Friday 7 May 2021

ओलंपियन सुशील पहलवान राम देव या रामपुर DSP की शरण में ? कांग्रेस के निगम पार्षद के पहलवान बेटे की भी तलाश। पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान।

ओलंपियन सुशील पहलवान राम देव या रामपुर DSP की शरण में ?

इंद्र वशिष्ठ
 एक पहलवान की हत्या के आरोपी ओलंपियन सुशील पहलवान को दिल्ली पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई। 
दूसरी ओर पता चला कि सुशील अपने बचाव के लिए रामदेव और पहलवान दोस्त डीएसपी से भी मदद की गुहार लगा सकता है। सुशील रामदेव या अपने पहलवान दोस्त डीएसपी के पास गया है या नहीं। पुलिस यह पता लगा रही है। पुलिस सुशील,रामदेव और डीएसपी के मोबाइल फोन रिकॉर्ड और उनके यहां लगे सीसीटीवी फुटेज से भी यह पता लगा लेगी।

आत्म समर्पण की तैयारी-
वैसे यह भी पता चला है कि बचाव का और कोई रास्ता न मिलने पर अपने किसी आका नेता या पुलिस अफसर की मदद से वह आत्म समर्पण भी कर सकता है।
सूत्रों के अनुसार सुशील का मोबाइल फोन  बुधवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाने के बाद बंद हो गया था। जहां फोन बंद हुआ वहां से आगे के रास्तों पर सुशील के दो खास लोग हरिद्वार में रामदेव और रामपुर में डीएसपी पहलवान अनुज चौधरी रहते हैं। इससे ही यह लगता है कि सुशील मदद के लिए वहां भी गया होगा।
सुशील ने कब्जा किया ?-
पुलिस सूत्रों के अनुसार माडल टाउन तीन स्थित करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए सुशील ने कुख्यात बदमाश काला जठेड़ी के खास साथी सोनू महाल और पहलवान सागर आदि को वहां रखा हुआ था। सुशील अब उनसे संपत्ति खाली कराना चाहता था। सोनू ने संपत्ति खाली करने से इंकार कर दिया। इस बात को लेकर सुशील का उनसे कुछ दिन पहले भी  झगड़ा हुआ था। काला जठेड़ी ने उस समय समझौता करा दिया और सुशील से कह दिया कि संपत्ति बेच कर हिस्सा आपस में हिस्सा कर लेंगे। 
चार मई की रात को सुशील अपने चेलों और गु़ंडो के साथ उस संपत्ति पर गया वहां से सोनू ,सागर और अमित आदि को उठा कर स्टेडियम में ले गए। वहां पर इन सबको फावड़े के हत्थे से पीटा। कई घंटे तक पिटाई की गई। इस दौरान गोलियां भी चलाई गई। 
सुशील ने जिस संपत्ति को लेकर यह अपराध तक कर दिया उसका असली मालिक कौन है और सुशील ने वह संपत्ति किस तरीके से कब्जाई इसका खुलासा आने वाले दिनों में हो जाएगा।
गैंगवार की आशंका ? -
सूत्रों के अनुसार सुशील ने वारदात के बाद हरियाणा के बदमाश काला जठेड़ी से  संपर्क किया। सुशील ने काला से कहा कि उससे गलती हो गई। वह तो सोनू आदि को इसलिए उठा कर लाया था कि थप्पड़ चट्टू मार कर, धमका कर उससे संपत्ति खाली करा लेगा। 
सूत्रों का कहना है कि काला जठेड़ी ने सुशील से कहा कि, तूने यह ठीक नहीं किया। अब तेरी हमारी आमने सामने की होगी। 
सुशील चाहता था कि काला जठेड़ी सोनू को उसके खिलाफ बयान देने से मना कर दें। लेकिन सोनू ने सुशील के खिलाफ बयान दे दिया है। सोनू काला जठेड़ी का खास साथी है वह हत्या के अनेक मामलों में आरोपी है।
इसलिए अब यह आशंका है कि सुशील पहलवान और काला जठेड़ी के बीच गैंगवार हो सकती है।
सुशील की काला जठेड़ी के अलावा सुंदर भाटी, नीरज बवानिया समेत अनेक कुख्यात बदमाशों से सांठगांठ है। ये सब मिलकर टोल टैक्स, अवैध कब्जा और विवादित संपत्ति आदि का धंधा करते है। यह सारे गुंडे स्टेडियम में आते रहते है। लेकिन दिल्ली पुलिस के अलावा सब को ये दिखाई दे रहा था। इस पत्रकार ने साल 2017 में एक लेख में यह खुलासा कर पुलिस को आगाह किया था कि सुशील और बंदूकधारी गुंडों का स्टेडियम में जमावड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। पुलिस वहां नजर रखे तो गुंडों को पकड़ सकती है। चार मई की रात जो हुआ उसके लिए पुलिस का निठल्लापन या मिलीभगत ही जिम्मेदार है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार काला जठेड़ी के भाई को जब कभी हरियाणा पुलिस भी पूछताछ के लिए उठाती है तब भी सुशील अपने नाम और रसूख का इस्तेमाल कर उसकी मदद करता है।
 दिल्ली में घूम रहा था-
सूत्रों के अनुसार वारदात के अगले दिन यानी बुधवार की दोपहर (एक, डेढ़ बजे) तक सुशील दिल्ली में ही मौजूद था। 
यह भी पता चला है कि सुशील कोशिश कर रहा है कि पुलिस उसे इस मामले में बचा ले तो वह अन्य अभियुक्तों को पुलिस के सामने पेश कर देगा। बताया तो यह तक जाता है कि सुशील के कई साथी /चेले पुलिस के सामने पेश हो कर हत्या की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने को भी तैयार है।
सूत्रों के अनुसार बुधवार दोपहर तक सुशील दिल्ली में घूम कर अपने बचाव में जुटा हुआ था। जैसे ही उसे पहलवान सागर की मौत की सूचना मिली वह दिल्ली से बाहर भाग गया। इसके बाद उसके फोन की लोकेशन पश्चिम उत्तर प्रदेश तक मिली। 
सजायाफ्ता पार्षद के बेटे की तलाश-
पुलिस को इस मामले में सुशील के जिस साथी अजय की तलाश है वह कांग्रेस के निगम पार्षद सुरेश पहलवान( बक्करवाला) का बेटा है। सुरेश बक्करवाला दिल्ली पुलिस का बरखास्त सिपाही है। सुरेश बक्करवाला को 1993 में 49 लाख रुपए लूटने के मामले में  गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में सरेश के अलावा दिल्ली पुलिस के ही बरखास्त सिपाही जगवीर उर्फ जग्गू को भी गिरफ्तार किया गया था।
  करोल बाग में बैंक का पैसा लेकर जा रही टैक्सी से यह रकम लूटी गई थी। रकम लूटने के बाद टैक्सी रिज रोड पर छोड़ दी गई थी।  लूट की इस वारदात में शामिल सुरेश बक्करवाला और जग्गा को साउथ एक्स में कथित एनकाउंटर के बाद  गिरफ्तार किया गया था। इस एनकाउंटर में एएसआई जय राज घायल हो गया था और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। लूट की इस वारदात में पंजाब पुलिस का बरखास्त सिपाही भी शामिल था। एक अन्य मामले में सुरेश सजायाफ्ता अपराधी  है। सुरेश के पास से 1993 में चोरी का माल बरामद हुआ था। 
आईपीसी की धारा 411(एफआईआर76/93) के तहत दर्ज इस मामले में उसे 2003 में एडिशनल सेशन जज राकेश कपूर ने कैद और जुर्माने की सजा दी थी।

पुलिस की भूमिका पर सवाल-
दूसरी ओर इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैंं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस ने घायलों के बयानों पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की। पुलिस ने ऐसा करके एक तरह से सुशील को बचाया है। क्योंकि इसका फायदा सुशील को अदालत में मिल सकता है।
पुलिस अगर सागर की मौत से पहले उसका भी बयान दर्ज कर लेती तो यह पुलिस के पास अभियुक्तों के खिलाफ मजबूत सबूत होता। 
पुलिस ने पीसीआर काल और थाने में दर्ज डीडी एंट्री के आधार पर मुकदमा दर्ज किया। 
पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि गोलियां चलने की सूचना मिली थी। पुलिस घटनास्थल पर गई तो पता चला कि घायलों को पीसीआर अस्पताल ले गई है। सरसरी दरयाफ़्त से पता चला कि सुशील और उसके साथियों ने वारदात को अंजाम दिया है। 
माडल टाउन पुलिस को जब पता चल गया था कि घायलों को पीसीआर अस्पताल ले गई है तो पुलिस को अस्पताल जाकर घायलों के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। 
पुलिस ने इस मामले में सुशील के साथी आसोधा गांव निवासी  प्रिंस दलाल को बुधवार को बंदूक के साथ गिरफ्तार किया था। प्रिंस के मोबाइल से पुलिस को एक वीडियो मिला है जिसमें सोनू,सागर और अमित की पिटाई करने वाले दिखाई दे रहे हैं।




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