Tuesday, 20 May 2025

एवरेस्ट फतह: सीआईएसएफ की गीता समोटा ने रचा इतिहास, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने वाली सीआईएसएफ की पहली अग्रणी अधिकारी बनी, सीकर से एवरेस्ट के शिखर तक पहुंची गीता की कहानी


              सीकर से शिखर पर पहुंची

एवरेस्ट विजय: सीआईएसएफ की पहली महिला अधिकारी गीता समोटा ने रचा इतिहास

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने वाली CISF की पहली अग्रणी अधिकारी बनीं।


इंद्र वशिष्ठ, 
सहनशक्ति, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की मिसाल पेश करते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की महिला सब-इंसपेक्टर गीता समोटा ने 8,849 मीटर (29,032 फीट) ऊंचे माउंट एवरेस्ट की सफल चढ़ाई कर इतिहास रच दिया। सोमवार,  19 मई 2025 की सुबह, गीता जब "दुनिया की छत"  पर खड़ी थीं, तो वह क्षण केवल एक व्यक्तिगत विजय नहीं था, बल्कि सीआईएसएफ की शक्ति और भारत राष्ट्र की असीम साहस का प्रतीक भी बन गया।

सीकर से शिखर पर-
राजस्थान के सीकर जिले के छोटे से चक गांव से शुरू हुई गीता की यह प्रेरणादायक यात्रा उस अदम्य साहस का परिणाम है, जिसने हर बाधा को पार कर एक असाधारण उपलब्धि को संभव बनाया।
चार बहनों वाले एक साधारण परिवार में जन्मी गीता समोटा का पालन-पोषण राजस्थान के सीकर जिले के चक गांव में पारंपरिक ग्रामीण परिवेश में हुआ। गीता ने अपनी स्कूली और कॉलेज की शिक्षा स्थानीय संस्थानों से ही पूरी की। 
अलग पहचान की ललक-
बचपन से ही उसने लड़कों की उपलब्धियों के किस्से तो खूब सुने, लेकिन जब बात लड़कियों की सफलताओं की आती, तो एक खालीपन सा महसूस होता, यही खालीपन उसके भीतर अपनी अलग पहचान बनाने की ललक को जन्म देता गया। गीता को शुरू से ही खेलों में विशेष रुचि थी और कॉलेज के दिनों में वह एक होनहार हॉकी खिलाड़ी के रूप में जानी जाती थीं। मगर एक दुर्भाग्यपूर्ण चोट ने उसके खेल करियर को बीच रास्ते में ही रोक दिया। यह एक ऐसा झटका था, जिसने उन्हें अनजाने में ही एक नई दिशा की ओर मोड़ दिया, एक ऐसी राह, जहां उन्होंने न केवल खुद को फिर से खोजा, बल्कि देश और बल का गौरव भी बढ़ाया।
चुनौती को अवसर माना-
वर्ष 2011 में गीता समोटा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में शामिल हुईं। सेवा के शुरुआती वर्षों में ही उसने देखा कि पर्वतारोहण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे बल में बहुत कम लोग जानते थे। उस समय तक सीआईएसएफ के पास कोई समर्पित पर्वतारोहण दल भी नहीं था। गीता ने इस स्थिति को एक चुनौती नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखा। उसकी यह दूरदर्शिता उसे वर्ष 2015 में एक निर्णायक मोड़ पर ले आई, जब उसे औली स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) प्रशिक्षण संस्थान में छह सप्ताह के बुनियादी पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए चयनित किया गया। उल्लेखनीय रूप से, वह अपने बैच की एकमात्र महिला प्रतिभागी थीं। ट्रेनिंग के दौरान उसके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उसके भीतर न केवल आत्मविश्वास और दृढ़ता को और मजबूत किया, बल्कि पर्वतारोहण के प्रति जुनून और कौशल को भी नई ऊँचाई दी। इसके परिणामस्वरूप, उसने वर्ष 2017 में उन्नत पर्वतारोहण ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरा किया, और ऐसा करने वाली पहली तथा एकमात्र सीआईएसएफ कर्मी बनीं। ये कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम उसके भीतर छिपी पर्वतारोही प्रतिभा को निखारने में निर्णायक सिद्ध हुए।
महत्वपूर्ण उपलब्धि-
गीता की अटूट दृढ़ता ने वर्ष 2019 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का रूप लिया, जब वह उत्तराखंड की माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल की माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाली केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की पहली महिला बन गईं। हालांकि, वर्ष 2021 की शुरुआत में माउंट एवरेस्ट के लिए निर्धारित सीएपीएफ अभियान,जिसमें गीता भी प्रमुख सदस्य थी तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया। यह एक ऐसा क्षण था जो किसी के लिए निराशा और ठहराव का कारण बन सकता था, लेकिन गीता के लिए यह एक नई प्रेरणा का स्रोत बन गया। 
 शिखरों पर फतह का सिलसिला शुरू-
इसी मोड़ पर उसने एक और भी चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को अपनाया: सेवन सम्मिट "Seven Summits” अभियान,जिसमें सातों महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ाई करना शामिल है।
वैश्विक कोरोना महामारी जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद, गीता समोटा ने अपने इस  अभियान के सपने को कभी डगमगाने नहीं दिया। वर्ष 2021 और वर्ष 2022 की शुरुआत के बीच, उसने इस चुनौती के तहत चार दुर्गम चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की—ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्ज़को (2,228 मीटर), रूस में माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर), तंजानिया में माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर), और अर्जेंटीना में माउंट एकॉनकागुआ (6,961 मीटर)। इन चार शिखरों को मात्र छह महीने और 27 दिनों में फतह कर गीता समोटा ‘Seven Summits’ के अभियान में इतनी तेजी से प्रगति करने वाली सबसे तेज भारतीय महिला बन गई। ये एक उपलब्धि जो उनकी अदम्य इच्छाशक्ति, अनुशासन और समर्पण का प्रमाण है। उनकी उपलब्धियों का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। 
पहली और सबसे तेज महिला पर्वतारोही-
लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में उन्होंने महज तीन दिनों के भीतर पांच चोटियों पर सफल चढ़ाई की, जिनमें तीन 6,000 मीटर से अधिक और दो 5,000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियाँ थी और ऐसा करने वाली वह पहली तथा सबसे तेज़ महिला पर्वतारोही बन गईं। यह कारनामा न केवल उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्र के प्रति उनके गहरे गर्व और समर्पण को भी उजागर करता है।
अपनी असाधारण उपलब्धियों के लिए गीता समोटा को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है, जिनमें दिल्ली महिला आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023 और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा "Giving Wings to Dreams Award 2023" शामिल हैं। 


गीता का दृष्टिकोण भी उतना ही प्रेरणादायक है जितनी उनकी पर्वतारोहण यात्राएं। गीता कहती हैं, "पहाड़ सभी के साथ समान व्यवहार करते हैं। वे आपके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते। केवल वही लोग इन ऊंचाइयों को छू सकते हैं, जिनके भीतर एक खास 'एक्स-फ़ैक्टर' होता है।" उनकी यह सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि लैंगिक समानता और आत्मबल का संदेश भी देती है। सीआईएसएफ ने भी उनके प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाई है। चाहे वह अभियानों में भाग लेने के अवसर हो या आवश्यक वित्तीय सहयोग। बल ने न केवल उन्हें ABVIMAS, मनाली में शीतकालीन अनुकूलन प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर दिया, बल्कि माउंट एवरेस्ट जैसे ऐतिहासिक अभियानों के लिए भी उनका मार्ग प्रशस्त किया।
गीता समोटा ने केवल पहाड़ों की ऊंचाइयों को नहीं छुआ, बल्कि सामाजिक सोच की उन रूढ़ियों को भी चुनौती दी है जो महिलाओं की सीमाओं को परिभाषित करती हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि महिलाएं सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। युवा लड़कियों के लिए उनका संदेश स्पष्ट और सशक्त है — "बड़े सपने देखो, मेहनत करो और कभी हार मत मानो।" उनकी यह सोच एक प्रेरणा है, जो असंभव को संभव में बदलने की शक्ति देती है।
माउंट एवरेस्ट पर जाएगा सीआईएसएफ पर्वतारोहण दल-
सीआईएसएफ के मुख्यमंत्री जनसंपर्क अधिकारी उप महानिरीक्षक अजय दहिया ने बताया कि गीता की ऐतिहासिक सफलता से प्रेरित होकर, सीआईएसएफ अब वर्ष 2026 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक पूर्णतः समर्पित सीआईएसएफ पर्वतारोहण दल भेजने की योजना बना रहा है। यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि साहस, समर्पण और संगठनात्मक आत्मविश्वास का प्रतीक होगा।
सीआईएसएफ के महानिदेशक सहित बल के समस्त अधिकारी एवं कार्मिक महिला उपनिरीक्षक गीता समोटा को इस ऐतिहासिक उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उनकी यह असाधारण यात्रा और शिखर विजय न केवल भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि पूरे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल समुदाय के लिए भी अत्यंत गर्व का क्षण है।

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