Sunday 30 May 2021

ओलंपियन सुशील पहलवान के घर काम करने वाले युवक की रहस्यमयी मौत।कमिश्नर पर्दा तो उठाओ,पर्दा जो उठ गया,तो भेद खुल जाएगा।




कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव पर्दा तो उठाओ,पर्दा जो उठ गया,तो राज खुल जाएगा। 
ओलंपियन सुशील के घर काम करने वाले युवक की रहस्यमय हालत में मौत?
सुशील का क्या है कनेक्शन?
आईपीएस की भूमिका पर सवालिया निशान?


इंद्र वशिष्ठ 
 छत्रसाल स्टेडियम में एक युवक को सागर पहलवान की तरह ही पीट पीट कर मार दिया गया था?
ओंपियन सुशील पहलवान का उसमें हाथ था?
माडल टाउन थाना पुलिस ने मामला रफा दफा कर  युवक के शव का लावारिस के रुप में अंतिम संस्कार कर दिया था?
यह चौंकाने वाली जानकारी छत्रसाल स्टेडियम से जुड़े लोगों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर इस पत्रकार को बताई है। जो बताया गया है उससे इतना तो तय है कि स्टेडियम में कुछ तो संदिग्ध घटित हुआ ही था। 
 कमिश्नर सच्चाई पता लगाएं।- 
पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव काबिल आईपीएस अफसरों से तफ्तीश करा कर सच्चाई पता लगा सकते हैंं। सच्चाई सामने लाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर मृतक गरीब युवक को न्याय दिलवा सकते हैं।
युवक मरा मिला- 
स्टेडियम से जुड़े सूत्रों के अनुसार मामला जनवरी 2018 का है। युवक काफी समय से स्टेडियम की कैंटीन मे नौकर था। एक दिन अचानक वह संदिग्ध हालात में मरा मिला। पुलिस मौके पर आई थी। पुलिस को कह दिया गया कि यह यहां मरा पड़ा मिला है। युवक कैंटीन में ही नहीं, सुशील पहलवान के स्टेडियम स्थित घर पर भी काम करता था। सुशील के घर के बाहर बने कमरे में ही वह रहता था। उस कमरे में ही वह फर्श पर मरा मिला था।
इसके बावजूद पुलिस से यह कहा गया कि वह मृतक को नहीं जानते? 
इस बात से ही यह भी पता चलता है कि युवक की मौत नेचुरल या बीमारी से नहीं हुई होगी। 
सूत्रों के अनुसार इस युवक को मारा पीटा गया था। लेकिन मामला गरीब युवक का था इसलिए मामला रफा दफा कर दिया गया। 
 इस मामले मेंं कौन कौन लोग शामिल है। यह तो तफ्तीश से पता लगाया ही जा सकता है।
  राज खुल जाएगा- 
सूत्रों के अनुसार इस घटना के बाद सुशील की पत्नी मायके चली गई थी। सुशील कई महीने अकेला ही स्टेडियम वाले घर में रहा।
युवक की मौत की पुष्टि पुलिस बहुत आसानी से सुशील की पत्नी से पूछताछ से भी कर सकती है।
 आईपीएस का एक फोन- 
आईपीएस अफसर के एक फोन पर माडल टाउन थाने का एसएचओ पंचनामा रजिस्टर समेत सारा रिकॉर्ड लेकर उनके सामने हाजिर हो जाएगा।जिससे सारी कहानी खुल जाएगी।
 लाला तोते की तरह बोलेगा- 
कैंटीन का मालिक जिसे सभी लाला के नाम से पुकारते है। लाला से तोते की तरह सच्चाई उगलवाना पुलिस के लिए तो बाएं हाथ का खेल है।
 अफसरों से पूछताछ-
सागर पहलवान की हत्या के आरोप में गिरफ्तार सुशील का इस युवक की मौत के मामले में भी हाथ है या नहीं यह पुलिस उससे पूछताछ करके पता लगा ही सकती है।  सुशील का इस स्टेडियम में सरकारी अफसर (ओएसडी) के नाते भी एकछत्र राज था।
छत्रसाल स्टेडियम की डिप्टी डायरेक्टर (खेल) आशा अग्रवाल है। स्टेडियम में उस समय डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) के पद पर धर्मेंद्र कुमार थे। इसलिए इन अफसरों से भी पूछताछ तो की ही जानी चाहिए।
सुशील पहलवान के परिवार, स्टेडियम में रहने वाले पहलवानों, कैंटीन के कर्मचारियों के अलावा स्टेडियम में तैनात सुरक्षाकर्मियों आदि से पूछताछ की जानी चाहिए।
इस बारे में पुलिस का पक्ष लेने के लिए पुलिस के स्पेशल कमिश्नर संजय सिंह, संयुक्त पुलिस आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव, उत्तर पश्चिम जिला की डीसीपी उषा रंगनानी और माडल टाउन के एस एच ओ दिनेश कुमार से मोबाइल फोन पर संपर्क करने के लिए कई बार  कोशिश की गई। लेकिन किसी ने फोन रिसीव नहीं किया। पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव,स्पेशल कमिश्नर संजय सिंह समेत इन सभी अफसरों को व्हाट्सएप और ट्विटर पर भी यह खबर भेज दी गई है। इसके बावजूद भी अफसरों की चुप्पी से पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।
छत्रसाल स्टेडियम की डिप्टी डायरेक्टर आशा अग्रवाल ने भी फोन रिसीव नहीं किया।

 सुशील ने दुकानदार को पीटा। 
 पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज नहीं की।
माडल टाउन के दुकानदार सतीश गोयल की बकाया रकम मांगने पर ओलंपियन सुशील पहलवान और उसके साथियों द्वारा पिटाई करने का मामला सामने आया है।
सतीश ने पिछले साल 8 सितंबर को इस मामले की शिकायत माडल टाउन थाने में की थी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
सतीश की परचून की दुकान और आटा चक्की है। वह वर्षों से स्टेडियम में राशन सप्लाई करते हैं। पिछले साल वह राशन के बकाया चार लाख रुपए मांगने स्टेडियम गए थे। तभी उनकी पिटाई की गई।

 डीसीपी के बेटे की एफआईआर 6 दिन बाद दर्ज।-
 माडल टाउन में दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त डीसीपी सतवीर दहिया के बेटे दीपक को बदमाश काला जठेड़ी ने रंगदारी के लिए धमकी दी।
दीपक ने माडल टाउन थाने में 25 दिसंबर 2020 को शिकायत दी। लेकिन पुलिस ने उसकी भी एफआईआर 6 दिन बाद दर्ज की।
इस मामले में भी सुशील पहलवान का नाम आया है।
 सोनू महाल पुलिस की नाक के नीचे -
काला जठेड़ी का साथी सोनू महाल माडल टाउन में रह रहा था। सुशील पहलवान वहीं से सागर और सोनू को  उठा कर ले गया था।
 आईपीएस की भूमिका पर सवाल-
इन सभी मामलों से आईपीएस अफसरों और माडल टाउन थाने की पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है। 

 लावारिस बना अंतिम संस्कार करने में माहिर एसएचओ  -
हत्या का मामला  दर्ज न करना पड़े इसलिए भी पुलिस शव का लावारिस के रूप अंतिम संस्कार करने में माहिर है।
केशव पुरम थाना के इलाके में टीवी के डिब्बे में एक युवक का शव मिला था। तत्कालीन एस एच ओ प्रदीप कुमार ने हत्या का मामला दर्ज करने की बजाए मृतक का लावारिस के रुप में अंतिम संस्कार कर दिया था। इस पत्रकार द्वारा यह मामला उजागर किया गया। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा ने एसएचओ प्रदीप कुमार और चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर राज सिंह को निलंबित किया। युवक के अपहरण का मामला पटेल नगर थाना में दर्ज था। एसएचओ ने अगर निक्कमापन नहीं किया होता तो मृतक के परिवार वाले कम से कम अपने इकलौते बेटे के शव  का अंतिम संस्कार तो कर लेते। 
 बच्ची के शव का अंतिम संस्कार- 
पश्चिम जिला के तत्कालीन डीसीपी दीपक मिश्रा के समय पंजाबी बाग इलाके से राशि कुकरेजा नामक बच्ची का अपहरण हो गया था। पूर्वी दिल्ली में कल्याण पुरी थाना इलाके में राशि का शव अपहरणकर्ताओं ने फेंक दिया था। पश्चिम जिला पुलिस को पता चला कि  तत्कालीन एसएचओ सीता राम वोहरा ने राशि कुकरेजा का लावारिस के रुप में अंतिम संस्कार करवा दिया। 


1 comment:

  1. जो चुप रहेगी जुबान ए खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीं का। बहुत अच्छी और खोजपूर्ण रिपोर्ट।

    ReplyDelete