Friday 14 May 2021

IPS के एक फोन से ओलंपियन सुशील हवालात में होता। सुशील पर एक लाख रुपए के इनाम का ऐलान। कमिश्नर बताएं किस IPS ने रामदेव के लिए खाकी को खाक में मिलाया। रामदेव की देशभक्ति कडे गई ?




सुशील पहलवान पर एक लाख रुपए के इनाम का ऐलान। 

ताजा खबर -ओलंपियन सुशील पहलवान की गिरफ्तारी पर दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपए के इनाम का ऐलान किया है। सुशील के साथी अजय बक्करवाला पर पुलिस ने 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया। सुशील और उसके साथियों की पहलवान सागर की चार मई को छत्रसाल स्टेडियम में हत्या के मामले में तलाश है। सरकारी स्कूल में पीटीआई अजय कांग्रेस के निगम पार्षद सजायाफ्ता सुरेश बक्करवाला का बेटा है।( अपडेट 17-5-2021)
कमिश्नर बताएं किस IPS खाकी को खाक में मिलाया।

रामदेव की देशभक्ति कडे गई-

इंद्र वशिष्ठ 
ओलंपियन सुशील पहलवान को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई। जो पुलिस अब सुशील की तलाश जोर शोर से करने का दावा कर रही है। वह चाहती तो सुशील हत्या करने के 48 घंटों में ही पकड़ा जा सकता था। आईपीएस अफसर के सिर्फ़ एक फोन या एक वायरलेस संदेश से सुशील पुलिस के शिकंजे / हवालात में होता।
 
हत्या की वारदात के बाद सुशील हरिद्वार गया। भूरा पहलवान उसे वहां छोड़ कर आया। भूरा ने पूछताछ में पुलिस को यह भी बताया हैं कि रामदेव ने उसके सामने ही दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त आयुक्त को फोन कर सुशील को बचाने में मदद करने के लिए कहा था। यह बातें पुलिस सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई हैंं। पुलिस ने इनका खंडन भी नहीं किया है।
अगर यह बातें सही हैं तो सुशील के अब तक न  पकड़े जाने के लिए वह संयुक्त पुलिस आयुक्त ही जिम्मेदार है।
हरिद्वार पुलिस पकड़ लेती-
रामदेव ने संयुक्त पुलिस आयुक्त को फोन किया तो इस अफसर को तुरंत हरिद्वार पुलिस के वरिष्ठ अफसरों से बात करनी चाहिए थी। फोन के अलावा वायरलेस संदेश के द्वारा भी हरिद्वार पुलिस को बताया जा सकता था कि सुशील की हत्या के मामले में तलाश है और वह इस समय पतंजलि में मौजूद है। उस अफसर ने अगर हरिद्वार पुलिस को तुरंत पतंजलि भेजा होता तो सुशील वहां पकड़ा जाता। इस तरह वारदात के 48 घंटों के भीतर ही सुशील को पकड़ा जा सकता था। सुशील वहां 5 मई से 6 मई तक मौजूद था।
सुशील हरिद्वार में पकड़ा नहीं गया। इससे पता चलता है कि हरिद्वार पुलिस को इस अफसर ने सूचना दी ही नहीं, वरना सुशील को गिरफ्तार कर लिया जाता।
भूरा को पुलिस ने पकड़ा और पूछताछ के बाद छोड़ दिया। जबकि पुलिस को भूरा को लेकर पतंजलि जा कर छानबीन,पूछताछ और रामदेव के बयान भी दर्ज करने चाहिए थे। पतंजलि में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी जब्त करनी चाहिए थी। यह सब भी तो तफ्तीश का जरुरी हिस्सा होता है।
रामदेव थारी देशभक्ति कडे गई-
रामदेव ने यदि आईपीएस अफसर से सुशील को बचाने के लिए कहा तो जाहिर सी बात है कि वह जानता था कि सुशील की हत्या के मामले में तलाश है।
इससे पता चलता है कि वह  देशभक्ति का ढोंग करता है। अगर रामदेव असल में  देशभक्त और कानून की मदद करने वाला होता तो वह अपनी जाति के किसी अफसर से सुशील को बचाने के लिए नहीं कहता। असल देशभक्त होता, तो खुद पुलिस से कहता कि जिस आरोपी की तलाश है वह पतंजलि मेंं मौजूद है उसे आकर पकड़ लो।
रामदेव को पुलिसकर्मियों की सुरक्षा उपलब्ध है। रामदेव अगर सही मायने में देशभक्त होता वहां मौजूद  पुलिस कर्मियों की मदद से सुशील को वहींं पर रोक कर रखता जब तक कि  हरिद्वार या दिल्ली पुलिस वहां नहीं पहुंच जाती। लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। रामदेव ने  हत्या के एक आरोपी को शरण दी और उसे बचाने के लिए अपने संबंधों का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद सुशील को वहां से भगा  कर उसकी मदद की। ऐसे में रामदेव को भी अपराधी को शरण देने के अपराध में गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
कमिश्नर करें खुलासा ?
हरियाणा के मूल निवासी रामदेव यादव के अपनी जाति के दिल्ली पुलिस में मौजूद अनेक आईपीएस अफसरों  से अच्छे संबंध हैंं। सुशील की मदद के लिए अगर उसने किसी संयुक्त आयुक्त को फोन किया है तो वह उत्तरी रेंज के सुरेन्द्र सिंह यादव हो सकते हैं। क्योंकि उनके नेतृत्व में ही हत्या के इस मामले की जांच भी  की जा रही है। राम देव ने सुरेंद्र यादव या किसी अन्य आईपीएस अफसर को फोन  किया था। इसके बारे में यादव हो या कोई अन्य आईपीएस, वह तो  खुलकर यह बात कबूलेगा नहीं। हां, अगर उस अफसर ने रामदेव से बात करने के बाद तुरंत ईमानदारी से कर्तव्य पालन करते हुए हरिद्वार पुलिस को सुशील को पकड़ने के लिए भेजा होता तो वह जरूर यह बात खुल कर कबूल/उजागर करता। रामदेव ने किस संयुक्त पुलिस आयुक्त या आइपीएस को फोन किया। इसका पता लगाने का सबसे आसान तरीका है कि पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव
रामदेव से जुड़े आईपीएस अफसरों के मोबाइल फोन का पांच मई से लेकर अब तक का कॉल रिकॉर्ड निकलवा ले। ताकि पता चल सके कि किस आईपीएस अफसर ने खाकी से गद्दारी कर रामदेव से दोस्ती निभाई और हत्या आरोपी सुशील को बचाया।
आत्म समर्पण  -
सुशील को पकड़ने को लेकर जिला पुलिस के अलावा स्पेशल सेल और अपराध शाखा भी जुटी हुई हैं लेकिन इन सब को एक दूसरे से यह  खतरा भी है कि कहीं कोई सुशील से मिली भगत कर आत्म समर्पण न करा दे।
अदालत बताएगी केस कितना मजबूत है?-
 पुलिस ने शुरु में गैर इरादतन हत्या की कोशिश की धारा 308 के तहत मामला दर्ज किया था सागर पहलवान की मौत के बाद उसे हत्या की धारा 302 में तब्दील कर दिया गया। और अगवा करने की धारा 365 भी जोड़ दी गई। 
सूत्रों का कहना है कि सुशील तो यह कोशिश कर रहा है कि इस मामले में घायल सोनू महाल और अमित पुलिस को दिए बयान को बदल दे। जिससे वह इस मामले में बच जाए।
लेकिन जांच से जुड़े एक आईपीएस अफसर का कहना है कि एफआईआर पीसीआर कॉल और डीडी एंट्री के आधार पर दर्ज की गई जिसमें शिकायतकर्ता पुलिसकर्मी है। 
इसलिए  घायलों के बयान बदल लेने से भी सुशील को अभी कोई फायदा नहीं मिलेगा। गिरफ्तारी से वह बच नहीं सकता है।
सुशील का पिटाई करते हुए  वीडियो भी अहम सबूत है।
दूसरी ओर है कि सागर के परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने घायलों के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की ? 
मजिस्ट्रेट के सामने बयान-
वैसे  घायलों के अब तक मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज न कराना पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाता है। पुलिस अगर वाकई आरोपी सुशील आदि के खिलाफ मजबूत केस बनाना चाहती है तो उसने घायलों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान क्यों नहीं कराए?
वरिष्ठ आईपीएस अफसर दावा कर रहे हैं कि पुलिस की तफ्तीश बिल्कुल ठीक चल रही है और पुलिस के पास इतने मजबूत साक्ष्य हैं कि सुशील बच नहीं सकता। लेकिन पुलिस के इन दावों की असलियत तो आने वाले समय में अदालत मे ही सामने आएगी।
कमिश्नर,रामदेव की चुप्पी खोल रही पोल?
सुशील शरण लेने या मदद के लिए क्या रामदेव के पास गया या संपर्क साधा था?
पुलिस ने क्या रामदेव से तहकीकात की है?
इन सवालों पर  कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव और रामदेव ने आज तक कोई जवाब नहीं दिया है। इन दोनों की चुप्पी से यहीं लगता है कि सुशील पतंजलि गया। अगर नहीं गया होता तो रामदेव और पुलिस चीख चीख कर इस बात का खंडन करते। 


1 comment:

  1. Aapne police or ramdev ko aade haatho liya iske liye aapka dhanyawaad...you are such a great journalist.

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