Wednesday, 7 May 2025

भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकवादियों की रीढ़ तोड़ दी, पाकिस्तान फिर बेनकाब


भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकियों की रीढ़ तोड़ दी

पाक फिर बेनकाब 




इंद्र वशिष्ठ, 
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकियों के 9 अड्डों को पूरी तरह तबाह/बर्बाद करके आतंकी गतिविधियों की रीढ़ तोड़ दी। 

भारतीय सशस्त्र बलों ने 6-7 मई की रात के एक बज कर पांच मिनट से डेढ़ बजे के बीच आतंक के 9 अड्डों को निशाना बनाया और उनको पूरी तरह तबाह/बर्बाद कर दिया। 
विदेश सचिव विक्रम मिसरी , कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बुधवार सुबह नई दिल्ली स्थित नेशनल मीडिया सेंटर में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी दी। 
सटीक सूचना, अचूक निशाना-
भारतीय सेना ने  बताया कि पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंक के अड्डों का चयन विश्वनीय खुफ़िया सूचनाओं के आधार पर किया गया। ताकि आतंक गतिविधियों की रीढ़ तोड़ी जा सके। ये खास ध्यान दिया गया कि निर्दोष नागरिकों और उनकी इमारतों को नुकसान न पहुंचे। इन हमलों से अभी तक किसी निर्दोष नागरिक को क्षति पहुंचने की खबर नहीं है। 
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 5 कैम्प नष्ट- 

सवाई नाला कैम्प-
आपरेशन सिंदूर के दौरान सबसे पहला हमला पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में सवाई नाला कैम्प स्थित आतंक के अड्डे पर किया गया। ये लश्कर ए तोएबा का ट्रेनिंग सेंटर था। लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है। 20 अक्टूबर 2024 सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 गुलमर्ग और  22 अप्रैल 2025 पहलगाम, इन हमलों में शामिल आतंकियों ने यहीं से प्रशिक्षण लिया था। 
सईदना बिलाल कैम्प-
सईदना बिलाल कैम्प, मुजफ्फराबाद, जैश ए मोहम्मद का अड्डा, यहां हथियार, विस्फोटक और जंगल सरवाइवल की ट्रेनिंग का केंद्र भी था। 
गुलपुर कैम्प कोटली-
गुलपुर कैम्प, कोटली, ये एलओसी से 30 किलोमीटर दूर था। लश्कर ए तोएबा का बेस था, जो रजौरी और पूंछ में सक्रिय था। 20 अप्रैल 2023 को पूंछ में और 9 जून 2024 को रियासी में तीर्थ यात्रियों की बस में हमले में शामिल आतंकियों को यहीं से ट्रेंड किया गया था। 
बरनाला कैम्प भीमबर-
बरनाला कैम्प भीमबर,  यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है। यहां पर हथियार चलाने, आईईडी बम बनाने और जंगल सरवाइवल प्रशिक्षण का केंद्र था
अब्बास कैम्प, कोटली-
अब्बास कैम्प कोटली, यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है। लश्कर ए तोएबा के फिदायीन आतंकी यहां पर तैयार होता था। इसकी क्षमता 15 आतंकियों को प्रशिक्षित करने की थी।
पाकिस्तान के अंदर स्थित निम्न 4 कैम्प नष्ट किए गए -

सरजल कैम्प, सियालकोट-
सरजल कैम्प, सियालकोट, यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। सांबा, कठुआ के सामने। मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर पुलिस के चार जवानों के हत्यारे आतंकियों को यहां पर प्रशिक्षित किया गया था। 
मेहमूना जोया कैम्प,सियालकोट-
महमूना जोया कैम्प, सियालकोट, यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 12-18 किलोमीटर दूर था। यह हिजबुल मुजाहिद्दीन का बहुत बड़ा कैम्प था। ये कठुआ, जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने का नियंत्रण केंद्र था। पठानकोट एअरबेस पर किया गया हमला भी इसी कैम्प से प्लान और डायरेक्ट किया गया था।
मरकज़ तोएबा, मुरीदके-
मरकज़ तोएबा, मुरीदके, यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 18-25 किलोमीटर दूर था। 2008 मुंबई हमले के आतंकियों को यहां पर प्रशिक्षित किया गया था। मुंबई हमले में शामिल अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं पर प्रशिक्षित किया गया था। 
मरकज़ सुभानअल्लाह , बहावलपुर-
मरकज़ सुभानअल्लाह , बहावलपुर यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर था। 
ये जैश ए मोहम्मद का मुख्यालय था। यहां पर आतंकियों की भर्ती और प्रशिक्षण का केंद्र भी था। शीर्ष आतंकी यहां पर अक्सर आते थे। 
न्याय के लिए ऑपरेशन सिंदूर-
भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिया गया
ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए वीभत्स आतंकी हमले के शिकार मासूम नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए किया गया। 
बर्बर हमला-
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन में पाकिस्तानी और पाक प्रशिक्षित आतंकियों ने पर्यटकों पर बर्बरता पूर्ण हमला किया। 
हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक को कायरतापूर्ण मौत के घाट उतार दिया गया। 
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद ये भारत में हुए किसी आतंकवादी हमले में मारे गए आम नागरिकों की संख्या की दृष्टि से पहलगाम सबसे गंभीर घटना है।
 इस बर्बरता पूर्ण हमले में लोगों को करीब से, परिवारों के सामने सिर में गोली मारी गई।  हत्या के इस तरीके से परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुँचाया गया। साथ ही उन्हें ये नसीहत भी दी गई कि वे वापस जा कर इस संदेश को पहुंचा दें। 
हालात खराब करना मकसद-
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि ये हमला स्पष्ट रूप से कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया। क्योंकि पर्यटन फिर से अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन रहा था। इस हमले का मुख्य उद्देश्य इसे प्रतिकूल रुप से प्रभावित करना था। पिछले साल  सवा दो करोड़ से अधिक पर्यटक कश्मीर गए थे। इस हमले का मुख्य उद्देश्य इसलिए संभवतः यह था कि इस केंद्र शासित  क्षेत्र में विकास, प्रगति को नुकसान पहुंचा कर पिछड़ा बनाए रखा जाए। पाकिस्तान से लगातार होने वाले सीमापार आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन बनाने में सहायता की जाए। 
दंगे भड़काने का इरादा-
पहलगाम हमले का ये तरीका कश्मीर और देश भर में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से भी प्रेरित था। लेकिन इन प्रयासों को लोगों और सरकार ने विफल कर दिया। 
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी आतंकी गिरोह लश्कर ए तोएबा से जुड़े रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली। 
पाक का नापाक हाथ बेनकाब-
खुफ़िया एजेंसियों ने इस हमले के समर्थकों और योजनाकारों/साजिशकर्ताओं के बारे में जानकारी जुटाई। 
जांच में पाकिस्तान के साथ आतंकियों के संबंध उजागर हुए। जांच और सूचनाओं के आधार पर हमला किया गया। नपी तुली कार्रवाई का उद्देश्य आतंक के ढांचे को समाप्त करना और भारत भेजें जाने वाले संभावित आतंकियों को अक्षम बनाने पर था। भारतीय सेना ने बताया कि किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। अभी तक किसी तरह की नागरिक क्षति की रिपोर्ट नहीं है। 







1 comment:

  1. विस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद

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