Saturday 22 May 2021

ओलंपियन सुशील पहलवान ने नूरा कुश्ती में स्पेशल सेल को चित्त किया। चालाक सुशील ने आत्म समर्पण किया? वीडियो वायरल करवा पुलिस की पोल भी खोली। कमिश्नर थारी सुशील के स्कूटी पर खुलेआम घूमने की कहानी हज्म नहीं होती? कांग्रेस पार्षद का बेटा भी गिरफ्तार।

          गिरफ्तारी के बाद सुशील

   
     

सुशील निकला गड्डी लेके, रास्ते में स्पेशल सेल आया, देखो ये कैसा मेल/ खेल होया।
वीडियो ने  खोली पोल।
स्कूटी की कहानी किसी को हज्म नहीं हो रही। 

 इंद्र वशिष्ठ 
ओलंपियन सुशील कुमार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिफ्तार करने का दावा किया है। सागर पहलवान की हत्या के आरोप में फरार सुशील पर पुलिस ने एक लाख रुपए के इनाम का ऐलान किया था।
सुशील के साथी अजय बक्करवाला को भी गिरफ्तार किया गया है। अजय पर पचास हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। सरकारी स्कूल में पीटीआई अजय कांग्रेस के रन्हौला के नगर निगम पार्षद सजायाफ्ता  सुरेश बक्करवाला का बेटा है।
सुशील पहलवान के शनिवार शाम से ही आत्म समर्पण/ गिरफ्तारी की चर्चा जोरों पर थी। स्पेशल सेल के एसीपी अत्तर सिंह और इंस्पेक्टर शिव कुमार की टीम द्वारा सुशील की मुंडका से कथित "गिरफ्तारी" का दावा किया गया है।
पुलिस ने बताया कि ये दोनों स्कूटी पर सवार थे।
 आत्म समर्पण की पोल खोली वीडियो ने  - 
एक वीडियो वायरल है जिसमें  सड़क पर एक व्यक्ति दो लोगों के साथ आराम  से जा रहा है। वह सुशील बताया जा रहा है।
अब यह सवाल उठता है कि यह वीडियो किसने बनाया और वायरल किया है ?
दिल्ली पुलिस ने तो मीडिया को ऐसा कोई वीडियो जारी किया नहीं है।
 स्पेशल सेल भी सुशील का आत्म समर्पण या  गिरफ्तार करते हुए का वीडियो बना कर वायरल करेगी नहीं? 
पुलिस ने बताया है कि सुशील स्कूटी पर सवार था। जबकि वीडियो में तो कारें दिखाई दे रही है।
 मीडिया में भी वायरल इस वीडियो के बारे में पुलिस की चुप्पी से तो यह लगता है कि वीडियो सही है।
इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि यह वीडियो सुशील के साथियों ने ही बनाया होगा। उन लोगों ने वीडियो वायरल इसलिए किया होगा ताकि पुलिस उनके साथ धोखा करके कोई दूसरी "कहानी" ना बना दे। कोई हथियार आदि प्लांट न कर दे। इसके अलावा इस वीडियो से सुशील बाद में अदालत में पुलिस की कथित गिरफ्तारी की कहानी को झूठी साबित भी कर सके। 
वैसे सुशील पहलवान पर इनाम की घोषणा होते ही और अग्रिम जमानत याचिका खारिज होते ही यह तय माना जा रहा था कि अब वह आत्म समर्पण कर सकता है। 
 संयुक्त पुलिस आयुक्त स्तर के एक अफसर ने तो इस पत्रकार से कहा भी था कि स्पेशल सेल और अपराध शाखा वाले  समर्पण करा सकते  हैं।
 स्कूटी की कहानी हज्म नहीं हो रही-
पुलिस का कहना है कि सुशील और अजय को जब गिरफ्तार किया गया, तब वह स्कूटी पर जा रहे थे। फरार सुशील और अजय जिसे पुलिस तलाश कर रही थी क्या वह दिल्ली में ही इस तरह स्कूटी पर खुलेआम घूम सकते हैंं ? इससे पुलिस की कहानी पर संदेह पैदा होता है। इससे तो यह लगता है कि सुशील ने पुलिस से मिलीभगत कर खुद आत्म समर्पण किया है।
पुलिस का कहना है कि वह पैसे लेने जा रहा था। सुशील खुद पैसे लेने जाने का खतरा मोल क्यों लेगा? जो चेले या दोस्त अब तक उसकी मदद कर रहे थे वह तो उसे पैसा भी खुद ही पहुंचा देते।
पुलिस अफसर और वकील ही नहीं आम लोगों को भी पुलिस की कहानी हज्म नहीं हो रही।
इतने दिनों से पुलिस को चकमा दे रहा सुशील इतना मूर्ख तो नहीं ही होगा, कि वह दिल्ली में ही लॉकडाउन में स्कूटी पर खुलेआम घूम कर खुद ही पुलिस को पकड़ने का न्योता और मौका देता।

महिला खिलाड़ी की स्कूटी-
पुलिस के अनुसार सुशील शनिवार को गुरुग्राम में अपने दोस्त शराब कारोबारी से पैसा लेने गया था। इसके बाद वह हरि नगर में रहने वाली हैंडबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी के घर गया। उस लड़की की स्कूटी सुशील ले आया। इस स्कूटी पर ही बिना हेलमेट के सुशील और अजय जा रहे थे।
तफ्तीश अपराध शाखा को सौंपी-
सुशील को गिरफ्तार करने के तुरंत बाद यह चर्चा होने लगी कि तफ्तीश भी स्पेशल सेल/अपराध शाखा को सौंपी जा सकती है। और तफ्तीश अपराध शाखा को सौंप भी दी गई।  स्पेशल सेल को तफ्तीश न दिए जाने से लगता है कि शायद कमिश्नर को समर्पण कराने का पता चल गया होगा।
क्योंकि समर्पण कराने वाले द्वारा आरोपी को यह भरोसा दिया जाता हैं कि उसे तफ्तीश में मदद कर देंगे।

उत्तर पश्चिम जिला पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने से लेकर जिस तरीक़े से कमजोर और गैर पेशेवर तफ्तीश की जा रही थी। कमिश्नर को इस मामले की तफ्तीश की निगरानी खुद करनी चाहिए थी या पहले ही तफ्तीश अपराध शाखा को सौंप देनी चाहिए थी।
आईपीएस की भूमिका-
इस मामले से स्पेशल सेल के आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। क्योंकि बिना आईपीएस अफसरों की मंजूरी/ सहमति के एसीपी और इंस्पेक्टर अपने स्तर तो सुशील का समर्पण करा नहीं सकते।

 पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव बताएं-
5 मई से 23 मई तक फरारी के दौरान सुशील को रामदेव के अलावा इतने दिनों तक ओर किन किन लोगों ने पनाह देने का अपराध किया। 
हरिद्वार से लेकर मुंडका तक के सफर में सुशील को बचाने वालों के नाम सार्वजनिक करें।
 सुशील उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब भी गया था। 
फरमाना गांव में छिपा- 
पुलिस सूत्रों के अनुसार सुशील के हरियाणा के फरमाना गांव में छिपे होने की सूचना पर हरियाणा पुलिस ने भी 4-5 दिन पहले वहां छापेमारी की थी लेकिन उस समय तक सुशील वहां से निकल गया था।
नीरज बवानिया की भूमिका?-
जेल में बंद नीरज बवानिया अपने साथियों काला और बाली के माध्यम से सक्रिय है। सुशील के साथ इनके संबंध/ संपर्क है। नीरज गिरोह और उत्तर प्रदेश जेल में बंद सुनील राठी की भी सुशील के समर्पण कराने में भूमिका होने की चर्चा है। जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या करने के बाद सुनील राठी सुर्खियों में आया था।
IPS के एक फोन से पकड़ा जाता - 
पुलिस सूत्रों के अनुसार सुशील पहलवान हत्या के बाद हरिद्वार गया था। सुशील के साथी भूरा पहलवान ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि रामदेव ने दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त पुलिस आयुक्त को फोन किया था।
संयुक्त पुलिस आयुक्त अगर ईमानदारी से कर्तव्य पालन करके उसी समय हरिद्वार पुलिस को फोन कर सूचना दे देता तो सुशील तभी वहां पकड़़ा जाता।
हरिद्वार के रास्ते में टोल पर लगे सीसीटीवी कैमरों की 6 मई की फुटेज में सुशील और उसके साथी  की फोटो आई है। इससे भी सुशील के हरिद्वार जाने की पुष्टि हो जाती है।
 कमिश्नर,रामदेव की चुप्पी खोल रही पोल?
 सुशील शरण लेने या मदद के लिए क्या रामदेव के पास गया या संपर्क साधा था?
पुलिस ने क्या रामदेव से तहकीकात की है? 
इन सवालों पर  कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव और रामदेव ने आज तक कोई जवाब नहीं दिया है। इन दोनों की चुप्पी से यहीं लगता है कि सुशील पतंजलि गया। अगर नहीं गया होता तो रामदेव और पुलिस चीख चीख कर इस बात का खंडन करते।
18 मई को रोहिणी अदालत ने सुशील की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।  17 मई को सुशील पर एक लाख का इनाम घोषित किया गया। 15 मई को अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया।

                     सुशील और अजय

              भूरा पहलवान ,सुशील और अजय

1 comment:

  1. 6 मई से 23 मई के सफर में हमराही,पनाह देने वाले गुनहगार हैं,अगर इसी तरह का दोष होने दोषी कहाँ कहाँ गया है उसकी लिस्ट गिरफ्तार होने तुरंत बाद उजागर हो जाती ये VIP का मामला है उसे तो बटेऊ की तरह रखेंगे पुलिश सिर्फ आम आदमी के लिए डरावनी है ऐसे ऐसे के लिए पूछ हिलाने वाली पुलिश कहें तो दो राय नहीं!
    जिस देश में अलग अलग कैटेगरी के लिए अलग कानून हो वहाँ अपराध रोकना असम्भव है क्यों न गरीब थानाअमीर थाना,VIP थाना, राजनेताओं का थाना आदि आदि..

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