कारण पाकिस्तान की नापाक हरकतों का विनाश किया गया।